भारत ने 1947 में आजादी हासिल करने के बाद राजशाही को त्यागकर लोकशाही को अपनाया। लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके वारिसों ने लोकतंत्र को ढाल बनाकर राजशाही की स्थापना की। उनके राज में पत्रकारों को अनेक तरह की सुविधाएं दी गईं, ताकि वे राजा और उनके कार्यों का खूब बखान करें और उनकी गलतियों पर जनता को गुमराह करें। कुछ पत्रकारों ने कांग्रेस सरकार से मिली सुविधाओं की कीमत पर अपनी निष्ठा बेच दी और दरबारी पत्रकार बन गए। दरबारी पत्रकारोंं ने नेहरू-गांधी परिवार को इस तरह से पेश किया मानो वो ही इस देश का पालनहार है। नेहरू-गांधी परिवार का वारिस ही इस देश पर राज करने के लिए पैदा हुए हैं। लेकिन 2014 में केंद्र सरकार में बदलाव के साथ पत्रकारिता जगत में भी बदलाव आया। दरबारी पत्रकारों को सरकारी संरक्षण और सुविधाएं मिलाना बंद हो गया। इससे नाराज दरबारी पत्रकारों ने मोदी सरकार के खिलाफ एजेंडा चलाना शुरू किया। उन्होंने एक नया शब्द दिया ‘गोदी मीडिया’। जो मीडिया उनकी हां में हां नहीं मिलाती या उनका अनुसरण नहीं करती, उनसे विरोधी विचार रखती है तो उसे ‘गोदी मीडिया’ कहना शुरू किया। आज वहीं दरबारी पत्रकार राजा की शान में कसीदें पढ़कर नमक का हक अदा कर रहे हैं।
यह वही पत्रकारों का समूह है जो दूसरे पत्रकारों को गोदी मीडिया कहते है pic.twitter.com/GYqe1xuEJN
— Rishi Bagree (@rishibagree) October 3, 2022
दरअसल रविवार (2 अक्टूबर, 2022) को कर्नाटक के मैसूर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने बारिश के बीच जनसभा को संबोधित किया। राजा बारिश में भीगकर भाषण क्या दिया, मानो उसने 2024 की बड़ी जंग जीत ली हो। राजा का शौर्य देखकर वे काफी खुश नजर आ रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि राजा के साथ ही उनके भी सुनहरे और अच्छे दिन फिर लौटने वाले हैं। दरबारी पत्रकारों ने अपनी खुशी को जाहिर करने और अपनी निष्ठा जताने के लिए ट्विटर पर चोंच मारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनमें चोंच मारने की होड़ लग गई। देखते ही देखते चोंच मारने वाले दरबारी पत्रकारों की तादाद बढ़ती गई। बड़े और छोटे के साथ-साथ वरिष्ठ और कनिष्ठ ने अपनी-अपनी समझ के मुताबिक राजा का माहौल बनाने के लिए अपने पत्रकारिता अनुभव का पूरा लाभ उठाया। आलम ये था कि कोई पत्रकार शायर बन गया, तो कोई मौसम वैज्ञानिक। यहां तक कि मनोवैज्ञानिक बनकर जनता की मनोदशा को भी अभिव्यक्त करने लगा। कोई-कोई दरबारी पत्रकार तो गुणगान करने में कांग्रेस के प्रवक्ताओं को भी पीछे छोड़ दिया।
‘वर्षा शौर्य’ के बखान में शायर बने दरबारी पत्रकार
ये कच्चे मका है…बारिश का मिज़ाज जानते है !
तुम बैठो कमरे में…ये भीगने का मज़ा जानते है !! pic.twitter.com/UBLFrwvSCb— punya prasun bajpai (@ppbajpai) October 2, 2022
मौसम वैज्ञानिक बने दरबारी पत्रकार
बरसात , आँधी और गांधी !
कुछ साल पहले ऐसी ही एक तस्वीर शरद पवार की देखी थी। pic.twitter.com/9t5cJwGUuy
— Vinod Kapri (@vinodkapri) October 2, 2022
मनोवैज्ञानिक बने दरबारी पत्रकार
राहुल का बारिश वाला ये वीडियो वायरल है।
लोग लिख रहें हैं कि इस वीडियो में एक कहानी ये तो है ही कि राहुल गांधी बारिश में संबोधन करते रहे लेकिन बड़ी कहानी ये है कि बारिश में हज़ारों लोग राहुल को सुनते रहे। pic.twitter.com/9t5cJwXXwy
— Vinod Kapri (@vinodkapri) October 2, 2022
आँधी बारिश में भीगते @RahulGandhi का वीडियो क्यों हुआ वायरल! #BharatJodoYatra
Link- https://t.co/5pl0pxwWOP pic.twitter.com/IK141dzJ6I— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) October 3, 2022
दरबारी पत्रकारों ने कांग्रेस प्रवक्ताओं को पीछे छोड़ा
If visuals are to go by then this picture of @RahulGandhi trumps all the breathless ambulance PR… pic.twitter.com/ihzWQwyzCR
— Rohini Singh (@rohini_sgh) October 3, 2022
The Cong ‘election’ has been a bit of a dampener in Delhi but on ground in Karnataka @RahulGandhi is sure making a statement in the rain. Netas need to plug on, rain or sunshine. (Recall how Sharad Pawar speech in M’tra in pouring rain in 2019 became a talking point). pic.twitter.com/1JX5bntyCt
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) October 2, 2022
Recall a similar Sharad Pawar moment. But, certainly a charged @RahulGandhi & a receptive audience pic.twitter.com/dfNlX91RNJ
— Swati Chaturvedi (@bainjal) October 2, 2022
This man. This moment. https://t.co/ZG2jhSmX55
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) October 2, 2022
This pic will be remembered for long in Indian political landscape! pic.twitter.com/owhsM2Q23E
— Prashant Kumar (@scribe_prashant) October 2, 2022