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मोदी राज में डिजिटल क्रांति: आईएमपीएस से फंड ट्रांसफर हुआ दोगुना

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का जो सपना देखा है वो हकीकत में बदलता जा रहा है। मोदी सरकार लगातार डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने में लगी है। नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल लेनदेन में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) से धन का लेन-देन चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लगभग दोगुना बढ़कर 3.23 लाख करोड़ रुपए हो गया है। आईएमपीएस किसी भी समय डिजिटल तरीके से मनी ट्रांसफर की सुविधा देता है। इसे मोबाइल, इंटरनेट, एटीएम, एसएमएस से इस्तेमाल किया जा सकता है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 की पहली तिमाही में आईएमपीएस से 3,23,826.79 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ, जबकि 2017-18 की अप्रैल-जून अवधि में यह आंकड़ा 1,74,419.45 करोड़ रुपए था।

नोटबंदी के फैसले के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर पैसों के डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने पर रहा है। देशभर में उनकी इस मुहिम को जनता का समर्थन भी मिल रहा है। आइए एक नजर डालते हैं डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावे के लिए मोदी सरकार के प्रयासों और उनके असर पर।

मोबाइल वॉलेट से लेनदेन रिकॉर्ड 14,170 करोड़ के पार
रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार डिजिटल इंडिया के तहत मोबाइल वॉलेट के माध्यम से मई के महीने में रिकॉर्ड लेनदेन हुई है। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्ड के माध्यम से पिछले महीने अप्रैल में 3.55 ट्रिलियन का लेनदेन हुआ, जबकि मई में यह आंकड़ा 3.59 ट्रिलियन तक पहुंच गया। मई में मोबाइल वॉलेट के माध्यम से इसके पिछले महीने के मुकाबले 21% की वृद्धि के साथ 14,170 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ, अप्रैल में यह आंकड़ा 11,695 करोड़ रुपये था।

मोबाइल वॉलेट के उपयोग में नंबर एक बना भारत
भारत में डिजिटल पेमेंट के लिए मोबाइल वॉलेट का उपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। नवंबर 2016 में नोटबंदी के फैसले के बाद मोबाइल वॉलेट के इस्तेमाल में खासी बढ़ोतरी हुई है। आजकल सुपरमार्केट, परचून की दुकान, चाय के स्टॉल, पेट्रोलपंप और यहां तक कि ऑटो और टैक्सी के किराए के भुगतान में भी मोबाइल वॉलेट का उपयोग किया जा रहा है। ग्लोबल डाटा के सर्वेक्षण के अनुसार मोबालइट वॉलेट के उपयोग के मामले में भारत ने अमेरिका, चीन, ब्रिटेन जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है।

आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में मोबाइल वॉलेट का उपयोग कई गुना बढ़ गया है। 2013 में जहां मोबाइल वॉलेट के माध्यम से 24 अरब रुपये का लेनदेन हुआ, वहीं 2017 में यह बढ़ कर 955 अरब हो गया। ग्लोबल डाटा की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कैश की जगह डिजिटल माध्यम से पैसों के लेनदेन में खासी वृद्धि दर्ज की गई है। सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में 55.4 प्रतिशत से अधिक लोग किसी न किसी तरीके से मोबाइल के जरिए पेमेंट करते हैं, जो विश्व में सबसे ज्यादा है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2016 के अंत में नोटबंदी का फैसला लेने के बाद डिजिटल पेमेंट में बढ़ोतरी हुई। हालांकि भारत में लोग बड़े लेनदेन के लिए डिजिटल बैंकिंग का उपयोग करते हैं, लेकिन दैनिक जीवन में छोटे-मोटे भुगतान के लिए मोबाइल वॉलेट का उपयोग किया जा रहा है, और यह दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। 2013 में जहां 7 प्रतिशत लोग मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करते थे वहीं 2017 में यह आंकड़ा बढ़ कर 29 प्रतिशत हो गया।

यूपीआई ट्रांजेक्शन में बना रिकॉर्ड
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानि यूपीआई से होने वाले ट्रांजेक्शन में मासिक आधार पर रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक जून महीने में 24.63 करोड़ यूपीआई लेनदेन हुए, जो पिछले महीने यानि मई में हुए 18.94 करोड़ ट्रांजेक्शन से 30 प्रतिशत ज्यादा हैं। जून में यूपीआई के जरिए डिजिटल लेनदेन की वैल्यू भी 22.6 फीदसी बढ़कर 40,384 करोड़ रुपये हो गई, जो मई महीने में 33,288 करोड़ रुपये थी। सालाना आधार पर आंकड़ों की तुलना करने पर पिछले साल के मुकाबले इस साल यूपीआई के जरिए 2,000 प्रतिशत ज्यादा लेनदेन हुए हैं।

