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पीएम मोदी की दूरदर्शी नीति से भारत बन रहा दुनिया की फैक्ट्री, बंदरगाह इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने पर खर्च किए जा रहे 25 अरब डॉलर, यहां से होगी दुनिया को सामानों की सप्लाई

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था नित नए प्रतिमान गढ़ रही है। अभी कुछ समय पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बनी है। वहीं कोरोना काल में वर्ष 2021 में जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्था डगमगा रही थी, भारत दुनिया का दूसरा सबसे आकर्षक मैन्यूफैक्चरिंग हब बना। भारत ने अमेरिका को तीसरे नंबर पर धकेल कर मैन्युफैक्चरिंग के मामले में दूसरा नंबर हासिल किया। यानी चीन के बाद अब भारत दुनिया का दूसरा सबसे पसंदीदा मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है। अब जब भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बन रहा है तो सामानों की सप्लाई के लिए बंदरगाहों का विकास जरूरी है। क्योंकि दूसरे देशों को ज्यादातर माल की सप्लाई समुद्री रास्तों से होती है। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2021 में कहा था कि देश में समुद्री नौवहन क्षेत्र के विकास के लिए वर्ष 2035 तक विभिन्न परियोजनाओं में 82 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। फिलहाल भारत बंदरगाहों को अपग्रेड करने और उसके विकास पर 102 महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम कर रहा है और इस पर 25 अरब डॉलर का निवेश किया जा रह है। इन 102 परियोजनाओं में महाराष्ट्र में 31, कर्नाटक में 17, गुजरात में 16, आंध्र प्रदेश में 14, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 7-7 और केरल और ओडिशा में 5-5 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। पीएम मोदी के विजन से भारत को दुनिया की फैक्ट्री बनाने के लिए आत्मनिर्भर और पीआईएल योजना ने भी अपना रंग दिखाना शुरू किया है। भारत में आईफोन असेंबल करने वाली ताईवान की कंपनी विस्ट्रॉन कॉप अब लैपटॉप, मोबाइल, आईटी उत्पाद बनाएगी। इसके लिए भारत ने ऑप्टमिस इलेक्ट्रोनिक्स के साथ हाथ मिलाया है।

भारत के 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान

यह पीएम मोदी के नेतृत्व का कमाल है कि आज बड़ी-बड़ी रेटिंग एजेंसियां भारत में सकारात्मक विकास को रेखांकित करती रहती हैं। भारत के 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान जताया गया है। आईएमएफ़ के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सब से तेज़ी से आगे बढ़ती रहेगी। 1990 में चीनी अर्थव्यवस्था भारत की तुलना में थोड़ी ही बड़ी थी। आज चीन की जीडीपी भारत से 5.46 गुना बड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2047 तक 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा बशर्ते कि अगले 25 वर्षों में वार्षिक औसत वृद्धि 7-7.5 प्रतिशत हो। भारतीय स्टेट बैंक के एक रिसर्च पेपर के अनुसार, भारत 2027 तक चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को और 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान को पीछे छोड़ देगा।

भारत बना अमेरिका से ज्‍यादा आकर्षक मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब

यूरोप, अमेरिका और एशिया-प्रशांत के 47 देशों में वैश्विक विनिर्मारण के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन का आकलन करने वाली रियल एस्टेट एडवाइजरी फर्म कुशमैन एंड वेकफीलल्ड के मुताबिक, चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे पसंदीदा मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है। वहीं, वैश्विक विनिर्माण जोखिम सूचकांक-2021 में चीन पहले स्थान पर बना हुआ है। अधिक मांग वाले मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन में कनाडा चौथे, चेक गणराज्य पांचवे, इंडोनेशिया छठे स्थान पर है। पिछले साल इस रिपोर्ट में अमेरिका दूसरे स्थान पर था जिसे अब भारत ने तीसरे स्थान पर धकेल दिया है। कुशमैन एंड वेकफील्ड के मुताबिक पता चलता है कि मैन्युफैक्चरर्स अमेरिका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के मुकाबले भारत में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत में परिचालन की परिस्थतियों और लागत दक्षता के चलते मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर आकर्षण बढ़ा है। वहीं, इसके सालाना आधार के चलते भारत की रैंकिंग में काफी सुधार हुआ है।

