Home नरेंद्र मोदी विशेष प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में परिवहन क्रांति की ओर बढ़ता भारत

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में परिवहन क्रांति की ओर बढ़ता भारत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार देश में आधारभूत ढांचे के निर्माण में जोर-शोर से लगी है। हाईवे का निर्माण हो या फिर रेलवे का कायाकल्प, चाहे बात हो हवाई मार्गों की, मोदी सरकार ने परिवहन के हर क्षेत्र में भविष्य की जरूरतों को देखकर योजनाएं बनाईं हैं और उन पर अमल भी किया जा रहा है। केंद्र सराकर ने देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई के बीच नया एक्सप्रेसवे बनाने की योजना बनाई है। गुरुग्राम से मुंबई के बीच करीब 1250 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे अगले तीन वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा। अभी सड़क मार्ग से दिल्ली से मुंबई जाने में 24 घंटे लगते हैं, लेकिन इस एक्सप्रेसवे से यह दूरी मात्र 12 घंटे में ही पूरी हो जाएगी, यानी राजधानी एक्सप्रेस के 16 घंटे से भी 4 घंटे कम समम में दिल्ली से मुंबई पहुंचना संभव होगा।

सौजन्य

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि 60,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह एक्सप्रेसवे देश के सबसे पिछड़े दो जिलों हरियाणा के मेवात और गुजरात दाहोद से होकर गुजरेगा। अभी दिल्ली और मुंबई के बीच की दूरी 1,450 किलोमीटर हो इस एक्सप्रेसवे के बाद घटकर 1,250 किलोमीटर रह जाएगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक इस एक्सप्रेसवे को बनाने के लिए वडोदरा से सूरत के बीच काम के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं, जबकि सूरत से मुंबई के लिए टेंडर जल्द जारी होने वाले हैं। यह एक्सप्रेसवे राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश के पिछड़े जिलों के विकास का जरिया बनेगा और कई पिछड़े इलाके गुरुग्राम की तरह चमक सकेंगे।

एक नजर डालते हैं सड़क निर्माण से जुड़ी और कौन सी योजनाओं पर काम चल रहा है।

28 बड़े शहरों में रिंग रोड बनाने की योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में लगी हुई है। इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का अहम हिस्सा है सड़क निर्माण। सड़क निर्माण इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सड़क अच्छी होंगी तो परिवहन गति पकड़ेगा और व्यापार बढ़ेगा। केंद्र सरकार इसी फार्मूले पर काम कर रही है, शहर हों या ग्रामीण इलाके या फिर पहाड़ी क्षेत्र सभी जगहों पर तेज गति से सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। अब सरकार ने देश के 28 बड़े शहरों में 36,290 करोड़ की लागत से रिंग रोड बनाने की योजना बनाई है। इसमें से 21,000 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं के लिए डीपीआर बनाने का काम चल रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक यह परियोजनाएं मोदी सरकार की महात्वाकांक्षी भारतमाला कार्यक्रम का हिस्सा है। इसके तहत दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु, रांची, पटना, श्रीनगर और उदयपुर समेत सभी बड़े शहरों में रिंग रोड की योजना बनाई गई है। इतना ही नहीं 28 रिंग रोड के अलावा 40 बाईपास की भी योजना बनायी गई है।

