कांग्रेस पार्टी का सिर्फ और सिर्फ एक ही एजेंडा है मुस्लिम तुष्टिकरण। आजादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी यही करती आई है और इसी फार्मूले के जरिए सत्ता हथियाती रही है। जाहिर है कि कांग्रेस पार्टी सत्ता से ज्यादा दिनों तक दूर रह नहीं सकती है। जब भी कांग्रेस सत्ता से बाहर होती है इसके नेता समाज में जहर घोलते हैं, समाज को बांटते हैं, दंगे करवाते हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। अब मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में कांग्रेस पार्टी इतना गिर गई है कि उसके नेता शशि थरूर ने कहा है कि अगर 2019 में भाजपा जीतती है और भाजपा दोबारा सरकार में आती है तो देश ‘हिंदू पाकिस्तान’ बन जाएगा।
कांग्रेस की मुस्लिमों में डर पैदा करने की साजिश
कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने सिर्फ भाजपा के जीतने पर हिंदू पाकिस्तान बनाए जाने का ही डर पैदा नहीं किया बल्कि कहा, “भाजपा एक नया संविधान लिखेगी जो भारत को पाकिस्तान जैसे राष्ट्र में बदलने का रास्ता साफ करेगा। जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन किया जाएगा, उनका कोई सम्मान नहीं होगा।” उन्होंने कहा कि भाजपा दोबारा लोकसभा चुनाव जीतती है तो देश का लोकतांत्रिक संविधान खत्म हो जाएगा। भाजपा द्वारा लिखा गया नया संविधान पूरी तरह से हिंदू राष्ट्र के सिद्धांतों पर आधारित होगा, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों को पूरी तरह से खत्म कर देगा और राष्ट्र को ‘हिंदू पाकिस्तान’ बना देगा। शशि थरूर के इस बयान का सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हुआ है।
MR Sashi Tharoor says India will become “Hindu-Pakistan” if BJP returns to power in 2019!
Shameless @INCIndia doesn’t lose any opportunity to demean India & defame the Hindus!
From “Hindu terrorists” to “Hindu-Pakistan” the Pak appeasing policies of Cong are unparalleled!— Sambit Patra (@sambitswaraj) 11 July 2018
.@narendramodi और बीजेपी से नफरत करते-करते #Congress पार्टी लक्ष्मण रेखा लांघ गयी है, हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान के लोकतंत्र के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है : @sambitswaraj @BJP4India pic.twitter.com/yiARwRv31K
— ZEE HINDUSTAN (@Zee_Hindustan) 12 July 2018
Congress that has made false charges of Hindu and Saffron terror is now raising the false cry of India becoming Hindu Pakistan. Tries to turn Hindus into terrorists and separatists while excusing the real terrorism and separatism of Jihadis and Naxalites. #HinduPakistanComment
— Dr David Frawley (@davidfrawleyved) 11 July 2018
These guys love the existing Pakistan so much. Want Aman Ki Asha and all. But get their panties in twist imagining a fictional Hindu Pakistan. So “Hindu” adjective is what makes them hate something they love. One should be thankful that they’re openly accepting their Hinduphobia. https://t.co/LjZayM52Vv
— Rahul Roushan (@rahulroushan) 11 July 2018
Leadng “intellectual” of @INCIndia #Farrago #IPL Tharoor is only continuing @RahulGandhi ‘s shameless n unforgivble traditn n tactic of scaremongering minorities with his “Hindu Pakistan” – shameless stuff frm a party bereft of anything but lies, corruptn n religious divisns ! ?
