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प्रधानमंत्री पद पर नरेन्द्र मोदी के 3000 दिन : भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होती बड़ी अर्थव्यवस्था का रुतबा हासिल किया

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कोरोना संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को काफी प्रभावित किया है। जहां विकसित और बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी का सामना कर रही हैं, वहीं श्रीलंका जैसी छोटी अर्थव्यवस्था ने दम दोड़ दिया। ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था ने इन चुनौतियों का मजबूती के साथ सामना किया है। यह इसलिए संभव हो पाया है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने 26 मई, 2014 को देश की बागडोर संभालते ही अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए काम करना शुरू कर दिया था। पिछले 3000 दिनों में मोदी सरकार ने जो निर्णय लिए, जो नीतियां बनाईं और जो पहलें कीं, जिन नीतियों में सुधार किए, उनकी वजह से आज भारत की अर्थव्यवस्था का निरंतर विस्तार हो रहा है। भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। तमाम सर्वे और आर्थिक विशेषज्ञों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार बने रहने की भविष्यवाणी की है।

मोदी राज में एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था है भारत 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था यूक्रेन और कोरोना संकट काल में भी तेजी से आगे बढ़ रही है। तमाम वैश्विक रुकावटों के बीच भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि ब्रोकरेज फर्म मार्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि 2022-23 में भारत एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था बनकर उभर सकता है। मार्गन स्टेनली के अनुसार 2022-23 में भारत की विकास दर का औसत सात प्रतिशत रह सकता है। मोदी सरकार की ओर से पिछले कुछ सालों में की गई आर्थिक नीति सुधारों, युवा कार्यबल और कारोबारी निवेश से भारत मजबूत घरेलू मांग उत्पन्न करने की स्थिति में है। इससे अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है। मार्गन स्टेनली ने अनुमान जताया है कि 2022-23 में एशियाई और वैश्विक विकास में भारत का योगदान 28 प्रतिशत और 22 प्रतिशत रह सकता है।

7.1 प्रतिशत रह सकती है जीडीपी ग्रोथ- केयरएज रेटिंग्‍स
मोदी सरकार की नीतियों के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में अर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर 7.1 प्रतिशत रह सकती है। केयरएज रेटिंग्‍स की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार के चलते वित्तवर्ष 2023 की शुरुआत बेहतर हुई है। जीएसटी कलेक्‍शन, ई-वे बिल रजिस्‍ट्रेशन और क्रेडिट ग्रोथ जैसे कई हाई फ्रिक्‍वेंसी इकोनॉमिक इंडिकेटर्स का पहले चार महीने में प्रदर्शन दमदार रहा है। इससे 2022-23 में अर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर 7.1 प्रतिशत रह सकती है।

जीडीपी ग्रोथ 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान- आरबीआई
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी विकास दर 7.2 प्रतिशत रह सकती है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी ग्रोथ 16.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार अर्थशास्त्रियों के एक सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 14-15 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सबसे बुरा समय खत्म हो गया है। 10 अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 23 की वृद्धि दर 7.2-7.6 प्रतिशत के बीच आंकी गई। HDFC के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ के अनुसार पहली तिमाही में जारी हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स बताते हैं कि वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है।

पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ 7-8 प्रतिशत रहने का अनुमान
मोदी सरकार की नीतियों की वजह से वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ 7-8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। देश के ज्यादातर मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (CEO) का मानना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अर्थव्यवस्था 7-8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक सर्वे के अनुसार 57 प्रतिशत CEO का मानना है कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7 से 8 प्रतिशत के बीच रहेगी। CII के सर्वे में देशभर के 136 CEO ने भाग लिया। CII CEOs पोल नतीजे स्पष्ट रूप से भारतीय उद्योग के लचीलेपन के साथ घरेलू और निर्यात दोनों पर सकारात्मक व्यावसायिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हैं। सर्वे के दौरान इंडिया इंक के सीईओ का यह भी मानना था कि इस दौरान उनकी कंपनी में रोजगार सृजन की संभावनाएं भी बेहतर रहेंगी।

2022 में 8.8 प्रतिशत रह सकती है वृद्धि दर- मूडीज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था कोरोना और यूक्रेन संकट काल में भी काफी मजबूत बनी हुई है। रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने साल 2022 में भारत की विकास दर 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसके साथ ही साल 2023 के लिए विकास दर अन्य विकसित देशों से अधिक 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि मजबूत क्रेडिट ग्रोथ, कॉर्पोरेट सेक्टर की बड़े स्तर पर निवेश की घोषणा और सरकार के पूंजी खर्च पर आवंटन बढ़ाए जाने से निवेश में मजबूती आने का संकेत मिलता है। मूडीज ने कहा है कि अगर ग्लोबल क्रुड ऑयल और फूड प्राइस में और बढ़ोतरी नहीं होती है, तो अर्थव्यवस्था में आगे भी तेजी देखने को मिल सकती है।

