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योग दिवस विशेष: प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से बदला योग का संसार, रोजगार के अवसर भी अपार

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21 जून 2015 को पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शानदार सफलता के साथ भारत सहित समूचे विश्व में योग की एक नई क्रांति आ गई। एक समय तक जिस योग को ऋषि-मुनियों की साधना और स्वस्थ जीवन का माध्यम माना जाता था, वह योग अब रोजगार की लगातार नई-नई संभावनाएं भी लेकर आ रहा है। देश-विदेश में योग एक बड़ी इंडस्ट्री के रूप में स्थापित होने लगा है।

योग बन रहा रोजगार और करियर का बड़ा क्षेत्र 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में योग के प्रस्ताव को जिस ताकतवर अंदाज में दुनिया के सामने रखा और 177 देश जिस प्रकार से सह-प्रस्तावक बने उसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं। यही वजह है कि भारत आज योग के ब्रांड के रूप में उभरकर सामने आया है। सबसे बड़ी बात है कि प्रधानमंत्री की पहल से योग दिवस आज सिर्फ रस्मी अभ्यास का एक दिन नहीं, बल्कि दुनिया भर में लोगों को योग के लिए प्रेरित कर रहा है। इसी का नतीजा है कि योग आज देश-विदेश में रोजगार और करियर के लिए भी एक बड़ा क्षेत्र बनता जा रहा है।   

योग टीचर को मिल रही अच्छी-खासी फीस
एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब 20 करोड़ लोग योग सीख रहे हैं। भारत में योग ट्रेनिंग का कारोबार लगभग 2.5 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है। इसमें योग शिविर, कॉरपोरेट्स कंपनियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग और प्राइवेट ट्रेनिंग शामिल है। योग टीचर प्रति घंटे 400 से लेकर 1500 रुपये तक की फीस लेते हैं। रुपये से हिसाब लगाएं तो अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में योग गुरु 3 से 5 घंटे के योग सेशन की फीस 2 से 3 लाख के बीच वसूलते हैं। अमेरिका हर साल योग सीखने पर करीब ढाई अरब डॉलर खर्च करता है।

योग ने बदली सोच और बढ़ा बाजार
पूरे विश्व में योग से जुड़े उत्पादों का कारोबार लगभग 5.37 लाख करोड़ रुपये का है। अमेरिका में तो लोग योग से जुड़ी पुस्तकों और उत्पादों पर ही करीब 69 हजार करोड़ रुपये का खर्च करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार आज अमेरिका में करीब 7,000 योग स्कूल और 76,000 रजिस्टर्ड योग शिक्षक हैं। योग के क्षेत्र में रोजगार और बाजार की संभावनाओं को लेकर अपने एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बातें कुछ इस तरह से रखी थीं: ”आप सुबह पार्कों में जाकर देखेंगे तो पाएंगे, कि किस तरह लोग योग क्लब बनाकर योग करने के लिए घरों से बाहर निकल रहे हैं। इसलिए जो सबसे महत्वपूर्ण चीज थी- लोगों की सोच में परिवर्तन, वो तो आ चुका है। समाज के एक बड़े वर्ग में योग लोगों की जिंदगी में शामिल हो गया है। आप अगर योग की एक बाजार के तौर पर एनालिसिस करेंगे तो पाएंगे कि इन तीन वर्षों में योग एक कमोडिटी बन गया है। योग टीचर एक अच्छा करियर ऑप्शन भी बनकर उभरा है।”   

योग से बढ़ा आयुर्वेद और हर्बल उत्पादों का कारोबार
प्रधानमंत्री यह भी अच्छी तरह जानते थे कि योग में भारत की भूमिका न सिर्फ महत्वपूर्ण रहने वाली है, बल्कि इसका लाभ सीधे-सीधे भारत को होगा। इसलिए उन्होंने आयुर्वेद प्रोडक्ट्स, योग प्रशिक्षण और आयुर्वेदिक शोध को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। योग दिवस की औपचारिक घोषणा के बाद से पूरे विश्व में आयुर्वेद का व्यापार बढ़ा है। 2015 में दुनिया में आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों का कारोबार 83 बिलियन यूएस डॉलर का हुआ था और 2020 तक इसके 1 ट्रिलियन यूएस डॉलर होने का अनुमान है।

योग से जुड़े उत्पादों के बाजार में सौ प्रतिशत तक की वृद्धि
एसोचैम की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार पहले योग दिवस के साल भर में इसे अपनाने वालों की संख्या भी 35 प्रतिशत बढ़ गई। वहीं ट्रेनरों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ी। वहीं एक अनुमान के अनुसार बीते तीन सालों में योग से जुड़े उत्पादों के बाजार में लगभग 100 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। आज योग का एक बहुत बड़ा बाजार खड़ा हो चुका है। केवल भारत में ही यह बाजार बढ़कर 120 अरब रुपये तक का हो चुका है।

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