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लॉकडाउन के दौरान निर्मल होने लगी गंगा, जल की गुणवत्ता में 40 प्रतिशत तक सुधार

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कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया है। इस दौरान गाड़ियों और फैक्ट्रियों के बंद होने से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वायु प्रदूषण में कमी आने से लोग शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं। हवा साफ होने से जालंधर से वर्षों बाद धौलाधार रेंज की बर्फीली पहाड़ियां नजर आने लगी हैं। इसी तरह वाराणसी और कानपुर जैसे शहरों में गंगा का जल फिर से निर्मल होने लगा है। दावे के अनुसार, गंगाजल में 35 से 40 प्रतिशत का सुधार देखने को मिला है। कारखानों के बंद होने के चलते गंगा में मिलने वाला दूषित जल नदारद है, जिससे पानी स्वच्छ दिख रहा है।

वाराणसी में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने कहा कि गंगा नदी की धारा में ऑक्सीजन का स्तर उल्लेखनीय ढंग से बढ़ गया है और पानी की गुणवत्ता बेहतर हुई है। अब यह पानी नहाने लायक हैं। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर रहने वालों ने बताया कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से गंगा काफी साफ हो गई हैं। यहां सैकड़ों लोग पवित्र डुबकी लगाते थे, यहां कोई भी कचरा डंप नहीं किया जा रहा है। नमामि गंगे मिशन के तहत गंगा में मिलने वाले प्रमुख नालों को भी साफ किया जा रहा है। 

आईआईटी बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर पी. के. मिश्रा ने कहा, “लॉकडाउन के शुरू होने से लेकर अब तक गंगा के पानी में सुधार दिखा है। अधिकतर उद्योगों का प्रदूषण गंगा में डिस्चार्ज होता है, कारखानों के बंद होने के चलते वह नहीं पहुंच पा रहा इस कारण भी गंगा साफ हुई है।” उन्होंने कहा, “गंगा में होने वाले कुल प्रदूषण में उद्योगों की हिस्सेदारी 10 फीसदी होती है। लॉकडाउन की वजह से उद्योग धंधे बंद हैं, इसलिए स्थिति बेहतर हुई है।” 

पी. के. मिश्रा ने बताया कि घाटों के किनारे होने वाली गतिविधियां बंद हैं, जैसे शव जलना, नौकायान या अन्य गतिविधि। इसके कारण भी 5 प्रतिशत गंदगी कम हुई है। वहीं, सीवेज पर लगाम नहीं लग पाई है। इस दौरान गंगा के काफी साफ होने के संकेत मिल रहे हैं। इसमें घुलित ऑक्सीजन 5 से 6 प्रति लीटर एमजी से बढ़कर 8-9 हो गई है। लॉकडाउन के दौरान हर पैरामीटर में 35 से 40 प्रतिशत असर हुआ है। इस कारण गंगा निर्मल दिख रही है। उन्होंने कहा कि 15-16 मार्च को हुई बरसात के बाद गंगा के जलस्तर में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “अगर हम लॉकडाउन के पहले और बाद देखें, तो काफी बदलाव देखने को मिलेगा।”

इसी बीच कानपुर में भी गंगा पिछले कुछ दिनों में साफ हो गई है। मां गंगा प्रदूषण मुक्त अभियान समिति भारत के अध्यक्ष राम जी त्रिपाठी ने कहा, “लॉकडाउन में उद्योग धंधे बंद होने कारण थोड़ा बदलाव हुआ है। फैक्ट्रियों के अपशिष्ट इसमें नहीं गिर रहे हैं। इसमें करीब 200 एमलडी पानी गंगा में जा रहा है। इससे कुछ अंश साफ देखने को मिला है।”

स्थानीय लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियां भी बंद हैं, इसकी वजह से गंगा का पानी बहुत साफ नजर आ रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों में खासा सुधार देखा जा रहा है, जहां बड़े पैमाने पर कचरा नदी में डाला जाता था। इस समय गंगा में औद्योगिक कचरा गिरना एकदम बंद ही हो गया है। इसीलिए पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

गौरतलब है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मानिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न जगहों पर गंगा के पानी में काफी सुधार देखा गया।

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