Home विशेष सनातन हिंदू संस्कृति का विस्तार…विदेश चले गणपति बप्पा, देश के कई स्थानों...

सनातन हिंदू संस्कृति का विस्तार…विदेश चले गणपति बप्पा, देश के कई स्थानों से अमेरिका, लंदन फ्रांस, यूके और कनाडा जाएंगी गणेश और दुर्गा प्रतिमाएं

SHARE

बहुप्रतीक्षित गणेशोत्सव कल (31 अगस्त) से शुरू होने जा रहा है, जो अनंत चतुर्दशी तक चलेगा। इस बीच घरों से लेकर मंदिरों तक, मार्केट से लेकर मॉल तक गणपति स्थापना होगी। इसके लिए देश ही नहीं, विदेशों तक में सनातन धर्मी गजानन भक्त तैयारियों में जुटे हुए हैं। प्रथम पूज्य की स्थापना के लिए कई राज्यों में गणेश मूर्तियों का निर्माण बड़े स्तर पर हो रहा है। सनातन हिंदू परंपरा का लगातार विस्तार होने और गणपति बप्पा की विदेशों तक में धूम होने के कारण अमेरिका, लंदन, फ्रांस, यूके, कनाडा और आस्ट्रेलिया आदि कई देशों में गणेशजी की मूर्तियां जाएंगी। अनंत चतुर्दशी के बाद से ही दुर्गा पूजा महोत्सव की तैयारियां पूरे जोर पर होंगी। दो साल कोरोना के बाद इस बार हजारों की संख्या में विशाल दुर्गा प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं।

विदेशों में रहने वाले महाराष्ट्रियन नासिक से मंगाते हैं गणेश उत्सव के लिए प्रतिमाएं
महाराष्ट्र के नासिक में इस महापर्व की तैयारियों के तहत गणेश मूर्तियों का निर्माण कार्य जुलाई महीने से शुरु हो गया था। क्योंकि यहां से गणेशोत्सव के लिए विदेशों में भी मूर्तियों को हवाई सेवा के माध्यम से भेजा जाता है। स्थानीय मूर्तिकारों के मुताबिक यूके, फ्रांस, दुबई और सऊदी अरब गणेश प्रतिमाएं भेजी जाएंगी। महाराष्ट्र या अन्य भारतीय प्रांत के लोग जिस देश में रहते हैं, वहां भी गणेश उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए शाडु की मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की मांग केवल भारत में नहीं विदेश में भी बढ़ी है। इस वर्ष 300 गणेश प्रतिमाओं को यूके, दुबई और सऊदी अरब एयर कार्गो के माध्यम से भेजा जाएगा।

यूके, दुबई, सऊदी अरब से भी शाडु मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं की सबसे ज्यादा मांग
पिछले कुछ वर्षो से शाडू की मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियों की मांग लगातार बढ़ रही है। विदेशों में भी घर-घर गणराय स्थापित करने का क्रेज बढ़ने लगा है, इसी के कारण इस वर्ष यूके के साथ-साथ दुबई, सऊदी अरब से भी शाडु मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं की अच्छी मांग है। इस महीने के पहले सप्ताह में ही एयर कार्गो से गणेश प्रतिमा को विदेश भेजा गया। दिलचस्प बात यह है कि इस वर्ष विदेशों से गणेश प्रतिमाओं की मांग पहले की तुलना में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। विदेश में मिल रही सराहना शाडू मिट्टी की पारंपरिक गणेश मूर्तियों को विदेश में रह रहे गणेश भक्तों द्वारा अधिक सराहा जाता है, इसलिए, वे कुछ महीने पहले गणेश की मूर्तियों को बुक कराते हैं।

गुजरात के बारडोली से अमेरिका, कनाडा और लंदन तक जाएंगे गणपति बप्पा
गुजरात के बारडोली में गणेशोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। इसके मद्देनजर यहां से गणेश की प्रतिमाएं अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा भेजी जाएंगी। बारडोली के मूर्तिकार योगेश प्रजापति के मुताबिक अमेरिका, कनाडा में 200 प्रतिमाएं भेजी जाएंगी। ये करीब चार फुट लंबी हैं। इससे पहले देवी पूजन पर भी देवी मां की 150 प्रतिमाएं लंदन भेजी गईं थीं। प्रतिमाओं को सुरक्षित पहुंचाने के लिए विशेष बाक्स बनाया जाता है। अमेरिका में गणपति स्थापना के लिए वहां से संबंधित निकाय से इजाजत लेनी होती है। पिछले दो वर्ष से कोरोना महामारी के कारण गणेश उत्सव का आयोजन नहीं किया गया, लेकिन इस वर्ष कोरोना का कहर समाप्त हो गया तो सभी प्रतिबंध हटा दिए गए है।

