प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख काफी बढ़ी है। आज भारत याचक नहीं दाता बन गया है। इसलिए पूरी दुनिया खासकर पड़ोसी देशों को भारत से मदद की उम्मीदें बढ़ गई हैं। भारत भी उनकी उम्मीदों पर खरा उतरा है। अब भारत ने संकट की घड़ी में श्रीलंका की मदद की है। चीन ने पहले तो श्रीलंका को कर्ज देकर जाल में फंसाया फिर उसके हाल पर छोड़ दिया। अब श्रीलंका दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है। ऐसे में भारत ने श्रीलंका को 90 करोड़ डॉलर के आर्थिक पैकेज की घोषणा कर दिवालिया होने से बचा लिया है। श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री और श्रीलंकाई सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डब्ल्यू विजेवर्धने ने भारत की इस मदद की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक पैकेज ने अभी के लिए श्रीलंका की डूबती नैया को बचाने में बड़ी सहायता की है।
विजेवर्धने ने श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को लेकर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को भी चेतावनी दी है। उन्होंने बताया कि श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग समाप्त हो चुका है। देश में सभी जरूरी वस्तुओं की कमी हो चुकी है। महंगाई अपने चरम पर है। उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक पैकेज ने 18 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड के निपटान के बाद आनेवाले एक तत्काल आर्थिक संकट को टाल दिया है। 40 करोड़ डॉलर की अदला-बदली ने एक हद तक सकल भंडार में सुधार करने में मदद की है। 150 करोड़ डॉलर की भारतीय क्रेडिट लाइन की मदद से श्रीलंका उन वस्तुओं को भारत से आयात करेगा जिनकी देश में कमी है। विजेवर्धने ने कहा कि समय पर भारत की सहायता ने श्रीलंकाई सरकार को दो महीने की राहत दी है।
Just concluded a detailed virtual meeting with Sri Lankan Finance Minister @RealBRajapaksa.
Reaffirmed that India will be a steadfast and reliable partner of Sri Lanka. pic.twitter.com/aYgKEpkSFy
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) January 15, 2022
गौरतलब है कि विजेवर्धने की टिप्पणी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे द्वारा शनिवार को श्रीलंका को भारतीय आर्थिक सहायता पर एक लंबी वर्चुअल बैठक के बाद आई है। बैठक के दौरान, जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा श्रीलंका के साथ खड़ा रहा है। इससे पहले श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने सेंट्रल बैंक के गवर्नर अजीत निवार्ड काबराल से मुलाकात की थी। उन्हें आर्थिक रूप से समर्थन देने की बात की थी। इसमें 50.9 करोड़ डॉलर से अधिक की राशि एशियन क्लियरिंग यूनियन समझौते को स्थगित करने और 40 करोड़ डॉलर की करेंसी अदला-बदली शामिल है। दरअसल भारत को चारों तरफ से घेरने की रणनीति के तहत चीन पड़ोसी देशों को कर्ज की जाल में फंसा रहा है और उन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है।
High Commissioner met Gov @CBSL and expressed #India’s strong support to #SriLanka in the wake of @RBI extending over USD 900 mn facilities over the last week.These comprise deferment of Asian Clearing Union settlement of over USD 500 mn and currency swap of USD 400 mn (1/2) pic.twitter.com/6PgZtuDAcx
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) January 13, 2022
प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले भी कई देशों के लिए संकटमोचक बन चुके हैं। डालते हैं एक नजर-
चीन के कर्ज के जाल से मालदीव को निकाला
भारत ने संकट की घड़ी में मालदीव की मदद की। चीन ने पहले तो मालदीव को कर्ज देकर जाल में फंसाया फिस कर्ज की वापसी के लिए नोटिस थमा दिया। ऐसे में भारत ने मालदीव को आर्थिक संकट से उबरने के लिए 25 करोड़ डॉलर (1840 करोड़ रपये) की आर्थिक सहायता दी। इस आर्थिक मदद पर वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालिह ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। राष्ट्रपति सालिह ने ट्वीट कर कहा कि जब भी मालदीव को किसी मित्र की जरूरत पड़ी, भारत हमेशा इस अवसर पर आगे आया है। वित्तीय सहायता के रूप में 25 करोड़ डॉलर के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सरकार और जनता को मेरी ओर से दिल से धन्यवाद।
तूफान प्रभावित मोजाम्बिक में राहत अभियान
आज दुनिया में कहीं भी कोई आपदा आने पर भारत से मदद की उम्मीद की जाती है। भारत ने खतरनाक चक्रवाती तूफान का सामना कर रहे मोजांबिक में 192 से ज्यादा लोगों को बचाया। तूफान प्रभावित अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में नौसेना के जवानों ने देवदूत बनकर वहां के लोगों की मदद की। इसके अलावा 1,381 लोगों का मेडिकल कैंपों में इलाज किया गया। विदेश मंत्रालय के अनुसार इडाई तूफान ने मोजाम्बिक, जिंबाब्वे और मलावी में भारी तबाही मचाई। मोजाम्बिक के अनुरोध पर भारत ने तत्काल नौसेना के तीन जहाजों को मदद के लिए रवाना किया। आईएनएस सुजाता, आसीजीएस सारथी और आईएनएस शार्दुल ने तत्काल तूफान प्रभावित देश में लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराई।
इंडोनेशिया में ऑपरेशन समुद्र मैत्री
