कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले किसानों को देखकर लगता है कि वे आंदोलन कम पिकनिक ज्यादा मना रहे हैं। उनके खाने-पीने की पूरी व्यवस्था है। पिज्जा, बादाम, फाइव स्टार लंगर, मसाज से लेकर हुक्का तक सब सुविधा फ्री में उपलब्ध है। यहां तक कि जाम भी खूब छलकाये जा रहे हैं। टिकरी बॉर्डर पर शाम होते ही शराब के ठेके पर भीड़ लग जाती है। शराब खरीदने वाले ग्राहकों में ज्यादातर आंदोलनकारी किसान होते हैं।
जैसे-जैसे शाम ढलती जाती है, टीकरी बॉर्डर पर शराब के ठेकों पर भीड़ बढ़ती जाती है। शराब खरीदने वालों में युवा, अधेड़ और बुजुर्ग सभी होते हैं। शराब खरीदने के बाद डिब्बा वहीं फेंक देते हैं और बोतल को कपड़ों में रखकर अपनी ट्रॉलियों की तरफ बढ़ जाते हैं। कुछ युवा तो कोल्डड्रिंक की बोतल में शराब भरकर पीने लगते हैं। पास में ही एक नॉन-वेज बेचने वाले ढाबे की किस्मत खुल गई है। ढाबे पर खूब भीड़ लग रही है। किसानों को तंदूरी चिकन के साथ शराब के पैग लगाते देखा जा सकता है।
कमोबेश इसी तरह का हाल सिंघु बॉर्डर पर भी है। वहां किसान आंदोलन के मंच के पास ही एक बड़ा शराब का ठेका है, जो इन दिनों बंद है। यहां मंच के ठीक सामने एक नॉनवेज रेस्त्रां हैं। यहां शाम होते ही लोग शराब पीते दिख जाते हैं। इनमें ज्यादातर आंदोलन में शामिल किसान होते हैं। आप दैनिक भास्कर की इस रिपोर्ट को देख सकते हैं।
ट्रॉलियों के अंदर का नजारा देखकर आप हैरान रह जाएंगे। इनमें भी बस अंधेरा होने का इंतजार होता है। अंधेरा होते ही ट्रॉलियों में बोतलें खुलने लगती हैं। कहीं-कहीं युवा आंदोलनकारी भी पैग लगाते दिख जाते हैं। आंदोलन के दौरान शराब पीने पर कोई खुलकर बात तो नहीं करता लेकिन पीने वाले बचाव में अपनी-अपनी दलीलें देते हैं। हालांकि ज्यादातर लोग आंदोलन के दौरान किसानों के शराब पीने को गलत मानते हैं।
जब शराब का नशा सर चढ़ता है तो शांतिपूर्ण लग रहा आंदोलन अचानक हंगामेदार दिखने लगता है। नशे में धुत होकर किसान उत्तेजक नारेबाजी करने लग जाते हैं। ऐसे में माहौल तनावपूर्ण हो जाता है। कुछ लोगों का कहना है कि ये आंदोलन का एक छोटा सा पहलू है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसानों की आड़ में असामाजिक तत्व शामिल नहीं हो सकते ? क्या ये तत्व हालात को बिगाड़ाने के लिए सरकार और किसानों के बीच हिंसक टकराव की स्थिति पैदा नहीं कर सकते हैं ? आग लगाने के लिए एक चिनगारी ही काफी है।
आंदोलन के नाम पर पिकनिक मनाने जुटे इन लोगों के लिए बादाम, किशमिश, फाइव स्टार लंगर, हुक्का और पिज्जा से लेकर मसाज तक की सुविधा भी मौजूद है। आप भी देखिए…
Sikhs are setting up almond langar, comrades are collecting money by sharing bank accounts on their Facebook pages.
It is interesting to see that Sikh organizations, be they carseva,Gurdwara Committees,Khalsa Aid,no one has asked for money.#WeUnitedForFarmers #WeUnitedForFarmers pic.twitter.com/mcBxPWg1NP— Sardar Rajinder Singh (@irajinderdhiman) December 11, 2020