प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यूं ही दूरदर्शी और विजनरी राजनेता नहीं कहा जाता। उनकी दूरगामी नीतियों और सोच के चलते जहां एक ओर पूरी दुनिया भारत की ओर उम्मीदभरी नजरों से देख रही है, तो दूसरी ओर देश की उनकी पार्टी भाजपा को उन्होंने जीत का अचूक फार्मूला दे दिया है। दरअसल, पीएम मोदी जिन्हें भारत के चार प्रमुख स्तंभ मानते हैं उनमें से सबसे अग्रणी है- नारीशक्ति। उन्हें इस शक्ति की ताकत का पता है, इसीलिए मोदी सरकार की नीति और निर्णयों के केंद्र में देश की माताएं-बहनें और बेटियां रही हैं। जिस हरियाणा की धरती से पीएम मोदी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का शानदार अभियान शुरू किया, वहीं से हाल ही में बीमा सखी योजना भी शुरू की है। नारीशक्ति को महत्ता देने के इस अचूक फार्मूले का ही परिमाण है कि एक साल, यानी नवंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच 13 राज्यों में चुनाव हुए हैं। इनमें 9 में नारीशक्ति को बढ़ावा देने वाली ‘लाडली बहना’ जैसी योजनाएं लागू की गई या वादा किया गया। इनमें से 8 राज्यों में योजना कारगर रही। इन आठ में भी ज्यादातर में भाजपा को जीत मिली है।
महिलाओं के लिए बजट में 3 लाख करोड़ से ज्यादा की योजनाओं का ऐलान
महाराष्ट्र चुनाव ताजा उदाहरण है। पीएम मोदी के विजन पर चलते हुए राज्य भाजपा और महायुति सरकार ने ‘माझी लाडकी बहिन’ योजना लागू की। भाजपा गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में 288 में से 230, यानी 80% सीटें जीत लीं। इसमें भी भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। बीते एक साल में जिन 9 राज्यों में ‘लाडली बहना’ जैसा फैक्टर था, उनमें से 7 राज्यों में बीजेपी या NDA को फायदा मिला। दरअसल पीएम मोदी के दिशा-निर्देशन में केंद्र से लेकर राज्यों तक बीजेपी ने महिलाओं को पहचान देने के कई कदम उठाए हैं। मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में अपने बजट में महिलाओं और बच्चियों की मदद करने वाली योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा देने का ऐलान किया। मोदी सरकार 3.0 ने पहले 100 दिनों में 11 लाख नई ‘लखपति दीदियों’ को सर्टिफिकेट दिए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक करोड़ से ज्यादा ‘लखपति दीदियां’ अब हर साल एक लाख रुपए से ज्यादा कमा रही हैं।आइये पहले जानते हैं कि इनके अलावा मोदी सरकार ने नारीशक्ति के कल्याण के लिए कैसे कदम उठाए हैं…
- हर 10 में से 7 मकान महिलाओं कोः प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 70% से ज्यादा घर महिलाओं को दिए गए हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत उभरती बिजनेसविमेंस को 30 करोड़ रुपए लोन दिया गया है।
- 10 करोड़ महिलाओं को फ्री गैस सिलेंडरः प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर दिया गया है। साथ ही हायर एजुकेशन में महिलाओं के रजिस्ट्रेशन में 28% के बढ़त हुई है।
- अल्पसंख्यक महिलाओं पर भी फोकसः अगस्त 2019 में बीजेपी की मोदी सरकार ने ‘तीन तलाक’ को खत्म करने के लिए कानून बनाया। ऐसा कर पीएम मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को बीजेपी की ओर लामबंद करने की कोशिश की।
- महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षितः सितंबर 2023 में मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल पास किया। इसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गईं। यानी 543 सीटों वाली लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
महाराष्ट्रः चुनाव से पहले 7500 खाते में पहुंचे, महायुति को 80% सीटें मिलीं
