Home समाचार ‘राष्ट्रपति बना तो CAA लागू नहीं होने दूंगा’, यशवंत सिन्हा के बयान...

‘राष्ट्रपति बना तो CAA लागू नहीं होने दूंगा’, यशवंत सिन्हा के बयान पर भड़के लोग, कहा- असली चेहरा उजागर, मानसिकता जिहादियों वाला

SHARE

विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने असम के गुवाहाटी में विपक्षी सांसदों के साथ बातचीत में एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर वह राष्ट्रपति के लिए चुने जाते हैं, तो वह सुनिश्चित करेंगे कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू न हो। सिन्हा ने कहा कि देश के संविधान को बाहरी ताकतों से नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों से खतरा है।प्रधामंत्री मोदी से नफरत के चक्कर में यशवंत सिन्हा इतना अंधा हो चुके हैं कि देश के खिलाफ बयान देने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।

यशवंत सिन्हा के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। लोगों का कहना है कि यशवंत सिन्हा का असली चेहरा उजागर हो चुका है। वो भी तुष्टिकरण की नीति से राष्ट्रपति बनना चाहते हैं। उनकी मानसिकता जिहादियों वाला है। चुनाव आते आते अगर ये भारत में शरियत लागू करने की बात कह दें तो हैरानी नहीं होगी।

इससे पहले 9 जुलाई को यशवंत सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर में एक बैठक की। इसमें फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता शामिल हुए। बैठक के दौरान सिन्हा ने फारूक अब्दुल्ला समेत बैठक में शामिल तमाम नेताओं को देश का सबसे बड़ा राष्ट्रवादी बताया। उन्होंने बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे जो भी लोग यहां बैठे हैं, फारूक साहब और महबूबा जी को मिला कर…इनसे बड़ा कोई राष्ट्रभक्त नहीं है। अगर ये राष्ट्रवादी नहीं हैं तो फिर देश में कोई राष्ट्रभक्त नहीं है।”

यशवंत सिन्हा द्वारा फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को सबसे बड़ा देशभक्त बताने पर फिल्म निर्माता और निर्देशक विवेक अग्निहोत्री भड़क गये। विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर लिखा कि “जब कश्मीर जल रहा था, आतंकवाद चरम पर था, हिंदुओं को खुलेआम मारा गया, घर जलाए गए, मंदिर नष्ट किए गए, 18 जनवरी (19 जनवरी की अंधेरी रात से ठीक एक दिन पहले) को इस्तीफा देना और लंदन भाग जाना सबसे देशभक्ति की बात है। क्या कर सकते हैं।”

गौरतलब है कि जब नागरिकता संशोधन अधिनियम अर्थात सीएए को संसद में पेश किया गया था, उस समय यशवंत सिन्हा ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि इसे धर्म के आधार पर करने की आवश्यकता क्या है? उन्होंने हालांकि तब तक भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी थी, परन्तु यह शायद ही किसी कि यह आभास होगा कि वह इस सीमा तक जा सकते हैं। फिर भी उन्होंने विपक्ष के साथ मिलकर इस बात पर बल दिया था कि आखिर इसमें धर्म की सीमा को क्यों सम्मिलित किया गया।

 

 

Leave a Reply