जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकी घटनाओं में 50 प्रतिशत से ज्यादा कमी आई है वहीं पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग बंद हो चुकी हैं। पिछले साल वर्ष 2023 में रिकॉर्ड संख्या में 2 करोड़ 11 लाख पर्यटक कश्मीर घाटी पहुंचे। इतनी बड़ी संख्या में पर्यटकों का पहुंचना भी साबित करता है कि केंद्र शासित प्रदेश अब शांति की ओर लौट चला है। पर्यटन बढ़ने से लोगों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। इससे वहां के लोगों में समृद्धि भी आई है। लेकिन क्या संयोग है कि जब से कांग्रेस और इंडी अलायंस की कुछ सीटें बढ़ी हैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में भी वृद्धि देखने को मिल रही है। जम्मू-कश्मीर के डोडा में सोमवार रात आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में एक अफसर समेत चार सैनिक शहीद हो गए। पाकिस्तान तो इस ताक में रहता ही है कब उसे कश्मीर में आशांति फैलाने का मौका मिले। कश्मीर घाटी में सुरक्षा चौबंद होने से अब आतंकवादियों ने रणनीति बदल दी है और जम्मू के इलाके में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे समय में जब विपक्ष को जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए सरकार के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए सुरक्षाबलों का हौसला बुलंद करना चाहिए, लेकिन वे राजनीति पर उतर आए हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ट्वीट के माध्यम से न केवल सेना को भड़काने का काम किया बल्कि उनका मनोबल तोड़ने का भी काम किया है। यही नहीं उन्होंने जम्मू-कश्मीर की जनता के मन में हीनभावना भरने का काम भी किया है। राहुल गांधी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनका पूरा इकोसिस्टम एजेंडा आधारित फेक नैरेटिव फैलाने में जुटा गया।
सेना का मनोबल तोड़ना चाहते हैं राहुल गांधी
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा- ”लगातार हो रहे ये आतंकी हमले जम्मू कश्मीर की जर्जर स्थिति बयान कर रहे हैं। भाजपा की गलत नीतियों का खामियाज़ा हमारे जवान और उनके परिवार भुगत रहे हैं। हर देशभक्त भारतीय की यह मांग है कि सरकार बार-बार हो रही सुरक्षा चूकों की पूरी जवाबदेही लेकर देश और जवानों के गुनहगारों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे। दुख की इस घड़ी में पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से खड़ा है।” उनके इस ट्वीट से साफ होता है कि वे सेना को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं और मनोबल तोड़ना ही चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर जहां विकास के पथ पर अग्रसर है वहीं उन्होंने ”जम्मू-कश्मीर की जर्जर स्थिति” लिखकर वहां की जनता का ही अपमान किया है। राहुल गांधी को पता होना चाहिए कि वहां के लोग विकास को पसंद कर रहे हैं और रोजगार एवं स्वरोजगार की राह पर चल पड़े हैं।
आज जम्मू कश्मीर में फिर से एक आतंकी मुठभेड़ में हमारे जवान शहीद हो गए। शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक संतप्त परिजनों को गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
एक के बाद एक ऐसी भयानक घटनाएं बेहद दुखद और चिंताजनक है।
लगातार हो रहे ये आतंकी हमले जम्मू कश्मीर की जर्जर…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 16, 2024
प्रियंका गांधी वाड्रा ने सेना को भड़काने वाले ट्वीट किए
राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया- ”देश के राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका सिर्फ इतनी होनी चाहिए कि हर शहादत पर दुख जताकर मौन हो जाएं? ये हमले और हमारे सैनिकों की शहादतें रोकने के लिए सरकार कूटनीतिक-रणनीतिक मोर्चे पर क्या उपाय कर रही है? कभी नोटबंदी, कभी अनुच्छेद 370 के बहाने आतंकवाद को नेस्तनाबूद करने के फर्जी दावे की कीमत हमारे जवान अपनी जान देकर चुका रहे हैं। हम कब तक अपने शहीदों की लाशें गिनते रहेंगे?”