— Rajeev Chandrasekhar (@rajeev_mp) 12 July 2018
कांग्रेस की नीति है मुस्लिमों को जोड़ो, हिंदुओ को तोड़ो
कांग्रेस पार्टी बांटो और राज करो की नीति से भी आगे हिंदुओं को तोड़ो और मुस्लिमों को जोड़ो की रणनीति पर काम कर रही है। कांग्रेस पार्टी मुस्लिमों के वोट को अपनी बपौती समझती है और जब भी उसे लगता है कि मुस्लिम वोट छिटकने की आशंका है तो वो उन्हें एकजुट करने और रिझाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाती है। कांग्रेस पार्टी सिर्फ मुसलमानों को जोड़ने की ही कोशिश नहीं करती है बल्कि इससे भी आगे हिंदुओं को तोड़ने की साजिश भी करती है। कांग्रेस को पता है कि यदि हिंदू एकजुट रहे तो उसकी दाल नहीं गलेगी। इसलिए उसका जोर हिंदुओं को जाति के आधार पर बांटने पर रहता है। कांग्रेस नेता शशि थरूर का बयान इसी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस 2019 के पहले मुसलमानों में बीजेपी का भय दिखा कर एक जुट करने की कोशिश में लगी है।
मुस्लिम बुद्धिजीवियों से गुपचुप मिले राहुल गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी रणनीति को परवान चढ़ाने के लिए सुनियोजित तरीके से काम कर रहे हैं। 11 जुलाई को राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से गुपचुप मुलाकात की थी। अब सवाल यह उठता है कि राहुल ने गुपचुप मुलाकात क्यों की? मिलना ही था तो सबके सामने ठोक बजा कर मिलने में क्या दिक्कत? दलअसल राहुल गांधी को हिंदुओं को जनेऊ के नाम पर और मंदिरों में दर्शन कर गुमराह करते रहना चाहते हैं। दूसरी तरफ मुसलमानों से मुलाकात कर यह दिखाना चाहते हैं कि वे उनके सबसे बड़ा शुभचिंतक हैं। हिंदू कहीं राहुल की इस मुलाकात से नाराज नहीं हो जाएं, इसीलिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों से गुपचुप मुलाकात की। हैरत की बात ये है कि बीते दिनों उन्होंने दलित और ओबीसी समाज के लोगों से खुलेआम मुलाकात की थी। जाहिर है उनका मकसद मुसलमानों का एकमुश्त वोट पाना है और हिंदुओं को झांसे में रखना है कि वे उनके साथ हैं।
राहुल का ‘जनेऊ’ दिखावा, दिल में हैं ‘मुस्लिम’
”राहुल गांधी सिर्फ हिंदू ही नहीं जनेऊधारी हिंदू हैं।” 29 नवंबर, 2017 को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने देश को यह बताने की कोशिश की थी कि राहुल गांधी ‘धर्म’ से हिंदू हैं। हालांकि सच्चाई इसके इतर है क्योंकि वे बदलती राजनीति का चेहरा हैं, गुजरात में जहां जनेऊधारी हिंदू थे तो यूपी-बिहार में मौलाना बन जाते हैं। राहुल गांधी जनेऊ पहनते हैं तो उसे सबको दिखाते हैं, जबकि मुस्लिमों से चुपके-चुपके मिल रहे हैं। बीते दिनों उन्होंने इफ्तार पार्टी में Skull Cap भी पहनी थी। पिछले लोकसभा चुनाव में भी जामा मस्जिद के शाही इमाम से सोनिया गांधी ने मुलाकात की थी। पिछले लोकसभा चुनाव में भी जामा मस्जिद के शाही इमाम से सोनिया गांधी ने छिपकर मुलाकात की थी। दरअसल एंटनी कमेटी ने 2014 में रिपोर्ट दी थी कि मुस्लिम परस्ती के कारण कांग्रेस हिंदुओं के दिल से उतर गई है। जाहिर है इसके बाद से राहुल गांधी ने दिखावे के लिए हिंदू बनना शुरू कर दिया और मुस्लिमों से छिपकर मिलते रहे, यही सब आज भी कर रहे हैं।
कांग्रेस ने किया देशभर में शरियत कोर्ट का समर्थन
मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस पार्टी कुछ भी कर गुजरने को तैयार है इसका एक उदाहरण दो दिन पहले देखने को मिला जब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के हर जिले में शरियत कोर्ट स्थापित करने के फैसले का कांग्रेस ने समर्थन किया। जाहिर है AIMPLB का यह फैसला भारतीय संविधान के विरोध में है और देश की न्याय व्यवस्था के खिलाफ है। कांग्रेस पार्टी AIMPLB के इस फैसले का समर्थन करने में सबसे पहले सामने आई। कर्नाटक सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री जमीर अहमद ने देशभर में शरियत अदालत स्थापित करने के मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले का समर्थन किया है। खबरों के मुताबिक कर्नाटक सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जमीर अहमद से स्पष्ट कहा है कि समानांतर शरियत अदालतों से मुस्लिमों को पारिवारिक विवाद निपटाने में सहूलित होगी। जाहिर है कि भारतीय न्याय व्यवस्था और संविधान को चुनौती देने वाले इस फैसले के साथ कांग्रेस पार्टी खड़ी है। अभी तक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की इस मुद्दे पर चुप्पी से साफ है कि वो भी इस मामले में अपने मंत्री के साथ खड़े हैं।
मुस्लिम बच्चियों के खतने पर भी कांग्रेस का समर्थन
मुस्लिम वोट बैंक के लिए कांग्रेस पार्टी लगातार कट्टरपंथ का साथ दे रही है। कांग्रेस हमेशा से तीन तलाक, बहुविवाह जैसी कुप्रथाओं के साथ खड़ी रही है। अब कांग्रेस ने मुस्लिम बच्चियों के खतने जैसी क्रूर प्रथा का भी समर्थन किया है। दरअसल मुसलिम समाज में मजहब के नाम पर खतना जैसी अमानवीय कुरीति को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा कि आखिर किसी के शरीर के साथ हिंसक छेड़छाड़ क्यों होनी चाहिए? मजहब के नाम पर रिवाज के तहत किसी के जननांग को छूने की इजाजत कैसे दी जा सकती है? कोर्ट के इन सवालों का जवाब दाउदी बोहरा के धर्मगुरु की तरफ से कांग्रेस के सांसद व वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दिया है। सिंघवी ने कोर्ट से कहा है कि इस्लाम में खतना एक जरूरी रिवाज है। इस्लामिक दुनिया में हर पुरुष खतना कराते हैं, ऐसे में मुस्लिम महिलाओं के लिए खतना प्रतिबंधित क्यों? सिंघवी ने इस्लाम का खास रिवाज बताते हुए मुस्लिम महिला के खतना को वाजिब बताया है।
तीन तलाक के समर्थन में है कांग्रेस पार्टी
एक तरफ मोदी सरकार मुस्लिम समाज का महिलाओं को सदियों पुरानी तीन तलाक जैसी कुप्रथा से मुक्ति दिलाना चाहती है, वहीं कांग्रेस पार्टी इसकी राह में रोड़े अटका रही है। सुप्रीम कोर्ट में जब तीन तलाक के मुद्दे पर बहस चल रही थी तब कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने मुल्ले-मौलवियों द्वारा औरतों के शोषण का हथियार बन चुके तीन तलाक के पक्ष में दलील दी थीं। मोदी सरकार इसको लेकर एक बिल लाई है, इस बिल को लोकसभा में पास भी कराया जा चुका है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के विरोध के चलते तीन तलाक से जुड़ा ये बिल राज्यसभा में अटका है। जाहिर है कि अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बज जैसे कांग्रेसी सांसद और वकील जब सुप्रीम कोर्ट में ऐसे मध्ययुगीन और बर्बरतापूर्ण इस्लामी रिवाजों का समर्थन करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस पार्टी मुस्लिम तुष्टिकरण और वोट बैंक के लालच में मुसलमानों के कट्टर सोच के साथ खड़ी है। कांग्रेस पार्टी को सिर्फ अपने वोट बैंक से मतलब है और इसके लिए भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने से भी उसे कोई गुरेज नहीं है।
आगे आपको बताते हैं कांग्रेस पार्टी की उन करतूतों को, जिनसे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस देश में मुस्लिम कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रही है। कांग्रेस को सिर्फ सत्ता हालिस करना है, इसके लिए चाहे देश के टुकड़े ही क्यों नहीं जाएं। डालते हैं एक नजर-
एक और भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार कर रही कांग्रेस!
