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वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़े कोरोना वॉरियर बने पीएम मोदी, ‘महाटीकाकरण’ अभियान से विश्व में बढ़ा भारत का मान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर विश्व को अचंभित कर दिया है। जब विकसित देश सभी संसाधन होते हुए भी कोरोना महामारी से लड़ने में असहाय नजर आ रहे थे, उस कठिन समय में प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने दो स्वदेशी वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ बनाकर विश्व समुदाय के सामने फिर अपने टैलेंट और सामर्थ्य का लोहा मनवाया। आज पूरी दुनिया प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयास और भारत की सफलता की मुरीद हो चुकी है। आइए देखते हैं प्रधानमंत्री मोदी किस तरह महाटीकाकरण अभियान के माध्यम से लोगों के लिए संकटमोचक बने हैं…

मोदी सरकार में पहली बार

  • 16 जनवरी, 2021 को पीएम मोदी ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया।
  • कोविड-19 टीकाकरण अभियान विशाल पैमाने पर चलने वाला भारत का पहला वयस्क टीकाकरण कार्यक्रम भी है।
  • कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत पहले और दूसरे चरण में करीब 30 करोड़ लोगों को टीका लगाए जाने की योजना है।
  • देश ने ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ टीके के साथ महामारी को मात देने के लिए पहला कदम उठाया।
  • देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान के पहले दिन अन्‍य देशों की तुलना में सबसे अधिक लोगों को टीके लगाए गए।
  • टीकाकरण के पहले दिन 3,352 केंद्रों पर करीब दो लाख स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों को टीके की पहली खुराक दी गई।
  • मोदी सरकार ने कोविड-19 टीकाकरण के पूरे महाअभियान की निगरानी, नियंत्रण और समन्वय के लिए CoWIN एप का विकास किया है।
  • टीकाकरण अभियान में करीब पांच लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी टीके लगाने का काम कर रहे हैं।
  • पहली बार किसी अभियान में ड्राई-रन के रूप में जिला स्तर तक तीन-चार बार पूर्वाभ्यास किया गया।
  • पीएम मोदी ने कोरोना वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए तीन निर्माण केंद्रों का दौरा किया।
  • मोदी सरकार ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को कोरोना वैक्सीन भेजकर पड़ोसी देशों की मदद की है।
  • पहली बार चीन ने कोरोना वैक्सीन मामले में भारत की एक्सपरटाइज और उत्पादन क्षमता का लोहा माना है।

मानवता को समर्पित टीकाकरण अभियान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, “देश के वैज्ञानिकों का, रिसर्चर्स का, लैब से जुड़े हुए सब लोगों का, जिन्‍होंने पूरे साल एक ऋषि की तरह अपनी लैब में जीवन खपा दिया और ये वैक्‍सीन देश और मानवता को दी है, मैं उनको विशेष रूप से अभिनंदन करता हूँ, उनका आभार व्‍यक्‍त करता हूं।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, “आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं। लेकिन इतने कम समय में एक नहीं, दो-दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं। इतना ही नहीं कई और वैक्सीन पर भी काम तेज गति से चल रहा है। ये भारत के सामर्थ्य, भारत की वैज्ञानिक दक्षता, भारत के टैलेंट का जीता जागता सबूत है।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, “इतिहास में इस प्रकार का और इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया है। ये अभियान कितना बड़ा है, इसका अंदाज़ा आप सिर्फ पहले चरण से ही लगा सकते हैं। दुनिया के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या 3 करोड़ से कम है। और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, “आज जब हमने अपनी वैक्सीन बना ली है, तब भी भारत की तरफ दुनिया आशा और उम्मीद की नज़रों से देख रही है। हमारा टीकाकरण अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, दुनिया के अनेक देशों को हमारे अनुभवों का लाभ मिलेगा। भारत की वैक्सीन, हमारी उत्पादन क्षमता, पूरी मानवता के हित में काम आए, ये हमारी प्रतिबद्धता है।”

आवश्यकता के अनुरूप टीकाकरण

पहला चरण

  • पहले चरण में 3 करोड़ लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाई जा रही है। इनमें एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और दो करोड़ अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी शामिल हैं।

दूसरा चरण

  • दूसरे चरण में गंभीर बीमारी से ग्रसित 50 साल से ऊपर के 26 करोड़ बुजुर्गों और एक करोड़ युवाओं को टीका लगायी जाएगी।

तीसरा चरण

  • टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण में 50 वर्ष से ऊपर के लोगों को टीका लगाया जायेगा।

