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कांग्रेस का मुस्लिम प्रेम! पंजाब में मुख्तार अंसारी की आवभगत पर खर्च किए 55 लाख रुपये, 48 वारंट पर दी छूट

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कांग्रेस पार्टी ने अपने 60 साल के शासनकाल में मुस्लिम तुष्टिकरण का ऐसा बीज बोया जो अंततः देश की एकता को कमजोर करने वाला साबित हुआ। सही और गलत के फैसले से परे मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग मुस्लिम सुप्रामेसी की मानसिकता में जी रहा है। ‘मुस्लिम वर्चस्व’ वाली इसी मानसिकता की वजह से मुस्लिम अभिजात वर्ग भारत में ‘आक्रमणकारियों’ के शासन पर गर्व करने से नहीं कतराते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि भारत पर आक्रमण करने वाले, देश को लूटने वालों के प्रति हमारे मन में नफरत ही होना चाहिए। इन दिनों महिमामंडन का यही रवैया कुछ कुख्यात मुस्लिम माफिया को लेकर भी देखने को मिल रहा है। माफिया के प्रति हमारे मन में नफरत ही होना चाहिए लेकिन कुछ लोग उनका भी महिमामंडन कर रहे हैं जो कि सही नहीं है। इस मानसिकता को बढ़ावा देने में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी जिम्मेदार है। कांग्रेस का मुस्लिम माफिया से गठजोड़ रहा है। इसका एक उदाहरण इसी से समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी की आवभगत पर कांग्रेस सरकार ने पंजाब में 55 लाख रुपये खर्च कर दिए और 48 वारंट पर भी पेशी से उसे छूट दे दी।

कांग्रेस ने मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल में दिया वीआईपी ट्रीटमेंट, 55 लाख खर्च किए

पंजाब सरकार ने जांच में पाया गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्व सरकार ने यूपी के गैंगस्टर-राजनीतिज्ञ मुख्तार अंसारी को बचाने पर 55 लाख रुपये खर्च किए थे। गैंगस्टर से नेता बने यूपी के मुख्तार अंसारी को पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा पंजाब की रोपड़ जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट द‍िया गया था। इस मामले को लेकर जांच की जा रही थी। जांच से पता चला है कि कांग्रेस सरकार ने प्रति सुनवाई 11 लाख रुपये खर्च करके और वकील की फीस पर कुल 55 लाख रुपये खर्च करके अंसारी का केस लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील को लगाया था। जांच में कहा गया है कि जिस दिन सुनवाई नहीं हुई उस दिन वकील ने कथित तौर पर 5 लाख रुपये देना तय क‍िया था।

यूपी पुलिस की कार्रवाई से बचाने के लिए पंजाब की जेल में रखा गया

गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को सिर्फ यूपी पुलिस की कार्रवाई से बचाने के लिए एक संदिग्‍ध प्राथमिकी के आधार पर जेल में रखा गया था। उत्तर प्रदेश सरकार को अंसारी की हिरासत हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। मुख्तार अंसारी को दो साल तीन महीने रूपनगर जेल में रखा गया था। गैंगस्टर की हिरासत अप्रैल 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दी गई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और पंजाब सरकार को उसे यूपी पुलिस को सौंपने का निर्देश दिया था।

कांग्रेस के मंत्रियों के वसूले जाएंगे 55 लाख रुपये

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कांग्रेस सरकार में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को जेल में आवभगत दिए जाने वालों पर शिकंजा कसने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के अपराधी को पंजाब की जेल में शरण दी गई। 48 बार वारंट जारी होने के बाद भी उसे पेश नहीं किया गया। इतना ही नहीं मुख्तार अंसारी पर उस समय 55 लाख रुपये भी खर्च किए गए। अब आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार ने तत्कालीन मंत्रियों से वसूली करने की तैयारी की है। उन्होंने कहा कि जिन मंत्रियों के आदेश पर जनता की कमाई के 55 लाख खर्च किए गए हैं, अब उन्हें मंत्रियों से इसकी वसूली की जाएगी।