सबसे तेजी से बढ़ती रहेगी भारतीय अर्थव्यवस्था
अब संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण दुनियाभर में पड़े नकारात्मक असर के बाद भी भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख इकोनॉमी बना रहेगा। संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल इकोनॉमी की स्थिति पर जारी अपनी हालिया रिपोर्ट में वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। जबकि रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्यवस्था के वर्ष 2022 में 3.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस मामले में भारत कुछ बेहतर स्थिति में है। वहीं ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी ने कहा है कि वर्ष 2022 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत शामिल रहेगा। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 9.2 प्रतिशत और 2022-23 में 7.7 प्रतिशत रह सकती है। 

प्रति व्यक्ति आय और देश की जीडीपी में दोगुनी वृद्धि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 3000 दिनों के कार्यकाल में भारत आगे बढ़ा है। लेकिन किसी भी अन्य क्षेत्र में यह प्रगति उतनी अधिक नहीं रही जितनी कि वृहद आर्थिक स्थिरता के क्षेत्र में रही। वर्ष 2013 में भारत सबसे जोखिम भरे पांच देशों में शुमार था। वहां से अब तक काफी सुधार हुआ है। भारत की जीडीपी लगभग दोगुनी हो गई है। नरेन्द्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, तब भारत की जीडीपी 112.33 लाख करोड़ रुपये के आसपास थी। आज भारत की जीडीपी 232.14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2025 तक भारत की जीडीपी 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का टारगेट रखा है। वहीं मोदी सरकार में आम आदमी की कमाई में बड़ा इजाफा हुआ है। मोदी सरकार से पहले आम आदमी की सालाना आय 80 हजार रुपये से भी कम थी। अब वो 1.50 लाख रुपये से ज्यादा है।

यूपीए सरकार के मुकाबले आया 65 प्रतिशत ज्यादा एफडीआई
मोदी सरकार की ओर से लगातार एफडीआई नीति में सुधार, निवेश के लिए बेहतर अवसर, आर्थिक प्रबंधन और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे कदम उठाने का परिणाम है कि विदेशी निवेशकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया है। कोरोना काल में भी विदेशी निवेशक जहां दूसरे देशों में निवेश करने से बच रहे थे, वहीं उन्होंने भारत में जमकर निवेश किया। मोदी सरकार के पिछले आठ सालों पर नजर डाले तो देश में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आया है। मोदी सरकार में विदेशी मुद्रा भंडार ढाई गुना तक बढ़ा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार (29 मार्च, 2022) को वित्त विधेयक, 2022 और विनियोग विधेयक, 2022 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के शासन में देश में 500.5 अरब डॉलर विदेशी निवेश आया है, जो कि यूपीए सरकार के 10 वर्षों में एफडीआई के मुकाबले 65 प्रतिशत ज्यादा है। 

निर्यात 418 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
मोदी सरकार ने कोरोना महामारी से उत्पन्न तमाम चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर्स को प्रोत्साहित करने के साथ ही निर्यात पर भी फोकस किया। इसका नतीजा है कि निर्यात के मोर्चे पर वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारत ने इस दौरान करीब 418 अरब डॉलर का निर्यात करने में सफलता पाई है। वित्त वर्ष खत्म होने से 10 दिन पहले ही भारत ने निर्यात लक्ष्य को हासिल कर लिया। निर्यात की दृष्टि से मार्च 2022 काफी महत्वपूर्ण रहा। इस महीने देश ने 40 अरब डॉलर का निर्यात किया जो एक महीने में निर्यात का सर्वोच्च स्तर है। इसके पहले मार्च 2021 में निर्यात का आंकड़ा 34 अरब डॉलर रहा था। प्रधानमंत्री मोदी ‘मेक इन इंडिया’ का नारा लेकर आए थे। इसका मकसद था दुनिया में भारत की बनी चीजों को भेजना। 