कोलकाता में गजानन से साथ ही मां दुर्गा महोत्सव के लिए बनती हैं लाखों मूर्तियां
कोलकाता के कुमारतुली या कुमारटोला कुम्हारों के रहने का ठिकाना है। यहां सालभर मूर्तियां बनाई जाती हैं। इन गलियों में दोनों तरफ कुम्हारों की वर्कशॉप हैं। वर्कशॉप के अंदर उघाड़े बदन, लुंगी पहनकर मूर्तियां तैयार करते कुम्हार दिखते हैं। कुम्हारों के कई परिवार अब बंगाल के ही कृष्णानगर और नबाद्वीप में शिफ्ट हो चुके हैं। इसलिए इन दोनों शहरों में भी देश-विदेश से लोग मूर्तियों के ऑर्डर देने पहुंचते हैं। तीन सौ साल पहले बसे कुमारतुली से पचास से ज्यादा देशों में मूर्तियां जाती हैं। इसमें मां दुर्गा की मूर्ति की सबसे ज्यादा डिमांड होती है। कुमारतुली मूर्ति समिति के ट्रेजरर सुजीत पाल के मुताबिक गणेश जी और दुर्गा जी की मूर्तियां कई दिनों पहले ही फॉरेन जा चुकी हैं।

विदेशों में शिप और फ्लाइट से जाती हैं मूर्तियां, मूर्तियों की लाखों में होती है कीमत
ढाई से तीन फीट ऊंची अधिकतर मूर्तियां अमेरिका, फ्रांस, UK और स्विट्जरलैंड गई हैं। फॉरेन कंट्रीज में जो इंडियन कम्युनिटी रहती है, वही मूर्तियां ऑर्डर करती है। अधिकतर मूर्तियां शिप से जाती हैं। कुछ फ्लाइट से भी भेजी जाती हैं। फॉरेन जानी वाली मूर्तियों की कीमत लाखों में होती है। गणेश जी की सबसे महंगी मूर्ति का ऑर्डर इस बार बंगाल के ही मेदिनीपुर से है। 14 फीट ऊंची भगवान गणेश की मूर्ति 1 लाख रुपए में बुक की गई है। अकेले कुमारतुली से गणेश जी की करीब 8 हजार छोटी-बड़ी मूर्तियां बिकेंगीं। वहीं दुर्गा जी की करीब 15 हजार मूर्तियां यहां बेचने के लिए तैयार की जा रही हैं। कोलकाता और हावड़ा में लगभग 500 पूजा का प्रतिनिधित्व करने वाले फोरम फॉर दुर्गोत्सव के महासचिव शाश्वत बसु के मुताबिक दो वर्षों में महामारी के कारण उत्सव नहीं मनाया जा रहा था, लेकिन इस बार दुर्गा पूजा महोत्सव काफी भव्यता के साथ आयोजित होगा। यूनेस्को हेरिटेज टैग ने उत्साह में और इजाफा किया है।

धार्मिक उत्सव के लिए गणपति बप्पा और मां दुर्गा की मूर्तियां कैसे होती हैं तैयार

  • मूर्तियां पकी हुई मिट्‌टी से नहीं बनाई जातीं, बल्कि धूप में सूखी हुई मिट्‌टी से बनती हैं।
  • सबसे पहले बांस और सूखे भूसे से इनका ढांचा खड़ा किया जाता है। इससे मूर्ति को एक शुरुआती शेप मिलता है। इसके लिए एक खास तरह का बांस उपयोग में लाया जाता है।
  • ढांचा खड़ा होने के बाद उसके ऊपर नरम मिट्‌टी लगाई जाती है। मिट्‌टी की एक के बाद एक कई परतें चढ़ाई जाती हैं। कई बार मिट्‌टी को एक खास शेप में रखने के लिए कपड़े के साथ भी चिपकाया जाता है।
  • मूर्ति में खास तौर से दो ही तरह की मिट्‌टी इस्तेमाल होती है। इसमें एक चिपचिपी काली मिट्‌टी और दूसरी गंगा मिट्‌टी होती है। यह सफेद रंग की सॉफ्ट मिट्‌टी होती है। इन दोनों तरह की मिट्‌टी के साथ हाथों से तैयार थोड़ी गोंद भी मिलाई जाती है। इसके बाद सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है।
  • सूखने के बाद सफेद पेंट की पहली लेयर का लेप लगाते हैं। फिर सूखने के लिए छोड़ देते हैं। इसके बाद अलग-अलग रंग से रंगाई होती है।
  • अधिकतर आर्टिस्ट और कुम्हार नेचुरल कलर का ही इस्तेमाल करते हैं। कुछ आर्टिस्ट अपना ब्रश भी खुद ही तैयार करते हैं।
  • मूर्तियों की रंगाई होने के बाद फिर इन्हें डेकोरेट करने का काम होता है। कपड़े, मुकुट, माला, धोती, साड़ी और दूसरे कपड़े पहनाए जाते हैं। तब जाकर कहीं फाइनल मूर्ति तैयार होती है।

Leave a Reply