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मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि, भारत ने सौर ऊर्जा के उत्पादन से 6 महीने में बचाया 1.94 करोड़ टन कोयला और 3.4 खरब का ईंधन

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सौर ऊर्जा के महत्व को बहुत पहले पहचान लिया था। गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान ही उन्होंने इस पर मिशन मोड में काम शुरू कर दिया था। गुजरात पहला राज्य था जिसने सोलर एनर्जी की नीति बनाई थी। गुजरात देश का पहला राज्य था जिसने सिंगल लोकेशन पर सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट देश को समर्पित किया था। जब देश की बागडोर हाथ में आई तो प्रधानमंत्री मोदी ने ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में सोलर एनर्जी को लेकर एक मुहिम छेड़ दी। इसका परिणाम अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, सौर ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि, कोयला और ईंधन में बचत, और पर्यावरण सुरक्षा के रूप में सामने आया है।

ईंधन लागत में कमी और कोयले की बचत

दरअसल पिछले दशक में सौर ऊर्जा के विकास के विश्लेषण के आधार पर एनर्जी थिंक टैंक एम्बर, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर, और इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस ने गुरुवार यानी 10 नवंबर, 2022 को एक रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक भारत ने 2022 की पहली छमाही में सौर उत्पादन के माध्यम से ईंधन लागत में 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (32603 करोड़ रुपये) और 1.94 करोड़ टन कोयले की बचत की है। अगर ऐसा नहीं होता तो पहले से ही तनाव से गुजर रही घरेलू कोयला आपूर्ति पर और अधिक प्रभाव पड़ता। बढ़ते जीवाश्म ईंधन की कीमतों के मद्देनजर भारत में बिजली की मांग को पूरा करने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में सौर ऊर्जा पहले से ही महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

सोलर पॉवर के क्षेत्र में दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्था में भारत शामिल

रिपोर्ट में बताया गया है कि सोलर पॉवर के क्षेत्र में दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्था में 5 देश एशिया के हैं। इनमें चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया और वियतनाम शामिल हैं। सौर ऊर्जा उत्पादन ने जनवरी से जून 2022 तक सात प्रमुख एशियाई देशों- चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, फिलीपींस और थाईलैंड में कुल मिलाकर लगभग 34 अरब डॉलर की संभावित जीवाश्म ईंधन पर लागत की बचत की। यह इस अवधि के दौरान कुल जीवाश्म ईंधन लागत के 9 प्रतिशत के बराबर है। इसमें भारत का हिस्सा चार अरब डॉलर से भी अधिक है।

बचत के मामले में चीन पहले, जापान दूसरे नंबर पर

रिपोर्ट में पाया गया है कि सौर ऊर्जा से सबसे अधिक बचत चीन में हुई है, जहां बिजली की कुल मांग का पांच प्रतिशत हिस्सा सौर ऊर्जा से प्राप्त किया गया और जनवरी से जून 2022 तक अतिरिक्त कोयला और गैस आयात में लगभग 21 अरब डॉलर की कमी की गई। दूसरे नंबर पर जापान ने 5.6 अरब डॉलर बचाए। वियतनाम की सौर ऊर्जा ने अतिरिक्त जीवाश्म ईंधन लागत में 1.7 अरब डॉलर की बचत की। यह बड़े पैमाने पर वृद्धि का प्रतीक है। वियतनाम का सौर उत्पादन 2018 में शून्य टेरावाट घंटे के करीब था जबकि 2022 की जनवरी से जून तक बिजली की मांग में सौर ऊर्जा का हिस्सा बढ़कर 11 फीसदी हो गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आइए देखते हैं उनकी मुहिम किस तरह रंग ला रही है…

भारत फिर बना अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का अध्यक्ष

 17-20 अक्टूबर, 2022 तक नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पांचवी सभा का आयोजन हुआ। इसमें 109 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के मंत्री, मिशन और प्रतिनिधि शामिल हुए। आईएसए की इस महासभा में भारत को एक बार फिर अध्यक्ष और फ्रांस को सह अध्यक्ष चुना गया। आईएसए का बहुत तेजी से विकास हुआ है और अब इसके सदस्यों की संख्या 110 तक पहुंच चुकी है।

भुगतान गारंटी व्यवस्था ‘सौर सुविधा’ को मिली मंजूरी

आईएसए की महासभा ने एक भुगतान गारंटी व्यवस्था ‘सौर सुविधा’ को भी मंजूरी दी जिससे सौर क्षेत्र में निवेश को गति मिलने की उम्मीद है। इसके लिए दो वित्तीय घटकों सौर भुगतान गारंटी कोष और सौर बीमा कोष का सहारा लिया जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों से वित्त जुटाने के लिए आईएसए सौर सुविधा को जल्द ही शुरू करेगा। इसके अलावा आईएसए की महासभा ने ‘सोलरएक्स ग्रांड चैलेंज’ को भी मंजूरी दी। इसके माध्यम से सौर क्षेत्र में नवाचार एवं स्टार्टअप पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

2030 तक सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 1 लाख करोड़ डॉलर के निवेश का लक्ष्य

आईएसए के मिशन 2030 में सौर ऊर्जा में 1 लाख करोड़ डॉलर का निवेश करना है, जबकि प्रौद्योगिकी और इसके वित्तपोषण की लागत कम करना है। यह कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है। आईएसए के सदस्य देश नीतियों और नियमों को लागू करके, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करके, साझा मानकों पर सहमत होकर और निवेश जुटाकर बदलाव ला रहे हैं। 

