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मोदी सरकार की ‘सौभाग्य’ योजना का असर, महाराष्ट्र के बुलुमगवान गांव में आजादी के 70 साल बाद पहुंची बिजली

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केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के गठने के बाद से देश के ग्रामीण इलाकों में विद्युतीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। 2014 में जब मोदी सरकार ने कामकाज संभाला था तब देश के करीब 18,000 गांवों में बिजली नहीं पहुंची थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इस ओर युद्धस्तर पर काम हुआ और आज लगभग सभी गांवों में बिजली पहुंच गई है। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के अमरावती के बुलुमगवान गांव में भी आजादी के 70 वर्ष बाद बिजली पहुंची है। इस गांव में प्रधानमंत्री की सहज बिजली हर घर योजना ‘सौभाग्य’ के तहत बिजली पहुंची है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गांव के 105 घरों में बिजली के कनेक्शन दिए गए हैं और अब गांव का हर घर रोशन हो चुका है। पहली बार बिजली पहुंचने से ग्रामीण बहुत खुश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली के बिना जीवन काफी मुश्किल था। बिजली नहीं होने से बच्चे रात में पढ़ नहीं पाते थे, लेकिन अब सभी लोग बहुत प्रसन्न हैं।

आगे आपको बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की पहल से और किन-किन गांवों में आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची है।

आजादी के 70 साल बाद रोशन हुआ ग्रेटर नोएडा का गांव
उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक राजस्व वाला जिला गौतम बुद्ध नगर जिसमें नोएडा ग्रेटर नोएडा जैसा शहर बसता है। देश की राजधानी दिल्ली से सटे होने के कारण यह हर तरह से वीआईपी की श्रेणी में है। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि यहां भी ऐसा गांव हो सकता है, जिस गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंची थी। बिजली के अभाव में अधिकतर ग्रामीण गांव छोड़कर चले गए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर ‘अंधेरे में डूबे गांव’ की खोज ने ग्रेटर नोएडा से तिलवाड़ा नाम के एक गांव को खोज निकाला है, जहां आजादी के 70 वर्षों के बाद बिजली पहुंचाई गई है। 

ग्रेटर नोएडा का तिलवाड़ा गांव यमुना एक्सप्रेसवे और गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी (जीबीयू) से मात्र दो किमी की दूरी पर है। इस गांव से परी चौक की दूरी महज 9 किमी है। बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट जहां एफ-1 की गाड़ियां फर्राटे से दौड़ाई जाती है, वह करीब 5 किलोमीटर दूरी पर है। इसी गांव से मात्र 1500 मीटर दूर कई आईटी, मोबाइल कंपनियां और एएमआर मॉल है। इतना कुछ होने के बाद भी, आजादी के 7 दशकों बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से बिजली पहुंची है। बिजली पहुंचने से ग्रामीणों में खुशी की लहर है। बिजली ने ग्रामीणों की जिंदगी को रोशन करना शुरू कर दिया है। लोगों को उम्मीद है कि जो परिवार बिजली व अन्य सुविधाओं की राह देखते-देखते पलायन कर गए। वे गांव जरूर लौटेंगे।  

एलीफेंटा की गुफाएं हुईं रौशन, टापू के 200 घरों में भी पहुंची बिजली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सौभाग्य योजना के अंतर्गत देश की आर्थिक नगरी मुंबई से महज 10 किलोमीटर दूर एलीफेंटा या घरापुरी टापू पर आजादी के 70 साल बाद बिजली पहुंची है। एलीफेंटा टापू के तीन गांव आजादी के बाद से ही अंधेरे में डूबे हुए थे।

समुद्र में बिछाई गई बिजली की केबल
बिजली विभाग के अधिकारियों के अनुसारर एलीफेंटा टापू पर बिजली पहुंचाने के लिए समुद्र में 7.5 किलोमीटर केबल बिछाई गई है, यह भारत में समुद्र में बिछाया गया सबसे लंबा केबल है। इस टापू पर विद्युतीकरण की परियोजना में कुल 25 करोड़ की लागत आई है, और इसे पूरा करने में 15 महीने के समय लगा है। बिजली विभाग ने तीनों गांवों में छह-छह स्ट्रीट लाइट टॉवर लगाए हैं, और इन पर शक्तिशाली एलईडी बल्ब लगाए गए हैं। इसके साथ ही इन गांवों के दो सौ घरों में बिजली के मीटर कनेक्शन और कुछ उपभोक्ताओं को व्यावसायिक कनेक्शन भी दिए गए हैं। बिजली पहुंचने की खुशी में लोगों ने एलीफेंटा टापू के गांवों के निवासियों ने पारंपरिक सजावट कर अपनी खुशी जताई।