प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी सड़क योजनाएं
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने 2022 तक 6.92 लाख करोड़ रुपये की लागत से 84,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का लक्ष्य रखा है।स्वतंत्र भारत में किसी भी सरकार द्वारा बनाई गई यह सबसे बड़ी सड़क निर्माण योजना है। देश में पिछले सात दशकों में केवल 96,260 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी मात्र पांच सालों में लगभग इतनी ही लंबी सड़कें बनाने की योजना को लागू कर रहे हैं, जो किसी भी दृष्टि से एक रिकॉर्ड है। योजना पर लगभग सात लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जिसके लिए कई स्रोतों से धन की व्यवस्था की जा रही है। जापान भारत की कई सड़क परियोजनाओं में धन लगाने के लिए तैयार हो चुका है।भारतमाला परियोजना
इन महत्वाकांक्षी योजनाओं में सागरमाला और भारतमाला दो प्रमुख परियोजनाएं हैं। भारतमाला परियोजना के तहत देश के पश्चिम से लेकर पूर्व तक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सड़कों का जाल बिछाने की योजना है। 34,800 किलोमीटर लंबी इस योजना पर लगभग 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण 3,488 किलोमीटर लंबी चीन-भारत की सीमा पर सड़कों का निर्माण है, जो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक फैला है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संवेदशील क्षेत्र में 73 सड़कों के निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया है, जिनमें से 46 सड़कों का निर्माण रक्षा मंत्रालय कर रहा है और शेष 27 सड़कों के निर्माण की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के हाथों में सौंपी है। इनमें से 24 सड़कें बनकर तैयार हो चुकी हैं और बाकी सड़कों का काम वर्ष 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा।

नक्सल प्रभावित जिलों में सड़क निर्माण
प्रधानमंत्री मोदी देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने और नक्सल प्रभावित जिलों में आर्थिक विकास को गति देने के लिए 44 जिलों मे 11,724.53 करोड़ रुपये की संचार और सड़क परियोजनाओं को लागू कर रहे हैं। परियोजना के तहत 54,00 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो रहा है। इसी के साथ 126 पुल, नालों का भी निर्माण भी किया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस परियोजना को लागू कर रहा है। वित्त मंत्रालय ने इसके लिए वर्ष 2016-2017 से लेकर वर्ष 2019-2020 के लिए 7,034.72 करोड़ रुपये का धन आवंटित कर दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी सड़कों के निर्माण को रफ्तार
देश में वर्ष 2012-2014 के बीच मात्र पांच हजार किलोमीटर लंबी सड़कों का ही निर्माण हो सका था, जबकि प्रधामंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले एक साल में 8200 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ। इस तरह प्रतिदिन 25 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो रहा है, जो अब तक देश में एक रिकॉर्ड है। सरकार का लक्ष्य प्रतिदिन 40 किलोमीटर से अधिक सड़कों का लक्ष्य है।

केंद्र की सड़क परियोजनाएं से देश की सीमाएं चाकचौबंद
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर मौसम में आवागमन के लिए अनुकूल जिस सड़क परियोजना की आधारशिला कुछ महीनों पहले रखी थी, उसके एक महत्वपूर्ण चरण पर काम तेज गति से आरंभ हो चुका है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ और टनकपुर को जोड़ने वाली 12 मीटर चौड़ी सड़क पर काम तेजी से चल रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों से गुजरने वाली 150 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण वर्ष 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस सड़क के बनने से नेपाल की सीमा तक सैन्य साजो-सामान को किसी भी मौसम में पहुंचाने में कोई बाधा नहीं होगी और पूर्वोत्तर सीमा पर चीन से मिलने वाली किसी भी चुनौती से निपटने में सेना और अधिक सक्षम और सशक्त होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने देश में सड़कों का जाल बिछाने की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं आरंभ की हैं, जिससे देश की आर्थिक प्रगति के साथ-साथ सामरिक सुरक्षा में भी जबर्दस्त बढ़ोतरी हो रही है।

