Home विशेष अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा

अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा

SHARE

भारतीय जनता पार्टी को देश के जन-जन की पार्टी बनाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं है। 16 अगस्त, 2018 को अटल जी हम सबको छोड़कर चले गए। अटली जी शानदार और विराट व्यक्तित्व के नेता थे। उन्होंने पत्रकारिता से अपनी जीवन यात्रा शुरू की थी और धीरे-धीरे राजनीति में आ गए। भारतीय जनता पार्टी को बुलंदियों तक पहुंचाने वालों में से एक अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति के खास चेहरे रहे हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में 25 दिसंबर, 1924 को पैदा हुए अटल जी ने राजनीति में लंबा सफर तय किया है। उनका ये सफर कई मायनों में अहम रहा है। एक आम परिवार से आए अटल जी ने अपने करियर का शुरुआती दौर पत्रकारिता में गुजारा, लेकिन इसके बाद उन्होंने राजनीति की तरफ रुख कर लिया।

एक घटना के बाद अटल जी ने राजनीति में रखा कदम
कहा जाता है कि एक घटना ने पत्रकार अटल जी की जिंदगी को राजनीति की तरफ मोड़ दिया। वाजपेयी जी ने एक इंटरव्यू में खुद बताया था कि वह दिल्ली में साल 1953 में बतौर पत्रकार काम कर रहे थे और उस समय भारतीय जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा किए जाने के खिलाफ थे। अटल जी ने जानकारी देते हुए कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर में लागू परमिट सिस्टम का विरोध करने के लिए वहां चले गए और उस समय इसे कवर करने वाजपेयी उनके साथ गए थे। इसी बीच कश्मीर में नजरबंदी की हालत में सरकारी अस्पताल में डॉ. मुखर्जी की मौत हो गई, जिससे अटल जी बहुत दुखी हुए और डॉ. मुखर्जी के सपने को पूरा करने के लिए पत्रकारिता छोड़ राजनीति में आ गए।

आधे दशक से अधिक रहा अटल जी का राजनीतिक जीवन
भाजपा के धुरंधर नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। अटल जी अपना पहला चुनाव हार गए थे। 1957 में अटल जी बलरामपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और पहली बार जीत कर लोकसभा में आए। 1996 में अटल जी पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने। हालांकि अटल जी की पहली सरकार सिर्फ 13 दिन ही चल सकी। दूसरी बार अटल जी 1998 में गठबंधन सरकार में प्रधानमंत्री बने और इस बार उनका कार्यकाल करीब 13 महीने का रहा। तीसरी बार अटल जी ने 13 अक्टूबर, 1999 को देश की बागडोर संभाली और 13 दलों के गठबंधन के साथ उन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। अटल जी पांच साल तक प्रधानमंत्री रहने वाले पहले गैर कांग्रेसी नेता थे। अटल जी कुल कुल 10 बार लोकसभा सांसद रहे और वह दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा सांसद भी रहे। अटल ने उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और मध्य प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते और गुजरात से राज्यसभा पहुंचे थे। अटल जी मोरारजी देसाई की सरकार में सन 1977 से 1979 तक भारत के विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनाई।

सबसे अधिक बार लखनऊ से सांसद बने अटल जी
अटल मध्य प्रदेश से थे लेकिन उत्तर प्रदेश के लखनऊ से उनका खास लगाव था। 1954 में लोकसभा के लिए उपचुनाव में जनसंघ उम्मीदवार के रूप में पहली बार लखनऊ से ही मैदान में उतरे थे। 1957 में बलरामपुर से निर्वाचित होकर लोकसभा के सदस्य बने। 1991 में वह पहली बार लखनऊ से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से सांसद रहे। वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव उन्होंने नहीं लड़ा था। अटल बिहारी वाजपेयी को लखनऊवासी सिर्फ अटल जी कहकर संबोधित करते हैं। लखनऊ अटल बिहारी की कर्मभूमि है। अटल बिहारी के चाहने वाले इतने थे की भाजपा से नाराज चलने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग भी अटल को दिल से चाहते थे। 25 अप्रैल 2007 को अटल जी की आखिरी रैली लखनऊ के कपूरथला चौराहे पर भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में हुई थी। इसके बाद खराब स्वास्थ्य के चलते उनका लखनऊ से उनका सम्बन्ध धीरे धीरे खत्म हो गया।

2015 में भारत रत्न से सम्मानित किए गए अटल जी
आधे दशक से अधिक समय तक देश की सेवा करने वाले अटल बिहारी वाजपेटी को 2015 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में उनके आवास पर जाकर 27 मार्च, 2015 को भारत रत्न सम्मान प्रदान किया था। इससे पहले उन्हें देश और समाज की सेवा करने के लिए दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। 1994 में अटल जी को सर्वश्रेष्ठ सांसद चुना गया था। अटल जी एक प्रतिष्ठित नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थी। अटल जी जनता की बातों को ध्यान से सुनते थे और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते रहे।

Leave a Reply