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तेलंगाना में केसीआर ने 1600 करोड़ में बनवाया ताजमहल से ऊंचा सचिवालय, बिल्डिंग का गुंबद मुस्लिम शैली का बनाया

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परिवारवादी पार्टियां जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे को किस तरह लुटाती हैं इसका ताजा उदाहरण है तेलंगाना में बना नया सचिवालय। यह नया सचिवालय ताजमहल से ऊंचा और देश के नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा से क्षेत्रफल में बड़ा है। देश के नए संसद भवन पर जहां 1250 करोड़ रुपये खर्च हुए वहीं तेलंगाना के नए सचिवालय पर 1600 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसके भवन निर्माण के लिए पहले 617 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी और बाद में सचिवालय के आसपास सौंदर्यीकरण के नाम पर 1,000 करोड़ रुपये का बजट बढ़ा दिया गया। भवन का निर्माण 7,79,982 वर्ग फीट में किया गया और इसकी ऊंचाई 265 फीट है। नए सचिवालय की कुल क्षेत्रफल 28 एकड़ है। इतना लंबा सचिवालय किसी राज्य में नहीं है। इसके साथ ही मुस्लिम तुष्टिकरण में केसीआर ने इस भवन के गुंबद को मुस्लिम शैली का बना दिया। इसके बाद इस पर विवाद शुरू हो गया है। एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नया सचिवालय भवन ताजमहल की तरह सुंदर है, वहीं भाजपा नेता बंदी संजय ने कहा कि 1,500 करोड़ रुपये से ताजमहल जैसा सचिवालय बनाया गया। एक बार भाजपा की सरकार बनने के बाद हम उन गुंबदों को गिरा देंगे। हम सचिवालय को इस तरह से बदलेंगे कि यह तेलंगाना और भारतीय संस्कृति को दिखाएगा।

नए सचिवालय का गुंबद मुस्लिम शैली का

तेलंगाना में बने नए सचिवालय का गुंबद मुस्लिम शैली का बनाया गया है। इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय ने बीआरएस सरकार पर आरोप लगाया कि उसने सचिवालय निर्माण के अनुमानित खर्च को 400 करोड़ से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये पहुंचा दिया है। 1,500 करोड़ रुपये से वह ताजमहल जैसा सचिवालय बना रहे हैं। एक बार भाजपा की सरकार बनने के बाद हम उन गुंबदों को गिरा देंगे। हम सचिवालय को इस तरह से बदलेंगे कि यह तेलंगाना और भारतीय संस्कृति को दिखाएगा।

मकबरा लग रहा है ओवैसी साहब, किसी की मय्यत मनाने के लिए बनाया है क्या?

तेलंगाना सरकार के नए सचिवालय की डिजायन को लेकर राजनीति गरमा गई है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया और कहा- बाबासाहेब अंबेडकर के नाम पर नए सचिवालय भवन के पूरी तरह तैयार होने पर तेलगांना को बधाई। इमारत को तेलंगाना की समावेशी विकास गाथा का प्रतीक बने रहना चाहिए। ओवैसी के इस ट्वीट पर AI भगवा नाम के हैंडल से रिट्वीट किया गया और पूछा- मकबरा लग रहा है ओवैसी साहब, किसी की मय्यत मनाने के लिए बनाया है क्या? 

ओवैसी ने कहा- सर, इमारत तो खूबसूरत है…

ओवैसी ने आगे तंज कसते हुए कहा- एक वक्फ पंजीकृत मस्जिद को निर्माण के दौरान अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया गया था, जिसे अब फिर से बनाया गया है। जो फिर से एक ध्वस्त मस्जिद के पुनर्निर्माण का पहला उदाहरण है। सरकार ने तेलंगाना के हाई कोर्ट को भी आश्वासन दिया है। सर, इमारत तो खूबसूरत है। ये और बात है कि वजीर-ए-आजम नहीं बना सका।

बीजेपी ने पूछा – कहां गए 1000 करोड़ रुपए?

तेलंगाना राज्य सचिवालय के उद्घाटन पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय ने केसीआर सरकार से योजना को लेकर सवाल पूछे हैं और स्ट्रक्चर को लेकर घेरा है। उन्होंने कहा- योजना के मुताबिक, पहले कहा गया कि निर्माण के लिए 600 करोड़ रुपये अनुमानित है, अब इसे बढ़ाकर 1600 करोड़ रुपये कर दिया। फिर 1000 करोड़ रुपये कहां गए? लोगों के पैसे का इस्तेमाल एक समुदाय के पक्ष में करना बिल्कुल ठीक नहीं है। सीएम ने ‘नल्ला पोचम्मा’ मंदिर को गिराने का आदेश दिया और फिर हमारी मांग पर उन्होंने लगभग 2 गुंटा आवंटित किया, जबकि अन्य धार्मिक स्ट्रक्चर्स के लिए 5 गुंटा आवंटित किया गया।