भीम ऐप के माध्यम से हुए 1.63 करोड़ यूपीआई ट्रांजेक्शन
आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा लेनदेन पेटीएम से हुए हैं। पेटीएम प्लेटफॉर्म से 9.4 करोड़ यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए हैं, जो कुल ट्रांजैक्शन का 38 प्रतिशत है। वहीं गूगल की पेमेंट्स सर्विस तेज के माध्यम से 5.4 करोड़ यूपीआई लेनदेन हुए, जो कुल ट्रांजेक्शन का 22 प्रतिशत हैं। सरकार समर्थित भीम ऐप से जून महीने में 1.63 करोड़ यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए हैं। यह मई महीने में हुए 1.4 करोड़ लेनदेन से 15 फीसदी ज्यादा है। जून महीने में हुए कुल यूपीआई ट्रांजेक्शन में भीम ऐप का 7 पर्सेंट हिस्सा था।

मोदी सरकार की नीतियों से डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ता भारत
मोदी सरकार डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसके लिए व्यापारियों को कैशबैक और ग्राहकों को अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर छूट देने जैसे प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्व विभाग एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जिसमें डिजिटल मोड से पेमेंट करने वालों को एमआरपी पर छूट दी जाए, यह छूट अधिकतम 100 रुपये रखी जा सकती है। वहीं दूसरी तरफ डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए व्यापारियों को कैशबैक की भी सुविधा दी जा सकती है। कैशबैक कितना मिलेगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि व्यापारी ने डिजिटल मोड से कितना पेमेंट लिया। इस प्रस्ताव को 4 मई को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में रखा जाएगा।

डेबिट कार्ड इंडस्ट्री में दूसरे नंबर पर पहुंचेगा ‘रुपे कार्ड’
डिजिटल क्रांति की दूनिया में एक और अच्छी खबर आई है। नैशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ने दावा किया है कि इस वर्ष रुपे कार्ड भारतीय डेबिट कार्ड इंडस्ट्री में दूसरे नंबर पर पहुंच जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत का अपना रुपे कार्ड वर्ष 2018 में दो टॉप अंतर्राष्ट्रीय कार्ड वीजा और मास्टरकार्ड में एक को पीछे छोड़ देगा। यानी इन कार्डों के माध्यम से भारत में किए जाने वाले लेनदेन की संख्या और कीमत के मामले रुपे कार्ड इनमें से एक को पीछे छोड़ कर दूसरा स्थान हासिल कर लेगा।

आपको बता दें कि लगभग 30 देशों ने डिजिटल पेमेंट्स के लिए ‘BHIM UPI’ की टेक्नॉलजी के लिए भारत से संपर्क किया है। जाहिर है कि वीजा और मास्टरकार्ड का तीन दशकों से भारत में डेबिट कार्ड इंडस्ट्री पर दबदबा था। हालांकि करीब छह साल पहले भारत के अपने रुपे कार्ड्स जारी करने के बाद स्थिति में बदलाव आना शुरू हुआ। NPCI के अधिकारियों के मुताबिक ‘जारी किए गए कार्ड्स की संख्या के लिहाज से रुपे कार्ड्स पहले ही नंबर वन पर है। इस साल प्वाइंट ऑफ सेल्स मशीनों और ई-कॉमर्स पर वैल्यू और वॉल्यूम के लिहाज से नंबर दो पर पहुंच जाएगा। लिहाजा वीजा और मास्टरकार्ड के पीछे रुपे कार्ड नंबर तीन पर नहीं रहेगा, इनमें से एक को पीछे छोड़कर नंबर दो पर पहुंच जाएगा।

हर महीने बढ़ रहा है डिजिटल पेमेंट का आंकड़ा
यूपीआई, नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की मोबाइल के जरिए डिजिटल पेमेंट का एक तरीका है। भारत इंटरफेस फॉर मनी यानी BHIM एप के ताजा आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2018 में यूपीआई प्लेटफॉर्म पर 17.12 करोड़ ट्रांजेक्शन के माध्यम से करीब 19,100 करोड़ रुपयों का लेनदेन हुा। वहीं जनवरी 2018 महीने में यूपीआई प्लेटफॉर्म पर 15.17 करोड़ ट्रांजेक्शन के जरिए लगभग 15,540 करोड़ का लेनदेन हुआ। जबकि दिसंबर 2017 में 14.5 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे और लगभग 13,174 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। नवंबर, 2017 मे इसके जरिए 10.5 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे, और लगभग 9,669 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। इसी प्रकार अक्टूबर, 2017 में कुल 7.69 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे और लगभग 7,075 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। यानी आंकड़ों से साफ है कि हर महीने यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। आपको बता दें कि वैसे तो यूपीआई को अगस्त, 2016 में ही लांच किया गया था, लेकिन इसके जरिए लेनदेन की संख्या में बढ़ोतरी 8,नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद हुई।