प्रियंका गांधी भी यह कहकर सेना को भड़काने का काम कर रही हैं कि हम कब तक अपने शहीदों की लाशें गिनते रहेंगे?
जम्मू-कश्मीर में 4 जवानों की शहादत पर पूरा देश दुखी है और एकजुटता से आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है। लेकिन लगातार बढ़ते आतंकवादी हमले गंभीर सवाल खड़े करते हैं। क्या देश के राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका सिर्फ इतनी होनी चाहिए कि हर शहादत पर दुख जताकर मौन हो जाएं?
पिछले 78 दिन में…
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 16, 2024
खड़गे ने जम्मू क्षेत्र के लोगों को भड़काने वाले ट्वीट किए
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया- ”मोदी सरकार ऐसे व्यवहार कर रही है मानो सब कुछ “सामान्य रूप से चल रहा है” और कुछ भी नहीं बदला है। उन्हें पता होना चाहिए कि जम्मू क्षेत्र तेजी से इन हमलों का खामियाजा भुगत रहा है। हम झूठी शेखी बघारने, फर्जी आख्यानों और लीपापोती में शामिल होकर अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में नहीं डाल सकते।”कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने जम्मू के लोगों को भड़काने का काम किया।
Deeply distressed by the martydom of 4 brave Army soldiers, including an officer, in a terror encounter in Jammu & Kashmir’s Doda.
Our heart goes out to the families of our bravehearts, who made the supreme sacrifice in the service of Bharat Mata.
Our thoughts and prayers are…
— Mallikarjun Kharge (@kharge) July 16, 2024
स्लीपर सेल कांग्रेस कार्यकाल के दौरान स्थापित किए गए
मल्लिकार्जुन खड़गे को जवाब देते हुए एक ट्विटर यूजर सुमित जोशी( @iSumitjoshi) ने लिखा- यह देखकर निराशा होती है कि आप हाल के आतंकी हमलों का राजनीतिकरण करने के अवसर के रूप में उपयोग कर रहे हैं। इस चुनौतीपूर्ण समय में देश को विपक्ष के समर्थन की जरूरत है, फिर भी एक बार फिर आपने एकता को बढ़ावा देने के बजाय राजनीति करना चुना है। हम समझते हैं कि आप सत्ता चाहते हैं, लेकिन आपको हर मुद्दे का राजनीतिकरण क्यों करना चाहिए? यह प्रमुख प्रश्न है जिसका हम समाधान चाहते हैं। हाल के आतंकवादी हमलों के संबंध में, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि सीमा पर कोई घुसपैठ नहीं हो रही है। ये हमले स्लीपर सेल द्वारा किए जा रहे हैं, जो हमारे शासन को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान की आईएसआई के लिए आखिरी उम्मीद हैं। शासन बदलने की उनकी इच्छा के पीछे का कारण मैं आपके विचार के लिए छोड़ रहा हूं। ये स्लीपर सेल आपके कार्यकाल के दौरान भारत में स्थापित किए गए थे और निष्क्रिय पड़े हुए हैं। अब जब आईएसआई पाकिस्तानी आतंकवादियों को भारत में भेजने में असमर्थ है, तो वह हमलों को अंजाम देने के लिए इन स्लीपर सेल को सक्रिय कर रही है। हालांकि मैं आपको पिछली सुरक्षा व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराऊंगा, मैं आपसे इस समय में भाजपा का समर्थन करने का आग्रह करता हूं। आपका समर्थन आतंकवाद के इस अंतिम चरण को खत्म करने के लिए नई रणनीति बनाने में उनका आत्मविश्वास बढ़ाएगा।
Dear @Kharge Ji,
It is disheartening to see that you appear to be using recent terror attacks as an opportunity to politicize the matter. During these challenging times, the country needs support from the opposition, yet once again, you have chosen to play politics instead of…
— Sumit Joshi (@iSumitjoshi) July 16, 2024
रक्षाकर्मियों की कीमत पर गंदी राजनीति