सेवा निर्यात 250 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
भारतीय अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर में सुधार दिखाई दे रहा है। मोदी राज में वित्त वर्ष 2021-22 में कोरोना के बावजूद रिकार्ड 250 अरब डॉलर का सेवा निर्यात किया गया। जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में 195 अरब डॉलर का सेवा निर्यात किया गया था। 250 अरब डॉलर के सेवा निर्यात के साथ ही भारत का कुल निर्यात 669 अरब डॉलर का हो गया। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि वित्त वर्ष 21-22 में वस्तु का निर्यात 419.5 अरब डॉलर का रहा। वित्त वर्ष 21-22 में सेवा निर्यात के लिए 225 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा गया था जिसे पार कर लिया गया। 

गेंहू, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि
मोदी सरकार के प्रोत्साहन से गेंहू, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दस महीने में भारत के कृषि‍ न‍िर्यात में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एपीडा के तहत निर्यात 15.59 बिलियन डॉलर से बढ़कर 19.71 बिलियन डॉलर हुआ। चावल निर्यात में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई,जिससे 7,696 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई। प‍िछले साल की तुलना में व‍िदेशी बाजारों में भारतीय गेंहू की मांग में जबरदस्‍त उछाल आया है। अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान गेहूं के निर्यात में 1,742 मिलियन डॉलर की भारी वृद्धि दर्ज की गई, जो 2020-21 की इसी अवधि में 387 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जब यह 340.17 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

केमिकल्स एक्सपोर्ट 106 प्रतिशत बढ़कर 29.3 अरब डॉलर पर पहुंचा
भारतीय रसायनों के निर्यात ने वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में 106 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का रसायन निर्यात रिकॉर्ड 29.29 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2013-14 में रसायनों का भारतीय निर्यात 14.21 अरब डॉलर था। भारत विश्व में केमिकल्स का छठा और एशिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रसायनों के निर्यात में भारत का 14वां स्थान है। आज भारत डाइज उत्पादन में अग्रणी स्थान पर है। भारत विश्व में कृषि रसायनों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। विश्व में कृषि रसायनों का लगभग 50 प्रतिशत भारत से निर्यात किए जाते हैं। भारत विश्व में कास्टर ऑयल (आरंडी का तेल) का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। एग्रोकेमिकल्स, डाई और स्पेशलिटी केमिकल्स जैसे क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन के कारण 2021-22 में रसायन निर्यात 29.29 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारत 175 से अधिक देशों को निर्यात करता है। 

जीएसटी : वन नेशन, वन टैक्स
भारत में नया गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) का मामला लंबे समय से अटका हुआ था। जीएसटी देश की आजादी के बाद से सबसे पेचीदा आर्थिक कानून था। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के तीन साल बाद संसद से जीएसटी को पास कराया और यह देश में एक जुलाई 2017 से यह लागू हो गया। देश में कर सुधार की दिशा में यह सबसे बड़ा कदम माना गया। जीएसटी लागू करने का मकसद एक देश-एक कर (वन नेशन, वन टैक्स) प्रणाली है। जीएसटी लागू होने के बाद उत्पाद की कीमत हर राज्य में एक ही हो गई है और राज्य में एक ही हो गई है और राज्यों को उनके हिस्से का टैक्स केंद्र सरकार देती है।

जीएसटी कलेक्शन ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में हर क्षेत्र में रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। अप्रैल 2022 के महीने में जीएसटी कलेक्शन ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। देश में जीएसटी लागू होने के बाद से अप्रैल 2022 में सबसे ज्यादा जीएसटी कलेक्शन हुआ है। अप्रैल 2022 के महीने में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,67,540 करोड़ रुपये का रहा, जिसमें सीजीएसटी 33,159 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 41,793 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 81,939 करोड़ रुपये और उपकर 10,649 करोड़ रुपये शामिल हैं। ऐसा सातवीं बार हुआ है जब जीएसटी संग्रह 1.30 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है और यह पहली बार हुआ है कि सकल जीएसटी संग्रह 1.5 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है।

14.09 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर पहुंचा प्रत्यक्ष कर संग्रह
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों और प्रयासों के कारण इस बार भारत के शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सीबीडीटी प्रमुख के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह (आयकर और कॉर्पोरेट कर) 14.09 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया यानि इसमें 49.02 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जो वित्त वर्ष 2020-21 में 9.45 लाख करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि 2021-22 के लिए सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह ने पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32.75 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दिखाते हुए, 16.34 लाख करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू लिया।