महीना डिजिटल ट्रांजेक्शन की संख्या UPI के जरिए लेनदेन रुपयों में
अक्टूबर,2017 7.69 करोड़ 7,075 करोड़ 
नवंबर, 2017 10.5 करोड़ 9,669 करोड़ 
दिसंबर, 2017 14.5 करोड़ 13,174 करोड़ 
जनवरी, 2018 15.17 करोड़ 15,540 करोड़
फरवरी,2018 17.12 करोड़ 19,100 करोड़

 

डिजिटल पेमेंट एप BHIM निभा रहा है अहम भूमिका
आंकड़ों से साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल पेमेंट बढ़ाने की मुहिम तेजी से आगे बढ़ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की ‘Trend and Progress of Banking in India’ (2016-17) की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में यूपीआई प्लेटफार्म के जरिए कुल 6,950 करोड़ रुपये के 1.79 करोड़ ट्रांजेक्शन किए गए थे। जैसा की हमने बताया कि नोटबंदी के फैसले के बाद डिजिटल पेमेंट बढ़े और जून, 2016 में एक करोड़ ट्रांजेक्शन का आंकड़ा पार हो गया। आपको बता दें कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद ही 30 दिसंबर को नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने अपना डिजिटल पेमेंट एप BHIM लांच किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस मौके पर कहा था कि भीम एप डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा और इसके जरिए बगैर किसी गलती के सिर्फ मोबाइल नंबर और VPAs के इस्तेमाल से पैसों का ट्रांसफर किया जा सकेगा। हुआ भी यही, दिसंबर में भीम एप लांच होने के बाद ही डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिला, और आज इसका नतीजा सभी के सामने हैं।

सुरक्षित है यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट
यूपीआई के जरिए पैसों के लेनदेन में कहीं भी कोई दिक्कत नहीं होती है, साथ ही इसके जरिए ट्रांजेक्शन काफी सुरक्षित भी है। इसमें स्मार्ट फोन पर पहले एप लांच किया जाता है और फिर उसी के द्वारा जिसे पैसा भेजना है उसके मोबाइल नंबर को जोड़कर रकम ट्रांसफर कर दी जाती है। इसमें गलती की गुंजाइश न के बराबर है, साथ ही पैसा ट्रांसफर होने के बाद तत्काल पता भी चल जाता है। सरकार की तरफ से लांच किए गए BHIM एप के अलावा निजी कंपनियों की तरफ से संचालित ‘PhonePe’ और ‘Tez’ एप भी यूपीआई प्लेटफार्म के जरिए डिजिटल पेमेंट को बढ़ाने में भूमिका निभा रहे हैं।

डेबिट कार्ड, भीम ऐप से 2,000 रुपये तक के लेन-देन पर अब कोई चार्ज नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल पेमेंट के लेकर प्रोत्साहित करना चाहते हैं। लोगों को कैशलेस पेमेंट के लिए प्रेरित करने के लिए मोदी सरकार ने डेबिट कार्ड, भीम ऐप और अन्य पेमेंट गेटवे से 2000 रुपये तक के लेन-देन पर सभी चार्जेस हटा दिए हैं। यह सुविधा एक जनवरी, 2018 से लागू हो गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले महीने ही डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहन देने के लिए डेबिट कार्ड, भीम यूपीआई या आधार आधारित अन्य भुगतान प्रणालियों के जरिए 2,000 रुपये तक के लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट दर (एमडीआर) चार्जेस का बोझ सरकार द्वारा उठाने के प्रस्ताव को सहमति दी थी। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार के मुताबित दिसंबर तिमाही में भीम ऐप के जरिए लेन-देन 86 प्रतिशत बढ़ा है। इस दौरान भीम ऐप के जरिए 13,174 करोड़ रुपये के 14.56 करोड़ लेन-देन हुए। राजीव कुमार ने कहा, डिजिटल भुगतान को और प्रोत्साहन देने के लिए सरकार डेबिट कार्ड-भीम से 2,000 रुपये तक के लेन-देन पर चार्जेस की भरपाई करेगी। दुकानदारों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। केंद्र सरकार 1 जनवरी, 2018 से दो साल तक एमडीआर का बोझ उठाएगी ।बैंकों को इसका भुगतान सरकार करेगी। इससे सरकार पर 2,512 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमेशा से मानना रहा है कि भ्रष्टाचार को डिजिटल पेमेंट के जरिए ही काबू में पाया जा सकता है। यही वजह है उन्होंने इस ओर लगातार प्रयास किए हैं। एक नजर डालते हैं रुपयों के लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार ने क्या क्या किया है।