टीकाकरण के लाभार्थी

  • कोविड-19 का टीका फिलहाल 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को लगाया जा रहा है और हर डोज 0.5 मिलीलीटर है।
  • एक व्यक्ति को एक ही वैक्सीन की दो डोज लगायी जा रही है। पहले और दूसरे डोज के बीच करीब 4 हफ्ते का फासला रखा गया है।

जिन लोगों को टीका नहीं लगेगा

  • 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे और लड़के
  • एलर्जी रिएक्शन वाले व्यक्ति
  • जो लोग इम्यून कॉम्प्रमाइज्ड है
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं
  • जो लोग कोरोना वायरस की दूसरी वैक्सीन ले चुके हैं

व्यापक तैयारियां

  • टीकाकरण अभियान से पहले वैक्सीन लगाने के लिए 2 जनवरी, 2021 को पहला ड्राई रन और 8 जनवरी, 2021 को दूसरा ड्राई रन हुआ।
  • कोविड-19 टीकाकरण अभियान के लिए सरकार ने देश भर में क़रीब 29 हज़ार कोल्ड स्टोर तैयार किए हैं।
  • राज्यों, जिलों और ब्लॉक स्तरों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें अभियान से जुड़े स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया।
  • टीकाकरण के लिए लोगों को प्रशिक्षण देने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ 26 वर्चुअल बैठक की गई।
  • प्रशिक्षण के लिए 2,360 मास्टर ट्रेनर शामिल हुए और प्रोग्राम्स में 2 लाख वैक्सीनेटर ने भाग लिया।
  • शहर से लेकर गांवों तक टीकाकरण की प्रक्रिया पूरा करने के मक़सद से करीब साढ़े चार लाख कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया।
  • अंतिम छोर तक टीकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए देश की कोल्ड चेन अवसंरचना को पर्याप्त रूप से उन्नत किया गया है।
  • पीएम मोदी ने 22 जनवरी, 2021 को वाराणसी के कोरोना वैक्सीन के लाभार्थियों और चिकित्साकर्मियों के साथ संवाद किया।

पहले दिन टीकाकरण में अव्वल भारत

फ्रांस –     73

ब्रिटेन –    19,700

अमेरिका-   79,458

भारत –     2,07,229                              

सबसे तेजी से टीकाकरण

टीकाकरण (एक हफ्ते में)

भारत-         12.7 लाख

अमेरिका –    5.56 लाख

ब्रिटेन-         1.38 लाख

फ्रांस –           516

डिजिटल प्लेटफॉर्म

  • कोविड-19 टीकाकरण के पूरे महाअभियान की निगरानी, नियंत्रण और समन्वय के लिए CoWIN एप का विकास किया गया है।
  • CoWIN एप में प्रशासक, पंजीकरण, टीकाकरण, लाभार्थी और रिपोर्ट मॉड्यूल शामिल है।
  • CoWIN एप में टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर ट्रैकिंग तक की व्यवस्था है।
  • टीका लगवाने वाले का पूरा डेटा कोविन एप में अपलोड होगा। इसके लिए उन्हें डिजिटल सर्टिफिकेट मिलेगा।
  • CoWIN एप टीके के स्टॉक, उनके भंडारण का तापमान और लाभार्थियों की वैयक्तिक ट्रैकिंग की सूचना उपलब्ध कराता है।
  • फिलहाल एप का इस्तेमाल मिशन से जुड़े अधिकारी कर रहे हैं। इसमें लाखों हेल्थकेयर वर्करों का डेटा है।.
  • टीकाकरण कार्यक्रम में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को भी इसके जरिये सारी जानकारी दी जा रही है। 12 भाषाओं में एसएमएस भेजा जा रहा है।
  • 1075 हेल्पलाइन नंबर का इस्तेमाल कर कोरोना टीकाकरण से जुड़ी कोई भी जानकारी हासिल की जा सकती है।

आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता

  • कोवैक्सीन और कोविशील्ड भारतीय वैज्ञानिकों के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
  • कोवैक्सीन का विकास आइसीएमआर और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने संयुक्त रूप से किया है।
  • वैक्सीन स्टोरेज से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक भारतीय स्थितियों और परिस्थितियों के अनुकूल हैं।
  • भारत दूसरी सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश होने के बावजूद अपने दम पर टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने में कामयाब रहा।
  • जब भारत में कोरोना पहुंचा तब देश में कोरोना टेस्टिंग की एक ही लैब थी। आज 2300 से ज्यादा लैब्स का नेटवर्क मौजूद है।
  • मास्क, पीपीई किट, टेस्टिंग किट्स, वेंटिलेटर्स जैसे ज़रूरी सामानों के निर्माण में आत्मनिर्भर होने के साथ निर्यात भी कर रहे हैं।
  • पहले चरण में 3 करोड़ लोगों को कोरोनावायरस वैक्सीन लगाने का खर्च सरकार उठा रही है।
  • देश में आठ कोरोना वैक्सीन बन रही हैं जो क्लीनिकल ट्रायल के अलग-अलग स्तर पर है।

साहसिक अभियान

  • आमतौर पर भारत साल भर में 5 से 6 करोड़ जरूरतमंदों का टीकाकरण करता है। लेकिन जुलाई 2021 तक लगभग 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने का कठिन लक्ष्य तय किया है।
  • मौजूदा क्षमता से छह गुना अधिक टीके लगाए जाएंगे, जो एक बड़ा कदम है। वहीं 30 करोड़ की आब़ादी से ऊपर के दुनिया के 3 ही देश हैं- चीन, भारत और अमेरिका।

सस्ती और असरदार

  • देशवासियों को सबसे सस्ती वैक्सीन उपलब्ध कराकर भारत ने दुनिया के सामने मिसाल पेश की है।
  • मोदी सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया 200 रुपये प्रति डोज की लागत से 1.1 करोड़ कोविशील्ड वैक्सीन खरीदी है।
  • भारत बायोटेक से 295 रुपये प्रति डोज के हिसाब से 55 लाख कोवैक्सीन खरीदी गई हैं।

सबसे सस्ती वैक्सीन

वैक्सीन                                    कीमत

कोविशील्ड (सीरम)                   200 रुपये

कोवैक्सीन (भारत बायोटेक)         295 रुपये

स्पूतनिक-वी                            734 रुपये

फाइजर                                 1459 रुपये

मॉडर्ना                                  2715 रुपये

साइनोवैक (चीन)                    1000 रुपये

साइनोफोर्म (चीन)                   5650 रुपये

पीएम मोदी की वैक्सीन डिप्लोमेसी

  • भारत कोरोना महामारी से निपटने में अपने पड़ोसी देशों के साथ मित्र देशों को भी दिल खोलकर मदद कर रहा है।
  • पीएम मोदी ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को कोरोना वैक्सीन भेजकर ‘पड़ोसी धर्म’ निभाया है।
  • भारत से कोरोना वैक्सीन की 20 लाख खुराक मिलने के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो ने खुशी का इजहार किया।
  • बोलसोनारो ने भगवान हनुमान की संजीवनी बूटी लेकर जाते हुए तस्वीर ट्वीट कर पीएम मोदी और भारत का आभार जताया।

पड़ोसी और मित्र देशों को वैक्सीन की आपूर्ति

भूटान :  1.5 लाख डोज

मालदीव : 1 लाख डोज

नेपाल : 10 लाख डोज

बांग्लादेश : 20 लाख डोज

म्यांमार : 15 लाख डोज

मॉरिशस : 1 लाख डोज

सेशेल्स : 50,000 डोज

भारतीय वैक्सीन की बढ़ी मांग

श्रीलंका, अफगानिस्तान, मॉरिशस, जापान, दक्षिण अफ्रीका फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, सिंगापुर जैसे देशों ने भी भारत की कोविशील्ड और कोवैक्सीन में अपनी दिलचस्पी दिखाई है।

भारत की वैक्सीन ने चीन को पछाड़ा

  • ब्राजीली वैज्ञानिकों का कहना है कि चीन की कोरोना वैक्सीन साइनोफार्म केवल 50 प्रतिशत असरदार है।
  • इस निष्कर्ष के आते ही तमाम वो देश जिन्होंने चीनी टीके के लिए बडे़ बडे़ आर्डर दिए थे, वो अब इस पर सवाल करने लगे हैं।
  • उन्हीं में बहुत से देशों ने अब भारत से वैक्सीन भेजने का अनुरोध किया है।
  • चीन की जिस कंपनी ने वैक्सीन बनाई है, वो उनके सरकारी क्षेत्र की बीजिंग की कंपनी सिनोवैक है।
  • चीन ने जो वैक्सीन बनाई है जो पुरानी तकनीक से बनाई है यानि ये वैक्सीन रसायन से बनाई है।
  • चीन की तुलना में भारत में बनी वैक्सीन एमआरएनए तकनीक से बनाई गई है।