जोकापाथ गांव में आजादी के बाद पहली बार पहुंची बिजली
पिछले वर्ष दिसंबर में ही छत्तीसगढ़ में बलरामपुर जिले के जोकापाठ गांव में भी आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची थी। आजादी के 70 साल बाद बिजली पहुंचने पर लोगों की खुशी की ठिकाना नहीं रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियों के चलते इस गांव का अंधेरा दूर हो पाया। खुशी में डूबे गांव के लोगों का कहना था कि अब उनके गांव के बच्चे पढ़-लिख सकेंगे। गांव के विकास की यह कहानी जब सोशल मीडिया के जरिये श्री नरेंद्र मोदी तक पहुंची तो वह भी बेहद खुश हुए। गांववालों के लिए इस ऐतिहासिक दिन पर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि ऐसी खबरें बेहद खुश और भावुक कर देती हैं। इतनी सारी जिंदगियों को रोशनी देखना आनंददायक है।

दरअसल, जोकापाठ गांव के पहाड़ों के बीच होने के कारण यहां बिजली पहुंचाना बहुत ही मुश्किल का काम था। आजादी के 70 साल बाद भी यहां बिजली ना पहुंचने की बात जब मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को मिली तो उन्होंने इसपर काम करने को कहा। बिजली के खंभे लगाए गए, ट्रांसफॉर्मर लगाया गया, तार खींचे गए और लोगों को बिजली मिलनी शुरू हो गई। गांव के सरपंच ने खुशी जताते हुए कहा कि अब बिजली आने के बाद गांव के बच्चे अच्छे से पढ़ाई कर सकेंगे और जिंदगी में आगे बढ़ सकेंगे। गांव के बच्चे बिजली आने से काफी खुश हैं। बच्चे रोशनी में पढ़ाई कर रहे हैं। अब जोकापाठ बिजली पहुंचने से गांव के साथ-साथ इलाके के विकास में तेजी आएगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर भारत की तस्वीर ऊर्जा क्षेत्र में पूरी तरह बदल गई है। आज भारत ऊर्जा सेक्टर में न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि निर्यायत देश में शामिल हो गया है। ऊर्जा क्षेत्र में किए गए कार्यों पर एक नजर – 

ऊर्जा क्षेत्र में कामयाबी, एलईडी के इस्तेमाल से बढ़ाई बचत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि ऊर्जा बचत भी एक प्रकार से ऊर्जा उत्पादन जैसा है। इसी ध्येय के साथ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक ओर बिजली उत्पादन बढ़ाने का निरंतर प्रयास चल रहा है तो दूसरी ओर बिजली खपत कम करने के लिए एलईडी बल्ब के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल का असर है कि पुणे एयरपोर्ट में 2600 एलईडी लाइट लगाने के बाद से रोजाना 192 किलोवॉट की बिजली खपत को कम करके 80 किलोवॉट तक ले आई है यानि रोजाना 112 किलोवॉट बिजली को बचाया जा रहा है। हाल ही में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने हवाई अड्डे, इससे जुड़े भवनों में एलईडी बल्ब लगाने के लिए Energy Efficiency Services Limited (EESL) के साथ समझौता किया है। ESL पांच साल की वारंटी भी देगी। इसके अलावा पुणे हवाई अड्डे पर 300 किलोवॉट का सौलर ऊर्जा प्लॉन्ट लगाने की योजना पर काम हो रहा है। इसके लिए 1.27 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।

