सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आंदोलनकारी किसानों से बात करने और उनके मुद्दों को निपटाने के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी की घोषणा की। इस कमेटी में भूपेंद्र सिंह मान (प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन), डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (इंटरनेशनल पॉलिसी हेड), अशोक गुलाटी (एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट) और अनिल धनवत (शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र) शामिल हैं। लेकिन इस कमेटी पर सवाल उठाकर कांग्रेस खुद अपने ही जाल में उलझ गई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने फिर अपने दोगले चरित्र का परिचय दिया है, क्योंकि जिस कमेटी को कांग्रेस प्रो-गवर्नमेंट बात रही है, उसमें भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मान भी शामिल है। खास बात ये है कि भूपेंद्र सिंह मान खुले तौर पर कांग्रेस का समर्थक माने जाते हैं। यहां तक कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के घोषणापत्र की तुलना कर कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही थी। उन्होंने माना कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में एपीएमसी एक्ट(APMC) को रद्द करने का वादा कर किसान हित को ध्यान में रखा है।
Please see the live telecast of S. Bhupinder Singh Mann Ex MP, National President of BKU, Chairman of All India Kisan Coordination Committee. BKU decides to support @INCIndia
After evaluating the Manifesto of #BJPSankalpPatr2019, INC https://t.co/dvtOFfkuyY— Bhartiya Kisan Union (@BKU_KisanUnion) April 15, 2019
इतना ही नहीं भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुनील जाखड़ को समर्थन किया था। उन्होंने कांग्रेस के समर्थन में तमाम रैलियां और कार्यक्रम भी किए थे।
BKU supports Congress candidates in Punjab. Meeting was organized under leadership of S. Bhupinder Singh Mann Ex MP, National President of BKU, Chairman of All India Kisan Coordination Committee, S. Baldev S Mianpur President BKU Punjab at Batala in support of Sh. Sunil Jakhar ji pic.twitter.com/gna1FDovJF
— Bhartiya Kisan Union (@BKU_KisanUnion) May 11, 2019
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा-पत्र में कांग्रेस ने किसानों से वादा किया था कि एपीएमसी एक्ट(APMC) को रद्द किया जाएगा और किसानों की उपज की खरीद के लिए अतिरिक्त सेट-अप भी तैयार किया जाएगा, जैसा कि नए कानून में प्रस्तावित है। घोषणा पत्र के पेज नंबर 17 के प्वॉइंट नंबर 11 में एपीएमसी एक्ट का जिक्र किया गया है। इसमें साफ-साफ लिखा था, “ कांग्रेस एपीएमसी (एग्री प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी) को निरस्त कर देगी और कृषि उत्पादों के व्यापार की व्यवस्था करेगी… जिसमें निर्यात और अंतर-राज्य व्यापार भी शामिल होगा, जो सभी प्रतिबंधों से मुक्त होगा।” उनका यह घोषणा पत्र अब भी उनकी वेबसाइट पर देख सकते हैं।
घोषणा पत्र के पेज नंबर 18 के प्वॉइंट नंबर 21 में कांग्रेस ने वादा किया था कि वह आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म कर उसकी जगह ईसीए 1955 के नाम से नया कानून लेकर आएगी। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने जून 2020 में आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act amended) में ऐतिहासिक संशोधन को मंजूरी दे दी। इसके बाद इसे संसद से पारित करवाया। हालांकि ये अलग बात है कि कांग्रेस अब केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कानून से अलग स्टैंड पर है।
जनता और किसानों के साथ वादाखिलाफी करना कांग्रेस की परंपरा रही है। कांग्रेस ने हमेशा वादा कर किसानों के साथ धोखा किया है। जब मोदी सरकार ने कांग्रेस के वादे की तरह नए कृषि कानूनों में प्रावधान किया है, तो कांग्रेस आज सियासी फायदे के लिए अपने ही वादे से पल्ला झाड़ते हुए किसानों को गुमराह कर रही है। कांग्रेस किसानों को ढाल बना रही है और उन्हें कड़ाके की ठंड में भी मरने के लिए सड़कों पर बैठा रखी है, ताकि किसानों की मौत पर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा सके। कांग्रेस को कमेटी से भी परेशानी हो रही है, क्योंकि उसकी दिलचस्पी समस्या के समाधान में नहीं है, बल्कि किसानों को भड़काकर किसान आंदोलन जारी रखना है, ताकि किसानों की आड़ में मोदी सरकार पर हमला कर सके।