भारत में बनी कोरोना वैक्सीन की 20 लाख खुराक ब्राजील पहुंच चुकी है। कोरोना वैक्सीन पाकर ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो काफी खुश हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो ने कोरोना वैक्सीन की तुलना संजीवनी बूटी से की। उन्होंने भगवान हनुमान की संजीवनी बूटी ले जाते हुए तस्वीर को ट्वीट कर इस मुश्किल वक्त की घड़ी में साथ देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शुक्रिया अदा किया। कोरोना वैक्सीन पाकर खुद को धन्य महसूस करते हुए बोलसोनारो ने कहा कि कोरोना की जंग को लड़ने में मदद करने के लिए ब्राजील भारत का आभार व्यक्त करता है। हम भारत का धन्यवाद करते हैं। भारत के प्रति अपना स्नेह जाहिर करते हुए उन्होंने अपने ट्वीट के आखिर में हिंदी में धन्यवाद लिखा।
Namaskar, Prime Minister @narendramodi
Brazil feels honoured to have a great partner to overcome a global obstacle by joining efforts.
Thank you for assisting us with the vaccines exports from India to Brazil.
Dhanyavaad! धनयवाद
— Jair M. Bolsonaro (@jairbolsonaro) January 22, 2021
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति बोलसोनारो के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि यह सम्मान हमारा है, कोविड -19 महामारी से एक साथ लड़ने में ब्राजील एक विश्वसनीय भागीदार है। हम हेल्थकेयर पर अपने सहयोग को मजबूत करना जारी रखेंगे।
The honour is ours, President @jairbolsonaro to be a trusted partner of Brazil in fighting the Covid-19 pandemic together. We will continue to strengthen our cooperation on healthcare. https://t.co/0iHTO05PoM
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021
ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा प्रभु हनुमान की तरह पहुंचाई संजीवनी बूटी
ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने इसके पहले भी प्रधानमंत्री मोदी की तुलना भगवान हनुमान से की करते हुए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को संजीवनी बूटी बताया था। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से दी गई इस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से लोगों के प्राण बचेंगे और इस संकट की घड़ी में भारत और ब्राजील मिलकर कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने लिखा कि जिस तरह हनुमान जी ने हिमालय से पवित्र दवा (संजीवनी बूटी) लाकर भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी, उसी तरह भारत और ब्राजील एक साथ मिलकर इस वैश्विक संकट का सामना कर लोगों के प्राण को बचा सकते हैं।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में उन्हें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के लिए धन्यवाद दिया। दरअसल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने भी प्रधानमंत्री मोदी से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर लगे बैन को हटाने का अनुरोध किया था। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से बैन हटाने के भारत के फैसले के बाद बोलसोनारो ने प्रधानमंत्री मोदी का तुलना भगवान हनुमान से कर डाली। भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है।
प्रधानमंत्री मोदी कोरोना संकट काल में भी पूरी दुनिया के लिए संकटमोचक बने हैं। आइए डालते हैं एक नजर-
कोरोना संकट काल में भारत लगातार अपने मित्र देशों की मदद में जुटा है। भारत ने 22 जनवरी को कोविशील्ड की 1.417 करोड़ खुराख भूटान, मालदीव, मॉरीसस, बांग्लादेश, नेपाल, म्यामांर ओर सेशेल्स में पहुंचाई है। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत सरकार को प्रमुख भागीदार देशों से वैक्सीन की आपूर्ति के लिए कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं। कोरोना काल में भारत ने पहले भी कई देशों को बड़ी संख्या में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, रेमडेसिविर और पेरासिटामोल गोलियों के साथ-साथ डायग्नोस्टिक किट, वेंटिलेटर, मास्क, दस्ताने और अन्य चिकित्सा आपूर्ति की थी।
कोरोना से जंग में दुनिया की मदद कर रहे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार न सिर्फ देश में कोरोना महामारी से कुशलतापूर्वक लड़ रही है, बल्कि पूरी दुनिया को इस बीमारी से लड़ने में मदद भी कर रही है। भारत ने दुनिया भर में कोरोना से लड़ने के लिए हाइड्रोकिसीक्लोरोक्वीन दवा समेत जीवन रक्षक दवाएं भेजी हैं। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व मौजूदा कठिन स्थिति को देखते हुए भारत से इसके निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहने के बावजूद इस दवा की यह खेप मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए पहुंचाई गई।
55 से अधिक देशों में की गई दवा की आपूर्ति
कोरोना को मात देने में सक्षम समझी जाने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) की आपूर्ति को लेकर भारत दुनिया का सबसे अग्रणी देश बन गया। 55 से अधिक देशों में इस दवा की आपूर्ति की गई। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश भारत से इस दवा को खरीद रहे हैं, लेकिन गुआना, डोमिनिक रिपब्लिक, बुर्कीनो फासो जैसे गरीब देश भी हैं, जिन्हें अनुदान के तौर पर इन दवाओं की आपूर्ति की गई। भारत डोमिनिकन रिपब्लिक, जांबिया, युगांडा, बुर्कीना फासो, मेडागास्कर, नाइजर, मिस्र, माली कॉन्गो, अर्मेनिया, कजाखिस्तान, जमैका, इक्वाडोर, यूक्रेन, सीरिया, चाड, फ्रांस, जिंबाब्वे, जॉर्डन, केन्या, नाइजीरिया, नीदरलैंड्स, पेरू और ओमान को दवाएं भेज रहा है। साथ ही, फिलिपींस, रूस, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, स्लोवानिया, उज्बेकिस्तान, कोलंबिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), उरुग्वे, बहामास, अल्जीरिया और यूनाइटेड किंगडम (यूके) को भी मलेरिया रोधी गोलियां भेजा जा चुकी हैं।
भारतीय ही नहीं विदेशियों को भी सुरक्षित निकाला
भारत ने कोरोना काल में राहत और बचाव अभियान के मामले में सबसे अधिक उड़ानें भरी हैं। चीन, ईरान, इटली और जापान जैसे देशों से हजारों भारतीयों को निकाल कर देश वापस लाया गया। कोरोना प्रभावित इलाकों से भारत ने सिर्फ अपने नागरिकों को ही नहीं 10 से भी ज्यादा देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला। इनमें मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मैडागास्कर, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।
सार्क देशों के प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने की चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 मार्च, 2020 को सार्क देशों के नेताओं के साथ कोरोना वायरस पर रोकथाम संबंधी चर्चा की। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सार्क देशों के नेताओं के साथ क्षेत्र में कोविड-19 से मुकाबले के लिए साझा रणनीति बनाने के लिए बातचीत की। सहयोग की भावना के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने सभी देशों के स्वैच्छिक योगदान के आधार पर कोविड-19 इमरजेंसी फंड बनाने का प्रस्ताव रखा। साथ ही भारत ने फंड के लिए शुरू में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर भी दिए। प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों के आपातकालीन प्रतिक्रिया दलों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कैप्सूलों की व्यवस्था करने और संभावित वायरस वाहकों और उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में मदद करने के लिए भारत के एकीकृत रोग निगरानी पोर्टल के सॉफ्टवेयर को साझा करने की भी पेशकश की। उन्होंने सुझाव रखा कि सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र जैसे मौजूदा तंत्र का इस्तेमाल सबसे अच्छे तरीके से पूल के लिए हो सकता है।