अब राज्यवार विश्लेषण पर आते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र का महायुति गठबंधन सिर्फ 37% सीटें जीत सका। पीएम मोदी का इशारा हुआ तो महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने मध्य प्रदेश जैसी लाड़ली बहना योजना लाने के ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र ने विधानसभा चुनाव से पहले ही ‘माझी लाडकी बहिन योजना’ को लागू कर दिया। ये योजना महायुति ने बहुत अच्छे से प्लान की थी। इसका फॉर्म बेहद सिंपल था। न पैन नंबर भरना था, न कोई फॉर्म 16 जैसा कुछ। बस फॉर्म भरने वाली महिला को खुद से ये घोषणा करनी थी कि उनके परिवार की सालाना आय ढाई लाख रुपए से कम है। 6% बढ़े हुए महिला वोटरों ने महाराष्ट्र में खेल बदल दिया। मुंबई और आसपास के जिलों में महिला मतदाताओं में बढ़ोतरी हुई है। अगर हम 2019 से तुलना करें तो ये आंकड़ा मुंबई में 7% बढ़ा हुआ है। ठाणे 11%, पालघर में 9% महिला वोटर में बढ़ोतरी हुई है।
• 28 जून 2024 को योजना लॉन्च हुई। 21 से 65 साल की महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपए दिए जाते हैं।
• महाराष्ट्र की 2.34 करोड़ महिलाओं के बैंक खाते में हर महीने रुपए आए। जुलाई 2024 से अब तक कुल छह किस्तें आ चुकी हैं। चुनाव से पहले ही महिलाओं के खातों में 7500 रुपए पहुंच गए थे।
• सरकार ने इसके लिए 46,000 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसमें 200 करोड़ रुपए मार्केटिंग के लिए हैं। इसमें राज्य बजट का लगभग 7.6% खर्च हो रहा है।
• मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी खुले मंच से स्वीकार करते हैं कि इस योजना ने खेल पलटा है।मध्यप्रदेश: चुनाव से 240 दिन पहले 6 किस्तें पहुंचीं, नतीजों में ‘प्रो इन्कम्बेंसी’ दिखी
महिलाओं को हर महीने कैश देने की स्कीम की चर्चा मध्य प्रदेश से ही शुरू हुई। 15 मार्च 2023 को चुनाव से 8 महीने पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना लॉन्च की। 10 जून 2023 को इसकी पहली किस्त जारी हुई थी। चुनाव से पहले कुल 6 किस्तें प्रदेश की लाड़ली बहनों के खाते में पहुंच गई थी। विशेषज्ञों के मुताबिक जाति और धर्म की तरह अब वोटिंग पैटर्न जेंडर के आधार पर शिफ्ट हो गया है। जब आप महिलाओं को कुछ सुविधाएं देते हैं, तो वे घर से निकलकर वोट डालने आती हैं। पहले महिलाओं को उनके पति बताते थे कि उन्हें किसे वोट करना है। पीएम मोदी सीधे महिलाओं को संबोधित और प्रोत्साहित करते हैं। 2023 में 15 साल के एंटी इन्कम्बेंसी के बावजूद मध्य प्रदेश में BJP के जीतने की सबसे बड़ी वजह लाड़ली बहना योजना बनी। इस योजना ने अलग महिला वोट बैंक का ध्यान खींचा।
• मध्य प्रदेश सरकार सालाना इस योजना पर 19 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रकम खर्च करती है। ये खर्च मध्य प्रदेश के कुल बजट का करीब 5% है।
• लाड़ली योजना के लागू होने के बाद हुए विधानसभा चुनाव में राज्य में रिकॉर्ड 76% से ज्यादा महिलाओं ने वोट किया था। 2018 विधानसभा चुनाव की तुलना में 31 लाख ज्यादा महिलाओं ने वोट किए।
• चुनावी सर्वे कराने वाली पोलस्टार कंसल्टिंग फर्म के मुताबिक मध्य प्रदेश चुनाव में कुल महिलाओं के वोट में से करीब 50% महिलाओं ने BJP को वोट किया। BJP को मिलने वाला वोट कांग्रेस की तुलना में 10% ज्यादा था।
छत्तीसगढ़: चुनाव से महिलाओं को 1000 रुपए देने का वादे ने पलटा खेल
शायद आपको याद होगा कि हरियाणा की तरह 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी कमोबेश सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना जताई गई थी। लेकिन नतीजे आए तो बीजेपी ने बाजी पलट दी। दरअसल, इसमें कमाल नारीशक्ति का भी रहा। भाजपा ने महिला वोट बैंक को साधने के लिए उनके खाते में सीधे 1000 रुपए प्रतिमाह भेजने का वादा किया। इसके लिए फॉर्म भी भरवाने भी शुरू कर दिए। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल जब तक इस वादे की गंभीरता को समझ पाते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। महिलाओं ने देखा कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में पैसे मिलने शुरू हो चुके हैं। इसलिए उन्होंने बीजेपी के वादे पर ही भरोसा किया।
• राज्य की करीब 76% महिलाओं ने वोटिंग में हिस्सा लिया। ये 2018 की तुलना में 11 लाख ज्यादा था। महिलाओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक रहा।
