भारत 1 दिसंबर से G-20 की अध्यक्षता करेगा। भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2022 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारत के G-20 प्रेसीडेंसी के लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि G-20 इंडिया का लोगो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का प्रतिनिधित्व करता है। G-20 का ये लोगो केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है। ये एक संदेश है, ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इस लोगो और थीम के जरिए हमने एक संदेश दिया है। युद्ध से मुक्ति के लिए बुद्ध के जो संदेश हैं, हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं G-20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा। G-20 लोगो में कमल का प्रतीक आशा का प्रतिनिधित्व करता है। जी-20 दुनिया के विकासशील और विकसित देशों का समूह है, जो अपने देशों की तरक्की के लिए साझा रणनीति पर काम करते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बैठक का लोगो जारी किया है, जिसमें कमल के फूल की आकृति बनी है। कमल के फूल का सनातन धर्म में विशेष महत्व है और भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का चुनाव चिन्ह भी है। कांग्रेस सरकार ने ही इसे 1950 में राष्ट्रीय पुष्प घोषित किया था। भारत सरकार के मुताबिक, G-20 लोगो में कमल का फूल इसलिए अंकित किया गया है क्योंकि ये वसुधैव कुटुंबकम के विचार को परिभाषित करता है। लेकिन सनातन प्रतीकों से नफरत करने वाली कांग्रेस पार्टी को G-20 के लोगो में कमल पच नहीं रहा है, उसे मिर्ची लग गई है। वह इसे केवल बीजेपी के चुनाव चिन्ह से जोड़कर देख रही है और ओछी राजनीति पर उतर आई है।
The G20 India logo represents 'Vasudhaiva Kutumbakam'. pic.twitter.com/RJVFTp15p7
— PMO India (@PMOIndia) November 8, 2022
जी-20 के लोगों में ‘कमल’ क्यों है?
पीएम मोदी ने कहा कि ‘G-20 का ये लोगो केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है। ये एक संदेश है, ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इस लोगो और थीम के जरिए हमने एक संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि युद्ध से मुक्ति के लिए बुद्ध के जो संदेश हैं हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं। G20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा है।
Over 70 years ago, Nehru rejected the proposal to make Congress flag the flag of India. Now,BJP's election symbol has become official logo for India's presidency of G20! While shocking,we know by now that Mr.Modi & BJP won’t lose any opportunity to promote themselves shamelessly!
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 9, 2022
सनातन धर्म से नफरत कांग्रेस के डीएनए में
इसे कांग्रेस की बेशर्मी ही कहा जाएगा कि वह हिन्दू धर्म या उससे जुड़ी चीजों को बदनाम करने या उसे नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। रामसेतु पर सवाल खड़ा करना हो या भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा देना और अब कमल फूल पर विवाद खड़ा करना, कांग्रेस के डीएनए में सनातन धर्म से नफरत रचा-बसा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस विवाद को तूल देते हुए कहा, “70 साल पहले नेहरू ने कांग्रेस के झंडे को भारत का ध्वज बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। अब बीजेपी का चुनाव चिह्न जी-20 का आधिकारिक लोगो बन गया है। हमें पता है कि पीएम मोदी और बीजेपी बेशर्मी से खुद को बढ़ावा देने के लिए कोई मौका नहीं गंवाएंगे।” इस हिसाब से तो हर व्यक्ति का हाथ कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि ये पार्टी का चुनाव चिह्न है। इस लिहाज से तो उनका प्रचार देश के सभी लोग कर रहे हैं फिर भी उन्हें वोट नहीं मिल रहे हैं और देश में हर राज्य से उनकी सरकारें सिमटती जा रही हैं।