पीएम मोदी की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के साथ-साथ देश की सामरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ बनाई, जिसके तहत पूर्वोत्तर के सातों राज्यों को पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों- म्यांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लावोस, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम से व्यापार करने के लिए फ्रंटलाइन राज्य के रूप में लिया गया। इसी नीति के तहत बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने को प्रधानमंत्री मोदी ने प्राथमिकता दी और उसके साथ कई समझौते करके सबंधों को एक ठोस मजबूती दी। पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को मजबूती देने के लिए ही प्रधानमंत्री मोदी ने ASEAN देशों की पिछले तीन सालों में कई यात्राएं कीं और सामरिक महत्त्व के कई समझौते किये। आज इन देशों से संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं। देश में ऐसा पहली बार हुआ, जब इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में ASEAN देशों के सभी दस राष्ट्रों के शासनाध्यक्ष अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। एक तरफ इन राज्यों से सटे हुए देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया जा रहा है तो दूसरी ओर सड़कों, रेल, बंदरगाहों का निर्माण करके इन राज्यों द्वारा इन देशों से व्यापार करने की सुविधा बढ़ाई जा रही है। इस नीति से पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास तो होगा ही, साथ ही साथ सामरिक स्तर पर भारत की सुरक्षा मजबूत होगी।

जापान की भागीदारी
पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास में ASEAN देशों के साथ-साथ जापान की एक बड़ी भूमिका है। जापान, भारत का शुरू से सहयोगी रहा है और भारत के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए निवेश करता रहा है। जापान में वर्ष 2012 में शिंजों अबे की सरकार बनने और वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के भारत में प्रधानमंत्री बनने से रिश्तों में एक नई ताजगी आई है। जापान वर्ष 2019 तक भारत में 33 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी की सामारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई परियोजनाओं में भी जापान निवेश करने की तैयारी कर रहा है।
• अरुणाचल प्रदेश में पनबिजली परियोजना
• नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार से जोड़ने के लिए सड़क और पुल परियोजना
• इंफाल (मणिपुर) को मोरेह (म्यांमार) की सड़क परियोजना
• म्यांमार के Dawei SEZ से पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने की परियोजना
• म्यांमार Sittwe बंदरगाह से जोड़ने वाली Kaladan Multimodal Transit Transport Project
• पूर्वोत्तर राज्यों में स्मार्ट सिटी परियोजना
• बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार से लगे नेशनल हाईवे 51 व 54 को upgrade करने की परियोजना
• त्रिपुरा की फेनी नदी पर पुल परियोजना, जो अगरतल्ला को बांग्लादेश के चिटगांव से जोड़ेगी।
• आयजोल- तियुपांग(मिजोरम) सड़क परियोजना- यह परियोजना 32 देशों के सहयोग से बनने की तैयारी में Great Asian Highway का हिस्सा होगी। Great Asian Highway, 141,000 किमी. लंबी सड़कों का नेटवर्क होगी।

सागरमाला परियोजना
प्रधानमंत्री मोदी की एक अन्य महत्वपूर्ण सागरमाला परियोजना है। इस परियोजना पर लगभग 70 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जो पूर्व और पश्चिम में स्थित बंदरगाहों को सड़क और रेल मार्ग से जोड़ने की योजना है। इस योजना से देश के शिपिंग क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी। जलमार्ग से माल की ढुलाई से देश में औसतन हर साल 40 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी और देश के अंदर जलमार्गों का विकास होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने सड़क परियोजनाओं के जरिए देश में आर्थिक गति को तेज करने के साथ-साथ देश की सामरिक सुरक्षा को मजबूत करने का एक दूरदर्शी कदम उठाया है। सड़कों से देश के सकल घरेलू उत्पाद के साथ साथ प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी होगी, जो भारत को कुछ ही वर्षों में आर्थिक रूप से संपन्न कर देगी।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर रेलवे के विकास के लिए कई काम हुए हैं। डालते हैं इन कामों पर एक नजर – 

रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण में हुआ रिकॉर्ड स्तर पर काम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यातायात साधनों को मजबूत बनाने के लिए विशेष बल देते हैं। उसी का परिणाम है कि रेलवे विभाग अपने कार्यों में तेजी ला रहा है। रेलवे नेटवर्क में ट्रैक नवीनीकरण का काम काफी महत्वपूर्ण होता है। एक लंबे अंतराल के बाद रेलवे विभाग ने रिकॉर्ड स्तर पर रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण के लक्ष्य को न केवल पूरा किया बल्कि लक्ष्य से अधिक ट्रैक का नवीनीकरण किया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण का लक्ष्य 4,389 किमी था। प्रधानमंत्री की पहल पर रेलवे ने अपना लक्ष्य हासिल करते हुए एक साल में 4,405 किमी रेलवे ट्रैक का नवीनीकरण किया। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है क्योंकि इससे पहले वर्ष 2004-05 में सबसे अधिक किमी रेलवे ट्रैक का नवीनीकरण हुआ। तब भी 4,175 किमी रेलवे ट्रैक का नवीनीकरण हो पाया था। यह रिकॉर्ड भी भारतीय जनता पार्टी के नेता व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल पर हुआ था। तब पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अलग से फंड की व्यवस्था की थी।

एक रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे ट्रैक का देशभर में 1,14,907 किमी का नेटवर्क है। इतने बड़े रेल नेटवर्क को देखते हुए हर साल कम से कम 4,500 किमी रेलवे ट्रैक में बदलाव होना चाहिए था लेकिन 2004 से 2014 के बीच यूपीए-1 और यूपीए-2 के शासन काल में रेलवे को इस काम के लिए वित्तीय संकट के दौर से गुजरना पड़ा था। इसके कारण ट्रैक नवीनीकरण का काम पीछे होता चला गया और इस वजह से रेल दुर्घटनाओं में समय के साथ वृद्धि हुई थी।

नए रेल बजट में भी प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर एक लाख करोड़ रुपए का राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनाया है जिसे पांच साल में खर्च किया जाना है। सरकार की पहल पर रेल सुरक्षा के लिए किए गए उपायों का असर दिखने लगा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 में रेल दुर्घटनाओं की संख्या 104 थी जो 2017-18 में घटकर 73 रह गई है। 35 सालों में पहली बार रेल दुर्घटनाओं की संख्या 100 से कम रही है। ये भी अपने आप में रिकॉर्ड है। 

भारतमाला की तर्ज पर हाई-स्पीड ट्रेन कॉरिडोर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए भारतमाला सड़क परियोजना की तरह ही देश के सभी प्रमुख शहरों को जोड़ने के लिए एक हाई-स्पीड ट्रेन कॉरिडोर बनाने जा रही है। 10 लाख करोड़ रुपये की लागत से भारतमाला हाइवेज डिवेलपमेंट प्रोग्राम की तर्ज पर बनाया जाने वाला यह कॉरिडोर लगभग 10,000 किलोमीटर लंबा होगा। इन रेल लाइनों पर ट्रेनें 200 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चल सकेंगी।

11,661 करोड़ की 6 परियोजनाओं को मंजूरी
केद्र सरकार ने 11,661 करोड़ लागत वाली रेलवे की 6 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की है। इन परियोजनाओं में यूपी, बिहार, एमपी और ओडिशा के दूर-दराज के इलाकों में रेल नेटवर्क का विस्तार, 881 किलोमीटर रेल लाइन का विद्युतीकरण और दोहरीकरण शामिल हैं। इन परिजोनाओं के पूरा होने में 211 लाख मानव दिवस के बराबर रोजगार का सृजन होगा। 

बिहार में 2,729 करोड़ के दो प्रोजेक्ट
रेल नेटवर्क के विस्तार की इन परियोजना के तहत बिहार के मुजफ्फरपुर-सगौली व सगौली-वाल्मिकी नगर रेलवे लाइन का विद्युतीकरण व दोहरीकरण होगा। 100.6 किलोमीटर और 109.7 किलोमीटर की इन दोनों परियोजनाओं पर 2,729.1 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा 116.95 किलोमीटर लम्बे भटनी-औंड़िहार रेलवे लाइन का दोहरीकरण और विद्युतीकरण होगा भी होगा। 1,300.9 करोड़ रुपये की लागत से यह काम 2021-22 तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे मुगलसराय व इलाहाबाद के बीच रूट के कंजेशन को कम करने के साथ ही वाराणसी को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। इस परियोजना के पूरा होने से बिहार, पश्चिम बंगाल व उत्तर-पूर्व जाने वाले यात्रियों को लाभ पहुंचेगा।

