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76वां स्वतंत्रता दिवस : लाल किले की प्रचीर से पीएम मोदी का ‘पंच प्रण’, नारी सम्मान की अपील

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भारत आज (15 अगस्त, 2022) अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार 9वीं बार लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए उन्होंने दुनियाभर में फैले हुए भारतीयों और भारत प्रेमियों को आजादी के अमृत महोत्सव की बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न सिर्फ हिंदुस्तान का हर कोना, लेकिन दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वाला विश्व के हर कोने में ये हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है। अपने 1 घंटे 23 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने अगले 25 सालों के लिए पांच प्रण,नारी सम्मान, भ्रष्टाचार पर वार का संकल्प व्यक्त किया। 

अगले 25 सालों के लिए पांच प्रण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस के ऐतिहासिक मौके पर लाल किले से देश को 5 प्रण दिलाए। उन्होंने कहा कि अगले 25 सालों में जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब तक हमें इन संकल्पों को पूरा करना है। उन्हों कहा, ‘मुझे लगता है कि आने वाले 25 सालों के लिए हमें अपने संकल्पों को 5 आधारों पर केंद्रित करना होगा। हमें उन पंच प्रण को लेकर 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे तो आजादी के दीवानों के सपनों को पूरा करना होगा।’

प्रधानमंत्री मोदी के अमृत काल के पंच प्रण-
1. विकसित भारत
2. गुलामी की हर सोच से मुक्ति 
3. विरासत पर गर्व
4. एकता और एकजुटता
5. नागरिकों का कर्तव्य

विकसित भारत : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा। छोटे-छोटे संकल्प का अब समय नहीं है। यह बड़ा संकल्प है विकसित भारत। विकसित भारत से कुछ कम नहीं होना चाहिए। 

गुलामी की हर सोच से मुक्ति : गुलामी की हर सोच से मुक्ति पाने को प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरा प्रण बताया और कहा कि गुलामी का एक भी अंश अगर अब भी है, तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। इस सोच ने कई विकृतियां पैदा कर रखी है, इसलिए गुलामी की सोच से मुक्ति पानी ही होगी।

विरासत पर गर्व : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अपनी विरासत के प्रति गर्व होना चाहिए। इसी विरासत ने भारत को कभी स्वर्ण काल दिया था। हमें अपनी पारिवारिक व्यवस्था पर गर्व करना है। हमारी विरासत को दुनिया को सराह रही है। भारत की जीवनशैली से दुनिया प्रभावित है। सबके सुख और सबके आरोग्य की बात करना हमारी विरासत है।”

एकता और एकजुटता : एकता और एकजुटता की अपील करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “130 करोड़ देशवासियों में एकता। न कोई अपना न कोई पराया। एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए हमारा चौथा प्रण है।”

नागरिकों का कर्तव्य : पांचवें प्रण के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘नागरिकों के कर्तव्य’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नागरिकों में पीएम और सीएम भी शामिल हैं। आने वाली 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्राणशक्ति है। जब सपने बड़े होते हैं। जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है।

नारी का सम्मान करने का संकल्प

प्रधानमंत्री मोदी अपने संबोधन में नारी के सम्मान पर जोर देते हुए कहा, “हममें विकृति आई है। हम नारी का सम्मान नहीं करते हैं। हमारी बोलचाल में हम नारी का अपमान करते हैं।” उन्होंने देशवासियों से अपील की, “हम स्वभाव में, संस्कार में, रोजमर्रा की जिंदगी में क्या नारी का सम्मान करने का संकल्प ले सकते हैं? नारी का गौरव, राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। इसलिए नारी का हर हाल में सम्मान जरूरी है।” 

नारी के योगदान को सम्मान, भूमिका पर जोर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की विकास यात्रा में नारी शक्ति के महत्वपूर्ण योगदान को याद किया और आने वाले 25 सालों में उनकी भूमिका पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत की नारी शक्ति आज हर क्षेत्र में सिरमौर है। हम जितने अवसर बेटियों को देंगे, जितनी सुविधाएं देंगे, वे हमें बहुत कुछ लौटाकर देंगी। वो देश को ऊंचाई पर ले जाएंगी। हमारे सपनों में नारी की मेहनत लग जाएगी, जो हमारी मेहनत कम हो जाएगी।” उन्होंने कहा, “हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।”

 

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