जेल में मुख्तार अंसारी को दिया गया VIP ट्रीटमेंट

यूपी में बीजेपी की योगी सरकार आने के बाद मुख्तार अंसारी को एनकाउंटर का डर था। इसलिए उसने पंजाब जेल में खुद को सुरक्षित माना। आरोप है कि यहां कांग्रेस सरकार की मिलीभगत से मुख्तार अंसारी को जेल के अंदर सारी सुविधाएं दी गईं। भगवंत मान सरकार की मानें तो कांग्रेस सरकार ने मुख्तार का केस लड़ने के लिए वकील हायर किया। सुप्रीम कोर्ट के वकील ने हर सुनवाई के दौरान 11 लाख रुपये फीस ली।

बैरक में मुख्तार की पत्नी बिताती थी घंटों

पंजाब सरकार का दावा है कि मुख्तार अंसारी को रोपड़ की जेल में रखा गया। उसे जिस बैरक में रखा गया था, वहां पर 25 कैदियों के रहने की क्षमता था लेकिन उसे अकेला ही रखा गया। आरोप है कि माफिया को बैरक में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया। आरोप है कि यहां मुख्तार की पत्नी भी आती थी और वह बैरक में कई घंटे मुख्तार अंसारी के साथ बिताती थी।

आवभगत में लगाए गए थे 10 IPS अफसर

मान सरकार ने दावा किया है कि 10 आईपीएस अफसरों को मुख्तार अंसारी की आवभगत में लगाया गया था। मुख्तार को 24 जनवरी 2019 को रोपड़ जेल लाया गया था। यूपी सरकार ने उसे वापस लाने के लिए कई प्रयास किए लेकिन पंजाब सरकार ने मुख्तार को नहीं पेश किया। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पिछले साल अप्रैल में मुख्तार को यूपी लाया गया। अभी वह बांदा की जेल में बंद है।

फंस सकते हैं तत्कालीन जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा

सुखजिंदर रंधावा तत्कालीन जेल मंत्री थे। उनके और मुख्तार के बीच संबंधों को लेकर कई बार मामला उठा। वह यूपी की यात्रा पर थे तो लखनऊ के ताज होटल में रुके थे। वह पूरा समय मुख्तार अंसारी की कार में ही घूमे थे। इसका वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद कांग्रेस सरकार की फजीहत हुई थी।

कांग्रेस पार्टी ने अपराधियों, आतंकियों और देश विरोधी ताकतों को किस तरह पोषित किया, इस पर एक नजर-

कांग्रेस का अपराधियों, आतंकियों और देश विरोधी ताकतों से गठजोड़

कांग्रेस पार्टी अपराधियों, आतंकियों और देश विरोधी ताकतों को अपना रहनुमा मानते हैं। उनके अतीत पर नजर डालते हैं तो ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं, जब कांग्रेस नेताओं ने गांधी जी के आदर्शों की तिलांजलि देकर अहिंसा की जगह हिंसा का सहारा लिया। साथ ही गांधी जी की जगह अपराधियों और आतंकियों को अपना आदर्श माना। उनके प्रति हमदर्दी दिखाई। इसमें कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी जैसे भी शामिल हैं, जो माफिया अतीक अहमद को बाप का दर्जा देकर उन्हें अपना संरक्षक और मार्गदर्शक मानते थे। उनके सम्मान में महफिलों में कसीदे पढ़ते रहते थे।

“बड़े भाई कहूं या बाप… जनाब अतीक साहब”

कांग्रेस ने माफिया अतीक अहमद की सरपरस्ती में राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ने वाले इमरान प्रतापगढ़ी को अपना राज्यसभा सांसद बनाया। अब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अपना स्टार प्रचारक बनाया है। ये वही इमरान प्रतापगढ़ी हैं जिन्होंने कभी अतीक अहमद की शान में कसीदे पढ़े थे। एक सभा में अतीक अहमद की मौजूदगी में वह कहते नजर आए, “बड़े भाई कहूं या बाप… जनाब अतीक साहब, जिनकी दुआएं बहुत ताकत देती रही हैं हमेशा से। मैं हिन्दुस्तान के किसी भी शहर में खड़ा होकर के जालिम हुकूमतों के खिलाफ आवाज बुलंद करता था तो एक अहसास रहता था कि इलाहाबाद में बैठा हुआ एक शख्स हैं, जो कुछ भी गड़बड़ होगा तो संभाल लेगा। ये जो अहसास है, वो बहुत बड़ा है। मैं उन्हें सलाम करता हूं।” इससे कांग्रेस के चरित्र को समझा जा सकता है वह किस तरह की मानसिकता को बढ़ावा देती रही है।