EoCR के सभी रेलवे स्टेशन एलईडी बल्ब से रौशन
पीएम मोदी की पहल पर देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर शत-प्रतिशत एलईडी बल्ब लगाया जाना है। इसी पहल पर रेलवे के East Coast Railway (ECoR)  जोन के सभी रेलवे स्टेशनों को एलईडी बल्ब लगाए जाने का लक्ष्य 31 मार्च, 2018 था। अपने निर्धारित समय से एक दिन पहले ही East Coast Railway (ECoR)  ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया। इस जोन में कुल 319 रेलवे स्टेशन व हॉल्ट हैं। शत-प्रतिशत स्टेशन और हॉल्ट में एलईडी बल्ब के लगाए जाने से हर साल 21 लाख यूनिट बिजली की बचत होगी। इसके कारण रेलवे को सलाना 1.33 करोड़ रुपए की बचत होगी।

बिजली उत्पादन में जापान-रूस को पछाड़ा
भारत अब जापान और रूस से अधिक बिजली का उत्पादन कर रहा है। वित्त वर्ष 2016 में 1,423 BU बिजली उत्पादन के साथ भारत ने रूस-जापान के पीछे छोड़ दिया है। 6,015 BU के साथ चीन पहले स्थान पर और 4,327 BU के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर है। सात साल पहले जापान की बिजली उत्पादन क्षमता भारत से 27 प्रतिशत ज्यादा जबकि रूस की 8.77 प्रतिशत ज्यादा थी, लेकिन अब भारत ने दोनों को पछाड़ दिया है। भारत में 1003.5 BU (अरब यूनिट) का उत्पादन अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के बीच हुआ है।

पहली बार बिजली निर्यातक बना देश
तीन साल पहले देश अभूतपूर्व बिजली संकट झेल रहा था, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि अब देश में खपत से अधिक बिजली उत्पाद होने लगा है। केंद्रीय विधुत प्राधिकरण के अनुसार भारत ने पहली बार वर्ष 2016-17 ( फरवरी 2017 तक) के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को 579.8 करोड़ यूनिट बिजली निर्यात की, जो भूटान से आयात की जाने वाली करीब 558.5 करोड़ यूनिटों की तुलना में 21.3 करोड़ यूनिट अधिक है। 2016 में 400 केवी लाइन क्षमता (132 केवी क्षमता के साथ संचालित) मुजफ्फरपुर – धालखेबर (नेपाल) के चालू हो जाने के बाद नेपाल को बिजली निर्यात में करीब 145 मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई है।

बदल गई पॉवर सेक्टर की तस्वीर
मोदी सरकार की नीतियों के चलते आज पारंपरिक और गैर-पारंपरिक ऊर्जा का भी भरपूर उत्पादन होने लगा है। सबसे बड़ी बात भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं बना है, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बाजार उभर कर सामने आया है। उर्जा क्षेत्र में इस कायापलट के पीछे उन योजनाओं के क्रियान्यवन में बेहतर तालमेल रहा है जिस पिछले तीन सालों में सरकार ने लागू किया है। उर्जा क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करने के लिए लागू की गई इन योजनाओं से बहुत बड़े परिणाम सामने आए हैं। देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने का लक्ष्य 2022 है, लेकिन जिस गति से काम चल रहा है उससे अब यह प्राप्त कर लेना आसान लगने लगा है, पहले यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि देश में ऐसा भी हो सकता है।

बिजली उत्पादन बढ़ा, बर्बादी रुकी
मोदी सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का असर है कि देश में लगातार बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तरफ वितरण में होने वाला नुकसान कम हुआ है। दूसरी ओर सफल कोयला एवं उदय नीति से उत्पादन बढ़ा है। जैसे- 2013-14 में बिजली उत्पादन 96,700 करोड़ यूनिट हुआ था, जो 2014-15 में बढ़कर 1,04,800 करोड़ यूनिट हो गया। ये दौर आगे भी जारी रहा और 2015-16 में बिजली उत्पादन 1,10,700 करोड़ यूनिट हो गया, जिसकी वजह ऊर्जा नुकसान में 2.1 प्रतिशत की कमी रही। ऊर्जा नुकसान 2015-16 में जहां 2.1 प्रतिशत थी जो अब घटकर 0.7 प्रतिशत (अप्रैल-अक्टूबर, 2016) रह गई है। 2015-16 की तुलना में अब राष्ट्रीय पीक पावर डिफिसिट घटकर आधा यानि 1.6 प्रतिशत रह गया है।