• चुनाव के बाद 10 मार्च 2024 को पीएम नरेन्द्र मोदी ने ही छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना का शुभारंभ किया। 70 लाख महिलाओं के खाते में प्रतिमाह 1000 रुपए भेजना शुरू किया गया।
• परिवार में उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता, लेकिन ऐसी योजनाओं से इन महिलाओं को कुछ पैसे मिल रहे हैं और उनके परिवारों में उनकी स्थिति सुधर रही है।
• यही वजह है कि महिलाएं उनके खाते में सीधे पैसा भेजने वाले राजनीतिक दलों को वोट करने के लिए घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक जा रही हैं।
हरियाणा: एग्जिट पोल के कयासों पर नारीशक्ति का वोट बैंक भारी
हरियाणा में लगातार तीसरी बार भाजपा सरकार आना कुछ मुश्किल लग रही थी। यहां तक कि चुनाव के बाद कमोबेश एग्जिट पोल ने कांग्रेस की सरकार बनने का ऐलान तक कर दिया। लेकिन परिणाम आने पर सारी बाजी भाजपा के पक्ष में पलट गई। इसमें सबसे अहम भूमिका पीएम मोदी की नारीशक्ति ने निभाई। बीजेपी ने चुनाव से पहले लाडो लक्ष्मी योजना का वादा किया। इसमें हर महीने महिलाओं को 21 सौ रुपये देने की गारंटी दी गई। चुनाव के बाद लगातार तीसरी बार भाजपा सरकार बनी।
• नायब सिंह सैनी सरकार ने लाडो लक्ष्मी योजना के लिए करीब 24 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है।
• इस योजना का लाभ राज्य की 95.7 लाख महिलाओं को मिल रहा है।
• इस योजना का ही असर रहा कि महिलाएं वोट उनके खाते में सीधे पैसा भेजने वाली भाजपा को वोट करने के लिए घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक पहुंची।
• इससे भाजपा का वोट 3.5 प्रतिशत तक बढ़ा, जो जीत का आधार बना। भाजपा के पिछले चुनाव के मुकाबले 8 विधायक भी ज्यादा आए।
ओडिशा: भगवान जगन्नाथ की धरती पर महिलाओं ने दोनों हाथ से दिए वोट
पीएम मोदी की नारीशक्ति ने ओडिशा में तो कमाल ही कर दिया। लोकसभा चुनाव में भाजपा के सांसदों की सीट पक्की करने के साथ-साथ पहली बार विधानसभा में भी पूर्ण बहुमत से कमल खिला दिया। ओडिशा भाजपा ने चुनाव से पहले यहां सुभद्रा योजना की गारंटी दी थी। इस योजना के तहत महिलाओं को साल में 10 हजार रुपये देने का वादा किया था। 2024 में महिलाओं का वोट प्रतिशत 75.6 प्रतिशत था। इसके चलते भाजपा को पिछले चुनाव की तुलना में 7.6 प्रतिशत वोट अधिक मिले और 55 विधायक ज्यादा आए।
• छत्तीसगढ़ हो या ओडिशा इन राज्यों में महिलाओं की एक बड़ी संख्या ऐसी है, जिसके पास पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं है।
• ऐसे में साल में दस हजार रुपये की मदद महिलाओं के लिए बड़ा आर्थिक संबल बन रही है।
• ओडिशा सरकार की सुभद्रा योजना से राज्य की 80 लाख से ज्यादा महिलाएं लाभांवित होंगी।
• भाजपा सरका ने नारीशक्ति को संबल देने वाली इस योजना के लिए 55.8 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है।राजस्थान: पीएम मोदी पर भरोसा ज्यादा, गहलोत के वादे पर ऐतबार नहीं
भारतीय जनता पार्टी की नकल करते हुए नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले अक्टूबर 2023 में अशोक गहलोत ने राजस्थान के झुंझुनू में गृह लक्ष्मी गारंटी के तहत परिवार की महिला मुखिया को साल में 10 हजार रुपए देने का वादा किया। उन्होंने कहा कि ये राशि दो से तीन किश्तों में दी जाएगी। कांग्रेस ने इस वादे का चुनाव प्रचार के दौरान खूब इस्तेमाल किया। महिलाओं के खाते में पैसे भेजने के सिर्फ वादे किए। चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में पैसा नहीं आया। दूसरी ओर भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में महिलाओं और लड़कियों से जुड़ी तीन मुख्य योजनाएं लाडो प्रोत्साहन योजना, लखपति दीदी योजना और पीएम मातृ वंदना योजना शुरू करने का वादा किया। महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई। महिलाओं को लगा कि सत्ता में रहते हुए जो सरकार महिलाओं के लिए ये योजना नहीं लागू कर पाई वो चुनाव जीतने के बाद लागू करेगी इसकी गारंटी नहीं है। ऐसे में महिलाओं ने खुलकर कांग्रेस का विरोध और भाजपा की योजनाओं का साथ दिया।