समुद्री नौवहन क्षेत्र में 82 अरब डॉलर के निवेश पर काम जारी: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2021 में कहा था कि देश में समुद्री नौवहन क्षेत्र के विकास में 2035 तक विभिन्न परियोजनाओं में 82 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। बंदरगाहों के विकास के साथ ही जलमार्गों का विकास और लाइटहाउस के आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाएंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समुद्री नौवहन क्षेत्र पर आयोजित शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय बंदरगाहों, जलपोत कारखानों और जलमार्गों में निवेश के लिये वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित किया। पीएम मोदी ने कहा कि सागरमाला परियोजना के तहत 574 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है। इन पर 82 अरब डालर यानी छह लाख करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इन परियोजनाओं पर 2015 से 2035 के बीच काम पूरा किया जाना है। उन्होंने कहा कि सरकार अगले दस साल में देश में 23 जलमार्गों को परिचालन में लाने पर काम कर रही है।

लाइटहाउस के आसपास पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगाः पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की तटीय सीमा के साथ 189 प्रकाशस्तंभ हैं, इनमें से सरकार 78 प्रकाशस्तंभ के आसपास पर्यटन का विकास करने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार इसके साथ ही समुद्री नौवहन क्षेत्र में स्वच्छ अक्षय ऊर्जा के इसतेमाल को भी बढ़ावा दे रही है। हम देशभर में सभी प्रमुख बंदरगाहों पर सौर और पवन ऊर्जा आधारित विद्युत प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। हम 2030 तक सभी बंदरगाहों में इस्तेमाल होने वाली कुल बिजली में से 60 प्रतिशत से अधिक बिजली नवीनीकरण ऊर्जा से इसतेमाल में लाने का उद्देश्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय बंदरगाहों पर माल लेकर आने और जाने वाले जलयानों को अब अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि भारत समुद्री नौवहन क्षेत्र में विकास को लेकर बहुत गंभीर है, इसके साथ ही भारत अब दुनिया की समुद्री अर्थव्यवसथा के क्षेत्र में एक प्रमुख ताकत के तौर पर उभर रहा है।

सागरमाला परियोजनाः 567 परियोजनाओं पर अनुमानित लागत 58,700 करोड़ रुपये

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि सागरमाला कार्यक्रम की सफलता के आधार पर, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने “तटीय जिलों के समग्र विकास” के लिए सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 567 परियोजनाओं की पहचान की है, जिसकी अनुमानित लागत 58,700 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि सागरमाला बंदरगाह आधारित परियोजना है और आवागमन लागत में कमी और आयात-निर्यात प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करती है। इसके अंतर्गत तटीय जिलों के समग्र विकास का उद्देश्य तटीय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में मौजूद अंतराल को पाटना और आर्थिक अवसर में सुधार करना है। तटीय जिलों के समग्र विकास में पहचानी गई परियोजनाओं और सागरमाला परियोजना के अंतर्गत प्राप्त नई योजनाओं के प्रस्तावों के साथ, कुल परियोजनाओं की संख्या 1537 है और इन पर कुल 6.5 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी।

सागरमाला के तहत 45,000 करोड़ रुपये लागत से 29 परियोजनाएं हो चुकी पूरी

सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत 5.5 लाख करोड़ रुपये लागत की 802 परियोजनाएं हैं, जिन्हें वर्ष 2035 तक कार्यान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से 99,281 करोड़ रुपये लागत की 202 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। सार्वजनिक-निजी भागीदारी-पीपीपी मॉडल के अंतर्गत 45,000 करोड़ रुपये लागत से कुल 29 परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी जा चुकी हैं, जिससे सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ कम हुआ है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के अंतर्गत अतिरिक्त 32 परियोजनाएं 51,000 करोड़ रुपये की लागत से वर्तमान में कार्यान्वित की जा रही हैं। इसके अलावा, 2.12 लाख करोड़ रुपये की 200 से अधिक परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और इनके 2 वर्ष में पूरा होने की आशा है। मंत्रालय अब तक 140 परियोजनाओं के लिए 8748 करोड़ रुपये का अनुदान दे चुका है और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भेजे गए अतिरिक्त प्रस्तावों की समीक्षा कर रहा है।