बुंदेलखंड में 5 हजार करोड़ के रेलवे प्रोजेक्ट मंजूर
उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाके बुंदेलखंड में 425 किलोमीटर लंबी झांसी-मानिकपुर और भीमसेन-खैरार लाइन के दोहरीकरण और विद्युतीकरण को भी मंजूरी दी गई है। 4,955.72 करोड़ से ये काम 2022-23 तक पूरा होने की संभावना है। इस परियोजना के पूरा होने से उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, बादा, चित्रकूट और मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में विकास को गति मिलेगी। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से कनेक्टिविटी देने के साथ ही, खजुराहो के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा ओडिशा में 130 किलोमीटर लंबी जैपोर-मलकानगिरी नई लाइन परियोजना के 2,676.11 करोड़ की लागत से 2021-22 तक पूरा होने की संभावना है। यह परियोजना ओडिशा के कोरापुट और मलकानगिरि के जिलों को कवर करेगी। इस परियोजना से नक्सलवाद प्रभावित मलकानगिरि और कोरापुट जिलों में न सिर्फ बुनियादी ढांचे का विकास होगा, बल्कि नक्सलवाद पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी।

देश में 600 रेलवे स्टेशन बनेंगे हाईटेक
रेलवे स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं को बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए रेलवे मंत्रालय ने निजी कंपनियों को शामिल करने की योजना बनाई है। आम बजट 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश के 600 स्टेशनों के पुनर्विकास करने का ऐलान किया था। इन स्टेशनों को दोबारा बनाने में एक लाख रुपये की लागत आएगी। रेलवे ने अपनी इस महात्वाकांक्षी योजना में निजी कंपनियों को शामिल करने का फैसला किया है। इसके तहत रेलवे इन स्टेशनों का 25 से 50 प्रतिशत काम करने के बाद निजी कंपनियों को 99 साल की लीज पर सौंप देगी। कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। पहले फेज में इंडियन रेलवे स्‍टेशन डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन (IRSDC) 130 स्‍टेशनों पर काम शुरू करेगा। 1 लाख करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट पर कार्य प्रारंभ करने के लिए केंद्र सरकार ने बजट में 3300 करोड़ की रकम दी है।

रेल बजट में भी दिखा था इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का मंत्र
आम बजट 2018 में भी रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर खासा जोर दिखा था। दूसरी बार आम बजट के साथ पेश किए गए रेल बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसी भी नई ट्रेन का ऐलान नहीं किया। 1 लाख 48 करोड़ के रेल बजट में रेलवे के ढांचे मजबूत करने के लिए कई घोषणाएं की गईं। इसमें पूरे देश में रेलवे को ब्रॉड गेज करना और 18 हजार किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण जैसी अहम घोषणाएं शामिल थीं। रेल बजट में मोदी सरकार ने माल ढुलाई के लिए 12 वेगन बनाए जाने, मुंबई में 90 किलोमीटर तक पटरी का विस्तार करने, मुंबई में लोकल नेटवर्क का दायरा बढ़ाने, दो साल में 4,267 मानवरहित रेलवे क्रासिंग को खत्म करने, 700 नए रेल इंजन तैयार करने समेत कई दूसरी महत्वपूर्ण घोषणाएं शामिल थीं।

