एक तरफ पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार है जो एक-एक कोरोना पीड़ित की जान बचाने के प्रयास में जुटी है वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान है जहां की अशोक गहलोत सरकार की लापरवाही से आठ-आठ कोरोना पीड़ितों की जान चली गई है। इतना ही नहीं अस्पताल प्रशासन अपनी लापरवाही छिपाने में जुटी हुई और राज्य सरकार हाथ पर हाथ धरकर बैठी हुई है। एक तरफ कोरोना महामारी अपनी पूरी ताकत से मानव को नष्ट करने में जुटी हैं वहीं राजस्थान सरकार की लापरवाही और अव्यवस्था अस्पताल में भर्ती मरीजों पर भारी पड़ रही है।
29 अप्रैल 2021 यानि गुरुवार को राजस्थान के बाड़मेर जिले के बालोतरा स्थित नाहटा राजकीय अस्पताल में बिजली चले जाने के कारण ऑक्सीजन प्लांट बंद हो जाने से कोरोना पीड़ित 8 मरीजों की जान चली गई। यह जानकारी उसी अस्पताल में भर्ती एक मरीज के परिजनों ने वीडियो संदेश के माध्यम से दी। लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने इस जानकारी को ही गलत बता दिया है। उनका कहना है कि बिजली कुछ क्षणों के लिए गई जरूर थी लेकिन ऑक्सीजन प्लांट बंद नहीं हुआ था। अब सवाल उठता है कि अगर प्लांट बंद नहीं हुआ था तो आखिर अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती आठ कोरोना पीड़ितों की मौत कैसे हुई? जबकि अस्पताल प्रशासन यह मानता है कि आठ कोरोना पीड़ितों की मौत हुई है।
अस्पताल के पीएमओ डॉ बलराज सिंह पंवार का कहना है कि अस्पताल की बिजली जाने के तुरंत बाद ही जनरेटर चला दिया गया था, क्योंकि उस समय लोग वहां मौजूद ही थे। लेकिन पीएमओ ये नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर उन आठ कोरोना पीड़ितों की उसी समय मौते कैसे हो गई?
इससे साफ है कि अस्पताल प्रशासन राज्य सरकार की खामियों को छिपाने में जुटा है। तभी तो इतना बड़ा हादसा हो जाने के बाद भी राजस्थान में कांग्रेस सरकार अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। एक तो लोग कोरोना जैसी महामारी से तबाह है वहीं दूसरी तरफ राजस्थान सरकार की अव्यवस्था और लापरवाही भी राज्य की जनता पर भारी पड़ रही है।