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कांग्रेस के डूबते जहाज को एक और झटका, जम्मू-कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह के पौत्र विक्रमादित्य सिंह ने भी कश्मीर के मुद्दे पर छोड़ी पार्टी

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कांग्रेस पार्टी का जहाज सियासत के समंदर में हिचकोले खा रहा है। कांग्रेस का कुनबा लगातार बिखरता जा रहा है। इस डूबते जहाज को छोड़कर पहले भी कांग्रेस के कई क्षत्रप छोड़कर जा चुके हैं। अब पांच राज्यों के चुनाव में जनाधार में बुरी तरह लगी सेंध और कश्मीर के मुद्दे को लेकर कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। जम्मू-कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह के पौत्र और वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया। पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर के जमीनी मुद्दों से भटक चुकी है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कार्यशैली से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की लंबी कतार है।

पार्टी में घुटन औप उपेक्षा महसूस कर रहे पहले भी कई नेताओं ने छोड़ी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के अंदर युवा नेता घुटन और उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि पार्टी उनकी योग्यता और क्षमता के मुताबिक भूमिका नहीं दे रही है। हाइकमान की हिटलरशाही और मनमर्जियों से पार्टी में सियासी घमासान मचा हुआ है। इसलिए नेता अब अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद कैप्टन अमरिंदर सिंह और आरपीएन सिंह ने पार्टी को अलविदा कह दिया। राहुल गांधी के बेहद करीबियों में शुमार किए जाने वाले पांच युवा नेताओं में से तीन अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। जब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे तब पांच नेताओं का अक्सर जिक्र होता था। ये पांच नेता हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा। हालांकि भले ही सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा अभी कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं, लेकिन कुछ चीजें बड़े घटनाक्रम की तरफ भी इशारा करती हैं। महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा बीते कुछ साल से लगातार कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाते हुए चिंता जाहिर करते रहे हैं और कुछ मौकों पर तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ भी कर चुके हैं।

नेतृत्व संकट से जूझ रही कांग्रेस को अब जम्मू-कश्मीर में झटका
नेतृत्व संकट से जूझ रही कांग्रेस को अब एक और झटका लगा है। जम्मू कश्मीर के कद्दावर कांग्रेस नेता कर्ण सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी है। मंगलवार को उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान किया है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि, जम्मू-कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनके विचार पार्टी के साथ नहीं मिलते हैं। उन्होंने पार्टी पर जमीनी वास्तविकताओं से अनजान रहने का भी आरोप लगाया।

 मेरे विचार राष्ट्रीय हित दर्शाते हैं, कांग्रेस से मेल नहीं खाते, जमीनी मुद्दों से भटकी कांग्रेस
इस्तीफे के बारे में जानकारी देते हुए विक्रमादित्य सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना इस्तीफा देता हूं। जम्मू-कश्मीर के महत्वपूर्ण मुद्दों पर मेरे विचार, जो राष्ट्रीय हितों को दर्शाते हैं कांग्रेस पार्टी के साथ मेल नहीं खाते हैं। @INCIndia जमीनी हकीकत से कट गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि, मेरा मानना है कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को महसूस करने में असमर्थ है।कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी हो रही है विफल
विक्रमादित्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डॉ. कर्ण सिंह के पुत्र हैं। विक्रमादित्य ने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर निर्वाचन क्षेत्र से 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस से लड़ा था। उन्हें 2015 में जम्मू-कश्मीर विधान परिषद का सदस्य भी नामित किया गया था। कांग्रेस से पहले वह अगस्त 2015 में जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी में शामिल हुए थे, लेकिन उन्होंने 2017 में विधान परिषद के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया। विक्रमादित्य ने कहा कि कांग्रेस जमीनी हकीकत से अलग है। वह जम्मू-कश्मीर में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उभरते परिदृश्यों को बनाए रखने के लिए आवश्यक संगठनात्मक और अन्य परिवर्तन करने में असमर्थ रही है।