फ्लोटिंग जेट्टी के विकास के लिए 200 से अधिक स्थानों की पहचान

फ्लोटिंग जेट्टी यानी तैरते हुए घाट के विकास के लिए 200 से अधिक स्थानों की पहचान की गई है और 50 स्थानों को चरण 1 के कार्यान्वयन का हिस्सा बनाया गया है। इसके साथ ही 33 मत्स्य बंदरगाह परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 22 मत्स्य बंदरगाह परियोजनाओं के लिए 2400 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। प्रमुख राष्ट्रीय सागरमाला कार्यक्रम के 7 वर्ष के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने से देश के समुद्री व्यापार के व्यापक विकास और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान मिला है। कार्यक्रम के अंतर्गत, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना के आरंभ होने के बाद से बड़े पैमाने पर विभिन्न परियोजनाओं को लागू किया है। इन परियोजनाओं में बंदरगाह आधुनिकीकरण, सम्पर्क, औद्योगीकरण, सामुदायिक विकास, तटीय पोत परिवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग विकास शामिल हैं। इस तरह के प्रयास के परिणामस्वरूप, राष्ट्र ने बढ़ी हुई क्षमता, दक्षता, रोजगार सृजन, निजी भागीदारी में वृद्धि, आने-जाने के समय में कमी, परिवहन लागत में कमी, व्यापार करने में सुगमता में वृद्धि और भारत को प्रमुख समुद्री राष्ट्रों के वैश्विक मानचित्र में शामिल करने जैसी विभिन्न उपलब्धियां हासिल की हैं।

भारतीय बंदरगाहों की स्थापित क्षमता 1531 से बढ़कर 2554.61 एमटीपीए हो गई

सरकार ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लागत और आवागमन के समय को कम करने के लिए बंदरगाहों पर कई आधुनिकीकरण, मशीनीकरण और डिजिटल परिवर्तन के उपाय किए हैं जैसे डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी, डायरेक्ट पोर्ट एंट्री, कंटेनर स्कैनर और आरएफआईडी (रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) सिस्टम की स्थापना की जा रही है। इसके अलावा, शिपिंग ईकोसिस्टम के लिए शुरू से अंत तक व्यापार सुविधा प्रदान करने के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम (पीसीएस 1 एक्स) को एनपीएल-एमएआरआईएनई में अपग्रेड किया जा रहा है। चूंकि बंदरगाह देश के आयात-निर्यात व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, सरकार का ध्यान बंदरगाहों की क्षमता वृद्धि पर बना रहता है ताकि वे देश की बढ़ती वाणिज्यिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हों। वर्ष 2014-15 के दौरान भारतीय बंदरगाहों की स्थापित क्षमता 1531 एमटीपीए थी, जो अब वर्ष 2020-21 में बढ़कर 2554.61 एमटीपीए हो गई है।