सालों साल तक सत्ता पर काबिज रहने की कवायद में वंशवाद, भाषावाद, प्रांतवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद की आग में देश को जलाने का काम कांग्रेस पार्टी करती रही है। समाज में विभाजन और बंटवारे की राजनीति के आसरे कांग्रेस तो बढ़ती रही, लेकिन देशहित को बहुत नुकसान पहुंचा है। बीते 70 सालों में जिस तरह से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की गई है उससे अब देश के एक और विभाजन की तस्वीर दिखने लगी है। हाल में कुछ ऐसे वाकये सामने आए हैं जिसमें मुसलमान समुदाय देशहित का विरोध करने से भी गुरेज नहीं कर रहा है। हैरत की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी नाजायज मांगों पर भी अपना समर्थन देती जा रही है। आइये एक नजर डालते हैं कुछ ऐसे ही वाकयों पर-
जिन्ना का महिमामंडन कर रही कांग्रेस
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर पर विवाद हो रहा है, लेकिन कांग्रेस चुप है। दरअसल देश के बंटवारे का गुनहगार जिन्ना की तस्वीर लगाए जाने को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उचित ठहरा रहा है। ऐसे में कांग्रेस की चुप्पी का सबब सहज ही समझा जा सकता है। लेकिन कांग्रेस की ये चुप्पी उस कुत्सित सोच को समर्थन है जो देश के दुश्मन का महिमामंडन करने की सिर्फ इसलिए इजाजत देता है, क्योंकि वह एक मुस्लिम है। जाहिर है यह सोच देश की एकता-अखंडता के लिए बेहद खतरनाक साबित होने वाली है।
खुले में नमाज पर कांग्रेस की सियासत
देश के अधिकतर इलाकों में खुले में नमाज पढ़ने के मामलों के कारण अक्सर तनाव की स्थिति पैदा होती रही है। यह ऐसी समस्या है जो विकराल रूप धारण करती जा रही है। कई बार तो सड़कों पर आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है और आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। हाल में जब हरियाणा में इसको लेकर विरोध किया गया तो कांग्रेस ने इसपर सियासत शुरू कर दी। कांग्रेस नेता प्रदीप जेलदार ने कुछ पत्रकारों के साथ मिलकर इसे मुद्दा बना दिया। जबकि यह मुद्दा बांग्लादेशी घुसपैठियों से भी जुड़ता है, लेकिन कांग्रेस ने वोट बैंक की खातिर देशहित को भी दरकिनार कर दिया।
मुसलमानों को एक होने का कांग्रेसी मंत्र
”मुस्लिम समाज कांग्रेस को वोट दे और अगर वे उसे वोट देंगे तो इस्लाम उन पर प्रसन्न होगा।” वरिष्ठ कांग्रेसी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यही बात कहते हुए मुसलमानों से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट देने की अपील की। उन्होंने कहा, “भाजपा को किसी भी हाल में कर्नाटक की सत्ता में नहीं आने देना चाहिए। मुसलमानों को बड़ी तादाद में एकजुट होकर कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करना चाहिए।” जाहिर है आजाद का यह बयान सीधे तौर पर मुस्लिम मतदाताओं की गोलबंदी का प्रयास भर ही नहीं, बल्कि विभाजन की राजनीति का बीज है।
असम में अवैध घुसपैठियों पर राजनीति
1972 में कांग्रेस सरकार को असम से अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड को अलग करना पड़ा। इसके बाद कांग्रेस की सत्तापरस्ती के कारण असम और त्रिपुरा में बंगाली शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी। 1961 में ही यह संख्या छह लाख के ऊपर थी, आज यह बढ़कर ढाई करोड़ हो गई है। उस दौर में नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस की केंद्र सरकार ने जबरन बंगाली शरणार्थियों को समाहित करने का दबाव डाला तो तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलई ने इसका विरोध किया, लेकिन जवाहर लाल हरू ने विकास मद के दिये जाने वाले केंद्रीय अनुदान में भारी कटौती की धमकी दी। परिणास्वरूप राज्य सरकार को घुटने टेकने पड़े। आज यही आबादी अब देश से अलग होने की मांग कर रही है, लेकिन कांग्रेस अब भी बांग्लादेशी घुसपैठ को धर्म के आधार पर जोड़कर देखती है और अपनी राजनीति का आधार तैयार करती है।
‘आजादी गैंग’ को राहुल गांधी का समर्थन
जेएनयू में छात्रों के एक वर्ग ने 9 फरवरी, 2016 को देशविरोधी नारेबाजी की थी। जेएनयू छात्र संघ के नेताओं की मौजूदगी में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ और ‘कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा’ जैसी भड़काऊ नारेबाजी की थी। इन नारों को सुनने के बाद सारा देश स्तब्ध था, सरकार राष्ट्रद्रोहियों पर कार्रवाई में जुटी थी, लेकिन कांग्रेस भारत विरोधियों के समर्थन में कूद पड़ी थी। तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने तब जेएनयू पहुंचकर कहा था- “केंद्र सरकार छात्रों की आवाज नहीं सुन रही है। जो लोग छात्रों की आवाज दबा रहे हैं, वह सबसे बड़े राष्ट्र विरोधी हैं। राहुल गांधी ने भले ही अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान वह देश में एक और विभाजन की लकीर जरूर खींच गए।