पहली बार अप्रत्यक्ष कर संग्रह से आगे निकला प्रत्यक्ष कर संग्रह
सीबीडीटी प्रमुख जेबी महापात्र ने कहा कि ई-फाइलिंग पोर्टल पर 2021-22 के लिए 7.14 करोड़ से अधिक I-T रिटर्न दाखिल किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.4 प्रतिशत अधिक है। 2020-21 के लिए 6.97 करोड़ से अधिक दाखिल किए गए थे। उन्होंने कहा कि पहली बार प्रत्यक्ष कर संग्रह ने अप्रत्यक्ष कर संग्रह को पछाड़ दिया है, जो कुल कर संग्रह का 52 प्रतिशत है। 

आसानी से नया कारोबार शुरू करने के मामले में टॉप-5 देशों में शामिल हुआ भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उनकी सरकार ने दशकों की नीतिगत जड़ता को खत्म करते हुए हर क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार किए हैं। गैरजरूरी प्रक्रियाओं और कानूनों को खत्म कर मोदी सरकार ने देश में कारोबार करना आसान बनाया है। साथ ही इस दिशा में लगातार कदम उठा रही है। इसका असर भी दिखाई दे रहा है। ईज ऑफ डूइंग बिजेनस की रैंकिंग में भारत ने जबरदस्त छलांग लगाई है। अब भारत नया कारोबार आसानी से शुरू करने के मामले में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल हो गया है। इस संबंध में जानकारी 10 फरवरी, 2022 को दुबई एक्सपो में जारी वैश्विक उद्यमिता निगरानी की रिपोर्ट में दी गई थी।

नोटबंदी से डिजिटल इकोनॉमी को मिला बढ़ावा
भारत में भ्रष्टाचार की समस्या काफी गंभीर थी। ज्यादातर लोग मान चुके थे कि भ्रष्टाचार जीवन का हिस्सा है और इसे खत्म करने के लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए नोटबंदी का साहसिक और ऐतिहासिक फैसला किया था। इसके तहत 8 नवंबर, 2016 को पहले से प्रचलित 500 और 1000 रुपये के नोटों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी। प्रधानमंत्री मोदी के इस कड़े फैसले को सफल बनाने के लिए जनता ने भी भरपूर साथ दिया था। नोटबंदी से भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आया है। देश डिजिटल इकोनॉमी की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज डिजिटल लेन-देन में काफी बढ़ोतरी हुई है, वहीं डीबीटी से किसानों और कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को पूरा लाभ मिल रहा है। डिजिटल करेंसी से डिजिटल इकॉनॉमी को बहुत बल मिला है। जुलाई 2016 से अप्रैल 2022 तक यूपीआई के जरिए 1663001313 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है।

GeM पोर्टल पर साल भर में आए रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वित्तवर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड एक लाख करोड़ रुपये की वार्षिक खरीद अर्जित करने के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी कहा कि GeM प्लेटफॉर्म विशेषकर एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने का काम कर रहा है और आर्डरों की कुल कीमत का 57 प्रतिशत इसी सेक्टर से आता है। अपने ट्वीट संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह जानकर प्रसन्नता हुई कि@GeM_India ने अकेले एक वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये की कीमत के आर्डर प्राप्त किए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में काफी अच्छी वृद्धि है। जीईएम प्लेटफॉर्म विशेषकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को मजबूत बना रहा है तथा आर्डरों की कुल कीमत का 57 प्रतिशत इसी सेक्टर से आता है।” 

पीएम गति शक्ति से आधारभूत ढांचे के विकास को मिली रफ्तार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 अक्तूबर,201 को नई दिल्‍ली के प्रगति मैदान में प्रधानमंत्री गति शक्ति-राष्‍ट्रीय मास्‍टर प्‍लान का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह मास्टर प्लान 21वीं सदी के भारत को मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे को गतिशक्ति प्रदान करेगा। गतिशक्ति के इस महाअभियान के केंद्र में हैं भारत के लोग, भारत की इंडस्ट्री, भारत का व्यापार जगत, भारत के मैन्यूफैक्चरर्स, भारत के किसान भारत का गांव। पीएम गति-शक्ति नेशनल मास्टर प्लान के तहत, रोड से लेकर रेलवे तक, एविएशन से लेकर एग्रीकल्चर तक, विभिन्न मंत्रालयों को, विभागों को, इससे जोड़ा जा रहा है। हर बड़े प्रोजेक्ट को, हर डिपार्टमेंट को सही जानकारी, सटीक जानकारी, समय पर मिले, इसके लिए टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म भी तैयार किया गया है। ये होलिस्टिक गवर्नेंस का विस्तार है। 