रेलवे अपना रही सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में रेल मंत्रालय ने सुरक्षा मानकों पर तेजी से काम किया है। जहां तकनीक की जरूरत है, रेल मंत्रालय तकनीक का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं है। हाल ही में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ को मैनेज करने के लिए द्रोण कैमरे का इस्तेमाल किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की पहल का ही असर है कि पिछले वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष में समान अवधि के दौरान एक अप्रैल 2017 से 30 नवंबर 2017 के बीच ट्रेन हादसों में काफी कमी आई है। ट्रेन हादसों की संख्या 85 से घटकर 49 रह गई है। रेल पटरी के नवीनीकरण के काम में भी तेजी आई। चालू वित्त वर्ष में नवंबर 2017 तक 2,148 किलोमीटर पुरानी रेल पटरियों को बदला जा चुका है। अब तक 2,367 मार्ग किलोमीटर के इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन की रिकॉर्डिंग की गई। रेल परिचालन की गति बढ़ाने के लिए अर्ध हाई स्पीड और हाई स्पीड ट्रैक को लेकर काम जारी है।

सड़क और रेलवे की तरह ही मोदी सरकार ने हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण, नए एयरपोर्ट के निर्माण और देश के छोटे शहरों को नए हवाई मार्गों से जोड़ने के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किया है।

मोदी राज में भारत बना दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता घरेलू विमानन बाजार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश का एविएशन सेक्टर लगातार तरक्की कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत बीते साल लगातार तीसरी बार दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता घरेलू विमानन बाजार बना रहा। अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) ने कहा है कि 2017 में भारत यात्रियों की संख्या (आरपीके) में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। यह दस साल के 5.5 प्रतिशत औसत से अधिक है। आईएटीए की रिपोर्ट के अनुसार घरेलू विमानन बाजार ने 17.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। लगातार तीसरे साल इसमें वृद्धि दर्ज हुई है। 

प्रधानमंत्री मोदी हमेशा से इसके पक्षधर रहे हैं कि विमानों के यात्री किराए में कमी हो और यह आम लोगों की पहुंच में हों। इसी मकसद से उन्होंने पिछले वर्ष उड़ान योजना शुरू की थी। प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि देश के छोटे शहरों में हवाई सेवाएं उपलब्ध हों और आम लोगों को भी सस्ते टिकट मिलें, जिससे वो हवाई यात्रा कर सकें। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल का नतीजा भी अब दिखने लगा है। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में 15.84 करोड़ लोगों ने हवाई यात्रा की है। यह संख्या 2015-16 में हवाई यात्रा करने वालों की संख्या 13.49 करोड़ से 2.35 करोड़ अधिक है। गौरतलब है कि इससे पहले 2014-15 में 11.58 करोड़ लोगों ने हवाई जहाज में यात्रा की थी। आंकड़ों से साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद देश का एविएशन सेक्टर भी उड़ान भर रहा है। सबसे अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी का सपना था कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई यात्रा कर सके, और उनका यह सपना भी अब पूरा हो रहा है।

वर्ष हवाई यात्रियों की संख्या
2014-15 11.58 करोड़
2015-16 13.49 करोड़
2016-17 15.84 करोड़

 

क्या है उड़ान योजना ?
उड़ान योजना 15 जून 2016 को जारी राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति यानी एनसीएपी की एक प्रमुख घटक है। इसके तहत करीब 500 किलोमीटर के लिए एक ‘फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट’ विमान से एक घंटे की यात्रा या किसी हेलीकॉप्टर से आधे घंटे की यात्रा का हवाई किराया 2500 रुपए होगा। इसके साथ ही इस योजना के तहत देश के छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ा जा रहा है। इस योजना के तहत देशभर में 141 नए हवाई रूट चिन्हित किए गए हैं। नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय अब इन नए मार्गों पर हवाई जहाज चलाने की योजना पर काम कर रहा है। कई रूट ऐसे हैं, जिन पर विमानों का परिचालन शुरू भी कर दिया गया है। कम किराये के कारण विमान सेवा कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वॉयेबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के रूप में सरकार क्षतिपूर्ति देती है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भी इसके लिए हवाई अड्डा शुल्क माफ कर दिया है। वहीं सुरक्षा, बिजली तथा अग्निशमन सुविधाएं भी राज्य सरकारें नि:शुल्क दे रही है।

