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मोदी काल में भारत बना स्टार्टअप फैक्ट्री, अब तक देश में 75 हजार से अधिक स्टार्टअप्‍स, प्रतिदिन बन रहे 80 स्टार्टअप

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में छह साल की छोटी अवधि में देश की स्टार्टअप कहानी ने सफलता के वो झंडे गाड़े हैं कि इससे दुनिया हैरान है। आज देश में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्‍स की संख्‍या 75 हजार से अधिक हो गयी है। भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र नवाचार, उत्साह और उद्यमशीलता की भावना से प्रेरित है और यही वजह है कि देश स्टार्टअप तेजी यूनीकार्न क्लब में शामिल हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्वतंत्रता दिवस के भाषण में नए भारत की परिकल्पना की थी और 16 जनवरी 2016 को राष्ट्रीय स्टार्टअप्‍स दिवस घोषित किया था। इसी दिन नवाचार और स्टार्टअप्‍स को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की कार्य योजना तैयार करने के लिए कार्यक्रम शुरू किया गया था। कार्य योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के कारण ही भारत में आज तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र है। इसकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज देश में प्रतिदिन 80 से अधिक स्टार्टअप्‍स को मान्यता मिल रही है।

आजादी के 75वें वर्ष में मील का पत्थर

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत ने एक अहम पड़ाव हासिल कर लिया है जिसके मद्देनजर देश में 75 हजार से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता मिल गई है। उन्होंने कहा कि यह संख्या परिकल्पना-शक्ति को साबित करती है, एक ऐसी परिकल्पना, जो इनोवेशन और उद्यमिता आधारित विकास के बारे में हो। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने 75 हजार से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता प्रदान की है, जो आजादी के 75 वर्ष होने के क्रम में मील का पत्थर है। भारत जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो इसी दौरान इनोवेशन, उत्साह और उद्यमी भावना भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को लगातार गति प्रदान कर रही है।

पीएम मोदी ने 2015 में की थी नये भारत की परिकल्पना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2015 को लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस वक्तव्य के दौरान एक नये भारत की परिकल्पना की थी, जो देशवासियों की उद्यमशील क्षमता को उजागर करेगा। इसके अगले वर्ष 16 जनवरी को, जिसे अब राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया है, उस दिन देश में स्टार्टअप और इनोवेशन को फंड करने के लिये एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने की कार्य-योजना शुरू की गई थी। उसके बाद बीते इन छह वर्षों के दौरान, उस कार्य-योजना से भारत को तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम बनाने में सफलता मिली है।

प्रतिदिन देश में बन रहे 80 से अधिक स्टार्टअप 

यह भी दिलचस्प बात है कि जहां 10 हजार स्टार्टअप्स को 808 दिनों में मान्यता मिली, वहीं अब 10 हजार स्टार्टअप्स की मान्यता 156 दिनों में ही कर दी गई। इस हिसाब से प्रतिदिन 80 से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता दी जा रही है, यह दर विश्व में सर्वाधिक है। इससे पता चलता है कि स्टार्टअप संस्कृति का भविष्य संभावनाओं से भरपूर और उत्साहवर्धक है।

विकास का पर्याय बना स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम

स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम, जिसे प्रमुख रूप से स्टार्टअप के लिये सकारात्मक माहौल उपलब्ध कराने के लिये शुरू किया गया था, वह आज स्टार्टअप्स के लिये लॉन्च-पैड के रूप में तैयार हो गया है। फंडिंग से लेकर आकर्षक टैक्सेशन तक, IPR को समर्थन से लेकर सरल सावर्जनिक खरीद तक, सुगमता के लिये नियमों में सुधार करने से लेकर अंतर्राष्ट्रीय उत्सवों और कार्यक्रमों तक, स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम सतत आर्थिक विकास का पर्याय बन गया है।

स्टार्टअप इकोसिस्टम ने 7.46 लाख रोजगार पैदा किए

कुल मान्यता-प्राप्त स्टार्टअप्स में से लगभग 12 प्रतिशत आईटी सेवाओं की, नौ प्रतिशत स्वास्थ्य-सुविधा और जीव विज्ञान की, सात प्रतिशत शिक्षा की, पांच प्रतिशत व्यावसायिक और वाणिज्यिक सेवाओं की और पांच प्रतिशत कृषि की जरूरतों से सम्बंधित हैं। भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम ने 7.46 लाख रोजगार पैदा किये हैं, और इसमें गत 6 वर्षों में सालाना 110 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वास्तव में, हमारे कुल स्टार्टअप्स में से 49 प्रतिशत टीयर-2 और टीयर-3 शहरों से हैं, जो हमारे देश के युवाओं की जबरदस्त क्षमता का परिचायक है।

बीजिंग, सिंगापुर, हांगकांग की जगह अब बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली

स्टार्टअप जेनोम की तरफ से जारी एक अन्य ‘वैश्विक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र’ रिपोर्ट में कहा गया कि एशिया के दृष्टिकोण से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक समय बीजिंग, सिंगापुर, हांगकांग और द. कोरिया जैसे शहरों का बोलबाला था। अब बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली जैसे भारतीय शहरों ने यह स्थान हासिल कर लिया है। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के सूचकांक में बाजार और वित्त पहुंच में बड़े सुधारों के साथ बेंगलुरु 22वें स्थान पर है। वहीं, दिल्ली 11 स्थान की छलांग लगाकर 26वें और मुंबई 36वें स्थान पर पहुंच गया है।

400 स्टार्टअप्स से 75 हजार पहुंची संख्या

वर्ष 2014 में भारत में केवल 300 से 400 स्टार्टअप्स थे, वहीं आज उनकी संख्या 75 हजार से अधिक हो गई है। युवाओं के अपने कारोबार को लेकर बढ़ते रुझान और मोदी सरकार के द्वारा नए कारोबारियों को प्रोत्साहित करने की वजह से देश का स्टार्टअप इकॉसिस्टम मजबूत हुआ है। देश में 648 ऐसे जिले हैं जिसमें कम से कम एक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप है। देश में 47 प्रतिशत ऐसे मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं जिनमें कम से कम एक महिला डायरेक्टर है।

स्टार्टअप में निवेशकों की संख्या नौ गुना बढ़ी

वर्ष 2015 से 2022 के बीच भारत ने स्टार्टअप की दुनिया में लंबी छलांग लगाई है। इन सात वर्षों के दौरान निवेशकों की संख्या के लिहाज से इसमें नौ गुना वृद्धि दर्ज की गई है, स्टार्टअप में फंडिंग के लिहाज से इसमें सात गुना वृद्धि और इनक्यूबेटर की संख्या के हिसाब से इसमें सात गुना वृद्धि दर्ज की गई है।

‘जॉब सीकर’ की जगह ‘जॉब क्रिएटर’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जनवरी, 2016 में उद्यमिता को बढ़ावा देने, एक मजबूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने तथा भारत को ‘जॉब सीकर’ की जगह पर ‘जॉब क्रिएटर’ वाला देश बनाने के उद्देश्य से ‘स्टार्टअप इंडिया इनिशिएटिव’ शुरू किया। इसके लिए सरकार ने अनेक सुधार किए। इन सुधारों के बाद कारोबार के आकांक्षी युवाओं को हौसला मिला और उन्होंने भारत को स्टार्टअप हब में बदलते हुए दुनिया में देश को तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया। इससे पूर्व की प्रणाली जटिल और अव्यवस्थित थी, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमियों को स्टार्टअप शुरू करने के लिए हतोत्साहित होना पड़ता था।

स्टार्टअप के विकास के लिए सात क्षेत्रों में सुधार पर जोर

स्टार्टअप के क्षेत्र में विकास के लिए सात क्षेत्रों में सुधार पर जोर दिया गया गया है। संस्थागत समर्थन, नवाचार एवं एंटरप्रेन्योरशिप का समर्थन, बाजार तक पहुंच, इनक्यूबेशन सपोर्ट, फंडिंग सपोर्ट, मेंटोरशिप सपोर्ट एवं क्षमता निर्माण। राज्यों के स्टार्टअप रैंकिंग का मूल्यांकन सात क्षेत्रों में किए गए सुधार के आधार पर किया गया है। इन क्षेत्रों में संस्थागत समर्थन, नवाचार को बढ़ावा देना, बाजार तक पहुंच मुहैया कराना और पूंजी उपलब्ध कराने जैसे 26 कार्य बिंदु शामिल हैं।

भारत की स्टार्टअप क्रांति बनेगी महत्वपूर्ण पहचान

भारत की यह स्टार्टअप क्रांति आजादी के अमृत काल की महत्वपूर्ण पहचान बनेगी। आज देश में प्रो-एक्टिव स्टार्टअप नीति एवं पर्याप्त स्टार्टअप नेतृत्व है। सबसे खास बात, देश की युवा शक्ति इसमें अहम भूमिका अदा कर रही है। पूरी दुनिया में भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की प्रशंसा हो रही है। भारत में स्टार्टअप्स सामान्य भारतीय युवाओं के सपने पूरा करने के सशक्त माध्यम बन रहे हैं।

लाखों युवाओं को रोजगार

आज देश के हर राज्य में 600 से अधिक जिलों में कम से कम एक स्टार्टअप है। आज करीब आधे स्टार्टअप्स टीयर-2 और टीयर-3 सिटीज में हैं। ये सामान्य, गरीब परिवारों के युवाओं के आइडिया को बिजनेस में बदल रहे हैं। इन स्टार्टअप्स में आज लाखों युवाओं को रोजगार मिल रहा है।

क्या होते हैं स्टार्टअप ?