कमल भारतीय संस्कृति में अलौकिक पुष्प है।लक्ष्मी जी और सरस्वती जी दोनों कमल पर विराजती हैं,शायद इसीलिए स्वतंत्रता के बाद भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल चुना गया।कमल के विरोध में ये भारतीय संस्कृति व हिंदू प्रतीकों के अपमान में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करने में भी नहीं झिझकते pic.twitter.com/RSwRkPP3jl
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) November 9, 2022
भारतीय संस्कृति में अलौकिक पुष्प है कमल
इस मुद्दे पर बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कमल भारतीय संस्कृति में अलौकिक पुष्प है। लक्ष्मी जी और सरस्वती जी दोनों कमल पर विराजती हैं, शायद इसीलिए स्वतंत्रता के बाद भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल चुना गया। कमल के विरोध में ये भारतीय संस्कृति व हिंदू प्रतीकों के अपमान में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करने में भी नहीं झिझकते।
अब सुनने में आ रहा है की काँग्रेस वाले कह रहे हैं की ब्रह्मा जी को कमल के फूल पर नहीं दिखाना चाहिए , इससे भाजपा का प्रचार होता है . pic.twitter.com/N6FlPxtbDK
— NITIN (@NithinksVns) November 10, 2022
भारत की पौराणिक गाथाओं में कमल का विशेष स्थान
भारत की पौराणिक गाथाओं में कमल का विशेष स्थान है। पुराणों में ब्रह्मा को विष्णु की नाभि से निकले हुए कमल से उत्पन्न बताया गया है और लक्ष्मी को पद्मा, कमला और कमलासना कहा गया है। चतुर्भुज विष्णु को शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण करनेवाला माना जाता है। भारतीय मंदिरों में स्थान-स्थान पर कमल के चित्र अथवा संकेत पाए जाते हैं। सनातन धर्म के विरोध में अंधी कांग्रेस प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति के मांगलिक प्रतीक रहे इस फूल को महज भाजपा का चुनाव चिह्न या प्रतीक समझती है। अंधविरोध में कांग्रेस पार्टी यह भी भूल गई कि यह भारत का राष्ट्रीय फूल भी है। भगवान् बुद्ध की जितनी मूर्तियां मिली हैं, प्राय: सभी में उन्हें कमल पर आसीन दिखाया गया है। मिस्र देश की पुस्तकों और मंदिरों की चित्रकारी में भी कमल का प्रमुख स्थान है। कुछ विद्वानों की राय है कि कमल मिस्र से ही भारत में आया।
कमल का फूल यूं तो प्राचीन काल से ही चर्चा में रहा है क्योंकि यह भगवान ब्रह्मा का आसन, तो भगवान विष्णु के नाम कमलनयन से जुड़ा है। लेकिन कांग्रेसियों को BJP का चुनाव चिह्न होने के कारण दुखद सपने जैसा लगता है। इसलिए कॉन्ग्रेस को जी-20 के लोगों में कमल के फूल को लेकर आपत्ति है। pic.twitter.com/SwTVjg4xNC
— सुधीर मुन्ना ???बेगूसराय?️?#३ह (@MunnaSudhir) November 10, 2022
हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में कमल फूल का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
कमल के फूल अपनी सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। कमल से भरे हुए ताल को देखना काफी मनोहारी होता है क्योंकि ये तालाब की ऊपरी सतह पर खिलते हैं। भारत में पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्लेख है और इसके बारे में कई कहावतें और धार्मिक मान्यताएं भी हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है।
भगवा रंग भी है और कमल का फूल भी है
कांग्रेसियो को जलन होना लाजिमी है