सरकार और वैज्ञानिकों पर भरोसा

भारत के 80 प्रतिशत लोग वैक्सीन लगाने को तैयार

भारत – 80%

ब्रिटेन – 66 %

जर्मनी – 62%

अमेरिका –59%

रूस – 40%

स्रोत : Trust Barometer Survey 2021

प्रधानमंत्री मोदी का मार्गदर्शन

  • 28 नवंबर, 2020 को पीएम मोदी ने कोरोना वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए तीन निर्माण केंद्रों का दौरा किया-
  1. जाइडस कैडिला प्लांट, अहमदाबाद
  2. भारत बायोटेक, हैदराबाद
  3. सीरम इंस्टीट्यूट, पुणे  
  • पीएम मोदी ने वैक्सीन के विकास, उसे बनाने की प्रक्रिया और प्रगति की समीक्षा की।

याचक नहीं दाता बना भारत

  • पीएम मोदी ने वर्चुअल ग्लोबल वैक्सीन शिखर सम्‍मेलन 2020 को संबोधित किया।
  • पीएम मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन गठबंधन ‘गावी’ को 15 मिलियन डॉलर देने की घोषणा की।
  • भारत अब भी ‘गावी’ से सहायता पाने का पात्र होते हुए भी ‘गावी’ के लिए एक दाता बन गया है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को अंतरराष्ट्रीय टीका और प्रतिरक्षा गठबंधन (गावी) के बोर्ड में नामित किया गया।
  • डॉ. हर्षवर्धन ने सीरम इंस्टीट्यूट और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से विकसित ‘न्यूमोसिल’ टीके का उद्घाटन किया।

भारत वैक्सीन निर्माण का ‘पावरहाउस’

  • भारत दुनिया के 60 प्रतिशत टीकों का उत्पादन करता है और यूएन की वार्षिक वैक्सीन खरीद का 60-80 प्रतिशत हिस्सा है।
  • पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट उत्पादन और बेची जाने वाली दवा की संख्या के हिसाब से विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है।
  • सीरम इंस्टीट्यूट के टीकों का इस्तेमाल विश्व के करीब 170 देशों के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए किया जा रहा है।
  • हैदराबाद का भारत बायोटेक ने अब तक 16 वैक्सीन का व्यवसायीकरण किया है, जिसमें H-1 N-1 फ्लू भी शामिल है।
  • भारत बायोटेक के लगभग 90 प्रतिशत टीके निम्न-मध्यम आय वाले देशों में बेचे जाते हैं।
  • भारत बायोटेक कंपनी 160 वैश्विक पेटेंट की मालिक है और 65 से अधिक देशों में उत्पाद बेचती है।
  • भारत बायोटेक के पास ना केवल जबरदस्त रिसर्च सुविधाएं हैं बल्कि इसकी उत्पादन क्षमता भी काफी बड़ी है।
  • अहमदाबाद का जाइडस समूह स्वाइन फ्लू से लड़ने के लिए स्वदेशी रूप से वैक्सीन का निर्माण करने वालों में था।
  • देश के बड़े वैक्सीन निर्माताओं के पास पहले से ही वितरण नेटवर्क और दुनिया भर में जल्द पहुंचने की क्षमता है।

अन्य टीकाकरण अभियान

  • दुनियाभर के करीब 60 प्रतिशत बच्चों को जो जीवनरक्षक टीके लगते हैं, वो भारत में ही बनते हैं।
  • पूरे देश के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के लिए मोदी सरकार ने 25 दिसंबर, 2014 कोमिशन ‘इंद्रधनुष’ शुरू किया।
  • 21 जनवरी, 2021 तक मिशन ‘इंद्रधनुष’ के तहत 3.76 करोड़ बच्चों का टीकाकरण किया गया।
  • भारत का यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है।
  • यूआईपी के तहत सालाना 2.67 करोड़ नवजात शिशुओं और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को लक्षित किया जाता है।
  • यूआईपी के तहत 12 अलग-अलग बीमारियों के खिलाफ वैक्सीन का मुफ्त टीकाकरण होता है।

12 बीमारियों का मुफ्त टीकाकरण : डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, खसरा, रूबेला, तपेदिक, हेपेटाइटिस बी, मेनिनजाइटिस, निमोनिया हेमोफिलिया इन्फ्लुएंजा(बी), रोटावायरस दस्त, न्यूमोकोकल निमोनिया और जापानी इन्सेफलाइटिस