कोरोना के कहर के कारण उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में 15 जनवरी तक चुनावी जनसभाओं, रोड शो, पदयात्रा आदि आयोजनों पर चुनाव आयोग ने रोक लगाई गई है। आयोग ने पार्टियों से वर्चुअल चुनाव प्रचार पर जोर देने की अपील की है। कोरोना के हालात यदि न सुधरे तो इसकी बहुत संभावना है कि आयोग 15 जनवरी के बाद भी वर्चुअल मोड पर ही चुनाव प्रचार के लिए कह दे। पार्टी के पक्ष में हवा बनाने में राजनीतिक दलों की ‘आईटी सेनाओं’ की भूमिका पहले से भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी की आईटी टीम, सोशल मीडिया प्रजेंस दूसरी पार्टियों से मीलों आगे है। बीजेपी को अपने इन ‘कमांडरों’ का फायदा जरूर मिलेगा।
पीएम मोदी ने राज्यों में डिजिटल प्रजेंस को बनाया मजबूत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूर-दृष्टि से डिजिटल की ताकत को तभी समझ लिया था, जबकि वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने तभी से डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जोर दिया और आज प्रधानमंत्री पूरी दुनिया में युवाओं में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। अकेले ट्वीटर पर ही उनके 74.4 मिलियन फोलोअर हैं। सीएम से पीएम बनने के बाद भी उन्होंने न सिर्फ डिजिटल इंडिया कैम्पेन चलाया, बल्कि बीजेपी शासित सारे राज्यों में मुख्यमंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों को सोशल प्लेटफार्मस पर सक्रिय किया। इसी के सुफल अब कोरोना काल में बीजेपी को देखने को मिल रहे हैं।
पांचों राज्यों में वर्चुअल माध्यम से प्रचार पर रहेगा जोर
कोरोना के जिस तरह के हालात बन रहे हैं और चुनाव आयोग से जो संकेत मिल रहे हैं, उससे साफ लगता है कि ऐसे में इस बार चुनाव प्रचार डिजिटल मोड पर ज्यादा होगा। यदि इन पांच राज्यों में कोरोना के मामले बढ़े तो 15 जनवरी के बाद भी रैलियों सहित अन्य कार्यक्रमों को वर्चुअल माध्यम से करने के लिए आयोग कह सकता है। बीजेपी की डिजिटल और सोशल मीडिया की ताकत को देखते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो चुनाव से पहले ही हथियार डाल दिए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग को उन दलों के बारे में भी सोचना चाहिए, जिनके पास वर्चुअल माध्यम की पर्याप्त ताकत नहीं है।
….तो इसलिए घबराए हुए हैं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में डिजिटल प्रजेंस की बात करें तो बीजेपी दूसरे दलों से काफी आगे है। सपा और बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों का आईटी सैल बीजेपी के मुकाबले कमजोर दिखता है। यह बात बीजेपी के विरोधी दलों के शीर्ष नेता भी स्वीकार करते हैं। दूसरी ओर, बीजेपी आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने कहा कि डिजिटल चुनाव प्रचार के लिए संगठन, निष्ठावान कार्यकर्ता और कार्यशैली चाहिए। जो सपा के पास है ही नहीं। इसलिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव घबराए हुए हैं।
पांच राज्यों में ये देखिए बीजेपी के वर्चुअल ‘कमांडरों’ की ताकत
जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, वहां पर बीजेपी ट्वीटर, फेसबुक, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम जैसे सोशल कनेक्ट के प्लेटफार्म पर अन्य दलों की तुलना में कई गुना आगे है। हर दिन इन राज्यों में लाखों नए लोग बीजेपी और उसके नेताओं से जुड़ रहे हैं। हर हाथ में मोबाइल होने के चलते डिजिटल वॉइस का गुणात्मक असर थोड़े से ही समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों पर होता है। बीजेबी कुछ ही मिनटों में अपना संदेश करोड़ों लोगों तक पहुंचाने में सक्षम है।
State Twitter Facebook
उत्तर प्रदेश 29,88,619 50,94,966
उत्तराखंड 1,19,441 2,81,954
गोवा 65,558 1,45,792
पंजाब 65,228 3,54,723
मणिपुर 61,655 72,474
सोशल मीडिया प्लेटफार्म के ये आंकड़े सोमवार तक के हैं
CM on Twitter : अकेले योगी आदित्यनाथ ही सब पर भारी
उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ 16.8M
उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी 122K
गोवा डॉ. प्रमोद सावंत 98.3K
चरणजीत सिंह चन्नी 162K
एन बीरेन सिंह 157K