आईएसए की अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी

6 दिसंबर, 2017 को, आईएसए भारत में मुख्यालय वाला पहला अंतरराष्ट्रीय अंतर सरकारी संगठन बन गया। आईएसए बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी), विकास वित्तीय संस्थानों (डीएफआई), निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, नागरिक समाज और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी कर रहा है ताकि सौर ऊर्जा के माध्यम से खासतौर पर कम विकसित देशों में (एलडीसी) और लघु द्वीप विकासशील क्षेत्रों (एसआईडीएस) में लागत प्रभावी और बदलाव लाने वाले हल स्थापित किया जा सके।

पीएम मोदी के बताये रास्ते पर चलने लगे विकसित देश

वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद इतना ऊंचा हो चुका है कि उनके दिखाये रास्ते पर आज दुनिया के सबसे विकसित और ताकतवर देश भी चलने के लिए तैयार है। इसका फिर प्रमाण ठीक एक साल पहले 10 नवंबर, 2021 को ग्लासगो में क्लाइमेट चेंज पर चर्चा के लिए आयोजित COP26 में मिला, जब प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर 2015 में शुरू की गई इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) में अमेरिका ने भी शामिल होने की घोषणा की। अब इस अलायंस के सदस्यों की संख्या बढ़कर 101 हो गई है। आईएसए के सदस्य के रूप में अमेरिका का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह एक चिरस्थायी ग्रह के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने की गठबंधन की साझा तलाश में उसे और मजबूती प्रदान करेगा।

सोलर अलायंस का हिस्सा बनने पर अमेरिका ने जतायी खुशी

आईएसए की रूपरेखा वाले समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने कहा, “हम इंटरनेशनल सोलर अलायंस में शामिल होकर खुश हैं जिसकी स्थापना में प्रधानमंत्री मोदी ने अगुआई की। हमने इस संबंध में ब्योरे का अध्ययन किया है और यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका हिस्सा बनकर हम खुश हैं। यह वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के तेजी से और ज्यादा उपयोग की दिशा में अहम योगदान होगा। यह विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण होगा।’ वहीं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि खुशी है कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से शुरू किए गए विजनरी प्रयोग का अब अमेरिका भी औपचारिक तौर पर हिस्सा बन गया है। इससे इंटरनेशनल सोलर अलायंस को दुनिया भर में मजबूती मिलेगी।

पीएम मोदी के ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव को मिल रहा समर्थन

प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव के तहत ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ का जो विजन दिया है, उसे तमाम देशों का समर्थन मिलता जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटेन के ग्लासगो में ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ का आह्वान किया। इसे ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका ने भी अपना समर्थन दे दिया है। एक-एक कर के दुनिया भर के देश सूरज की ताकत को समझते हुए इस प्रोजेक्ट से जुड़ रहे हैं। अमेरिका की ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रैनहोम ने कहा कि अमेरिका का ऊर्जा विभाग ‘ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव- ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ का पार्टनर बनने से बेहद खुश है।

पीएम मोदी का ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ का विजन

प्रधानमंत्री मोदी के ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ के विजन के पीछे मूल विचार यह है क‍ि ‘सूरज कभी अस्‍त नहीं होता।’ दुनिया के किसी न किसी कोने तक उसकी रोशनी पहुंचती ही रहती है। इसका इस्‍तेमाल विभिन्‍न इलाकों में बड़े पैमाने पर सोलर एनर्जी तैयार करने में हो सकता है। ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव दुनियाभर से समेटी गई सौर ऊर्जा को अलग-अलग लोड सेंटर्स तक पहुंचाएगी। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्‍यों को पूरा करने की दिशा में गेमचेंजर कहा जा रहा है।

UN मुख्यालय में गांधी सोलर पार्क का उद्घाटन

प्रधानमंत्री मोदी ने सितंबर 2019 में विश्व के अन्य नेताओं के साथ न्यूयॉर्क में स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में गांधी सोलर पार्क का उद्घाटन किया। गांधीजी की 150वीं जयंती के सिलसिले में भारत ने यह कार्यक्रम आयोजित किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्‍त राष्‍ट्र मुख्‍यालय में जिस ‘गांधी सोलर पार्क’ का उद्घाटन कियाा, वह 50 किलोवाट का है। इस अवसर पर बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, न्‍यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न, दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति मून-जाए-इन भी मौजूद थे। वैश्विक नेताओं ने यूएन मुख्‍यालय में गांधी के विचारों की मौजूदा दौर में प्रासंगिकता को लेकर आयोज‍ित एक अन्‍य कार्यक्रम में महात्‍मा गांधी के नाम पर एक यूएन डाक टिकट भी जारी किया।

पूरी दुनिया में सौर ऊर्जा की क्रांति लाना चाहते हैं- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च 2018 में नई दिल्ली में इंटरनैशनल सोलर अलायंस समिट को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि हम पूरी दुनिया में सौर ऊर्जा की क्रांति लाना चाहते हैं। उन्होंने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की अपील करते हुए कहा था कि सोलर एनर्जी मानव सभ्यता के लिए बुनियादी जरूरत है। ऐसे तमाम देश हैं, जहां साल भर सूरज चमकता है, लेकिन संसाधनों की कमी से सोलर एनर्जी नहीं बन पाती। इसके लिए हमें फंडिंग की व्यवस्था करनी होगी। पीएम मोदी ने सम्मेलन में शामिल विश्व नेताओं के सामने ये भी बताया था कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम शुरू किया गया है। हम 2022 तक इससे 175 गीगा वाट बिजली उत्पन्न करेंगे जिसमें से 100 गीगा वाट बिजली सौर से होगी।

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