प्रधानमंत्री ने शुरू की थी सस्ती हवाई सेवा ‘उड़ान’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष 27 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से सस्ती हवाई सेवा ‘उड़ान’ की शुरुआत की थी। इसके तहत शिमला से दिल्ली के लिए पहली फ्लाइट ने उड़ान भरी थी। इस अवसर पर प्नधानमंत्री ने कहा ”मैं चाहता हूं कि हवाई जहाज में हवाई चप्पल वाले लोग दिखाई दें।” उन्होंने कहा कि दुनिया में हवाई सफर का सबसे ज्यादा स्कोप भारत में है और इस क्षेत्र में हमारी सरकार लगातार कार्य कर रही है।

कॉमन मैन के लिए है ‘उड़ान’ योजना
ढाई हजार रुपये में 500 किलोमीटर की एयर ट्रैवल वाली ये क्षेत्रीय संपर्क योजना अपने मूल उद्देश्य ‘उड़े देश का आम आदमी’ के लक्ष्य के साथ पहली उड़ान भरी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले धारणा थी कि हवाई यात्रा राजा-महाराजा का ही विषय है। इसलिए एयर इंडिया का लोगो भी ‘महाराजा’ ही था। उन्होंने कहा कि अटल जी की सरकार के समय मैंने राजीव प्रताप जी से कहा कि ये लोगो बदलकर महाराजा के लोगो की जगह कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण का कॉमनमैन क्यों नहीं लग सकता। उनका ये सपना पूरा हुआ इसके लिए उन्हें बेहद खुशी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पहली बार एविएशन पॉलिसी बनाने का सौभाग्य उनकी सरकार को मिला है और अब हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई यात्रा कर सकते हैं।

समय और धन की होगी बचत
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम टैक्सी से सफर करें तो 8-10 रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आता है और शिमला आने में समय करीब 10 घंटे लगते हैं। लेकिन इस पॉलिसी से खर्च सिर्फ 6 या 7 रुपये ही होगा। प्रधानमंत्री ने टूरिज्म को सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाला इंडस्ट्री बताते हुए कहा कि नॉर्थ ईस्ट जो जाता है वह बार-बार जाना चाहता है। लेकिन कनेक्टिविटी के अभाव में वह ऐसा नहीं कर पाता। इस योजना से सिर्फ यात्रा की सुविधा ही नहीं बल्कि दो संस्कृतियां भी जुड़ती हैं। देश के एक कोने को दूसरे से जोड़ने का काम इससे हो रहा है।

49 नए हवाई अड्डे से परिचालन शुरू करने के लिए आया प्रस्ताव
प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘उड़ान’ योजना का दूसरा चरण शुरू हो गया है। छोटे शहरों को विमान नेटवर्क से जोड़ने वाली इस योजना में 60 नए शहरों से विमान सेवा शुरू होने वाला है। इन शहरों से विमान सेवा शुरू करने के लिए नागरिक उड्डयन विभाग पहले ही मंजूरी दे चुका है। उड़ान योजना के लिए कुल 15 विमान सेवा व हेलिकॉप्टर सेवा प्रदाताओं को 325 मार्गों का आवंटन किया गया। इसके तहत कुल 109 हवाई अड्डों और हेलिपोर्ट को जोड़ा जाएगा। इनमें 60 से अभी नियमित उड़ानों का संचालन नहीं होता है, जबकि 13 ऐसे हवाई अड्डे और हेलिपोर्ट हैं जहां से अभी एक सप्ताह में 14 से कम उड़ानों का संचालन होता है।