कश्मीर में बदलती जनभावनाओं और आकांक्षाओं के अनुकूल काम करने की जरूरत
उन्होंने कहा-वर्ष 2018 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद मैंने कई मुद्दों और घटनाओं के समर्थन में खुलकर अपने विचार व्यक्त किए हैं, जो कांग्रेस पार्टी के रुख से मेल नहीं खाते हैं। इसमें पीओजेके में बालाकोट हवाई हमला, जम्मू कश्मीर में ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) का पुन: सशक्तीकरण, अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने, लद्दाख यूटी का गठन, गुपकार गठबंधन की निंदा, जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया आदि का समर्थन शामिल है। पूर्व एमएलसी ने कहा कि वह हमेशा जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित में और विशेष रूप से राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए उनके साथ खड़े रहे हैं। भारत तेजी से विकसित होने वाला देश है। बदलती जनभावनाओं और आकांक्षाओं के अनुकूल काम करने की जरूरत है। इसके लिए पार्टी का उचित नेतृत्व और गतिशीलता जरूरी है।

गांधी परिवार के एक और करीबी ने कांग्रेस पार्टी का हाथ छोड़ दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के काफी करीबी माने जाने वाले पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में उन्होंने कहा कि इस मामले पर विचार करने के बाद मैंने निष्कर्ष निकाला है कि वर्तमान परिस्थितियों में मैं पार्टी के बाहर रहकर समाज की ज्यादा सेवा कर पाऊंगा। उन्होंने लिखा है कि मैं 46 वर्षों के लंबे जुड़ाव के बाद पार्टी छोड़ रहा हूं। आशा करता हूं कि ऐसे परिवर्तनकारी नेतृत्व से प्रेरित होकर जनता के लिए अतिसक्रियता से काम करता रहूंगा जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दी गई उदारवादी लोकतंत्र की उच्च प्रतिबद्धता की परिकल्पना आधारित हो। अश्विनी कुमार का कांग्रेस से बाहर निकलना बताता है कि युवाओं के साथ पुराने नेताओं का भी पार्टी से मोहभंग हो रहा है।

कांग्रेस में सच बोलने वालों को किया जाता है परेशान
कांग्रेस में आलाकमान के प्रति निष्ठा रखने वाले नेताओं को अहम जिम्मेदारियां मिलती हैं, जबकि जमीन से जुड़े नेताओं को दरकिनार किया जाता है। जो भी नेता पार्टी की नकारात्मक राजनीति के खिलाफ कुछ बोलने की हिम्मत करता है, उसकी आवाज दबा दी जाती है। इस कारण कई दिग्गज नेता पार्टी को अलविदा कर चुके हैं। कांग्रेस से एक के बाद एक कई युवा नेताओं के पार्टी छोड़ने या आलाकमान से नाराजगी से यह सवाल उठना जायज है कि क्या वाकई बिना जनाधार वाले नेता तानाशाही कर रहे हैं।आइए डालते हैं एक नजर-

आरपीएन सिंह
राहुल गांधी की कोर टीम में शामिल उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता आरपीएन सिंह यानी रतनजीत प्रताप नारायण सिंह मंगलवार, 25 जनवरी को बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी में शामिल होने के बाद पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि यह मेरे लिए एक नई शुरुआत है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और मार्गदर्शन में राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान के लिए तत्पर हूं। कुशीनगर के सैंथवार के शाही परिवार से आने वाले आरपीएन सिंह पूर्वांचल में एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं। आरपीएन सिंह कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद और अनुभवी नेताओं में से एक थे और उनके बीजेपी का दामन थाम लेने से राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल ही में राज्य विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया। सोनिया और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले अमरिंदर सिंह काफी दिनों से पार्टी ने नाराज चल रहे थे। अमरिंदर सिंह अब बीजेपी के साथ मिलकर पंजाब में विधान सभा चुनाव लड़ रहे हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्य प्रदेश में जनाधार वाले लोकप्रिय युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की अनदेखी के कारण हाल ही में बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ राज्य के कई अन्य विधायक और युवा नेता भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इससे राज्य में कांग्रेस काफी कमजोर हो गई है।

