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कांग्रेस को अपने ही कैंडीडेट पर भरोसा नहीं, राहुल और गहलोत में मंथन, मतगणना से पहले ही राजस्थान में एक बार फिर बाड़ाबंदी की तैयारी

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कांग्रेस पर जनता विश्वास करे ना करे, लेकिन यह तय है कि कांग्रेस को अपने ही उम्मीदवारों पर विश्वास नहीं है। तभी तो अभी पांच राज्यों में चुनाव परिणाम आने में एक सप्ताह बाकी है, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवारों की बाड़ेबंदी की कवायद शुरू हो गई है। राजस्थान पांच राज्यों के चुनावों के बाद एक बार फिर से कांग्रेसियों की सियासी बाड़ाबंदी का गवाह बन सकता है। खासकर पंजाब में सिद्धू की नाराजगी और त्रिशंकु सरकार की संभावना है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) के प्रवक्ता प्रितपाल सिंह बलियेवाल के उस बयान ने सियासी माहौल को गरमा दिया है, जिसमें उन्होंने पूछा है कि कांग्रेस के कैंडिडेट परिवार समेत राजस्थान में क्यों हैं? 

कांग्रेस को अभी से अपने जीतने वाले उम्मीदवारों के टूटने का खतरा
पांच राज्यों में चुनाव के बाद मतगणना 10 मार्च को होनी है। जैसे-जैसे यह तारीख नजदीक आती जा रही है, पंजाब के राजनीतिक दल, खासकर कांग्रेस अपने जीतने वाले उम्मीदवारों को लेकर अलर्ट हो गए हैं। क्योंकि इस बात की संभावना है कि पंजाब में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। इसी घबराहट के बीच ऐसी खबरें आ रही हैं कि हर कांग्रेस अपने जीतने वाले उम्मीदवारों के टूटने के डर से उनके लिए महफूज स्थान तलाश रही है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि कांग्रेस ने अपने संभावित जीतने वाले उम्मीदवारों को पार्टी शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ले जाने की योजना बनाई है।

दिल्ली में राहुल-प्रियंका ने सीएम गहलोत के साथ किया मंथन
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले दिनों दिल्ली दौरे पर थे। इस दौरान उनकी प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी से हुई मुलाकात के बाद इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि कांग्रेस अपने प्रत्याशियों को दूसरे दलों में जाने से बचाने के लिये एक बार फिर से राजस्थान उनकी बाड़ाबंदी कर सकती है। राजस्थान में कांग्रेस इस तरह की बाड़ाबंदी पहले भी कर चुकी है। कांग्रेस हाईकमान को लगता है कि राजस्थान में बाड़ाबंदी करके जीतने वाले उम्मीदवारों को अपने पाले में ही बनाए रखा जा सकता है।

गुजरात, महाराष्ट्र और असम चुनाव के समय भी हो चुकी है बाड़ाबंदी
बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस को इस तरह की बाड़ेबंदी की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? क्या उसे अपने नेताओं या विधायकों पर ही विश्वास नहीं है ?क्या उसे लगता है कि कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिह्न पर जीतने वाले उसको धोखा दे सकते हैं ? राजस्थान में इससे पहले भी कई बार कांग्रेस विधायकों की बाड़ेबंदी की जा चुकी है। महाराष्ट्र का सियासी संकट हो या गुजरात में राज्यसभा चुनाव या फिर असम के विधानसभा चुनाव। कांग्रेस के विधायकों और प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी राजस्थान में ही की गई थी। अब एक बार फिर से राजस्थान सियासी बाड़े बंदी का गवाह है बनने को तैयार है।

क्या कांग्रेस को अपने नेताओं या विधायकों पर ही विश्वास नहीं है ?
कांग्रेस की अभी केवल तीन ही राज्यों में सरकारें हैं। इनमें से पंजाब में तो चुनाव ही है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान की तुलना की जाए तो राजस्थान कई मायनों में उसके लिए सुरक्षित और मुफीद है। राजस्थान दिल्ली के निकट है और हाईकमान सीधे संपर्क में रह सकता है। सीएम गहलोत खुद पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत  के दौरान विधायकों की लंबी बाड़ेबंदी कर चुके हैं।

कांग्रेस के कैंडीडेट राजस्थान और आप के दार्जिलिंग सैर पर क्यों?
पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस के प्रवक्ता प्रितपाल सिंह बलियेवाल ने पूछा है कि कांग्रेस के कैंडिडेट परिवार समेत राजस्थान में क्या कर रहे हैं ? क्या विधानसभा चुनाव में डाले गए मतों की गणना से पहले ही कांग्रेस बचाव की मुद्रा में आ गई है ? प्रितपाल सिंह बलियेवाल ने यह भी कहा है कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भी दार्जिलिंग की सैर पर हैं।

 

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