अपने विकास मॉडल के लिए देश को नई दिशा देने वाले गुजरात ने एक बार फिर मिसाल कायम की है। गुजरात देश में पीडीएस के तहत बांटे जाने वाले खाद्यान्य की फॉरेंसिक जांच कराने वाला पहला राज्य बन गया है। आम लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गुणवत्ता वाला खाद्यान्न और तेल उपलब्ध कराने के मकसद से गुजरात सरकार ने यह पहल की है। गुजरात स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड (GSCSC) ने खाद्यान और खाद्य तेल समेत तमाम दूसरे खाद्य पदार्थों को लोगों तक पहुंचाने से पहले उसकी गुणवत्ता चेक कराने का फैसला किया है। GSCSC ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटे जाने वाले खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए फारेंसिक साइंस निदेशालय (DFS) से हाथ मिलाया है। जाहिर है अभी तक आपने फारेंसिक साइंस एक्सपर्ट को आपराधिक मामलों की जांच करते हुए देखा होगा, लेकिन गुजरात में फारेंसिक साइंस विशेषज्ञ, खाद्यान्य और तेल की गुणवत्ता की जांच करेंगे।
राज्य में फॉरेंसिक जांच के बाद बांटा जाएगा पीडीएस का खाद्यान्न
पीडीएस के तहत बांटे जाने वाले खाद्यान्न की जांच के लिए फॉरेसिंक जांच की मदद लेने वाले गुजरात, देश का पहले राज्य बन गया है। GSCSC के प्रबंध निदेशक और आईएएस अधिकारी मनीष भारद्वाज ने बताया कि पूरे राज्य से पीडीएस के तहत बांटे जाने वाले खाद्य पदार्थों में मिलावट की खबरें आ रही थीं। जांच के दौरान दाल और बिनौला के तेल में मिलावट मिली थी। इसी मिलावट को रोकने के लिए सरकार ने साइंटिफिक जांच के व्यापक कदम उठाने का फैसला लिया। सरकार ने पीडीएस के खाद्यान्न की जांच के लिए DFS की मदद लेने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि दिसंबर में GSCSC और DFS के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। इसके तहत DFS गांधीनगर में अपने कैंपस में 1.02 करोड़ रुपये की लागत से एक Food Research Laboratory (FRL) की स्थापना करेगा। GSCSC के प्रबंध निदेशक मनीष भारद्वाज ने बताया कि इसके जरिए सरकार पीडीएस के तहत बांटे जाने वाले खाद्यान्य की गुणवत्ता पर नजर रखेगी, ताकि लोगों को अच्छी क्वालिटी का खाद्यान्न मिल सके। गुजरात सरकार ने फारेंसिक साइंस निदेशालय के साथ दस वर्षों के लिए समझौता किया है। इसके तहत DFS जांच के लिए लेबोरेटरी और विशेषज्ञ उपलब्ध कराएगा, जबकि GSCSC का क्वालिटी चेक के लिए प्राइवेट लेबोरेटरी में खर्च होने वाली लाखों की रकम बचेगी।
@amitabhk87 @PMOIndia
Sir, this is the first initiative in country to rope in FSL for quality controls for all agri commodities sent to over 1cr beneficiaries in MDM and ICDS Centers in Gujarat. The results have been sterling https://t.co/T5jJ4UFs6Y https://t.co/fC4HWpaMH9— Manish Bhardwaj (@Manish_guj) 2 January 2018
आधुनिक उपकरणों से लैस है लेबोरेटरी
गांधीनगर स्थित फारेंसिक साइंस निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर एच पी सिंघवी ने बताया कि खाद्य पदार्षो के सैंपल की जांच अक्टूबर, 2017 में ही शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि नई लैब में विशेष तरह के उपकरण स्थापित किए गए हैं, और विशेषज्ञ कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि हमने लैब में गेहूं, चावल, मक्का, चीनी, खाद्य तेल, नमक, दाल आदि की गुणवत्ता जांचने की पूरी व्यवस्था की है। इन चीजों की जांच GSCSC और FSSAI के मानकों क मुताबिक की जाएगी। सिंघवी ने कहा कि उनके एक्सपर्ट पूरे राज्य से खाद्य पदार्थों के सैंपल एकत्र करेंगे। गुजरात स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया के बाद सैंपल में काफी सुधार हुआ है, क्योंकि कड़ी जांच की वजह से लेबोरेटरी द्वारा खाद्य पदार्थों के नमूनों को फेल कर दिया जा रहा है। फारेंसिक साइंस निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर एच पी सिंघवी के अनुसार, यह उनके लिए नया काम है, लेकिन हमारे पास खाध्य पदार्थों की जांच के लिए आधुनिक उपकरण हैं, और यही वजह है कि हम नमूनों की जांच बेहतर तरीके से कर पा रहे हैं।