जितिन प्रसाद
राहुल गांधी की कोर कमेटी में शामिल जितिन प्रसाद ने 9 जून, 2021 को कांग्रेस को जोरदार झटका दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। यूपी में बड़े ब्राह्मण चेहरों में शामिल जितिन प्रसाद को योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट में प्राविधिक शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है।

खुशबू सुंदर
अभिनेत्री से राजनेता बनीं खुशबू सुंदर ने हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में खुशबू ने आरोप लगाया कि पार्टी में ऊपर बैठे जिन लोगों का जमीनी स्तर पर कोई जुड़ाव नहीं है और वे तानाशाही कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी तरह जो लोग काम करना चाहते हैं उन्हें दबाया जा रहा है। अपने पत्र में खुशबू सुंदर ने लिखा कि कांग्रेस के 2014 लोकसभा चुनाव हार जाने के बावजूद उन्होंने पार्टी ज्वाइन की थी, लेकिन यहां काम करने वाले लोगों की अनदेखी की जाती है।

संजय झा
इसके पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने एक न्यूज वेबसाइट को दिए इंटरव्यू और लेख के जरिए कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया था। पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से कांग्रेस प्रवक्ता पद से हटा दिया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया के अपने लेख और द प्रिंट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है। संजय झा ने दावा किया कि पार्टी के पास एक आंतरिक मजबूत तंत्र नहीं है। उन्होंने लिखा है कि पार्टी के अंदर सदस्यों की बात नहीं सुनी जाती है। अपने लेख में झा ने यह भी कहा कि पार्टी सरकार के विफल होने पर लोगों को शासन का कोई वैकल्पिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर सकती।

हेमंत बिस्वा शर्मा
असम के लोकप्रिय नेता हेमंत बिस्वा शर्मा को भी मजबूर होकर पार्टी से निकलना पड़ा। यहां के बुजुर्ग कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई के साथ मतभेदों के कारण उन्हों हाशिए पर डाल दिया गया था। 2001 से 2015 तक कांग्रेस के विधायक हेमंत बिस्वा शर्मा 2016 में बीजेपी में आ गए। राज्य में कांग्रेस को हराने में इनका अहम योगदान रहा है। हेमंत बिस्वा शर्मा अभी असम सरकार में मंत्री हैं।

प्रियंका चतुर्वेदी
कांग्रेस की एक तेजतर्रार युवा प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी को भी पार्टी नेतृत्व की अनदेखी के कारण बाहर होना पड़ा। उन्हें पार्टी में दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ा। आखिर में वे शिवसेना में शामिल हो गईं।

वाईएस जगन मोहन रेड्डी
वाईएस जगन मोहन रेड्डी वर्तमान में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी दो बार राज्य के सीएम रह चुके हैं। 2009 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद लोगों ने जगन मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की लेकिन पार्टी आलाकमान ने इसे ठुकरा दिया। आखिर में पार्टी से नाराज होकर इन्होंने 2010 में अलग पार्टी बना ली और आज राज्य में इनकी सरकार है।

सुष्मिता देव
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और सिलचर से पूर्व सांसद सुष्मिता देव ने अगस्त, 2021 में पार्टी छोड़ दिया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की करीबी सुष्मिता देव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा देकर ट्विटर पर कांग्रेस की ‘पूर्व सदस्य’ लिख दिया। कांग्रेसी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता असम चुनाव के समय से ही कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रही थी।

अशोक तंवर
हरियाणा में कांग्रेस के बड़े और युवा चेहरों में शुमार दिग्गज नेता अशोक तंवर भी 23 नवंबर, 2021 को पार्टी छोड़ टीएमसी में शामिल हो गए। राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले अशोक तंवर जाने से हरियाणा में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा।

अदिति सिंह
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से विधायक अदिति सिंह ने पार्टी का हाथ छोड़ बड़ा झटका दिया। अदिति को राहुल-प्रियंका का करीब माना जाता था। लेकिन अदिति कांग्रेस के कार्यकलाप और पार्टी की नीतियों से नाराज चल रही थीं।

मिलिंद देवड़ा
महाराष्ट्र के युवा नेता मिलिंद देवड़ा ने हाल में ही मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन पार्टी आलाकमान के रवैये से नाराज चल रहे हैं।

 

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