NTPC ने किया सबसे अधिक उत्पादन
इस वर्ष NTPC ने अब तक का सबसे अधिक 263.95 अरब यूनिट बिजली का उत्पादन किया है जो पिछले वर्ष के सर्वश्रेष्ठ उत्पादन 263.42 अरब यूनिट से अधिक है। इस तरह इस वर्ष NTPC ने पिछले वर्ष की तुलना में 4.71 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की। NTPC की कुल स्थापित क्षमता 48,188 मेगा वॉट है, जिसमें 19 कोयला आधारित, 7 गैस आधारित, 10 सौर ऊर्जा आधारित और 1 जल बिजली संयंत्र शामिल हैं। इनके अलावा 9 सहायक /संयुक्त उपक्रम वाले बिजली घर भी मौजूद हैं।

नई कोयला नीति
नरेंद्र मोदी सरकार की कोयला नीति काम करने लगी है। इसके चलते देश अब उर्जा संकट से लगभग उबर चुका है । पिछली यूपीए सरकार की गलत कोयला नीति की वजह से अधर में फंसे दर्जनों ताप बिजली घरों में फिर से काम शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। हाल ही में ‘शक्ति’ नाम से एक नई कोल लिंकेज पॉलिसी को मंजूरी दी गई है जो नए ताप बिजली घरों को आसानी से कोयला ब्लॉक उपलब्ध कराएगा। साथ ही पुराने एवं अटके पड़े बिजली घरों को भी कोयला उपलब्ध हो सकेगा। इससे कम से कम 30 हजार मेगावाट क्षमता का अतिरिक्त उत्पादन शुरू हो सकेगा। यानि अगर उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी तो बिजली की दरों भी कटौती की संभावना रहेगी। यूपीए सरकार ने वर्ष 2007 में कोल लिंकेज नीति लाई थी जिसके तहत 1,08,000 मेगावाट क्षमता की बिजली परियोजनाओं को कोयला देने का समझौता किया गया था, लेकिन उस दौरान कोयला उत्पादन नहीं बढ़ पाने की वजह से इनमें से अधिकांश परियोजनाएं अटकी हुई थी। इसके बाद कई परियोनजाओं को कोयला आयात करने की अनुमति भी दी गई, लेकिन घोटाले और मुकदमों के कारण वो लागू न हो सकीं। अब जब देश में कोयला उत्पादन की स्थिति सुधरी है तो इन परियोजनाओं को भी नए सिरे से कोयला आवंटित करने की तैयारी की गई है।

परमाणु बिजली उत्पादन में भी आत्मनिर्भरता
मोदी सरकार ने 10 नए Pressurized Heavy-Water Reactors (PHWR) के निर्माण का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये काम अपने वैज्ञानिक करेंगे और कोई भी विदेशी मदद नहीं ली जाएगी। इन दस नए स्वदेशी न्यूक्लियर पावर प्लांट से 7,000 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी। इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि भारत भी विश्व के अन्य देशों को Pressurized Heavy-Water Reactors की तकनीक देने वाला देश बन जायेगा, जो मेक इन इंडिया योजना को बहुत अधिक सशक्त करेगा। इसके अतिरिक्त 2021-22 तक 6,700 मेगावाट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए अन्य न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण का भी काम चल रहा है। इस समय देश में कुल 22 न्यूक्लियर पावर प्लांट बिजली पैदा कर रहे हैं जिनसे कुल 6,780 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।

सौभाग्य योजना: देश का हर घर होगा रोशन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना ‘सौभाग्य’ की शुरुआत की। इसके तहत मार्च 2019 तक सभी घरों को बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना का फायदा उन लोगों को मिलेगा जो पैसों की कमी के चलते अभी तक बिजली कनेक्शन हासिल नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत हर घर को रोशनी में समेट कर प्रगति के पथ पर ले जाना है। इस योजना पर 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा। यह उन चार करोड़ परिवारों के घर में नयी रोशनी लाने के लिए है जिनके घरों में आजादी के 70 साल के बाद भी अंधेरा है।

