प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति के चलते वन बेल्ट-वन रोड (OBOR) योजना पर चीन अलग-थलग पड़ता जा रहा है। भारत शुरुआत से ही इस मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज करवा रहा है। अब भारत को OBOR पर ब्रिटेन का साथ मिला है। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने चीन के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर चिंता व्यक्त की है। पीएम थेरेसा मे इन दिनों चीन के दौरे पर हैं। ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट के पीछे की चीन की दूरगामी सोच पर उन्हें शक है। खबर के मुताबिक ब्रिटेन सरकार इस प्रोजेक्ट से जुड़े किसी भी समझौते पर अपनी मंजूरी नहीं देगी।
Some Indians claimed India was isolating itself by opposing China’s BRI. In reality, India has helped shape global reaction — e.g., Theresa May echoes India’s words by saying BRI should be transparent, open and rules-based. Tillerson, meanwhile, likens BRI to European colonialism
— Brahma Chellaney (@Chellaney) 2 February 2018
गौरतलब है कि चीन का ये प्रोजेक्ट करीब 60 देशों को जोड़ता है। इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन की यूरोप पहुंच और व्यापार करना काफी आसान हो जाएगा। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों भी इस प्रोजेक्ट पर विरोध जता चुके हैं और भारत का समर्थन कर चुके हैं। पिछले वर्ष भारत दौरे पर आए अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने साफ कहा था कि किसी भी देश को ऐसे इलाके में निर्माण से बचना चाहिए जो कि विवादित क्षेत्र हो। उन्होंने कहा कि वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) प्रोजेक्ट एक विवादित क्षेत्र से होकर निकलता है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से चीन के शिनझियांग को जोड़ने वाले कॉरिडोर की योजना है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरती है।