सड़क नेटवर्क में 11 लाख किमी से अधिक की वृद्धि
मोदी सरकार ने बुनियादी निवेश पर ध्यान केंद्रित किया है और राजमार्ग निर्माण की गति काफी तेज की गई है। 2014 में 54 लाख किलोमीटर सड़कें थीं। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के आठवें साल में यह बढ़कर यह करीब 65 लाख किलोमीटर तक पहुंच गई है। सड़क नेटवर्क में भारत का स्थान अमेरिका के बाद दूसरा है। उम्मीद है कि 2025 तक भारत सड़क नेटवर्क के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़कर पहले नबंर पर पहुंच जाएगा।

नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली उत्पादन की क्षमता में वृद्धि
2013-14 में बिजली उत्पादन क्षमता मात्र 1.75 लाख मेगावॉट यानि 178 गीगावॉट थी, आज भारत सरकार के बिजली मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, 3.99 लाख मेगावॉट यानि करीब 400 गीगावॉट बिजली बनाने की क्षमता हो गई है। जबकि पीक डिमांड में 205 गीगावॉट के करीब होती है। मोदी सरकार में बिजली का सरप्लस उत्पादन हो रहा है। बीते आठ सालों में बिजली उत्पादन की क्षमता में 225 गीगावॉट की वृद्धि हुई है, जो हैरान करने वाला है। मोदी सरकार की कोशिश 2030 तक 4,50,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के टारगेट को हर हाल में पूरा करना है। प्रधानमंत्री मोदी 10 जुलाई, 2021 को मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया था। इस सौर ऊर्जा परियोजना की क्षमता 750 मेगावाट है। मोदी सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर सार्वजनिक प्रतिबद्धता जताई है जिससे पर्यावरण के अनुकूल वृद्धि का माहौल बना है।

भारत बना दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा पनबिजली उत्पादक
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा पनबिजली उत्पादक बन गया है। इंटरनेशनल हाइड्रोपॉवर एसोसिएशन (आईएचए ) के लंदन स्थित वैश्विक जल विद्युत व्यापार निकाय ने 2020 पनबिजली स्थिति रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक पनबिजली परियोजनाओं की क्षमता 2019 में 1308 गीगावॉट तक पहुंच गई। पनबिजली उत्पादन में भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है। इंटरनेशनल हाइड्रोपॉवर एसोसिएशन के अनुसार कनाडा, अमेरिका, ब्राजील और चीन के बाद भारत का कुल स्थापित आधार 50 गीगावॉट है। आईएचए के अनुसार स्वच्छ, विश्वसनीय और सस्ती ऊर्जा पहुंचाने में महामारी ने जलविद्युत के लचीलापन और महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है।

10 सरकारी बैंकों का महाविलय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में आर्थिक सुस्ती दूर करने और सरकारी बैंकों को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुए 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की। इस विलय के बाद सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई। वर्ष 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की। यह 8 साल के दौरान केंद्र सरकार का सबसे साहसिक आर्थिक कदमों में से एक रहा । दरअसल, इससे वर्कफोर्स का सही इस्तेमाल हो पाया और खर्चों में भी कटौती हुई। इन बदलावों के बाद मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिरता आई और भारतीय कंपनियां मजबूत होकर विस्तार के लिए तैयार हो गई। 

स्टार्टअप क्रांति,यूनिकॉर्न क्लब में दूसरे स्थान पर पहुंचा भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार नया-नया मुकाम हासिल करता जा रहा है। जिस तरह सरकार स्टार्टअप सेक्टर को सुविधाएं और प्रोत्साहन दे रही है, उससे देश में यूनिकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आज भारत उभरते हुए यूनिकॉर्न वाले देशों में चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका है। भारत में 32 उभरते हुए यूनिकॉर्न कंपनियां बनी हैं। जबकि चीन में भारत के मुकाबले 27 यूनिकॉर्न कंपनियां बनी हैं। आज भारत 69,222 स्टार्टअप की संख्या के साथ दुनिया का तीसरा बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम वाला देश बन गया है। देश के 625 जिलों में कम से कम एक स्टार्टअप है और आधे से अधिक स्टार्टअप दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में हैं।

