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आक्रामक मोदी नीति के सामने आतंकवाद पस्त, बुरहान के बाद सबजार भी मारा गया

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बुरहान बानी के बाद अब उसका उत्तराधिकारी सबजार भट्ट को भी सुरक्षाबलों ने मार गिराया है। ये मोदी सरकार की एक और बड़ी सफलता है। ये सफलता बड़ी इसलिए भी है क्योंकि इससे पाकिस्तान की मदद से जारी आतंकवाद की रीढ़ की हड्डी टूट गयी है। हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी स्थानीय युवकों को गुमराह कर प्रदर्शन, पत्थरबाजी, सेना पर हमला, हथियारों की लूट, एटीएम की लूट..यानी हर तरह की तरकीब लगाकर आतंकी जोर आजमाइश करते रहे हैं। बुरहान बानी के बाद उसके उत्तराधिकारी सबजार को भी ठिकाने लगाकर सेना ने इन कोशिशों को करारा जवाब दिया है।

कश्मीर में आतंकवाद पर नकेल कसते हुए मोदी सरकार ने एक के बाद एक कामयाबी हासिल की है। नीतिगत तौर पर भी मोदी सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए सेना के मनोबल को ऊंचा किया है जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं:

संयोग नहीं सख्त नीति का नतीजा है भट्ट का मारा जाना

सबजार अहमद भट्ट का मारा जाना संयोग भर नहीं है। खुफिया विभाग, सेना और स्थानीय पुलिस की तालमेल का नतीजा है सबजार भट्ट का मारा जाना। सेना की टुकड़ी पर लगातार हमलों के खिलाफ सेना की मुहिम रंग ला रही है। त्राल में दो दिन तक भीषण मुठभेड़ के बाद सबजार भट्ट को मार गिराने की कामयाबी हाथ लगी है। निश्चित रूप से इस घटना से आतंकियों के मनोबल पर असर पड़ेगा, वहीं सेना का मनोबल ऊंचा होगा।

पाक सैन्य चौकियों पर कार्रवाई

नौगाम और नौशेरा में पाकिस्तान की सैन्य चौकियों पर कार्रवाई भी घुसपैठ रोकने और आतंकियों को मदद के तार को तोड़ने के लिए की गयी बड़ी कार्रवाई थी। कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को जवाब देने के लिए भारत ने पहले ही तैयार कर ली थी। वीडियो जारी कर भारत ने स्पष्ट संदेश दिया कि परोक्ष युद्ध अब भारत सहने को तैयार नहीं है और अब जवाब का तरीका यही होगा। भारत की इस कार्रवाई को पाकिस्तान की उस कार्रवाई का जवाब माना जा रहा है जिसमें उसने दो भारतीय जवानों को मार कर उसके शव क्षत-विक्षत कर दिए थे।

मेजर गोगोई को सम्मान

पत्थरबाज को जीप के बोनट पर बांधने वाले मेजर गोगोई को सम्मान देने का फैसला भी सख्त कदम है। मोदी सरकार ने साफ-साफ संकेत दे दिया है कि मानवाधिकार की दुहाई देकर पत्थरबाजों के साथ हमदर्दी नहीं रखी जा सकती। वहीं, पत्थरबाजों से लड़-भिड़ रहे हमारे दिलेर जवानों को सरकार अकेला नहीं छोड़ सकती। मेजर गोगोई ने जिस तरीके से और जिस परिस्थिति में आम नागरिकों और जवानों की जान बचाई, उसके लिए वे सम्मान के हकदार थे।

कश्मीरी अलगाववादी नेताओं पर नकेल

पाकिस्तान की मदद से हो रही पत्थरबाजी में फंडिंग की भूमिका का खुलासा हो चुका है। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को फंडिंग होती रही है। एनआईए की जांच के दायरे में ये नेता आ चुके हैं। ऐसे नेता भी अब बख्शे नहीं जाएंगे। पाकिस्तानी साठगांठ से कश्मीर में अलगाववाद को हवा देने वाले इन नेताओं पर नकेल कस दिया गया है।

सर्जिकल स्ट्राइक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जब पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक की थी, तभी यह मान लिया गया था कि नीतिगत तौर पर यह नयी लकीर खींची गयी है। परमाणु युद्ध के डर से भारत अब और चुप नहीं रह सकता। कश्मीर में आतंकवाद का बीज बाया जाता रहे और भारत चुपचाप अंजाम झेलने को विवश रहे, यह स्थिति और बर्दाश्त नहीं की जा सकती। दुनिया ने भारत के इस रुख का समर्थन किया। किसी एक देश ने भी पाकिस्तान की सीमा में घुसकर किए गये इस सर्जिकल स्ट्राइक को गलत नहीं ठहराया। यह भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतनी बड़ी जीत रही जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज बुलंद

कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारत ने विश्व मंच पर अपनी आवाज बुलन्द की है। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भारत की चिंता को सही ठहराया है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मौजूदगी में भारत को आतंकवाद से पीड़ित देश बताया है।

घुसपैठ की हर कोशिश नाकाम

पाकिस्तानी सेना की मदद से घुसपैठ कराने की नियमित कोशिश होती रही है। अब भारत का रुख अधिक आक्रामक है। इन घुसपैठ की कोशिशों को रोकने के लिए सेना को पूरी छूट दी गयी है। यहां तक कि पाकिस्तान की सीमा में घुसकर कार्रवाई की भी छूट दी गयी है। इससे स्थिति में बड़ा बदलाव आया है।

छापामारी और तलाशी अभियान में तेजी

घुसपैठ रोकने में पाकिस्तानी सेना से लोहा लेने के अलावा भारत ने कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में भी छापामारी अभियान चला रही है। सघन तलाशी अभियानों के दौरान जाहिर है मुठभेड़ की घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन इससे आतंकियों के मंसूबों पर करारी चोट पड़ी है। बड़ी संख्या में वे मारे और पकड़े जा रहे हैं। उनसे हथियारों की बरामदगी भी हो रही है।

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