“याद रख लेना तुम सदियों तलक कोई अतीक अहमद नहीं होगा”

कांग्रेस कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इमरान प्रतापगढ़ी को स्टार प्रचारक बनाकर उसकी जहरीली शायरी से मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि हिन्दुओं के प्रति इमरान प्रतापगढ़ी की नफरत और अतीक अहमद की हत्या के बाद पैदा हुई मुसलमानों की सहानुभूति का लाभ उठाया जा सकता है। वहीं अतीक अहमद को लेकर इमरान प्रतापगढ़ी के मन में जो भाव और प्रेम है, उसका असर मुस्लिम मतदाताओं पर भी हो सकता है। प्रतापगढ़ी कई मौकों पर अपने अतीक प्रेम को व्यक्त कर चुके हैं। एक कार्यक्रम में शायरी करते हुए इमरान प्रतापगढ़ी ने यहां तक कह दिया था कि शायर का दावा है। तेरे कद के बराबर किसी का कद नहीं होगा। बात मेरी याद रख लेना तुम, सदियों तलक कोई अतीक अहमद नहीं होगा।

‘मुस्लिम सिर झुकाने वाली नहीं, बल्कि सिर काटने वाली कौम है’

इमरान प्रतापगढ़ी का अतीक प्रेम अब कांग्रेस के लिए गले की फांस बनते जा रहा है। उनकी पुरानी जहरीली शायरी कर्नाटक की जनता भी सुनेगी और उसे पता चलेगा कि कांग्रेस के जो नेता उनके सामने पार्टी को जिताने की अपील करते नजर आ रहा हैं, वो जीत के बाद किस तरह अतीक और अशरफ जैसे अपराधियों और माफियाओं को बढ़ावा देगा और उनका महिमामंडन करेगा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार की शुरुआत करते ही इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने अंदर छिपे अतीक का क्रूर चेहरा दिखा दिया। प्रतापगढ़ी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि, ‘मुस्लिम सिर झुकाने वाली नहीं, बल्कि सिर काटने वाली कौम है।’

“अगर मरना ही पड़े तो 4-6 को मार कर मरना”

सोशल मीडिया में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को यह कहते सुना जा सकता है कि देश में डर का माहौल बनाया जा रहा है। सड़क पर चलने वाला कोई भी व्यक्ति पकड़ा जाता है और मार दिया जाता है। खौफ पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इमरान प्रतापगढ़ी आगे एक संगीतमय लहजे में कहते हैं कि ये मेरे जज्बे है और वो शायरी में मुसलमानों को भड़काते हुए नजर आते हैं। वो कहते हैं, “ना बुज़दिल की तरह तुम ज़िंदगी से हार कर मरना, ईमान वालों जुल्म को ललकार कर मरना, कभी जब भेड़ियों का झुंड तुमको घेर ही ले तो, अगर मरना ही पड़े तो 4-6 को मार कर मरना।”

ब्लास्ट के आरोपी को आतंकवादी कहने पर भड़क गए कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष

कांग्रेस अपने राजनीति लाभ के लिए अपराध और आतंकवाद को भी धर्म के चश्मे से देखती रही है। इस क्रम में वह कभी आतंकियों की फांसी का विरोध करती है तो कभी अपराधियों और पत्थरबाजों का समर्थन करती है। अलगाववादियों और सिमी जैसे संगठनों से रिश्ते में गुरेज नहीं करती है। कांग्रेस को ISIS जैसा खूंखार आतंकवादी संगठन भी भाने लगता है। यहां तक कि कांग्रेस आतंकियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े करने और पाकिस्तान का बचाव करने से पीछे नहीं रहती है। कांग्रेस भारत में आतंकवाद की जड़ें मजबूत करने में लगी है। कांग्रेस के नेता आतंकियों का हमदर्द बनकर उनके आतंकी करतूतों पर पर्दा डालने और उनका बचाव करने में लगे रहते हैं। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ब्लास्ट के आरोपी को आतंकवादी कहे जाने पर भड़क गए। उन्होंने कहा कि मोहम्मद शरीक को बिना जांच के ही आतंकी करार दिया गया। सरकार बिना जांच के ऐसा कैसे कह सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले महीने मंगलुरु में ऑटोरिक्शा में हुआ कुकर बम विस्फोट एक ‘गलती’ भी हो सकती है।

