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जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए बड़ा अवसर, बढ़ेगा इंडिया का कद, बनेगा गरीब और विकासशील देशों की आवाज

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भारत ने औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता संभाल ली है। लेकिन जी-20 की अध्यक्षता ऐसे वक्त में संभाली है, जब दुनिया जबरदस्त संकट से गुजर रही है। अब मोदी सरकार के सामने वैश्विक संकट के साथ, सदस्य देशों के बीच समन्वय बनाने और जी-20 के सम्मेलन को सफल बाने की चुनौती है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर का मानना है कि जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए और हर भारतवासी के लिए बड़ा अवसर लेकर आयी है। इसकी अध्यक्षता से जहां वैश्विक मंच पर भारत का कद बढ़ेगा, वहीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका लाभ भी मिलेगा। भारत विकासशील और गरीब देशों की आवाज बनकर उभरेगा। वैश्विक मंच भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाने की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 

वैश्विक चुनौतियों का समाधान मिलकर निकालने की कोशिश

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी। इसलिए हमारी थीम – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है। ये सिर्फ एक नारा नहीं है। ये मानवीय परिस्थितियों में उन हालिया बदलावों को ध्यान में रखता है, जिनकी सराहना करने में हम सामूहिक रूप से विफल रहे हैं। आज हमारे पास दुनिया के सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन करने के साधन हैं। आज हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी जिन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान आपस में लड़कर नहीं बल्कि मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है।

भारत-विकासशील देशों के बीच अनुभव का आदान-प्रदान

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज, भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे प्रतिभाशाली युवाओं की रचनात्मक प्रतिभा का पोषण करते हुए, हमारा नागरिक-केंद्रित शासन मॉडल एकदम हाशिए पर पड़े नागरिकों का भी ख्याल रखता है। जी-20 अध्यक्षता के दौरान, हम भारत के अनुभव, ज्ञान और प्रारूप को दूसरों के लिए, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए एक संभावित टेम्प्लेट के रूप में प्रस्तुत करेंगे।

वैश्विक आपूर्ति को गैर-राजनीतिक बनाने में मिलेगी मदद 

प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक जी-20 सद्भाव को बढ़ावा देने के साथ ही खाद्य, उर्वरक और चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को गैर-राजनीतिक बनाने में मददगार साबित हो सकता है। जैसा हमारे अपने परिवारों में होता है, जिनकी जरूरतें सबसे ज्यादा होती हैं, हमें उनकी चिंता सबसे पहले करनी चाहिए। वैश्विक सुरक्षा बढ़ाने पर सर्वाधिक शक्तिशाली देशों के बीच एक ईमानदार बातचीत को प्रोत्साहन प्रदान किया जा सकता है।

‘ग्लोबल साउथ देशों’ की आवाज बनने का मौका

सुषमा स्वराज भवन में आयोजित यूनिवर्सिटी कनेक्ट कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता यह अवसर देती है कि हम अपनी कहानी दूसरों के साथ बांटें। उन्होंने कहा कि अच्छे कारणों की वजह से दुनिया आज भारत में जबरदस्त रुचि दिखा रही है। उन्होंने कहा कि यही वक्त है जब हम ‘ग्लोबल साउथ देशों’ की आवाज बन सकते हैं। यह उपलब्धि महज एक कूटनीतिक घटना नहीं है, बल्कि यह वैश्विक चुनौतियों के बीच एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, जिसे भारत ने लिया है।

विकासशील देशों को भारत की अध्यक्षता से बहुत उम्मीदें  

जी-20 के लिए भारत के मुख्य समन्वयक वरिष्ठ राजनयिक हर्षवर्धन शृंगला ने कहा कि कोविड महामारी के प्रतिकूल प्रभावों और यूक्रेन युद्ध परिणामों को महसूस करने वाले विकासशील देशों को भारत की अध्यक्षता से बहुत उम्मीदें हैं। उन्हें लगता है कि युद्ध के चलते खाद्य वस्तुओं और ऊर्जा आयात की बढ़ती लागत से उनकी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को भारत की अध्यक्षता में आवाज मिलेगी। उनकी परेशानियां सुनी जाएंगी।

वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भारत के मानव संसाधन होंगे महत्वपूर्ण