UDAY से देश का भाग्योदय
देश की बिजली वितरण कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार करके उनको पटरी पर लाने के लिए Ujwal DISCOM Assurance Yojana (UDAY)लागू किया गया। सभी घरों को 24 घंटे किफायती एवं सुविधाजनक बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करना ही इस योजना का मूल उद्देश्य है। यह योजना 20 नवंबर, 2015 से शुरू की गई इससे विरासत में मिली 4.3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की समस्या का मोदी सरकार ने स्थायी समाधान निकाल लिया। आज देश के सभी राज्य इस योजना से जुड़ चुके हैं। उत्तर प्रदेश अंतिम राज्य था जो 14 अप्रैल 2017 को इस योजना में शामिल हुआ है। इसी साल जनवरी से UDAY वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन की शुरुआत भी की गई है। इसे विभिन्न राज्यों के DISCOM में हो रहे कार्यों और वित्तीय स्थिति पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है। इसका काम डाटा को राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर में एकीकृत करके रखना है। इससे केन्द्रीय मंत्रालय स्तर पर DISCOM के काम पर निगरानी रखना आसान हो गया है। जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है, और गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।

सड़कें हो रही हैं ‘उजाला’
प्रधानमंत्री मोदी ने 5 जनवरी 2015 को 100 शहरों में पारंपरिक स्ट्रीट और घरेलू लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाने के कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इस राष्ट्रीय स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम (NSLP) का उद्देश्य 1.34 करोड़ स्ट्रीट लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाना है। अब तक देशभर में पुरानी लाइट्स बदलकर 21 लाख नए LED लाइट लगाई जा चुकी हैं। इससे 29.5 करोड़ इकाई KWH बिजली की बचत हुई है। यही नहीं इसके चलते 2.3 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आई है। यह परियोजना 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाई जा रही है। सबसे बड़ी बात है कि इसके चलते खर्च और बिजली की तो बचत हो ही रही है प्रकाश भी पहले से काफी बढ़ गया है। यही नहीं भारी मात्रा में LED बल्बों की खरीद होने के चलते उसकी कीमत भी 135 रुपये के बजाय 80 रुपये प्रति बल्ब बैठ रही है।

रीयल टाइम मिलेगी पॉवरकट की सूचना
केंद्र सरकार ने 24×7 किफायती और बिना बाधा के देश को बिजली देने के लिए ‘ऊर्जा मित्र एप’ लांच किया है। ऐसी सुविधा बिजली उपभोक्ताओं को पहली बार मुहैया कराई जा रही है। लोग www.urjamitra.com तथा ‘ऊर्जा मित्र एप’ पर देश के शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटने की सूचना पा सकते हैं। ये जानकारी उपभोक्ताओं तक रीयल टाइम में पहुंच जाती है और वो इससे जुड़ी शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।

2030 तक सौर उर्जा से बदल जाएगी देश की तकदीर
मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से उत्पन्न हुई जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए भी मोदी सरकार कदम उठा रही है। ताकि ऊर्जा की जरूरतें भी पूरी हों और प्रकृति का संरक्षण भी साथ-साथ जारी रहे। माना जा रहा है LED बल्ब का इस्तेमाल इस दिशा में अपने-आप में बहुत बड़ा कदम है। इसके प्रयोग से सालाना 8 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है। इसके साथ-साथ 4 हजार करोड़ रुपये की सालाना बिजली की बचत भी होगी। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर भी जोर दे रही है। इसके तहत सौर ऊर्जा का उत्पादन मौजूदा 20 गीगावॉट से बढ़ाकर साल 2022 तक 100 गीगावॉट करने का लक्ष्य है। सबसे बड़ी बात है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार 2030 तक देश के सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल देने का लक्ष्य लेकर काम में जुटी है। इससे सालाना 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक fossil fuels (जीवाश्म ईंधन) की बचत होगी। सरकार की ओर से कराए गए एक रिसर्च के अनुसार 2030 तक राजस्थान की केवल एक प्रतिशत भूमि से पैदा हुई सौर्य ऊर्जा से देशभर के सभी वाहनों के लिए पर्याप्त ईंधन का इंतजाम हो सकता है।

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