बंदरगाहों पर यातायात में 6.94 प्रतिशत की वृद्धि

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान प्रमुख बंदरगाहों पर हुए यातायात में पिछले वर्ष की तुलना में 6.94 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। पांच प्रमुख बंदरगाहों ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अपना अब तक का सबसे अधिक यातायात दर्ज किया। कामराज बंदरगाह पर पिछले वर्ष की तुलना में 49.63 प्रतिशत यातायात की वृद्धि दर्ज की गई। जेएनपीटी ने पिछले वर्ष की तुलना में 17.27 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि के साथ इसी अवधि के दौरान अब तक का सबसे अधिक यातायात हासिल किया। दीनदयाल बंदरगाह ने भी 8.11 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर की और 127.1 मिलियन टन के अपने उच्चतम लदान को भी प्राप्त किया। मुंबई बंदरगाह ने पिछले वर्ष की तुलना में 11.46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। कोचीन बंदरगाह ने वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर 9.68 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और अपने अब तक के उच्चतम यातायात को भी प्राप्त किया। यह विभिन्न बंदरगाहों पर नए बर्थ और टर्मिनलों के निर्माण, मौजूदा बर्थ और टर्मिनलों के मशीनीकरण, पोर्ट चैनलों में बड़े जहाजों को आकर्षित करने के लिए ड्राफ्ट को गहरा करने के लिए कैपिटल ड्रेजिंग के लिए शुरू की गई विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कारण संभव हुआ है। कुल औसत टर्न अराउंड समय वर्ष 2014-15 में 96 घंटे से घटकर 2021-22 में 52.80 घंटे हो गया, जबकि प्रमुख बंदरगाहों पर कंटेनर औसत टर्न अराउंड समय भी वर्ष 2014-15 में 35.21 घंटे से घटकर 2021-22 में 27.22 घंटे हो गया है।

वर्ष 2025 तक 340 मीट्रिक टन तक तटीय शिपिंग की अतिरिक्त क्षमता होगी

सागरमाला के अंतर्गत किए गए अध्ययनों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 तक लगभग 340 मीट्रिक टन तक तटीय शिपिंग की एक अतिरिक्त क्षमता है, जिसकी अनुमानित वार्षिक लागत 9600 करोड़ रुपये की बचत होगी। कोयला, इस्पात, सीमेंट, ऑटोमोबाइल, खाद्यान्न, उर्वरक, पीओएल, आदि तटीय पोत परिवहन के माध्यम से लाने-ले जाने वाली प्रमुख वस्तुएं हैं। तटीय पोत परिवहन को बढ़ावा देने के एक हिस्से के रूप में, पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत “सागरमाला तटीय पोत परिवहन निगरानी समिति” बनाने का प्रस्ताव है, जो सागरमाला योजना की प्रगति की निगरानी करेगी और बुनियादी ढांचे को वित्त पोषण सहायता प्रदान करेगी। जहाज़ों की आवाजाही की सुविधा और जमीनी स्तर पर बुनियादी ढांचे को सक्षम करने के लिए, समर्पित सागरमाला तटीय पोत परिवहन नोडल अधिकारी ने प्रत्येक प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों पर योजना बनाई। हमारे अंतर्देशीय जलमार्ग अंतरशहरी आवागमन, कम दूरी के यात्री परिवहन की जरूरतों के लिए एक व्यवहार्य माध्यम बन सकते हैं। फेरी, रो-पैक्स जहाजों और हाई-स्पीड लॉन्च के माध्यम से, राज्य सरकारें और शहरी स्थानीय निकाय शहरी और उपनगरीय आबादी को निर्बाध, एकीकृत परिवहन सेवाएं प्रदान कर सकते हैं और दैनिक आवागमन के तनाव और भीड़ को कम कर सकते हैं। कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित 23 हाइब्रिड इलेक्ट्रिक नौकाओं की खरीद की है। ऐसे प्रत्येक जहाज में 100 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है। आईडब्ल्यूएआई ने 5 स्थानों : वाराणसी, कोलकाता, पटना और गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ के लिए समान सेवाओं का प्रस्ताव दिया है। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने इस मॉडल की सिफारिश की है। राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया था कि वे मल्टी-मॉडल हरित और सस्ते परिवहन के मॉडल को अपनाएं।

जलमार्ग से 200 टन खाद्यान्न और 2000 टन स्टील भेजे गए

पर्यावरण के अनुकूल और किफायती तरीके से थोक वस्तुओं की आवाजाही को सक्षम करने के लिए अंतर्देशीय जल परिवहन भी एक प्रभावी तरीका हो सकता है। आईडब्ल्यूएआई ने इस वर्ष की शुरुआत में, भारत और बांग्लादेश में गंगा, हुगली, मेघना तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के माध्यम से पटना और गुवाहाटी के बीच 200 टन खाद्यान्न और हल्दिया तथा गुवाहाटी के बीच 2000 टन स्टील पहुंचाने का सफल यात्रा का संचालन किया है। अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में इस अभियान की क्षमता को उजागर करता है। इस मॉडल को कोयला, एलपीजी, उर्वरक कंटेनरों सहित अन्य थोक वस्तुओं के परिवहन के लिए दोहराया और बढ़ाया जा सकता है तथा इसे तटीय शिपिंग के साथ एकीकृत किया जा सकता है। पूर्वोत्तर राज्य कम दूरी और भीड़-भाड़ मुक्त परिवहन के लिए लाभान्वित हो सकते हैं।