विदेश मंत्री एस जयशंकर के मुताबिक दशक के अंत तक भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश होगा। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वर्चस्व वाली दुनिया में 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए हमारे मानव संसाधन महत्वपूर्ण होंगे। वहीं देश के 75 विश्वविद्यालयों के युवाओं को सम्मेलन का हिस्सा बनाने की योजना है। एक विचार यह है कि भारत के प्रतिष्ठित स्मारकों में G20 लोगो के साथ सेल्फी प्रतियोगिता आयोजित की जाए और इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रखा जाए। 

जी-20 के जरिए ब्रांड इंडिया को किया जाएगा प्रमोट 

जी-20 के आयोजन के जरिए ब्रांड इंडिया को प्रमोट किया जाएगा। जिस भी शहर में बैठकें होंगी वहां के पर्यटन स्थलों को भी दिखाया जाएगा। बैठके जम्मू-कश्मीर लद्दाख से लेकर कोहिमा तक आयोजिक की जाएंगी। प्रधानमंत्री मोदी के सभी जिलों और ब्लॉक को जी-20 से जोड़ने के विजन के अनुरूप, देश के दूर-दराज के हिस्सों में बैठकें आयोजित की जा रही हैं, ताकि जनभागीदारी – या लोगों की भागीदारी – पहल के माध्यम से संदेश जनता तक पहुंचे।

जी-20 सम्मेलन के दौरान ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ को बढ़ावा

जी-20 सम्मेलन के दौरान ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ को प्रमोट करने के लिए योजना बनाई गई है। जी-20 प्रतिनिधियों को स्थानीय उत्पादों के साथ उपहार दिया जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि उन विशेष क्षेत्रों और जिलों में प्रसिद्ध उत्पादों को उन जी-20 बैठकों के दौरान बढ़ावा मिलेगा। योजनाओं में क्विज़ प्रतियोगिताओं और वार्ताओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जी-20 शिखर सम्मेलन और इसके विषयों से संबंधित प्रतियोगिताओं जैसे आयोजनों के माध्यम से युवाओं को शामिल करना शामिल है।  

75 वर्षों की अपनी उपलब्धियां और प्रगति बताएगा भारत

भारत जी-20 में संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, विविधता और 75 वर्षों की अपनी उपलब्धियों और प्रगति को भी पेश करेगा। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार भारत अपनी अध्यक्षता में अगले साल 9 और 10 सितंबर को जी-20 के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। पहली तैयारी बैठक 4-7 दिसंबर को उदयपुर में होगी। भारत जिस बड़े पैमाने पर सम्मेलन के आयोजन की रूपरेखा तैयार कर रहा है उतने बड़े पैमाने पर अब तक जी-20 की बैठक नहीं हुई है। 

भारत के पास ग्लोबल एजेंडा तय करने का मौका

जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत के पास ग्लोबल एजेंडा तय करने का मौका है और सरकार की योजना भी ऐसी ही लग रही है। इसकी झलक इंडोनेशिया में देखने को मिली, जब जी-20 की बाली घोषणापत्र को अंतिम रूप देने में भारतीय कूटनीति की अहम भूमिका रही। यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से सदस्य देशों के बीच घोषणापत्र के कुछ अहम बिंदुओं को लेकर कोई सहमति नहीं बन पा रही थी। इस बारे में 15 दौर की मंत्रिस्तरीय वार्ता के बावजूद पूरा संगठन दो खेमे में बंटा हुआ था। कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक बाली बैठक के दौरान भारत एक लीडर और संकट के घड़ी में राह निकालने वाले देश के तौर पर स्थापित हुआ। यही वजह है कि संयुक्त घोषणापत्र में कई मुद्दों पर भारत के विचारों को तवज्जो दी गई।

अपनी बात को दुनिया के सामने मजबूती से रखेगा भारत

भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी आर्थिक ताकत बन चुका है और चीन, अमेरिका के बाद तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी आगे बढ़ रहा है। वहीं मोदी सरकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जिस तरह स्वतंत्र विदेश नीति का पालन किया, उससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख और मजबूत हुई। ऐसी स्थिति में भारत अपनी बात को दुनिया के सामने मजबूती से रख सकता है। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जी-20 की अध्यक्षता के दौरान उसकी प्राथमिकता क्या होगी। 

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