नारीशक्ति की कैश स्कीम सशक्तिकरण और जीत का फॉर्मूला क्यों है…
1. कोरोना महामारी के बाद हजार-दो हजार भी बड़ी राहत
• कोविड महामारी के बाद से भारतीय परिवारों की माली हालत बिगड़ी है। केंद्र सरकार करीब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है।
• प्रोविडेंड फंड के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 4.45 करोड़ पीएफ क्लेम अप्रूव किए गए हैं, जो पिछले साल से 7.8% ज्यादा हैं। आमतौर पर कोई रास्ता न बचने पर ही लोग पीएफ से पैसा निकालते हैं।
• जून में जारी आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि लोगों की सेविंग्स में भी गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 में कुल घरेलू बचत GDP के 18.4% पर आ गई है, जो औसतन 20% होती थी।
इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, ‘देश में प्रति व्यक्ति आय करीब एक लाख रुपए सालाना है। यानी करीब 8500 रुपए महीने।
• अगर किसी परिवार में महिलाओं को दो हजार रुपए महीने मिल रहे हैं तो ये उस परिवार की कमाई में 25% की ग्रोथ है। इसके लिए न तो कुछ करना है और न ही किसी को घूस देनी है। एक सिंपल फॉर्म भरना है, जिसके बाद सीधे खाते में पैसे आने लगते हैं।2. सालों से अनदेखी झेल रही महिलाएं एक नया वोटबैंक बनी
• भारत में महिला वोटर्स पर एक रिसर्च बताती है कि महिला वोटर्स ने अपने वोट की ताकत को समझना और विश्वास करना शुरू कर दिया है। 69% महिला वोटर्स का मानना है कि वोटिंग देश में चीजों को चलाने के तरीके में बदलाव लाती है।
• दिसंबर 2023 में SBI-रिसर्च की एक अन्य रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2047 तक महिलाओं की वोटिंग में 55% बढ़त हो सकती है। वहीं पुरुषों में 45% की गिरावट आ सकती है।
• लंबे समय से महिलाओं को अनदेखा किया जा रहा था, आज उन्हें अहमियत मिली है। अब महिलाएं परिवारों में अपनी बात मजबूत से कह पा रही हैं। इससे महिलाओं का वोटिंग पैटर्न भी बदला है।
3. पीएम मोदी ने ‘महिला वोटबैंक’ को पहचाना और दिया सम्मान
बीते एक साल में जिन 9 राज्यों में ‘लाडली बहना’ जैसा फैक्टर था, उनमें से 7 राज्यों में बीजेपी या NDA को फायदा मिला। केंद्र से लेकर राज्यों तक बीजेपी ने महिलाओं को पहचान देने के कई कदम उठाए…
• महिलाओं-बच्चियों के लिए 3 लाख करोड़ रुपएः जुलाई 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने अपने बजट में महिलाओं और बच्चियों की मदद करने वाली योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा देने का ऐलान किया।
• 11 लाख नई लखपति दीदीः मोदी सरकार 3.0 ने पहले 100 दिनों में 11 लाख नई ‘लखपति दीदियों’ को सर्टिफिकेट दिए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक करोड़ से ज्यादा ‘लखपति दीदियां’ अब हर साल एक लाख रुपए से ज्यादा कमा रही हैं।
• महिलाएं एक वोटबैंक के रूप में गैमचेंजर बन रही हैं। ये ऐसा वोटबैंक है, जिसके पैटर्न को कोई नहीं पकड़ पा रहा। ये चुपचाप बूथ में जाती हैं और अपनी सरकार को चुनती हैं। उसे प्रचंड बहुमत दिलाती हैं।
4. जनहित और विकास की राजनीति करने वाली पार्टियों को फायदा
यह दौर ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ नहीं, बल्कि ‘प्रो-इनकम्बेंसी’ का है। भाजपा उसके सहयोगियों जैसे जो दल विकास और जनहित की राजनीति कर रहे हैं, उन पार्टियों का तख्ता पलटना मुश्किल है। क्योंकि जनता, खासकर महिलाएं ऐसा नहीं चाहती। महाराष्ट्र- हरियाणा में यही हुआ। ऐसा करने से पार्टियां अगर सरकार बना पा रही हैं तो वे ऐसा आगे भी कर सकती है। चुनाव जीतने का सीधा-साधा नारीशक्ति का ख्याल रखो और नीति बनाने और योजनाओं के बारे में निर्णय लेने के केंद्र में महिलाओं पर फोकस करो। कैश ट्रांसफर जैसी योजनाएं जब तक नई होती है, तब तक वोटों में तब्दील होती रहती हैं, क्योंकि लाभार्थी मदद देने वाली सरकारी पार्टी का आभार मानते हैं। बाद में जनता उसे ही वोट देती है तो उनके हित में समावेशी विकास की ओर ध्यान देता है। पीएम मोदी की सरकार भी इसकी सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर काम कर रही है।