मुंबई और मोरमुगाओ बंदरगाह में दो विशाल क्रूज टर्मिनल बनाई जा रही

मुंबई और मोरमुगाओ बंदरगाह में सागरमाला परियोजना के माध्यम से दो विशाल क्रूज टर्मिनल परियोजनाएं भी विकसित किया जा रहा है। मुंबई में अंतरराष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का उन्नयन और आधुनिकीकरण 303 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन है। इस परियोजना का 70 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो गया है। मंत्रालय मोरमुगाओ बंदरगाह पर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रूज टर्मिनल तथा संबद्ध सुविधाओं के विकास के लिए भी सहायता कर रहा है। मंत्रालय जलमार्ग के माध्यम से रो-रो और यात्री परिवहन को बड़ा बढ़ावा दे रहा है क्योंकि यह आवागमन के लिए पर्यावरण के अनुकूल सुविधा है और इसके परिणामस्वरूप लागत तथा समय की महत्वपूर्ण बचत होती है। रोपैक्स सुविधाएं राज्य या केंद्रीय प्राधिकरणों द्वारा विकसित की जा रही हैं और जहाजों की तैनाती तथा सेवाएं प्रमुख रूप से निजी कम्पनियों द्वारा प्रदान की जाती हैं। शहरी जल परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक फेरी के उपयोग को बढ़ावा देते हुए दीर्घकालिक अनुबंध पर ओ एंड एम के लिए नए व्यापार मॉडल विकसित करने की भी योजना है। प्रचालन चरण के दौरान उपयुक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए हितधारकों के परामर्श से अलग योजना तैयार की जाएगी।

दीनदयाल बंदरगाह, कांडला, गुजरात में 280 करोड़ रुपये की परियोजनाएं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 3 अक्टूबर 2022 को गुजरात के कांडला में दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण की 280 करोड़ रुपये से अधिक की चार महत्वपूर्ण परियोजनाओं की आधारशिला रखी। ये परियोजनाएं समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बंदरगाह के लॉजिस्टिक प्रदर्शन को बढ़ाने के साथ उसके संपूर्ण भीतरी इलाकों के विकास के साथ-साथ बंदरगाह अवसंरचना को बढ़ाएगी। इन परियोजनाओं से जहाजों के टर्नअराउंड समय में और सुधार और कार्गो की तेजी से निकासी के साथ-साथ बंदरगाह की कार्गो हैंडलिंग क्षमता में भी सुधार होगा। 69.51 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ कार्गो जेट्टी क्षेत्र के अंदर नए गुंबद के आकार के गोदामों के निर्माण की परियोजना से ऊंचाई बढ़ जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप अधिक कार्गो हैंडलिंग होगी, जो पांचवीं पीढ़ी के ट्रकों/परिवहन वाहनों द्वारा हाइड्रोलिक सिस्टम के माध्यम से बल्क कार्गो को उतारने के लिए उपयुक्त है। 80 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ कार्गो जेट्टी क्षेत्र के अंदर 66 हेक्टेयर क्षेत्र में प्लॉट्स और स्टॉर्म वाटर ड्रेन का उन्नयन कंक्रीट रोड, स्टॉर्म वाटर ड्रेन नेटवर्क, विद्युत केबलों के लिए पाइप नाली, फ़र्श और श्रमिकों की सुविधा, पेयजल, शौचालय और श्रमिकों के लिए विश्राम गृह जैसी सुविधाएं होंगी।

