अभिनेता और लोकसभा सांसद परेश रावल ने अरुंधति राय पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि कश्मीर में पत्थरबाजी की समस्या खत्म करने के लिए जीप के आगे पत्थरबाजों को बांधने के बजाय अरुंधति रॉय जैसे लोगों को बांध दिया जाए।
Instead of tying stone pelter on the army jeep tie Arundhati Roy !
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) May 21, 2017
उन्होंने यह भी कहा कि अरुंधति रॉय के अलावा भी कई और विकल्प हैं।
We have a wide variety of choices ! https://t.co/rpciWyhLha
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) May 21, 2017
आखिर बीजेपी सांसद परेश रावल को यह कहने की जरूरत क्यों पड़ी? बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति राय वामपंथी विचारधारा की हैं। कोई किसी भी विचारधारा की हो किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब बात देश की होती है तो अरुंधति रॉय जैसी बुद्धिजीवी देश के खिलाफ बोल कर आतंकियों और अलगाववादियों के हौसले को बुलंद करती हैं। अरुंधति अक्सर भारतीय सेना पर हमला बोलती रहती हैं। उनका कहना है कि 1947 से भारतीय सेना का देश की जनता के खिलाफ ही इस्तेमाल हो रहा है। हाल ही में एक तमिल पुस्तक के विमोचन पर उन्होंने कहा कि सेना कश्मीर, नगालैंड, मिजोरम में अपने लोगों पर अत्याचार करती रही है। अरुंधति का यह कहना ना सिर्फ सरकार विरोधी है बल्कि भारत विरोधी भी है। अभिव्यक्ति की आजादी का यह मतलब नहीं है कि आप राष्ट्रीय हितों को नजरअंदाज करते हुए ऐसा कुछ कह जाए जो देश को और अधिक कमजोर कर दे।
अरुंधति रॉय कभी नक्सलियों तो कभी कश्मीरी अलगाववादियों की पैरोकार बन जाती हैं। बताया जाता है कि एक पाकिस्तानी अखबार के साथ बातचीत में अरुंधति रॉय ने कहा था कि भारत सात लाख क्या 70 लाख फौज भी लगा ले तो भी कश्मीर आजाद होकर रहेगा। अब आप इसे क्या कहिएगा? यह तो एक तरह से देश विरोधी बोल ही है। देश में रहकर ये लोग खुलेआम आतंकियों और अलगाववादियों का समर्थन करते हैं।
अरुंधति रॉय नक्सलियों को समर्थन देने के लिए अदालत की भी आलोचना कर चुकी हैं। इसके लिए इनपर अदालत की अवमानना का भी मामला है। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईबाबा के बारे में अपने एक लेख में न्यायपालिका की आलोचना की थी। साईबाबा को नक्सलियों के साथ संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें जमानत नहीं देने पर रॉय ने कोर्ट की आलोचना की थी। देश विरोधी भाषण देने और कश्मीरी अलगाववाद का समर्थन करने के आरोप में 2010 में दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था।