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संकट में श्रीलंका को आई ‘भगवान श्री राम’ की याद, भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए रामायण से जुड़े स्थानों पर होगा काम

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श्रीलंका इन दिनों भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। श्रीलंका की अर्थव्‍यवस्‍था बड़े पैमाने पर टूरिज्‍म पर निर्भर थी। मगर आर्थिक संकट के चलते पर्यटन का कारोबार भी चौपट हो चुका है। भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहा यह द्वीपीय देश अब आर्थिक सुधार के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहता है। इस देश से रामायण का भी गहरा नाता है। श्रीलंका के नवनियुक्त पर्यटन दूत और क्रिकेट खिलाड़ी सनत जयसूर्या ने कहा है कि उनका देश भारतीय पर्यटकों के लिए रामायण से जुड़े स्थलों की यात्रा को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस संदर्भ में जयसूर्या ने हाल में ही कोलंबो में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले से मुलाकात की। बैठक भारत और श्रीलंका के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने और आर्थिक सुधार के लिए एक माध्यम के रूप में पर्यटन को बढ़ावा देने पर केंद्रित थी। जयसूर्या ने कहा कि उनका देश भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए रामायण ट्रेल (राम पथ गमन) को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि इससे आर्थिक संकट में घिरे देश में पर्यटन को बढ़ावा मिलने से आर्थिक मदद मिलेगी।

संकट में श्रीलंका का मददगार बना भारत

श्रीलंका इस समय गंभीर आर्थिक संकट, ऐतिहासिक मंदी और भयानक महंगाई का सामना कर रहा है। लोगों को अब ईंधन और रोजाना की जरूरत की चीजों के लिए संघर्ष करना पड़ रह है। लोगों को खाने-पीने का सामान नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से पेट भरना भी मुश्किल हो गया है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संकटमोचक रूप में सामने आए हैं। श्रीलंका की सरकार और विपक्ष, दोनों मदद के लिए प्रधानमंत्री मोदी की ओर देख रहे थे। संकट काल में भारत ने अपने पड़ोसी देश की मदद कर रहा है। भारत की ओर से 40 मिट्रिक टन डीजल और 50 हजार टन चावल श्रीलंका भेजा गया। इसके साथ ही भारत ने श्रीलंका को 3.8 अरब डॉलर की मदद देने का ऐलान किया है।

मई में सबसे अधिक भारतीय पर्यटक श्रीलंका पहुंचे

श्रीलंका में रामायण से जुड़े 52 स्थल हैं। श्रीलंका इस वक्त भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते यहां पर्यटन भी ठप पड़ा है। इस साल मई महीने में भारत की ओर से श्रीलंका के पर्यटन सेक्टर में सबसे अधिक योगदान दिया गया है। यहां 5562 पर्यटक भारत से पहुंचे हैं। इसके बाद दूसरे स्थान पर ब्रिटेन है, जहां के 3723 लोग श्रीलंका घूमने गए। भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं से संबंधित विरासत के आदान-प्रदान के लिए वर्ष 2008 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

सिगिरिया में था रावण का महल

कहा जाता है कि सिगिरिया ही वह स्थान है, जहां रावण रहता था। माना जाता है कि रावण का साम्राज्य मध्य श्रीलंका में, बदुल्ला, अनुराधापुरा, केंडी, पोलोन्नुरुवा और नुवारा एलिया तक फैला हुआ था, मगर रावण सिगिरिया में रहता था। इस महल के लिए कहा जाता है कि यह महल भी कुबेर ने बनाया था, जो उनके भाई हैं। सिगरिया रॉक चट्टान के शीर्ष पर एक प्राचीन महल का अवशेष है, जो किलेबंदी, सीढ़ीदार बगीचे, तालाब, नहर, गलियों और फव्वारों से घिरा हुआ है। ये भी कहा जाता है कि यहां कुछ दिन माता सीता को रखा गया था। इसके बाद दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था।

अशोक वाटिका में बना है माता सीता मंदिर

माता सीता का हरण करने के बाद रावण ने उन्हें अपने महल की अशोक वाटिका में रखा था। यह जगह आज भी श्रीलंका में मौजूद है। यहां पर सीता माता का एक प्राचीन मंदिर भी बनाया गया है। इस जगह को सेता एलीया के नाम से जाना जाता है। ये नूवरा एलिया नामक जगह के पास स्थित है। मंदिर के पास ही एक झरना भी है। माना जाता है कि इस झरने में सीता माता स्‍नना करती थीं। इस झरने के आसपास की चट्टानों पर हनुमान जी के पैरों के निशान भी मिलते हैं। यही वो पर्वत है जहां हनुमान जी ने पहली बार कदम रखा था। इसे पवाला मलाई कहते हैं। ये पर्वत लंकापुरा और अशोक वाटिका के बीच में है

आठ हजार फुट की ऊंचाई  पर है रावण की गुफा

साल 2017 में एक रिसर्च हुई थी जिसमें 50 ऐसे स्थानों को खोज निकाले का दावा किया गया था जिनका रिश्‍ता रामायण से था। इसी रिसर्च में कहा गया था कि एक पहाड़ी में बनी गुफा में आज भी रावण का शव सुरक्षित है। रिसर्च में कहा गया है कि श्रीलंका में रैगला के जंगलो में एक चट्टान नुमा पहाड़ी है। इस पहाड़ी में एक गुफा है और गुफा में रावण का शव आज भी सुरक्षित रखा है। यह शोध श्रीलंका के रामायण रिसर्च सेंटर और पर्यटन विभाग ने मिलकर की है। शोध में दावा किया गया कि इसी गुफा में जाकर रावण तपस्या किया करता था। दावा है कि रैगला पहाड़ी में आठ हजार फुट की ऊंचाई पर यह गुफा बनी है जहां रावण का शव रखा गया है।

जहां गिरे थे माता सीता के आंसू, अब सीता टियर तालाब

रावण जब सीता माता को हरण करके ले जा रहा था तब सीता माता अपने पति भगवान राम के पास जाने के लिए रावण से कह रही थीं। मगर, रावण उन्‍हें जबरन अपने साथ लंका ले जा रहा था। उस दौरान सीता माता के आंसू जिस-जिस स्‍थान पर गिरे वहां पर तलाब बन गया। श्रीलंका में भी एक ऐसा ही स्‍थान है जहां सीता माता के आंसू गिरे थे। तब से इस जगह को सीता अश्रु ताल कहा जाता है। श्रीलंका में कैंडी से लगभग 50 किलोमीटर दूर नम्बारा एलिया मार्ग पर यह तालाब मौजूद है। इसे कुछ लोग सीता टियर तालाब कहते हैं। जब लंका में गर्मी पड़ती है और सारे तलाब सूख जाते हैं तब भी यह तलाब नहीं सूखता। इस तलाब का पानी भी बहुत मीठा है।

माता सीता ने यहां दी थी अग्नि परीक्षा

श्रीलंका में वेलीमड़ा नामक एक जगह है। यहां एक मंदिर डिवाउरूम्पाला है। कहा जाता है कि यहां पर माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी। आज भी स्थानीय लोग इस जगह पर सुनवाई करके न्याय करने का काम करते हैं। मान्यता है कि जिस तरह इस जगह पर देवी सीता ने सच्चाई साबित की थी उसी तरह यहां लिया गया हर फैसला सही साबित होता है।

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