ड्राई कार्गो के आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलेगी

गुजरात के बंदरगाह पूरे देश के लगभग 40 प्रतिशत माल ढुलाई को संभालता है। 47 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ कार्गो जेट्टी क्षेत्र के अंदर अन्य 40 हेक्टेयर क्षेत्र में भूखंडों, सड़कों और तूफानी जल नालियों के उन्नयन से कस्टम बॉन्डेड क्षेत्र के अंदर हैंडलिंग और भंडारण क्षमता में वृद्धि होगी और 8.8 लाख मीट्रिक टन की क्षमता के साथ ड्राई कार्गो के आयात / निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। 87.32 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ टूना रोड को टू लेन से फोर लेन में अपग्रेड करने की परियोजना के परिणामस्वरूप तेजी से कार्गो निकासी होगी, जिससे पोर्ट पर ट्रैफिक हैंडलिंग में वृद्धि होगी और भविष्य में पोर्ट ट्रैफिक को निर्बाध रूप से समायोजित किया जा सकेगा। यह राष्ट्रीय राजमार्ग से बंदरगाह को बहुत वांछित कनेक्टिविटी प्रदान करेगा और गति शक्ति के अनुरूप बंदरगाह तक पहुंचने वाली सड़कों को एक नया रूप प्रदान करेगा। परियोजना से पीपीपी पर डीपीए द्वारा विकसित की जाने वाली प्रस्तावित जेटी को भी लाभ होगा।

दीनदयाल पोर्ट ने जुलाई 2022 में 12.04 एमएमटी कार्गो का संचालन किया

दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी-कांडला (डीपीए) ने चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में 70.14 एमएमटी कार्गो को संभाल कर पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 17.22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। जुलाई 2022 में 12.04 एमएमटी कार्गो जो एक महीने में अब तक का सबसे अधिक संचालन है। बंदरगाह ने वर्ष 2021-22 के लिए अब तक का सबसे अधिक 127.1 एमएमटी कार्गो का संचालन किया था। बंदरगाह ने बंदर बेसिन जेट्टी एरिया-कांडला में 4 सुपर ओवर डायमेंशन पैकेज कार्गो के रोल ऑफ को भी संभाला था। डीपीए, कांडला ने मेसर्स सीईएल के साथ साझेदारी में पोर्ट पर गेट संचालन के पूर्ण स्वचालन को भी बढ़ाया है और मेसर्स एनआईएसजी के मार्गदर्शन में आरएफआईडी आधारित एक्सेस कंट्रोल सिस्टम “ई-दृष्टि” शुरू किया है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारत में बंदरगाह क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता के तहत गुजरात राज्य में सागरमाला कार्यक्रम के तहत 57,000 करोड़ रुपये की 74 परियोजनाओं की पहचान की है। जिनमें से 9,000 करोड़ रुपये की 15 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की 33 परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है और 22,700 करोड़ रुपये की 26 परियोजनाओं का विकास कार्य चल रहा है। इन परियोजनाओं को केंद्रीय मंत्रालयों, प्रमुख बंदरगाहों, राज्य समुद्री बोर्ड और अन्य राज्य एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

चेन्नई बंदरगाह से मदुरावॉयल कॉरिडोर की परियोजना दिसंबर 2024 तक पूरी होगी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि नये भारत में बाधा रहित मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी प्रदान करने की दिशा में काम करते हुए तमिलनाडु में चेन्नई बंदरगाह से मदुरावॉयल कॉरिडोर की परियोजना को 5800 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से विकसित किया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि 20.5 किलोमीटर लंबे इस प्रस्तावित एलिवेटेड स्ट्रेच को 4 खंडों में विकसित किया जाएगा जो चेन्नई बंदरगाह के अंदर शुरू होकर मदुरवॉयल इंटरचेंज के बाद समाप्त हो जाएगा। गडकरी ने कहा कि यह परियोजना दिसंबर 2024 तक पूरी हो जाएगी और यह चेन्नई जाने वाले बंदरगाह यातायात के लिए एक समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के रूप में काम करेगी। इससे चेन्नई बंदरगाह की रखरखाव क्षमता में 48 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिसके कारण इस बंदरगाह पर प्रतीक्षा समय 6 घंटे कम हो जाएगा।

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