नए संसद भवन पर कुल खर्च 1,250 करोड़ रुपये

देश के नए संसद भवन को बनाने का खर्च करीब 29 प्रतिशत बढ़कर 1,250 करोड़ रुपए हुआ। पहले इसे 971 करोड़ रुपये में बनाया जाना था। खर्च बढ़ने की वजह एडिशनल वर्क, कंस्ट्रक्शन प्लान में बदलाव और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन है। प्रस्तावित चार मंजिला इमारत 13 एकड़ में बन रही है। सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत नया त्रिकोणीय संसद भवन, प्रधानमंत्री आवास, PMO, उप राष्ट्रपति भवन, एक कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बनाने के साथ ही राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक कॉरिडोर को नए सिरे से संवारा जा रहा है।

नए संसद भवन की जितनी लागत, उसकी 50 फीसदी राशि 3 साल में बचाई

लोकसभा को पिछले तीन साल में करीब 2500 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बेहतर वित्तीय प्रबंधन से इसमें से करीब 700 करोड़ रुपए की बचत की गई। लोकसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के बाद से ही बिरला ने फिजूलखर्ची रोककर बचत पर ध्यान दिया। तकनीक का उपयोग बढ़ाया गया। कागज की संख्या के उपयोग में खासी कमी की गई। इसके साथ ही लोकसभा सचिवालय की खरीदारी में सरकार के जेम पोर्टल को प्रोत्साहित करने जैसे कदमों ने सरकारी धन की बचत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही वजह है कि लोकसभा के अधिकारिक सूत्र कहते हैं कि भले ही बचत की गई राशि से संसद का नया भवन नहीं बन रहा हो, लेकिन कहीं न कहीं यह राशि सरकार के खजाने में ही रही है।

तेलंगाना में सचिवालय के भवन निर्माण का बजट 617 करोड़ से 1600 करोड़ किया

तेलंगाना में नए सचिवालय के लिए प्रशासन ने भवन निर्माण के लिए 617 करोड़ रुपये स्वीकृत किये। जीएसटी के बाद जो उस समय 6 प्रतिशत था, वह बढ़कर 18 प्रतिशत हो गया। निर्माण सामग्री का काम बढ़ा है। नतीजतन, निर्माण लागत में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। और बाद में बजट 1000 करोड़ रुपये बढ़ा दिया गया।

तेलंगाना का नया सचिवालयः 635 कमरे, 34 गुंबद, 300 सीसीटीवी कैमरे

तेलंगाना राज्‍य को अब अपना अलग नया सच‍िवालय म‍िल गया है। इसमें 635 कमरे, 34 गुंबद, 300 सीसीटीवी कैमरे हैं। तेलंगाना के नए सचिवालय की भव्यता हैरान कर देगी। मुख्‍यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने नवन‍िर्म‍ित छह मंज‍िला राज्य सचिवालय का 30 अप्रैल 2023 को उद्घाटन क‍िया। नये सचिवालय भवन को भारत रत्‍न डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के नाम से जाना जाएगा। तेलंगाना राज्य के गठन के बाद से केसीआर के नेतृत्व वाली पहली सरकार ने संयुक्त राज्य के सचिवालय में प्रशासन की शुरुआत की थी जिससे कामकाज में कर्मचार‍ियों और व‍िज‍िटर्स को बहुत परेशानी हो रही थी। इसको दूर करने के ल‍िए योजनाबद्ध तरीके से नए भवन का न‍िर्माण किया गया है।

तेलंगाना के नए सचिवालय के कुछ प्रमुख बिंदूः

♦ इसका निर्माण 26 महीने में पूरा किया गया है। आमतौर पर इस तरह के प्रोजेक्ट को पूरा करने में पांच साल लग जाते हैं।
♦ 300 सीसीटीवी कैमरे और 300 पुलिसकर्मियों से निगरानी।
♦ गुंबदों और खंभों को बनाने के लिए गैल्वेनाइज्ड रीइन्फोर्स्ड कंक्रीट (जीआरसी) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
♦ खंभे खड़ा करने में छह महीने का समय लगा।
♦ रोजाना तीन हजार से ज्यादा मजदूर काम करते थे।
♦ लाल बलुआ पत्थर के कुल 1,000 लॉरी का इस्तेमाल किया गया।
♦ भवन निर्माण के लिए 617 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हो चुकी है।
♦ अब तक 550 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। निर्माण लागत में अनुमान से 20-30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
♦ इस छह मंजिला सचिवालय में 635 कमरे हैं। इसमें विशेष 30 सम्मेलन कक्ष हैं। इसमें 24 लिफ्ट लगाई गई हैं।
♦ भवन का निर्माण कुल 28 एकड़ क्षेत्रफल में से ढाई एकड़ में किया गया है।