उड़ान के दूसरे चरण में 31 हेलिपोर्टों से भी सेवाएं शुरू करने के प्रस्ताव आए। जिन शहरों से उड़ान के तहत सेवाएं शुरू होंगी, उनमें अरुणाचल प्रदेश में पस्सीघाट, ईटानगर, तेजू, जीरो, असम का जोरहट, तेजपुर, मणिपुर का जिरिबम, पाबुंग, गुजरात का कांडला, पोरबंदर, हरियाणा का हिसार, हिमाचल प्रदेश का कसौली मंडी, शिमला, जम्मू-कश्मीर का करगिल, कनार्टक का हुबली, केरल का कन्नूर, पंजाब का भटिंडा, राजस्थान का बिकानेर, जैसलमेर, पश्चिम बंगाल से कूच बिहार और बर्णपुर शामिल हैं। इसके अलावा बिहार के दरभंगा और झारखंड का बोकारो, दुमका, उत्तराखंड के पिथोरागढ़, अल्मोड़ा, हल्दवानी, हरिद्वार, मसूरी, नैनीताल, रामनगर, श्रीनगर तो महाराष्ट्र के कोल्हापुर, शोलापुर, जलगांव से नियमित उड़ानें शुरू होंगी। 

बीते वर्ष के आरंभ में जहां देश में नियमित विमान सेवा वाले हवाई अड्डों की संख्या करीब 75 थी, उड़ान के पहले दो चरणों में ही इसके बढ़कर 150 से अधिक हो जाने की उम्मीद है। 

‘छह करोड़ क्लब’ में शामिल हुआ दिल्ली का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डा सालाना 6 करोड़ या इससे ज्यादा यात्रियों की आवाजाही वाले दुनिया के 20 हवाई अड्डों में शामिल हो गया है। वर्ष 2017 में पहली बार आईजीआई हवाई अड्डे पर यात्रियों की संख्या 6 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई। यह मुकाम हासिल करने वाला यह भारत ही नहीं, दक्षिण एशिया का भी इकलौता एयरपोर्ट है। पिछले सप्ताह विमानन क्षेत्र की सलाह एवं अनुसंधान संस्था सेंटर फॉर एविएशन की जारी एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई। अगले कुछ सालों में मुंबई भी इस क्लब में शामिल होने की उम्मीद है। 

सीट उपलब्धता के हिसाब से दिल्ली विश्व का 14वां सबसे बड़ा हवाईअड्डा
सीट क्षमता के हिसाब से दिल्ली हवाई अड्डा दुनिया में 14वें नंबर पर है। यह आंकड़ा प्रति सप्ताह हवाई अड्डे से जाने वाली उड़ानों में उपलब्ध कुल सीटों की संख्या के अनुसार होता है। नए साल के पहले सप्ताह 1 से 7 जनवरी के दौरान आईजीआई की सीट क्षमता 15,30,021 थी। इस मामले में 23,30,043 सीटों के साथ दुबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पहले स्थान पर है। इसके बाद शीर्ष 5 में क्रमश: बीजिंग कैपिटल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अटलांटा हार्ट्सफील्ड-जैक्सन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, लॉस एंजिल्स अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और टोक्यिो हनेदा हवाई अड्डा शामिल है। 

स्वदेशी ‘डॉर्नियर 228’ से बदलेगी एविएशन सेक्टर की सूरत
इसी साल छोटे-छोटे शहरों के बीच हवाई सेवा ‘UDAN’की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, कि वे हवाई चप्पल वाले व्यक्ति को हवाई जहाज में यात्रा करते देखना चाहते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक डीजीसीए ने देश में निर्मित ‘डोर्नियर-228’ विमान के घरेलू रूट पर व्यवसायिक उड़ान को हरी झंडी दे दी है। इसका मतलब प्रधानमंत्री मोदी के सपने को साकार करने में इससे बहुत मदद मिल सकती है। हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित ‘डोर्नियर-228’ 19 सीटों वाला एक छोटा विमान है, जिसका उपयोग अबतक रक्षा के क्षेत्र में ही होता था।

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