यह देखना वाकई दुखद और चौंकाने वाला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ लेने के दिन से ही ये सभी आतंकी हमले शुरू हो गए। क्या यह वर्तमान सरकार को कमज़ोर करने के लिए किसी साजिश के तहत किया जा रहा है? जाहिर है,भारतीय विपक्ष चुनाव में हार को पचा नहीं पा रहा है, इसलिए वे हमारे रक्षाकर्मियों की कीमत पर गंदी राजनीति करने पर उतर आए हैं। जम्मू के डोडा में चार जवान के शहीद होने पर कांग्रेस इकोसिस्टम फेक नैरेटिव फैलाने में जुट गए कि पीएम मोदी को देश की सुरक्षा की चिंता नहीं है, उन्हें विदेश यात्रा करने से फुर्सत नहीं है। एनडीए सरकार आतंकी हमले रोकने में नाकाम साबित हो रही है। ऐसे में कल्पना की जा सकती है कि सत्ता हासिल करने के लिए विपक्ष किस स्तर तक गिर सकता है।
जम्मू कश्मीर : डोडा में आतंकियों से मुठभेड़। भारतीय सेना के कैप्टन सहित 4 जवान शहीद हुए। घाटी में 78 दिन में 11 बड़े हमले हुए हैं।
• 78 दिन में 11 हमले हुए
• हमारे क़रीब 12 जवान शहीद हो गए
• PM मोदी को विदेश जाने से फ़ुरसत नहीं
• बची-खुची ऊर्जा राज्यों में होते बंटाधार को… pic.twitter.com/fpTftVJmHT— Rajni (@RajniRajni2210) July 16, 2024
अब कश्मीर घाटी के बजाय जम्मू रीजन आतंकियों के निशाने पर
जम्मू-कश्मीर में अचानक आतंकी गतिविधियां बढ़ गई हैं। अब आतंकियों ने कश्मीर घाटी के बजाय जम्मू रीजन को टारगेट किया है। राज्य में पिछले 78 दिनों में करीब 11 आतंकी हमले हुए। पिछले 35 दिन के दौरान सिर्फ डोडा इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच चार मुठभेड़ हो चुकी है। डोडा में सोमवार रात (15 जुलाई को) आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में एक अफसर समेत चार सैनिक शहीद हो गए। पिछले 8 जुलाई को भी कठुआ जिले के माचेडी इलाके में सेना के पांच जवान घात लगाकर किए गए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। इन दोनों हमलों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है। अभी तक हुए आतंकी हमलों में लोकल लोगों की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। कठुआ हमले में भी एक लोकल टूर गाइड ने मुखबिरी की थी, जिसका खमियाजा सेना को भुगतना पड़ा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने राज्य की पॉलिटिकल पार्टियों पर भी आतंकवाद को बढ़ाने का आरोप लगाया है।
जम्मू संभाग में 50 से ज्यादा आतंकवादी एक्टिव, 27 मारे गए
खुफिया रिपोर्ट में बताया गया है कि जम्मू संभाग में 50 से ज्यादा आतंकवादी एक्टिव हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारतीय सीमा पर अपने लॉन्च पैड को एक्टिव कर रखा है, जहां आतंकवादी घुसपैठ के लिए तैयार हैं। जम्मू के अलावा पंजाब के पठानकोट से भी लगातार घुसपैठ होने की सूचना मिल रही है। इसके खात्मे के लिए सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसओजी टीम ने सर्च ऑपरेशन चला रखा है। अभी तक 27 आतंकी मारे जा चुके हैं।
क्षेत्रीय पार्टियों ने वोट की राजनीति के लिए आतंकवाद को बढ़ावा दियाः DGP
इस बीच जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने कहा है कि जम्मू कश्मीर जब आतंकवाद की चपेट में था, तब पाकिस्तान ने नागरिक समाज के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं में घुसपैठ की थी। मुख्यधारा की पार्टियां राजनीतिक लाभ के लिए आतंकी नेटवर्क के नेताओं को पाल रही थीं। IIM जम्मू में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य की क्षेत्रीय पार्टियों ने वोट की राजनीति के लिए आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। स्थानीय नेताओं के लिए मारे गए आतंकवादियों के घरों का दौरा करना और खुलआम उनके प्रति सहानुभूति जताना एक आम बात हो गई थी। DGP ने कहा, “घाटी में तथाकथित मुख्यधारा या क्षेत्रीय राजनीति की बदौलत पाकिस्तान ने सिविल सोसायटी के सभी अहम पहलुओं में बहुत अच्छी तरह से घुसपैठ कर ली थी। उनके इस बयान से अब एक राजनीतिक बवाल मच गया है।
