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देश में हिन्दुओं का सम्मान नहीं करती है कांग्रेस

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आजादी के बाद से कांग्रेस पार्टी ने सबसे लंबे समय तक देश पर शासन किया और धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देकर हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। स्वतंत्रता मिलने के समय ही देश को दो भागों में बांटने का काम सिर्फ कांग्रेस ने इसलिए किया, क्योंकि उसे जल्द से जल्द सत्ता पर काबिज होना था। आजादी के बाद से ही कांग्रेस ने मुसलमानों में असुरक्षा की भावना को दूर करने के लिए, हिन्दुओं की उपेक्षा करने की नीति को अपनाया। कांग्रेस की इस नीति का परिणाम यह हुआ कि इस देश में दंगे, धर्मान्तरण, हिन्दुओं का जातियों में बंटावारा हुआ और योग व संस्कृत भाषा की उपेक्षा हुई।

कांग्रेसी शासन में मुसलमानों का तुष्टिकरण -कांग्रेस पार्टी ने बहुसंख्यक हिन्दू समाज के प्रभुत्व को हावी होने से रोकने के लिए, संशोधन करके संविधान के उद्देश्य को धर्मनिरपेक्ष भी बना दिया, जबकि संविधान सभा में लंबी बहस के बाद भी धर्मनिरपेक्षता के उद्देश्य को संविधान में शामिल नहीं किया गया था। कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्षता को संविधान में सिर्फ और सिर्फ हिन्दुओं के प्रभाव को रोकने के लिए शामिल किया। कांग्रेस पार्टी ने अपने कदम यहीं नहीं रोके, उसने मुसलमानों के निकाह और सामाजिक कानून में बदलाव करने के लिए कभी कोई कदम नहीं उठाया बल्कि जब सर्वोच्च न्यायलय ने शाहबानो मामले में इस्लामी कानून को बदलने की कोशिश की तो राजीव गांधी की कांग्रेसी सरकार ने संविधान में ही संशोधन करके इसे भी रोक दिया। इसके विपरीत, कांग्रेस हिन्दुओं के तमाम वैवाहिक और सामाजिक कानून में लगातार बदलाव करने से पीछे नहीं रही। कांग्रेस ने हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक कई मंदिरों का प्रबंधन भी सरकार के अधीन कर दिया, जबकि मुसलमानों के मजहबी स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त रखा। मुसलमानों को हर हाल में खुश रख कर चुनाव जीतने का लालच, हिन्दुओं को नियंत्रित करने के हथकंडे में बदलता गया।

हिन्दू परंपराओं और प्रतीकों के प्रति दुराग्रह-कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं की उपेक्षा करने का ऐसा कार्ड खेला कि इस देश की उत्कृष्ट परंपराओं और विचारों को दकियानूसी और पिछड़ा करार देने के लिए वामपंथियों के साथ मिलकर कुचक्र रचा। पिछले 65 सालों में कांग्रेस का योग और संस्कृत भाषा के प्रति जो दुराग्रह रहा, उसका परिणाम हुआ कि ये विलुप्त होने के कगार पर आ गईं। आज भी जब हर वर्ष 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है तो कांग्रेस इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मजाक उड़ाती है और इससे जुड़े कार्यक्रमों से दूर रहती है। कांग्रेस पार्टी इफ्तार की दवातें देने के लिए तत्पर रहती है, लेकिन हिन्दुओं के त्योहारों को मनाने में उतना ही पीछे रहती है।

हिन्दुओं को हर हालात के लिए दोषी मानना-इस देश का बहुसंख्यक हिन्दू यदि यह मानता है कि उसके लिए गंगा और गाय, मां के समान पूजनीय हैं तो कांग्रेस पार्टी इस विचार का मजाक बनाती है। कांग्रेस कभी यह कहने का साहस नहीं करती कि देश में रहने वाले सभी अत्पसंख्यकों को बहुसंख्यक समाज की धर्मिक भावनाओं का उतना ही सम्मान करना चाहिए जितना अल्पसंख्यक समाज के धार्मिक प्रतीकों का बहुसंख्सयक समाज करता है। कांग्रेस हिन्दू देवी -देवताओं के पर किए गए मजाक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता करार देती है, वहीं अल्पसंख्यकों के धार्मिक प्रतीकों के साथ किए गए मजाक को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला समझती है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2011 में सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम (न्याय एवं क्षतिपूर्ति) विधेयक का खाका तैयार कर हिन्दुओं को पूरी तरह से कुलचने का मन बना लिया था। इस विधेयक में यह मान लिया गया था कि हिंदू बहुसंख्यक ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा करते हैं और इसके लिए कड़े प्रावधान बनाए गए। इस विधेयक में मुसलमानों के खिलाफ बोलना, लिखना उनका किसी भी तरह से विरोध करना अपराध बना दिया गया था।

हिन्दुओं को जातियों और उपजातियों में बांटने का खेल– देश के हर धर्म के लोग विभिन्न जातियों और उपजातियों का समुच्चय है, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने हिन्दू समाज की एकता को छिन्न भिन्न करने के लिए जातियों और उपजातियों में बांटकर राजनीति करने की रणनीति बनाई। कांग्रेस पार्टी ने कभी भी अन्य धर्मों को जातियों और उपजातियों में बांटकर कभी कोई रणनीति नहीं बनाई। कांग्रेस पार्टी ने अंग्रेजों की तरह से हिन्दुओं में फूट डालने और मुसलमानों को काल्पनिक भय से सुरक्षित रखने के नाम पर अपने साथ रखने की रणनीति बनाकर सत्ता में बने रहने का काम किया। आज भी राहुल गांधी की कांग्रेस हर चुनाव में जातियों और उपजातियों में कलह को बढ़ावा देकर चुनाव जीतने का प्रयास करती है।

मॉब लिंचिंग पर हिन्दुओं को ही दोषी मानना- देश में दंगों की आग पर राजनीतिक चमकाने वाली कांग्रेस आज मॉब लिंचिंग पर राजनीतिक रोटी सेंक रही है। दंगों के लिए कोई एक वर्ग या सम्प्रदाय दोषी नहीं होता है, उसी तरह मॉब लिंचिंग किसी एक वर्ग या धर्म से जुड़ा हुआ मसला नहीं है। मॉब लिंचिंग मुसलमान और हिन्दू दोनों ही करते हैं। यह एक कानून व्यवस्था का मसला है, लेकिन कांग्रेस इसे हिन्दू धर्म से जोड़ कर हिन्दुओं को दोषी बताने का ढिंढोरा पीट रही है ताकि मुसलमानों के काल्पनिक भय को सुरक्षा देने के नाम पर चुनावों में वोट बटोरा जा सके। कांग्रेस पार्टी की यह बहुत ही घिनौनी राजनीतिक चाल है। कांग्रेस के तमाम नेता और कांग्रेसी पत्रकारों देश को Hatestan, Lynchstan कह कर हिन्दुओं और मुसलमानों को लड़ाने का काम कर रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी के इतिहास पर नजर डालने से यह साफ समझ में आता है कि कांग्रेस मुसलमानों को भय का हौवा दिखाने के लिए दंगों और मॉब लिंचिंग जैसी कानून व्यवस्था की घटनाओं का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए हिन्दुओं को लगातार दोषी बनाती रहती है। कांग्रेस पार्टी के इस खतरनाक खेल को समझना होगा, जो वह इस देश में लगातार खेलते आ रही है।

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