क्योंकि जि"हादियो की झूठी पत्तले चाटने वालों को सूर्योदय के भगवे रंग व लक्ष्मी वाहन तथा राष्ट्रीय फूल कमल से हमेशा नफरत रही है। pic.twitter.com/SzP5HVpRKW— राष्ट्रभक्त (@Satishk31662001) November 10, 2022
भारतीय कविता में प्रचुरता से मिलता है कमल का वर्णन
भारतीय कविता में कमल का निर्देश और वर्णन बड़ी प्रचुरता से पाया जाता है। सुंदर मुख की, हाथों की और पैरों की उपमा लाल कमल के फूल से और आंख की उपमा नील-कमल-दल से दी जाती है। कवियों का यह भी विश्वास है कि कमल सूर्योदय होने पर खिलता है और सूर्यास्त होने पर मुंद जाता है। कमल के तने (मृणाल, बिस) का वर्णन हंसों और हाथियों के प्रिय भोजन के रूप में किया गया है। कमल के पत्तों से बने हुए पंखे तथा मृणाखंड विरहिणी स्त्रियों की संतापशांति के साधन वर्णित किए गए हैं। कामशास्त्र में स्त्रियों का विभाजन चार वर्गों में किया गया है जिनमें सर्वश्रेष्ठ वर्ग ‘पद्मिनी’ नाम से अभिहित है।
विष्णु पुराण में भी कमल का उल्लेख
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में कमल को महत्वपूर्ण स्थाम प्राप्त है। विष्णु पुराण में इन्द्र द्वारा लक्ष्मी की स्तुति करते हुए कहा गया है- कमल के आसन वाली, कमल जैसे हाथों वाली, कमल के पत्तों जैसी आंखों वाली, हे पद्म (कमल) मुखी, पद्मनाभ (भगवान विष्णु) की प्रिय देवी, मैं आपकी वन्दना करता हूँ। इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति में कमल के सौंदर्य को कितना आकर्षक और पवित्र माना गया है। एक पुराण का नाम ही पद्म पुराण है ऐसा कहा जाता है कि पदम का अर्थ है-‘कमल का पुष्प’। चूंकि सृष्टि रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान नारायण के नाभि कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पदम पुराण की संज्ञा दी गई है। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित सभी अठारह पुराणों की गणना में ‘पदम पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी इसे द्वितीय स्थान रखा जाता है।
भारत के मंदिरों की दीवारों, गुंबदों और स्तंभों में कमल के सुंदर अलंकरण
भारत के धार्मिक चित्रों व मंदिरों की दीवारों, गुंबदों और स्तंभों में कमल के सुंदर अलंकरण मिलते हैं। अधिकांश हिन्दू देवी-देवताओं को हाथ में कमल के साथ चित्रित किया जाता है, लक्ष्मी और ब्रह्मा ऐसे प्रमुख देवता हैं। खजुराहो के देवी जगदम्बी मंदिर में हाथ में कमल लिये हुए, 5 फीट 8 इंच ऊंची खड़ी हुई चतुर्भुजी देवी की मूर्ति है। यहीं स्थित एक सूर्य मंदिर में सूर्य को एक पुरष के रूप में स्थापित किया गया है। मूर्ति 5 फीट ऊंची है और उसके दोनों हाथों में कमल के पुष्प हैं। उदयपुर में पद्मावती माता जल कमल मन्दिर नामक मंदिर को कमल के आकार में बनाया गया है। संगमरमर से निर्मित देवी पद्मावती के इस मन्दिर में देवी लक्ष्मी, सरस्वती एवं अम्बिका की भव्य प्रतिमाएँ विराजमान हैं। राजस्थान के धौलपुर जिले में मचकुण्ड तीर्थ स्थल के नजदीक ही कमल के फूल का बाग हैं। चट्टान काटकर बनाये गये कमल के फूल के आकार में बने इस बाग का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व हैं। प्रथम मुगल बादशाह बाबर की आत्मकथा तुजके-बाबरी (बाबर नामा) में जिस कमल के फूल का वर्णन हैं वह धौलपुर का यही कमल के फूल का बाग हैं। बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित देव सूर्य मंदिर में गर्भ गृह के ऊपर का शिखर कमल का आकार में है जिसके ऊपर सोने का कलश है। अशोक की लाट में भी अधोमुखी कमल का प्रयोग किया गया है। भारत की राजधानी दिल्ली में बने बहाई उपासना मंदिर का स्थापत्य पूरी तरह से खिलते हुए कमल के आकार पर आधारित है जिसके कारण इसे लोटस टेंपल भी कहते हैं।