डिजिटल भुगतान में भारत ने यूके, चीन और जापान को भी पछाड़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए हर तरह की कोशिशें की हैं। उनके प्रयासों से हुई सफलता का लोहा दुनिया भी मानने लगी है। एक सर्वे में पता चला है कि डिजिटल पेमेंट्स के मामले में भारत ने यूनाइटेड किंगडम, चीन और जापान जैसे देशों को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। लाइव मिंट की खबरों के अनुसार एफआईएस के सर्वे में डिजिटल भुगतान प्रणाली में भारत को 25 देशों में सबसे विकसित माना गया है। एफआईएस अमेरिका स्थित एक बैंकिंग टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर है जिसने हर वक्त उपलब्धता, स्वीकार किए जाने लायक और तत्काल भुगतान के मापदंडों के आधार पर यह सर्वे किया है। इस सर्वे से यह भी साफ हो गया है कि यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भी लोकप्रियता के नए शिखर को छू लिया है। यानी लोग कैश की जगह प्वॉइंट ऑफ सेल मशीन और ई-वॉलेट का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं।

डिजिटल पेमेंट प्रणाली में भारत सबसे सक्षम
गौरतलब है कि फ्लेवर्स ऑफ फास्ट के नाम से तैयार एफआईएस सर्वे के लिए फास्टर पेमेंट्स इनोवेशन इंडेक्स (FPII) का इस्तेमाल किया गया। इसके तहत 1 से 5 तक के स्केल का उपयोग हुआ, जिसमें लेवल- 1 तेज पेमेंट, लेवल- 3 लोगों तक पहुंच और 24 घंटे उपलब्धता और लेवल- 5 उपभोक्ता को आकर्षित करने वाले अतिरिक्त क्षमता शामिल हैं। भारत की IMPS विश्व की एकमात्र प्रणाली पायी गई है जो तेज भुगतान संवर्द्धन सूचकांक रैंक में लेवल 5 पर है।

डिजिटल पेमेंट से पारदर्शी शासन को मिल रही ‘शक्ति’
भ्रष्टाचार से निपटने, पारदर्शी और प्रभावी शासन उपलब्ध कराने और गरीब-अमीर के बीच खाई को पाटने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का कंसेप्ट सामने रखा है। डिजिटल पेमेंट को प्रचलन में लाना भी इसी व्यवस्था का हिस्सा है। इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म जेफरीज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है।

40 प्रतिशत बढ़े NEFT
नोटबंदी के बाद बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) में भी खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नवंबर 2016 में जहां 12.3 करोड़ NEFT के माध्यम से 88,078 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था, वहीं जनवरी 2018 में 17 करोड़ NEFT के साथ 1,53,741 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। इस तरह कुल मिलाकर NEFT में लगभग 40 प्रतिशत की बढ़त हुई है।

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IMPS में 200 प्रतिशत की वृद्धि
IMPS की संख्या में भी बढ़त देखने को मिली है। इसके तहत 24X7 के लेनेदेन की उपलब्धता और आकर्षक पेमेंट्स सिस्टम की वजह से इसमें भी करीब 200 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिल रही है। नवंबर 2016 में जहां 3.6 करोड़ IMPS हुए थे वहीं जनवरी 2018 में यह बढ़ कर 9.9 करोड़ हो गए हैं। नोटबंदी के बाद प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों पर भुगतान तीन गुना बढ़ा है।

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कार्ड स्वाइप भुगतान में बढ़ोतरी
08 नवंबर, 2016 को डिमोनिटाइजेशन के बाद कार्ड स्वाइप कर भुगतान करने में भी वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2016 में जहां 20.5 करोड़ कार्ड स्वाइप हुए थे, वहीं जनवरी 2018 में कार्ड स्वाइप की संख्या 27.1 करोड़ पहुंच गई।  

कैशलेस ट्रांजेक्शन और मोदी के लिए चित्र परिणाम

Rupay का इस्तेमाल बढ़ा
जेफरीज के अनुसार ई-कॉमर्स के लिए Rupay का इस्तेमाल बढ़ा है। इसके साथ ही ई-कॉमर्स पर किए जाने वाला खर्च भी दोगुना से अधिक बढ़ा है। गौरतलब है कि Rupay वीजा और मास्टरकार्ड की ही तरह घरेलू कार्ड पेमेंट सिस्टम है। प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल सोसाइटी बनाने के आह्वान का देश के लोगों पर असर हो रहा है अब इसके प्रत्यक्ष उदाहरण सामने आ रहे हैं।

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लेस कैश व्यवस्था बनाना उद्देश्य
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस प्रकार, बिना किसी प्रतिबंध के, नोटबंदी के बाद कैश का प्रचलन कम हो रहा है।

मोबाइल वॉलेट के लिए चित्र परिणाम

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