श्रम कानूनों में सुधार
मोदी सरकार के कार्यकाल में सही मायनों में श्रम सुधार को लेकर कदम उठाए गए है। भूमि, श्रम और कंप्लायंस के साथ ऐसे सुधारों की लिस्ट बेहद लंबी है। अभी तक देश में जो पुराने सुधार हुए थे, उनका फायदा मिल चुका है और आज उन्हें एक प्रस्थान बिंदु माना जाना चाहिए। ये पुराने सुधार हमें नए आर्थिक लक्ष्यों तक नहीं ले जा पाएंगे। इसके लिए नई सोच, नए दृष्टिकोण और नए उपायों की अवश्य ही जरूरत पड़ने वाली है और इस बात को वर्तमान की मोदी सरकार बखूबी समझती है। हालांकि, संविधान, कानूनी तौर पर और प्रशासनिक स्तर पर इनमें से ज्यादा सुधार राज्य सरकारों को स्वयं करने हैं। उदाहरण के लिए, संसद श्रम कानून बनाती है, लेकिन उसके लिए मसौदा राज्यों की विधानसभा को तैयार करना होता है। 

मुद्रा योजना से देश में आ रही है स्वरोजगार क्रांति
स्वरोजगार की दिशा में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना मोदी सरकार का एक क्रांतिकारी कदम है। प्रधानमत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 को इस योजना का शुभारंभ किया था। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के सात वर्ष पूरा होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुद्रा योजना ने अनगिनत देशवासियों को अपना कौशल प्रदर्शन और रोजगार के अवसर पैदा करने का अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि इस योजना ने लोगों के जीवन में परिवर्तन लाते हुए उनमें खुशहाली और आत्‍मसम्‍मान बढ़ाया है। मुद्रा योजना के कारण युवा जॉब सीकर की जगह जॉब क्रिएटर बन रहे हैं। इस योजना के लाभार्थियों में 68 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं, यानि महिलाओं की आर्थिक उन्नति में भी यह योजना क्रांतिकारी साबित हुई है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 03 मई, 2022 तक 34.94 करोड़ से अधिक ऋण दिए गए हैं।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर, एक साल में 14 तकनीकें देश में तैयार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को हथियारों और युद्ध तकनीक के बारे में आत्मनिर्भर होने की जरूरत पर बल दिया है। ताकि भारत भविष्य में आने वाली जंग जैसी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सके। इसके लिए कई अहम निर्णय लिए गए हैं। रक्षा मंत्रालय ने अब तक 200 से अधिक रक्षा उपकरणों की सूची जारी की है, जिन्हें अब विदेश से नहीं खरीदा जाएगा। इसके लिए देश में ही सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में रक्षा अनुसंधान, डिजाइन और विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। मोदी सरकार के नीतिगत फैसले और प्रोत्साहन की वजह से 14 रक्षा तकनीकों को स्वदेशी स्टार्टअप कंपनियों द्वारा बनाया जा रहा है, उनमें एमसीडी ग्लैंड्स, ब्रिज विंडो ग्लास जैसे तकनीक शामिल है।

नया भारत, नई दुनिया के साथ चलने के लिए तैयार
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नया भारत, नई दुनिया के साथ चलने के लिए तैयार है, तत्पर है। जो भारत कभी विदेशी निवेश से आशंकित था, आज वह हर प्रकार के निवेश का स्वागत कर रहा है। इसी तरह देश में जहां एक समय निवेशकों के मन में निराशा पैदा करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कर नीतियां थीं, वहीं भारत आज अपने यहां दुनिया का सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी कॉरपोरेट टैक्स और फेसलेस कर प्रणाली होने का दावा कर सकता है। अतीत की लालफीताशाही अब ‘कारोबार में सुगमता सूचकांक’ में भारत के अनेक पायदान ऊपर चढ़ जाने के रूप में बदल गई है। इसी तरह अनेक श्रम कानूनों के जाल को अब 4 श्रम संहिताओं के रूप में युक्तिसंगत बना दिया गया है।

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते कदम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था नित नए मुकाम हासिल कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले कार्यकाल में आर्थिक नीतियों में जो परिवर्तन किए, उसके चलते भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यसव्था बन चुका है और इस वर्ष के अंत तक ब्रिटेन को पछाड़ कर पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बीते आठ वर्षों में केंद्र सरकार ने जिस प्रकार नीतिगत फैसले लिए हैं, उससे देखते हुए भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य संभव है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि आज स्थिति तेजी से बदल रही है। आज देशवासियों की भावना भारत में बने उत्‍पादों के साथ है। ढांचागत चुनौतियों को दूर करना, विनिर्माण क्षमता बढ़ाना, वित्तीय क्षेत्र को और अधिक जीवंत बनाना, प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी स्थिति प्राप्त करने के लिए देश के तकनीकी कौशल को बढ़ावा देने पर काम हो रहा है।

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