आतंकी का बचाव, सरकार और पुलिस पर सवाल

डीके शिवकुमार ने विस्फोट के आरोपी के बचाव करते हुए कर्नाटक पुलिस और सरकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि बोम्मई सरकार इतनी छोटी सी घटना को आतंकी साजिश करार दिया। सवाल करते हुए डीके शिवकुमार ने कहा कि ‘कौन आतंकवादी है? DGP को कैसे पता चला कि वो आतंकवादी है? बिना जांच के उन्होंने कैसे फैसला कर लिया? उन्होंने क्या जांच की, उन्होंने इतनी जल्दबाजी क्यों की?’ उन्होंने पूछा कि क्या ये मुंबई जैसा अटैक था, पुलवामा जैसा था? वहां ऐसा कुछ नहीं था। अगर यह एक आतंकी हमला था, तो उन्होंने मामले को तुरंत राष्ट्रीय जांच एजेंसी को क्यों नहीं भेजा। बीजेपी सरकार को जनता में दहशत पैदा कर मुख्य मुद्दों से भटकाने की आदत हो गई है।

मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए बेतुका दलील

कांग्रेस नेता ने तर्क दिया कि बम विस्फोट को एक अलग रोशनी में पेश किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि हो सकता है किसी साथी ने गलती की हो। लेकिन इसे अलग तरह से पेश किया जा रहा है। डीके शिवकुमार ने विस्फोट को अलग दिशा देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पुलिस और सरकार द्वारा बनाई गई घबराहट के कारण कोई भी निवेशक मंगलुरु और उडुपी क्षेत्र में निवेश करने में रुचि नहीं रखता है। यह राज्य के विकास के लिए खतरे का संकेत है। इस दलील से पता चलता है कि कांग्रेस नेता को राज्य में जड़े जमा रहे आतंकियों और भविष्य में विस्फोट से जान-माल के होने वाले नुकसान की चिंता नहीं है। दरअसल डीके शिवकुमार को राज्य की छवि की आड़ में मुस्लिम वोटबैंक की चिंता सता रही है।

अल्पसंख्यक वोट के लिए आतंकवाद पर डाला पर्दा

कांग्रेस के इस बयान पर बीजेपी ने भी पटलवार किया। बीजेपी ने उनके इस बयान को राजनीति से प्रेरित बताया। कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि डीके शिवकुमार का यह बयान आलोचना के योग्य है। वह आगामी विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वोट हासिल करने के लिए ऐसी राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान आतंकवाद दीपावली पर पटाखों की तरह फैलाया जाता था।

कर्नाटक के डीजीपी ने विस्फोट को बताया आतंकी साजिश

कर्नाटक के मंगलुरु में 19 नवंबर 2022 को एक ऑटोरिक्शा में कुकर बम विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में आरोपी खुद घायल हो गया था और बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पुलिस ने घायल 29 वर्षीय आरोपी शरीक को गिरफ्तार किया था। ऑटो में सवार यात्री शरीक के पास से बैटरी, तार और सर्किट वाला कुकर बरामद हुए थे। तब कर्नाटक के डीजीपी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा था कि मंगलुरु में ऑटो में जो विस्फोट हुआ है वो दुर्घटनावश नहीं हुआ है बल्कि गंभीर क्षति पहुंचाने के इरादे से की गई एक आतंकी घटना है। इस घटना ने तब और ज्यादा सुर्खियां पकड़ीं जब मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपने हाथ ले ली।

बालाकोट एयर स्ट्राइल पर सवाल, पाकिस्तान का बचाव

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने कहा कि पुलवामा हमले के लिए पूरे पाकिस्तान को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। बालाकोट एयर स्ट्राइल पर सवाल उठाते हुए इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा ने कहा कि हमले के लिए पूरा पाकिस्तान जिम्मेदार नहीं है। सैम पित्रोदा ने पुलवामा हमले के बारे में कहा, “हमले के बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं जानता। यह हर तरह के हमले की तरह है। मुंबई में भी ऐसा हुआ था। हमने इस बार रिएक्ट किया और कुछ जहाज भेज दिए, लेकिन यह सही तरीका नहीं है। मुंबई में (26/11 आतंकी हमला) 8 लोग आते हैं और हमला कर देते हैं। इसके लिए पूरे देश (पाकिस्तान) पर आरोप नहीं लगा सकते है।”

राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर खड़े किए सवाल

28-29 सितंबर, 2016 की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक देश के लिए गौरव का विषय था, लेकिन देशद्रोह पर उतर आई कांग्रेसी नेताओं ने इस पर भी सवाल खड़े कर दिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सवाल खड़े करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर ‘खून की दलाली’ करने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि हमारे जिन जवानों ने जम्मू-कश्मीर में अपनी जान दी, सर्जिकल स्ट्राइक की। आप उनके खून की दलाली कर रहे हो, ये बिल्कुल गलत है।

बेरोजगारी के कारण ISIS जैसे संगठन का जन्म- राहुल

जर्मनी के हैम्बर्ग में राहुल गांधी ने यह बयान दिया था कि बेरोजगारी के कारण ISIS जैसे संगठन का जन्म होता है। यानि वे एक तरह से ISIS जैसे संगठन के अस्तित्व को भी जायज ठहरा रहे थे। सवाल उठता है नफरत की बुनियाद और नस्लों के नरसंहार की नीति पर खड़ी होने वाले ISIS को लेकर राहुल गांधी इतने सॉफ्ट क्यों हैं? सवाल यह भी कि क्या कांग्रेस का ISIS जैसे संगठनों से कोई रिश्ता है? दरअसल वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने हमेशा ही ऐसी ही अराजकता को हमेशा बढ़ावा दिया है। आजादी के बाद से ULFA, UNLF, सिमी और JKLF जैसे आतंकवादी और अलगाववादी संगठनों के आगे बढ़ने में कांग्रेस की बड़ी भूमिका रही है।

लश्कर-ए-तैयबा का कांग्रेस कनेक्शन

लश्कर के प्रवक्ता ने कांग्रेस पार्टी के उस बयान का समर्थन किया था, जिसमें पार्टी ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। लश्कर के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने प्रेस रीलीज कर कहा था, ”भारतीय सेना कश्मीर में मासूम लोगों को मार रही है और गुलाम नबी आजाद ने भी इस बात को स्वीकार किया है। कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया है, हम कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते हैं कि भारतीय सेना अपने ऑपरेशन कश्मीर में बंद करे।”

जाकिर नाइक से कांग्रेस को ‘मोहब्बत’

इस्लामी कट्टरपंथी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक से कांग्रेसी नेताओं के ताल्लुकात रहे हैं। जाकिर नाइक ने कई देशविरोधी कार्य किए, कई देशविरोधी भाषण दिए, लेकिन कांग्रेसी सरकारें उस पर कार्रवाई से कतराती रही। एक बार दिग्विजय सिंह ने जाकिर नाइक को ‘मैसेंजर ऑफ पीस’ बताया था। वाकया साल 2012 का है, जब एक इवेंट के दौरान उन्होंने नाइक के साथ मंच साझा किया था। जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउडेंशन ने 2011 में राजीव गांधी चैरिटेबुल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये चंदे के रूप में दिया था।

आतंकी इशरत जहां पर कांग्रेस ने की राजनीति

अहमदाबाद में 15 जून 2004 को एक मुठभेड़ में आतंकी इशरत जहां और उसके तीन साथी जावेद शेख, अमजद अली और जीशान जौहर मारे गए थे। गुजरात पुलिस के मुताबिक उनके निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे, लेकिन केंद्र की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को इसमें भी सियासत दिखी। सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी। लेकिन गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने कांग्रेस की साजिशों की परतें खोल दीं। उन्होंने साफ कहा कि इशरत और उसके साथियों को आतंकी ना बताने का उन पर दबाव डाला गया था।

इससे पहले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और कुछ दिनों के लिए इशरत जहां एनकाउंटर पर बनी एसआइटी की टीम मुखिया सत्यपाल सिंह ने भी कहा था कि उन्हें इशरत जहां के एनकाउंटर झूठा साबित करने के लिए ही एसआइटी की कमान सौंपी गई थी। इतना ही नहीं उन्हें इस एनकाउंटर के तार नरेन्द्र मोदी तक पहुंचने को कहा गया था।