केसीआर का नया 50 करोड़ का घर: करदाताओं के पैसे से बनाया आलीशान

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव नवंबर 2016 में अपने नए गृह सह कार्यालय में गए जो बेगमपेट में नौ एकड़ के भूखंड में फैला हुआ है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक पूरे कॉम्प्लेक्स पर करीब 50 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इस अत्यधिक सुसज्जित और किलेबंद इमारत को देश के सबसे बड़े आधिकारिक कार्यालय-घर परिसरों में से एक माना जाता है। परिसर का निर्माण मुंबई स्थित रियल्टी प्रमुख शापुरजी पालनजी द्वारा किया गया है। शुरुआत में घर की कीमत 35 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन फिनिशिंग बिल कथित तौर पर लगभग 50 करोड़ रुपये है।

बंगले पर केसीआर ने खर्च किए 50 करोड़, कमरे में बुलेट प्रूफ ग्लास

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव 2016 में अपने 50 करोड़ रुपये के सपनों के घर में चले गए। जहां पुजारियों ने बुरी आत्माओं को भगाने के लिए वैदिक मंत्रोच्चारण किया और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बाहर खदेड़ दिया। 100,000 वर्ग फुट का बंगला नौ एकड़ के भूखंड पर बनाया गया और सभी आधुनिक, हाई-टेक सुविधाओं से सुसज्जित है, जिसमें आधिकारिक कक्षों में बुलेट प्रूफ ग्लास और मुख्यमंत्री और उनके बेटे केटीआर का घर शामिल है। रिपोर्टों का कहना है कि स्नाइपर हमलों को रोकने के लिए बाथरूम की खिड़कियों में भी बुलेट-प्रूफ शीशे लगे हैं।

गरीबों के लिए 2.27 लाख आवास अब भी सपना

केसीआर बेगमपेट में अपने नए महलनुमा आवास में तो चले गए, लेकिन गरीबों के लिए 272,000 दो-बेडरूम के घर बनाने की उनकी बहुप्रचारित योजना एक दूर का सपना बनकर रह गई।

केसीआर को तेलंगाना के विकास की परवाह नहीं है। वह परिवारवादी राजनीति और मुस्लिम तुष्टिकरण के जरिये ही छवि चमकाने में जुटे हैं। इस पर एक नजर-

केसीआर को तेलंगाना के विकास की परवाह नहीं

हैरानी की बात यह है कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री मोदी तेलंगाना राज्य को हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देने नवंबर 2022 में गए थे लेकिन तब भी केसीआर को राजनीति ही सूझ रही थी। इन परियोजनाओं से जहां राज्य की तरक्की सुनिश्चित होगी वहीं युवाओं के अनेक रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। लेकिन ऐसा लगता है कि केसीआर को तेलंगाना की जनता की परवाह नहीं है। तेलंगाना को हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं का सौगात देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी राज्य में थे, लेकिन प्रोटोकाल का उल्लंघन करते हुए वे खुद अगवानी के लिए नहीं आए। इससे यही साबित होता है कि उन्हें विकास की परवाह नहीं।

केसीआर की सरकार में मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव खुद को मुस्लिम तुष्टिकरण का चैंपियन साबित करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। केसीआर की सरकार में मुस्लिमों को खुश करने के लिए जहां उन्हें पूरी छूट दी जा रही है और उनके निर्देशों को लागू किया जा रहा है, वहीं हिन्दुओं और महिलाओं को दमन का शिकार होना पड़ा रहा है। तेलंगाना में अक्टूबर 2022 में आयोजित Group-1 की परीक्षा के दौरान हिन्दू महिलाओं से भेदभाव करते देखा जा सकता है। परीक्षा केंद्र पर बुर्का और हिज़ाब की खुली छूट थी। सुरक्षाकर्मी बुर्का पहनी मुस्लिम महिलाओं की तलाशी भी नहीं ले रही थी। उन्हें सीधे परीक्षा हॉल में जाने की अनुमति दी जा रही थी। वहीं हिन्दू महिलाओं के साथ भेदभाव किया गया। हिन्दू लड़कियों और महिलाओं की चूड़ियां,पायल और कुंडल तक उतरवाया गया।

केसीआर ने हिंदी की जगह उर्दू को दिया दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए राज्य में उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा बनाने का एलान किया। यानी सरकारी कामकाज में तेलुगू के बाद उर्दू में भी कामकाज होगा। मुख्यमंत्री केसीआर का लंबे समय से मुस्लिमों के प्रति रुझान रहा है। लिहाजा, माना जा रहा है कि उन्होंने तुष्टिकरण की नीति पर चलते हुए उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया है। इससे पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि हिन्दी को दूसरी आधिकारिक भाषा होने का गौरव प्राप्त होगा मगर मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं किया।

सचिवालय का ‘भूत’, वास्तु यज्ञ, न्यूमरोलॉजी का चक्कर

सीएम बनने के बाद केसीआर कभी सचिवालय नहीं गये। उन्‍हें किसी ने बताया क‍ि सचिवालय का वास्‍तु ठीक नहीं है। इसके लिए उन्‍होंने 2016 में 50 करोड़ की लागत से घर पर ही एक कार्यालय बनवाया। वे कभी सचिवालय नहीं गए जबकि उनकी सरकार के अध‍िकारी वहीं से काम करते हैं। उन्होंने बेगमपेट में अपने कैंप ऑफिस की मरम्मत कराई और इसे 5 मंजिल ऊंचा और 6 ब्लॉक्स तक बढ़ा दिया। इसके पीछे उन्‍होंने तर्क दिया क‍ि शासक को ऐसी जगह से काम करना चाहिए जो दूसरों की तुलना में ज्यादा ऊंचाई पर हो। पिछले 5 साल से केसीआर सचिवालय की बजाय अपने सरकारी आवास से काम कर रहे हैं।

न्यूमरोलॉजी के चक्कर में केसीआर ने विधानसभा भंग कर दिया

केसीआर 6 नंबर को अपने लिए बहुत लकी मानते हैं। वे जब भी कुछ नया या बड़ा करते हैं तो उसमें 6 अंक जरूर होता है। उनके काफिले की गाड़‍ियों के नंबर में 6 जरूर होता है। कोई भी काम ब‍िना मुहूर्त देखे नहीं करते। मुहूर्त में भी इसका ध्‍यान रखा जाता है क‍ि उसके जोड़ के अंक 6 जरूर हो। वे जब पहली बार सीएम बने तो उन्होंने दोपहर 12:57 मिनट पर शपथ ली, जिसके अंकों का जोड़ 6 होता है। एक बार वह महबूब नगर जिला गए तो वहां 51 बकरों की बलि चढ़ाई गई। लोगों का दावा है कि 51 बकरों की बलि इसीलिए चढ़ाई गई क्योंकि इसका जोड़ भी 6 होता है। चंद्रशेखर राव जो कमेटियां बनाते हैं, उनके सदस्यों की संख्या भी इस तरह रखते हैं जिसके अंकों का जोड़ 6 हो। शायद यही वजह है कि उन्होंने किसानों के लिए जो को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाई उसमें 15 सदस्य रखे। उनकी पार्टी की जिला समिति में 24 सदस्य हैं, राज्य स्तरीय समिति में 42 सदस्य हैं और इन सबका जोड़ 6 है। मुख्यमंत्री केसीआर ने सितंबर 2018 में विधानसभा भंग कर दी थी। 6 अंक को शुभ मानने वाले केसीआर ने इस अहम फैसले के लिए 6 सितंबर के दिन को चुना। बैठक भी ज्योतिष के आधार पर बुलाई थी। जिसके बाद उन्होंने विधानसभा भंग करने की सिफारिश की। केसीआर हैदराबाद की मशहूर हुसैन सागर झील कभी नहीं जाते, क्योंकि कहा जाता है कि हुसैन सागर झील जाने के बाद ही एनटी रामाराव से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की गद्दी छिन गई थी।

देश में सबसे ज्यादा महंगाई तेलंगाना में

तेलंगाना में देश में सबसे अधिक मुद्रास्फीति की दर बनी हुई है। 31 जनवरी 2023 को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में कहा गया है कि तेलंगाना में अप्रैल और दिसंबर 2022 के बीच इसी अवधि के राष्ट्रीय औसत 6.8 प्रतिशत के मुकाबले 8.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि ग्रामीण तेलंगाना में मुद्रास्फीति 9.2 प्रतिशत थी जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 8.3 प्रतिशत थी। तेलंगाना के शहरी से लेकर गांवों के लोग महंगाई से त्रस्त हैं लेकिन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) को जनता की परवाह ही नहीं है। विकास के पैमाने पर तेलंगाना अन्य राज्यों से पिछड़ती जा रही है। राज्य की जनता केसीआर की कार्यशैली और तुष्टिकरण की नीति और कामकाज से परेशान है। यही वजह है कि केसीआर की लोकप्रियता अब काफी निचले स्तर पर आ गई है।

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