Home नरेंद्र मोदी विशेष नोटबंदी: मोदी के आह्वान पर बदला जीने का तरीका

नोटबंदी: मोदी के आह्वान पर बदला जीने का तरीका

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नोटबंदी को आज एक महीने पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संदेश में 500 और 1000 के सभी पुराने नोट को बंद करने की घोषणा की थी। इस संदेश को जिसने भी सुना, ठिठक गया। क्योंकि पहली बार में विश्वास नहीं हो पाया कि काला धन, भ्रष्टाचार, जाली नोट आदि पर कड़ा प्रहार हो चुका है।

नोटबंदी के इस फैसले के बाद, अचानक से नकदी की किल्लत होने लगी, क्योंकि चलन में लगभग 85 फीसद नकदी भारत सरकार के एक फैसले से अमान्य हो गए। लोगों को रोजमर्रा की दिक्कत होने लगी। सरकार ने लोगों से डिजिटली पेमेंट करने की गुजारिश की। प्रधानमंत्री मानते हैं कि देश में जितना अधिक लेन-देन डिजिटल होगा, हमारा देश उतना पारदर्शी, विश्वसनीय और सुरक्षित होगा। पीएम मोदी के आह्वान पर लोगों ने इन तरीकों को अपना कर नोटबंदी के अभियान को समर्थन दिया।

वस्तु विनियम प्रणाली का व्यावहारिक ज्ञान

किताबों में हम सबने पढ़ा कि जब मुद्रा का निर्माण नहीं हुआ था तो लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अनाज के बदले अनाज, वस्तु के बदले अनाज, सेवा से बदले सामान लिया करते थे। यह केवल किताबों में पढ़ा है। नोटबंदी के बाद, देशभर के लोगों ने इस प्रणाली का इस्तेमाल किया और व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया। यह ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिला। किसान बुआई के लिए अनाज उधार ले आया। उपज के बाद उधारी का डेढ़ा अनाज उधार देने वाले को लौटाया जाएगा।

ग्रामीणों में बढ़ा समरसता और सद्भाव

गांवों में कहावत प्रचलित है -बेटी तो पूरे गांव की होती है। इस कहावत को हमलोग भूलते जा रहे थे। उदारीकरण के बाद नोटों ने जब से जेब में स्थान बनाया तो इस परंपरा को पूरी तरह से भूल गए। नोटबंदी के बाद, यह परंपरा एक बार फिर से जीवित हो गया है। बेटी की शादी किस परिवार में हो, यह माता-पिता तय कर रहे हैं लेकिन शादी कैसे हो, यह गांव वाले मिलकर तय कर रहे हैं और अपनी भूमिका निभा रहे हैं। गांव वालों को फिर से पुरानी परंपरा में लौटना अच्छा लग रहा है।

नए तरीके से शादी कर नोटबंदी का समर्थन

नकदी किल्लत सबसे ज्यादा महसूस हुई, शादी वाले घरों में। फिर सूरत की रक्षा के मन में विचार आया। 16वीं लोकसभा चुनाव में चाय पर चर्चा करके नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो वह वैवाहिक जीवन की शुरुआत क्यों नहीं कर सकती। फिर क्या था, उन्होंने होने वाले जीवनसाथी से बात की और बात बन गई। प्रधानमंत्री ने मन की बात में भी इस का जिक्र छेड़ दिया। उसके बाद काशी में रिचा और राज ने चाय, समोसे और रसगुल्ले पर शादी की। शादी के लिए होटल के स्थान पर मंदिर के प्रांगण को चुना, महंगे कार्ड के स्थान पर हल्दी और सुपारी से निमंत्रण दिया। कटिहार में भी चाय और लड्डू पर शादी हुई। बुलंदशहर के जलालाबाद क्षेत्र में दूल्हे ने चाय पर शादी करने की पहल की। मध्य प्रदेश में दो आईएएस अधिकारियों ने कोर्ट में शादी करके नोट की किल्लत के कारण शादी नहीं कर पा रहे लोगों के लिए एक मिशाल पेश की।

ई-वॉलेट का प्रचलन बढ़ा

नोटबंदी के बाद सब्जी, दूध, ब्रेड से लेकर मोबाइल रिचार्ज, लोकल किराने की दुकान से सामान कैसे खरीदा जाए। उधारी भी चले तो कितने दिनों तक। फिर दुकानदारों ने ई-वॉलेट के रूप में पेटीएम, फ्री रिचार्ज, मोबीक्विक आदि का इस्तेमाल करना शुरू किया। अब लोगों की परेशानी आसान हो गई। पेट्रोल आदि पर तो प्लास्टिक मनी पहले से चल ही रहा था, लोग इस्तेमाल नहीं करते थे। सुदूर देहातों में भी ई-वॉलेट का प्रचलन बढ़ा है।

प्लास्टिक मनी का प्रचलन बढ़ा

देश में लगभग 90 फीसदी लोगों के पास बैंक खाता है। ज्यादातर खाताधारकों के पास डेबिट और क्रेडिट कार्ड के रूप में प्लास्टिक मनी है। कार्ड का इस्तेमाल करने के लिए पीओएस मशीन जरूरत होती है। बैंक अपने स्तर से दुकानदारों को इस मशीन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ने भी बैंकों को दस लाख पीओएस मशीनें लगाने का अलग से लक्ष्य दिया है। जैसे-जैसे प्रचलन बढ़ेगा, जीवन सुलभ हो जाएगा।

सौ फीसद डिजिटल हुए कई गांव

गुजरात का अकोदरा गांव भले ही दो साल पहले डिजिटल गांव बन गया लेकिन नोटबंदी के बाद लोगों का ध्यान इस ओर गया। अब देशभर में कई गांव डिजिटल होने की ओर अग्रसर हैं। बैंक अपनी पसंद से गांव गोद ले रहा है और उसे डिजिटल बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।

भुगतान में बैंक, बीमा कंपनियों ने दी छूट

बैंकों ने लोन पेमेंट के लिए ईएमआई, बीमा प्रीमियम के लिए समय सीमा पर छूट दी है। सरकार ने भी लंबे समय तक नकदी की परेशानी को देखते हुए पार्किंग, देशभर में हाईवे टोल आदि फ्री किए। कई धार्मिक स्थलों पर जूता रखने के लिए एक-दो रुपए का शुल्क लिया जा रहा था। उसे 30 दिसंबर तक रोक दिया गया है।

ई-पेमेंट को किया अनिवार्य

नोटबंदी के बाद, भारत सरकार ने पांच हजार रुपए से अधिक की रकम की देनदारी को ई-पेमेंट के जरिए भुगतान को अनिवार्य कर दिया। इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों को डिजिटली लेन-देन के लिए ट्रेंड करने के लिए एक अभियान भी चलाया जा रहा है।

चलेगा डिजिटल साक्षरता अभियान

नोटबंदी के बाद कैशलेस सोसाइटी की ओर बढ़ने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने छात्रों से वॉलिंटियर बनकर वित्तीय लेन-देन के लिए डिजिटली साक्षरता अभियान में भाग लेने का आह्वान किया है। यह अभियान 12 दिसंबर, 2016 से 12 जनवरी 2017 तक चलने वाला है।

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