खालिस्तान समर्थकों का हौसला कांग्रेस ने बढ़ाया

आतंकवादी भिंडरावाले ने कांग्रेसी सिख नेताओं, खास तौर से ज्ञानी जैल सिंह की शह पर स्वर्णमन्दिर परिसर में स्थित अकाल तख्त पर कब्जा कर लिया था और वहां सैकड़ों हथियारबन्द आतंकियों ने अपना अड्डा बना लिया था। यह 1982-83 का समय था, जब पंजाब में कांग्रेस के दरबारा सिंह की ही सरकार थी। बात जब देश के टुकड़े करने तक बढ़ गई तो ऑपरेशन ब्लू स्टार करना पड़ा, जिसमें 492 आतंकवादी ढेर किए गए थे, जबकि देश के 83 सैनिक भी शहीद कर दिए गए थे।

पत्थरबाजों का समर्थन करती है कांग्रेस

जब सेना के मेजर गोगोई ने 2017 में पत्थरबाज को जीप पर बांधकर सेना के कश्मीर की आम जनता के साथ ही दर्जनों जवानों की जान बचाई तो कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति की। सेना के मेजर गोगोई ने कहा कि लाउड स्पीकर पर एलान करने के बावजूद जब भीड़ ने उनकी बात नहीं सुनी तो उन्हें उस स्थानीय शख्स को जीप पर बांधने का ख्याल आया। ऐसा करते ही पत्थरबाजी रुक गई और उन्हें सभी पोलिंग अफसरों और सुरक्षाकर्मियों को वहां से निकलने का मौका मिला। गोगोई ने कहा कि उनका यह कदम सिर्फ स्थानीय लोगों की जान बचाने के लिए था। मौके पर 1200 से ज्यादा लोगों की भीड़ थी, जो उनकी बात नहीं सुन रही थी। अगर वह फायरिंग का आदेश देते तो कम से कम 12 लोग मारे जाते। कांग्रेस ने इस पर राजनीति की और मेजर के उठाए गए कदम का विरोध किया था।

आतंकी बुरहान वानी के साथ खड़ी होती है कांग्रेस

जिस आतंकी बुरहान वानी को भारतीय सेना ने एनकाउंटर कर ढेर कर दिया उसे कांग्रेस पार्टी जिंदा रखने की बात कहती है। कश्मीर में पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।

अफजल-याकूब का समर्थन करती है कांग्रेस

संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से दिया गया। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने अफजल गुरु को अफजल गुरुजी कहकर पुकारा था। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर भी आपत्ति जताई थी। काग्रेस नेताओं के समर्थन पर ही प्रशांत भूषण ने रात में भी सुप्रीम कोर्ट खुलवा दिया था।

कश्मीर के अलगावादियों से कांग्रेस के हैं रिश्ते

कश्मीर में लगातार बिगड़ते माहौल के पीछे काफी हद तक अलगाववादी नेताओं का ही हाथ है। अलगाववादी नेताओं को लगातार उनके पाकिस्तानी आकाओं से मदद मिलती है और वह यहां कश्मीरी लड़कों को भड़काते हैं। NIA की की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से लेकर 2011 के बीच अलगाववादियों को ISI की ओर से लगातार मदद मिल रही थी। 2011 में NIA की दायर चार्जशीट के अनुसार हिज्बुल के फंड मैनेजर इस्लाबाद निवासी मोहम्मद मकबूल पंडित लगातार अलगाववादियों को पैसा पहुंचा रहा था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई कठोर निर्णय नहीं लिया था।

आतंकवादियों के लिए सोनिया गांधी के निकले आंसू

सितंबर 19, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में मुठभेड़ हुई। इंडियन मुजाहिदीन के दो आतंकवादी मारे गए। दो अन्य भाग गए, जबकि जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए। हालांकि कांग्रेस ने इसे फर्जी बताने की पूरी कोशिश की। 2012 में यूपी चुनाव के दौरान सलमान खुर्शीद ने मुसलमानों से कहा, “आपके दर्द से वाकिफ हूं। जब बाटला हाउस कांड की तस्वीर सोनिया गांधी को दिखाई थी। तस्वीरें देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।”

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