आपको आगे बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी किस तरह राष्ट्रविरोधी ताकतों का साथ देती रही है।
पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ की भाषा बोल रही कांग्रेस
क्या कांग्रेस पार्टी आतंकवादियों के इशारे पर काम करती है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कांग्रेस और पाकिस्तान का आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा एक ही भाषा बोल रहे हैं। इसका सबूत एक बार फिर सामने आया है। लश्कर के प्रवक्ता ने कांग्रेस पार्टी के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें पार्टी ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। लश्कर के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने प्रेस रीलीज कर कहा, ”भारतीय सेना कश्मीर में मासूम लोगों को मार रही है और गुलाम नबी आजाद ने भी इस बात को स्वीकार किया है। कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया है, हम कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते हैं कि भारतीय सेना अपने ऑपरेशन कश्मीर में बंद करे।”
अब तो कांग्रेस के नेता सैफुद्दीन सोज ने इस बीच कश्मीर की आजादी की मांग को जायज ठहरा दिया है। दरअसल गुलाम नबी आजाद हों या सैफुद्दीन सोज, ये सभी चुनावों की आहट सुनकर अपनी देशद्रोही सोच के साथ सामने आ जाते हैं। जाहिर है कांग्रेसियों के संस्कार और नीति कश्मीर के मामले में हमेशा भारत विरोधी रही है। जाहिर है कश्मीर समस्या के मूल में सिर्फ कांग्रेस की कारस्तानियां ही हैं।
गुलाम नबी आजाद के बयान से कांग्रेस की नीयत पर उठे सवाल
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘’जम्मू-कश्मीर में सेना का निशाना आतंकवादियों पर नहीं, आम नागरिकों पर ज्यादा होता है।‘’ जाहिर है कांग्रेस ने संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार आयोग के मुस्लिम उच्चायुक्त जेन बिन राद अल-हुसैन की उस रिपोर्ट को ताकत देने की कोशिश की है जिसमें भारत पर ह्यूमेन राइट्स के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। सूत्रों की मानें तो यह बयान राहुल गांधी के इशारे पर दिया गया है क्योंकि पार्टी ने इस मामले पर अपनी सफाई भी पेश नहीं की है।
सैफुद्दीन सोज ने फिर सुलगाई कश्मीर में ‘आजादी’ की आग
कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा, ‘’कश्मीरी पाकिस्तान के साथ जुड़ना नहीं चाहते, उनकी पहली इच्छा आजादी है।‘’ सोज का यह बयान कांग्रेस की उसी सोच को जाहिर करता है इन्हें न कश्मीर से मतलब है और न ही भारत देश से। मतलब है तो सिर्फ अपनी मुस्लिम परस्त राजनीति चमकाने से। अब जब लश्कर-ए-तैयबा से कांग्रेस का कनेक्शन सामने आ रहा है इससे सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस देश की राजनीतिक पार्टी है या पाकिस्तान परस्त आतंकवादी संगठन?
आतंकवादियों के विरुद्ध सेना की सख्ती का विरोधी है कांग्रेस
कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद से ही भारतीय सेना आतंकियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन शुरू कर चुकी है। इसी के तहत एनएसजी कमांडो भी कश्मीर पहुंच चुके हैं। आइएस और जैश के सात से अधिक आतंकी ढेर किए जा चुके हैं। साफ है सेना पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों के सफाये के प्लान पर आगे बढ़ रही है। ऐसे में सेना के विरोध में कांग्रेस पार्टी और लश्कर का एक सुर में बोलना कई सवाल खड़े कर रहा है।
कश्मीर घाटी से हिंदुओं के सफाए की गुनहगार है कांग्रेस
1990 में हिंदुओं के नरसंहार के बाद कांग्रेस की शह ने कट्टरपंथियों का हौसला बढ़ा दिया। गौरतलब है कि 1990 में कश्मीर में अलगाववादी मुसलमानों ने हजारों कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया था। हिंदू औरतों के साथ बलात्कार किया गया था। चार लाख कश्मीरी पंडित अब भी विस्थापन की जिंदगी जी रहे हैं। धर्मनिरपेक्ष भारत के एक हिस्से में धर्म को लेकर ही अधर्म का नंगा नाच हो रहा था, लेकिन कांग्रेस की सरकार उस समय तमाशा देख रही थी।