स्टार्टअप एक ऐसी कंपनी होती है जिसने अभी कामकाज शुरू किया है। आप अकेले या कुछ लोगों के साथ मिलकर कंपनी की नींव रखते हैं, जिसे इनक्युबेशन कहते हैं। यहां पर लोग अपनी-अपनी कुशलता और विशेषज्ञता लेकर आते हैं। नए कारोबारी आइडिया पर मिलकर काम करते हैं। इस तरह की कंपनी के जरिए ग्राहकों को एक यूनिक प्रोडक्ट या सर्विस दी जाती है। स्टार्टअप सफल होने के बाद एक बड़ी कंपनी के तौर पर अपनी पहचान बना लेते हैं।

स्टार्टअप्स की सफलता का कारण

हमारे स्टार्टअप्स की सफलता का कारण देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण, शासकीय प्रक्रियाओं का सरलीकरण एवं लोगों के माइंडसेट में परिवर्तन कर नए इकोसिस्टम का निर्माण करना है। वहीं स्टार्टअप्स के लिए हैकथॉन मजबूत बुनियाद बना है। विद्यालय स्टार्टअप्स की नर्सरी के रूप में काम कर रहे हैं। यहां अटल टिंकरिंग लैब बनाए गए हैं। देश में 700 से अधिक इन्क्यूबेशन सेन्टर्स बनाए गए हैं। स्टार्टअप के इन्क्यूबेशन के साथ ही इनकी फंडिंग की व्यवस्था भी की जाती है।

भारत में अब यूनिकॉर्न की संख्या 105

पीएम मोदी ने 2016 में जब स्टार्टअप इंडिया योजना की पहल की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत इतनी जल्दी इस बुलंदी पर पहुंच जाएगा। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नित-नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में निरंतर नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। भारत में अब यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 105 हो गई है। खास बात यह है कि इन 105 यूनिकॉर्न में से 60 से अधिक पिछले दो सालों में ही बने हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से भारत के उद्यमशील युवा अब तेजी से जॉंब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बन रहे हैं।

दुनिया में बनने वाले 10 में से 1 यूनिकॉर्न भारत में

आज वैश्विक स्तर पर हर 10 में से 1 यूनिकॉर्न का उदय भारत में हो रहा है। भारत में 5 मई 2022 तक 100 यूनिकॉर्न थे जिनका कुल मूल्‍यांकन 332.7 अरब डॉलर था। भारत में उद्यमशीलता की भावना देश के कोने-कोने में मौजूद है। सभी 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 647 जिलों में स्टार्टअप के प्रसार से यह बिल्‍कुल स्पष्ट है। घरेलू स्टार्टअप परिवेश आत्मनिर्भरता के मिशन की दिशा में प्रभावी ढंग से काम कर रहा है। आत्‍मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण स्टार्टअप परिवेश में गहराई से निहित है और वह आगामी वर्षों में भी जारी रहेगी।

तेजी से बढ़ी यूनिकॉर्न की संख्या

प्रत्येक स्टार्टअप के लिए यूनिकॉर्न बनने की अपनी अनूठी यात्रा होती है, लेकिन भारत में स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने के लिए मिनिमम समय 6 महीने और अधिकतम 26 साल है। वित्त वर्ष 2016-17 तक हर साल लगभग एक यूनिकॉर्न तैयार होता था वहीं पिछले चार वर्षों में (वित्त वर्ष 2017-18 के बाद से) यह संख्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल अतिरिक्त यूनिकॉर्न की संख्या में सालाना 66 प्रशित की वृद्धि हो रही है।

2021 में स्टार्टअप ने 42 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई

2021 का साल भारत के तकनीकी इकोसिस्टम के लिए सच में मील का पत्थर साबित हुआ है। इस एक साल के दौरान भारत की स्टार्ट-अप कंपनियों ने 1583 सौदों के ज़रिए 42 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई। ये साल बाज़ार से बाहर जाने, विलय और ख़रीद और IPO का भी साल रहा है। इस साल तकनीक के कारोबार की दुनिया से बाहर जाने वालों के लिहाज़ से भी रिकॉर्ड बना और 17.4 अरब डॉलर की रक़म वापस की गई, जो 2020 में लौटाई गई रक़म (84.3 करोड़ डॉलर) से 20 गुना अधिक थी।

आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम

अगर कारोबार की भाषा में कहें तो जैसे-जैसे स्टार्टअप की संख्या बढ़ रही है भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। आने वाले वर्षों में यह हो सकता है कि जिन चीजों के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर रहते थे वह भारत में बन रहा हो और हमें आयात करने की जरूरत ही न पड़े। इस तरह कह सकते हैं कि स्टार्टअप की सफलता में भारत के आत्मनिर्भर होने का सपना भी निहित है।

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