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आधार लिंकेज का प्रधानमंत्री मोदी का कदम ला रहा है रंग, उच्च शिक्षा में 1.30 लाख फर्जी शिक्षकों का खुलासा

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सरकारी योजनाओं से आधार कार्ड को लिंक कराने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सर इसलिए जोर देते रहे हैं ताकि इनमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश ही ना बचे। आधार लिंकेज के साथ कई मंत्रालय और विभाग फर्जी एनरॉलमेंट का पता लगाने में जुटे हुए हैं। मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्रालय ने आधार लिंकेज के साथ बोगस एनरॉलमेंट को खत्म करने की ठान रखी है जिसका एक पर एक फायदा सामने आ रहा है। कुछ महीने पहले स्कूलों की मिड डे मील योजना में फर्जी तरीके से लाखों छात्रों के एनरॉलमेंट का पता चला था और अब शिक्षकों के फर्जी एनरॉलमेंट का खुलासा हुआ है।

आधार नंबर से 1.30 लाख बोगस शिक्षकों का पता

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीते साल सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से कहा था कि वे अपने यहां कार्यरत शिक्षकों की जानकारी देते समय उनका 12 अंकों का आधार नंबर भी जरूर उपलब्ध कराएं। मंत्रालय ने ये कदम उच्च शिक्षा में फर्जी शिक्षकों को लेकर  लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उठाया था। आधार नंबर के जरिये शिक्षकों के बारे में पता करने की प्रक्रिया के दौरान एक बड़ा खुलासा सामने आया है कि देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत बताए जा रहे 1,30,000  शिक्षक असल में हैं ही नहीं।

‘आधार’ के साथ नहीं दे सकते गलत आंकड़ा

इस मामले में livemint ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें सूत्रों का हवाला देकर ये बताया गया है कि देश के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की संख्या करीब 14 लाख है। यानी अब आधार से पहचान के पुष्टिकरण के बाद इनमें से 10 प्रतिशत ऐसे निकले हैं जो असल में थे ही नहीं। जानकारियों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थान विस्तार और नए कोर्स शुरू करने के मकसद से जरूरी नियामक मंजूरियां लेने के लिए कार्यरत शिक्षकों का गलत आंकड़ा पेश करते रहे हैं।

‘आधार लिंकेज से सिर्फ वास्तविक शिक्षक ही रहेंगे’

कई प्रोफेशनल कॉलेजों को संचालित करने वाली केरल स्थित होलीग्रेस एकेडमी के चेयरमैन राजू डेविस परेपडन कहते हैं: ‘’कई संस्थान कागजों पर या अपनी वेबसाइट पर ऐसे कई शिक्षकों के नाम दिखाते हैं जो वहां के कर्मचारी नहीं होते। क्लास लेने के लिए के लिए वो युवा कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स को बुलाते हैं और प्रॉस्पेक्टस में उनके नाम सिर्फ तभी दर्ज करते हैं जब कोई इंस्पेक्शन होने वाला होता है। आप शिक्षकों के ऐसे कई समूहों को देखेंगे जो एक साथ ढेर सारे कॉलेजों की फर्जी सूची में दर्ज हैं।‘’ राजू डेविस आधार को उपयोगी बताते हुए कहते हैं कि इससे सूची में वास्तविक शिक्षक ही रहेंगे जो शिक्षार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है।

मिड डे मिल योजना में भी फर्जीवाड़े का हुआ था पर्दाफाश

यह दूसरा बड़ा खुलासा है जो आधार के जरिये पहचान कन्फर्म करने की प्रक्रिया से सामने आया है। इससे पहले मध्यान्ह भोजन यानी मिड डे मील योजना में भी ऐसी ही गड़बड़ियां सामने आई थीं। पिछले वर्ष अप्रैल में पता चला था कि इस योजना में 4.4 लाख छात्रों का रजिस्ट्रेशन फर्जी तरीके से हुआ है। यह आंकड़ा भी सिर्फ तीन राज्यों-आंध्र प्रदेश, झारखंड और मणिपुर के बच्चो का था। ऐसे में अनुमान ही लगाया जा सकता है कि गड़बड़ी किस स्तर पर हो रही होगी और आधार लिंकेज इसका पर्दाफाश करने में कितना कारगर है।

खुलासे से सरकारी के सुधारवादी कार्यक्रमों पर मुहर

एक आंकड़े के मुताबिक देश में अभी शिक्षक और छात्रों का अनुपात 1:21 है यानी 21 छात्रों पर एक शिक्षक है जो आदर्श स्थिति में 1:10 होना चाहिए। आधार के सहारे फर्जीवाड़े के इस नये खुलासे के बाद कागज पर मौजूदा अनुपात में और कमी तो आएगी लेकिन इससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के सरकार के प्रयासों के कारगर होने पर मुहर जरूर लगी है। स्पष्ट आंकड़े के बाद शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ करने में काफी मदद मिलेगी। मोदी सरकार अपने सुधारवादी कार्यक्रमों में आधार लिंकेज को शामिल कर भ्रष्टाचार पनपाने वाले लीकेज को खत्म करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

राशन कार्ड से आधार जुड़ा तो मिले 2.33 करोड़ फर्जी 
आधार नंबर से राशन कार्ड को जोड़ने की योजना से भी सरकारी खजाने को राहत मिली है। खाद्य सब्सिडी में सालाना 14 हजार करोड़ रुपये की चोरी रुक गई है। आधार लिंकिंग से देश भर में कुल 2.33 करोड़ राशन कार्ड फर्जी मिले। इन कार्डों को रद्द कर दिया गया । केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 23.20 करोड़ राशन कार्ड हैं जिसे शत प्रतिशत डिजिटल किया जा चुका है। अब तक 77 फीसदी राशन कार्ड को आधार से जोड़ा जा चुका है। इसमें 2.33 करोड़ राशन कार्ड फर्जी मिले।

रसोई गैस के लिए आधार जोड़ने से 3.34 करोड़ फर्जी कनेक्शन खत्म 
सरकार ने रसोई गैस कनेक्शन से आधार लिंक करना अनिवार्य कर दिया। इसके साथ ही गैस सब्सिडी आधार लिंक्ड बैंक खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट के तहत जाने लगा। इससे नकली कनेक्शन और चोर-बाजारी की समस्या पर रोक लगाने में मदद मिली है। मई 2016 में प्राप्त आंकड़े के मुताबिक 3.34 करोड़ गैस कनेक्शन नकली, जाली या असक्रिय थे। इससे 21 हजार करोड़ रुपए की बचत सरकार को हुई थी।

आधार से मनरेगा के एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड रद्द 
मनरेगा में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए आधार नंबर को इस योजना के लिए अनिवार्य कर दिया। आधार नंबर लिंक होने पर मनरेगा में देश भर में एक करोड़ से ज्यादा जॉब कार्ड फर्जी मिले। सरकार ने तत्काल प्रभाव से फर्जी जॉब कार्ड को रद्द कर दिया।

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