जम्मू कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियों ने राजनीतिक लाभ के लिए आतंकी नेटवर्क को दिया बढ़ावा: आरआर स्वैन, डीजीपी जम्मू कश्मीर
डीजीपी ने क्यों कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों के सहयोग से ही पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर समाज में सफलतापूर्वक घुसपैठ की है, जानिए इस वीडियो में pic.twitter.com/3sXbEog3fR
— The Pamphlet (@Pamphlet_in) July 16, 2024
DG के बयान से महबूबा मुफ्ती को लगी मिर्ची
पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन के बयान से महबूबा मुफ्ती को मिर्ची लग गई। महबूबा ने कहा कि देश भर से जवान अपनी ड्यूटी के लिए कश्मीर आते हैं, लेकिन ताबूतों में वापस जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार कहती है कि आतंकवाद खत्म हो रहा है तो जम्मू में ये सब क्या हो रहा है , इतने लोग क्यों मारे जा रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इसका नोटिस गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को लेना चाहिए. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर आर स्वैन पर निशाना साधते हुए मुफ्ती ने कहा कि जब से यह DG आए हैं तब से पिछले 32 महीनों में सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए हैं।
#WATCH | Srinagar, J&K: PDP Chief Mehbooba Mufti says, “Soldiers from all over the country come to Kashmir for their duty, but go back in coffins. Who is responsible for this if you say militancy has ended in the valley?… In the last 32 months, especially since this DGP has… pic.twitter.com/eQoaqkuzRH
— ANI (@ANI) July 16, 2024
शहीद होने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी
एक तरफ जवानों की शहादत पर विपक्षी पार्टियां नैरेटिव का खेल खेल रही हैं वहीं आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस सरकार की तुलना में मोदी सरकार में शहीद होने वाले जवानों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी आई है। 2004 से 2014 के बीच आतंकवाद की 7,217 घटनाएं हुईं,जबकि मोदी सरकार के 9 साल में 2197 आतंकी घटनाएं हुईं। वर्ष 2004 से 2014 तक कश्मीर में कुल 2829 सुरक्षाकर्मी और नागरिक मारे गए, जबकि 2014 से 2023 तक 891 सुरक्षा कर्मी और नागरिक मारे गए जो पहले की तुलना में 70 प्रतिशत कम है। शहीद होने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या में भी 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
2023 में पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुई
जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग बंद हो गई हैं। 2010 में पत्थरबाजी की 2656 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि अनुच्छेद 370 हटने के सिर्फ चार साल बाद 2023 में पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुईं। 2010 में पथराव से 112 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2023 में पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुई, इसलिए किसी की मृत्यु का सवाल ही नहीं है। 2010 में पत्थरबाजी के कारण घाटी के 6235 नागरिक जख्मी हुए थे, लेकिन 2023 में यह आंकड़ा शून्य है। पत्थरबाजी की घटनाएं इसलिए भी बंद हुई क्योंकि सरकार ने तय किया है कि अगर किसी अभ्यर्थी के परिवार में पत्थरबाजी का केस है तो उसे सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी।