14 अप्रैल, 2017. बाबा साहेब अम्बेडकर का 126वां जन्मदिन। इस मौके पर देश के इतिहास की सबसे बड़ी प्रोत्साहन योजना का समापन हो गया। 25 दिसंबर से शुरू हुई लकी ग्राहक और डिजी धन योजना से जुड़ी लॉटरी के विजेताओं को इनाम के साथ आखिरी पड़ाव पार कर लिया।
परवान चढ़ा कैशलेस का मकसद
जब 25 दिसंबर को यह योजना लांच की गयी थी, तब मकसद देश को कैशलेस की ओर आगे बढ़ाना था, देश को डिजिटल की ओर ले जाना था। लोगों को जागरूक करने के लिए देशभर में अभियान चला, फायदे बताए गये, मोबाइल बैंकिंग से लोगों को जोड़ा गया, सरकारी और गैर सरकारी एप की बाढ़ आ गयी। प्वाइंट ऑफ सेल की बिक्री बढ़ गयी। विगत करीब चार महीनों में देश ने कैशलेस की दिशा में उल्लेखनीय दूरी तय की है।
डिजिटल ट्रांजेक्शन 8 अरब पहुंचा
यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन सालाना करीब 8 अरब तक पहुंच गया है। सरकार की योजना इस साल के अंत तक इसे बढ़ाकर तिगुना से भी ज्यादा 25 अरब करने की है।
डिजी धन-लकी ग्राहक विजेताओं को मिले 256.5 करोड़
सरकार की डिजीधन योजना की सफलता उत्साहित करने वाली रही। 11 अप्रैल तक डिजीधन योजना के तहत 91 हजार मर्चेंट्स को पुरस्कार मिल चुके हैं। वहीं लकी ग्राहक योजना में 15 लाख 78 हजार 977 उपभोक्ताओं को भी नकद इनाम मिले हैं। सम्मिलित रूप से कुल 256 करोड़ 57 लाख 10 हजार रुपये के पुरस्कार बांटे जा चुके हैं। इनमें से 198 करोड़ 7 लाख 10 हजार रुपये आम उपभोक्ताओं को दिए गये हैं।
रूपे यूजर्स को मिले सबसे ज्यादा पुरस्कार
सबसे ज्यादा रूपे का इस्तेमाल करने वाले 13 लाख 75 हजार 472 लोगों को पुरस्कार मिले हैं। 1 लाख 50 हजार 877 AEPS यूजर्स, 51 हजार 877 यूपीआई यूजर्स, 1589 यूएसएसडी यूजर्स को पुरस्कार मिले हैं। वहीं POS यूजर 91000 कारोबारियों को डिजी धन पुरस्कार मिले हैं।
सही साबित हुई कैशलेस की मुहिम
बाबा साहेब की जयंती पर कैशलेस जुड़े महायज्ञ की उपलब्धि हर कोई महसूस कर रहा है। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। इस महायज्ञ से पहले लोग कहा करते थे कि गरीब अनपढ़ होते हैं, उनके पास मोबाइल नहीं है इसलिए कैशलेस की ओर देश कैसे बढ़ेगा? लेकिन, लगता है कि प्रधानमंत्री को अपने फैसले पर विश्वास था। उन्हें यकीन था कि जो जनता ईवीएम मशीन से देश की तकदीर बदल रही है वो कैशलेस अपना कर खुद की और देश की किस्मत भी जरूर संवारेगी। पीएम मोदी का विश्वास मजबूत हुआ है।
100 करोड़ मोबाइल यूजर्स ने दी कैशलेस को गति
कैशलेस देश की दिशा में बढ़ते हुए यह सोच काम कर रही थी कि जिस देश की सवा सौ करोड़ जनता में 100 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन हों, उस देश में कैशलेस ट्रांजेक्शन नहीं होगा, तो कहां होगा? कैशलेस से काम कितना आसान हो जाता है। सेकेंड्स में आपका काम होता है और बैंकों का बोझ भी हल्का होता है।
कैशलेस का मतलब स्वावलंबन
दरअसल कैशलेस ट्रांजेक्शन को अपनाने का मतलब कैशलेस स्वावलंबन को अपनाना है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ के लिए आधार का काम करने जा रहा है ये कैशलेस स्वावलंबन।
भीएम एप से जुड़े करोड़ों लोग
बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से बने भीम एप ने भी कैशलेस हिन्दुस्तान की ओर कदम बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभायी है। करोड़ों लोगों ने इसे अपनाया है। भारतीय अर्थव्यवस्था को अम्बेडकरजी की देन याद करते हुए पीएम मोदी ने भीम एप लांच किया था। चाहे काम के घंटे 8 करने की बात हो या आधी आबादी को कोयले के कठिन कारोबार से हटाने की सोच- ये बाबा साहेब की ही सोच थी।