अक्तूबर 2019 में इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी के कारण भारी तबाही हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद भारत ने वहां ऑपरेशन ‘समुद्र मैत्री’ शुरू किया था। भारत ने वहां भूकंप और सुनामी पीड़ितों की सहायता के लिए दो विमान और नौसेना के तीन पोत भेजे थें। इन विमानों में सी-130 जे और सी-17 शामिल हैं। सी-130 जे विमान से तंबुओं और उपकरणों के साथ एक मेडिकल टीम भेजी गई थी। सी-17 विमान से तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए दवाएं, जेनरेटर, तंबू और पानी आदि सामग्री भेजी गई थी।
भारत से भेजे गए हैवी फ्लडपंप से निकाला गया था गुफा का पानी
थाईलैंड में थैल लुआंग गुफा में अंडर-16 फुटबाल टीम के 12 बच्चे और कोच के फंसने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। दुनिया में अब तक के सबसे जोखिम भरे राहत और बचाव अभियान में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, अमेरिका समेत तमाम देशों ने अपने विशेषज्ञ भेजे, पर इनसे कोई बात नहीं बनी तो थाईलैंड की सरकार ने भारत की मोदी सरकार से मदद की गुहार की। मोदी सरकार ने बगैर समय गंवाए भारतीय इंजीनियरों को मदद करने का निर्देश दिया। भारत सरकार के आदेश पर केबीएस का हैवी फ्लडपंप महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित किर्लोस्कर समूह की कंपनी से भेजा गया। भारत से हैवी कैबीएस फ्लडपंप थाईलैंड पहुंचने के बाद, गुफा में पानी का स्तर कम किया गया। पानी का स्तर कम होने के बाद ही गोताखोरों का काम आसान हुआ और तीन दिनों के कठिन ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
यमन संकट के दौरान विश्व ने माना भारत का लोहा
जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया।
मालदीव के लोगों की प्यास बुझाई
दिसंबर 2014 में मालदीव का वाटर प्लांट जल गया और पूरे देश में पीने के पानी की किल्लत हो गई। वहां त्राहिमाम मच गया और आपातकाल की घोषणा कर दी गई। तब भारत ने पड़ोसी का फर्ज अदा किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्वरित फैसला लिया। मालदीव को पानी भेजने का निर्णय कर लिया गया और इंडियन एयर फोर्स के 5 विमान और नेवी शिप के जरिये पानी पहुंचाया जाने लगा।
नेपाल भूकंप में राहत का अद्भुत उदाहरण
27 अप्रैल, 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा जानें एक साथ काल के गाल में समा गईं। जान के साथ अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। हलचल नेपाल में हुई लेकिन दर्द भारत को हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और नेपाल के लिए भारत की मदद के द्वार खोल दिए। नेपाल में जिस तेजी से मदद पहुंचाई गई वो अद्भुत था। भारतीय आपदा प्रबंधन की टीम ने हजारों जानें बचाईं। सबसे खास रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय का नेपाल सरकार से बेहतरीन समन्वय रहा। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की पूरे विश्व ने सराहना की।
अफगानिस्तान में भूकंप में राहत
अक्टूबर 2015 को अफगानिस्तान-पाकिस्तान में 7.5 तीव्रता के भूकंप के चलते 300 लोगों के मौत हो गई। पीएम मोदी ने तत्काल दोनों देशों को मदद की पेशकश की। अफगानिस्तान में भारतीय राहत टीम को बिना देर किए रवाना किया गया और मलबे में फंसे सैकड़ों लोगों को निकालने में सफलता पायी।
बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भेजी राहत
सितंबर 2017 में भारत ने बांग्लादेश में म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए राहत सामग्री भेजी थी। बांग्लादेश के मदद मांगने पर बिना देर किए भारत ने चावल, गेहूं, दाल, चीनी, नमक, खाद्य तेल, नूड्ल्स, बिस्किट, मच्छरदानी वगैरह की पहली खेप के साथ वायु सेना का विमान भेज दिया। विदेश मंत्रालय की निगरानी में ‘ऑपरेशन इंसानियत’ नाम से वहां राहत कार्यक्रम चलाया गया।
श्रीलंका ईंधन संकट: संकटमोचक बनी मोदी सरकार
श्रीलंका को नवंबर 2017 में पेट्रोल और डीजल की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ा। श्रीलंका में ईंधन की कमी के बीच राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बताया कि भारत, श्रीलंका को अतिरिक्त ईंधन भेज रहा है और विकास में सहयोग के लिए भारत के सतत समर्थन का भरोसा भी दिलाया। इसके पहले मई 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने संकटग्रस्त श्रीलंका के लिए राहत भेजी थी। यहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने भारी तबाही मचायी थी, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे और 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
श्रीलंका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए घर
भारत ने हाल ही में श्रीलंका के चाय बागान में काम कर रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए गए 404 घर उनको सौंप दिए। इसपर करीब 350 मिलियन अमेरीकी डॉलर की लागत आई है। भारत द्वारा किसी भी देश में यह सबसे बड़ी घर परियोजना था श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल अधिकतर चाय और रबड़ बागानों में काम करते हैं और उनके पास उचित घरों का अभाव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हमेशा से शांत, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका का सपना देखा है जहां सब की प्रगति और विकास की आंकक्षाएं पूरी हों। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में श्रीलंका को एक विशेष स्थान पर बनाए रखेगा।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी कोरोना संकट काल में भी पूरी दुनिया के लिए संकटमोचक बने हैं। आइए डालते हैं एक नजर-
6 पड़ोसियों सहित 100 से अधिक देशों को वैक्सीन सप्लाई
कोरोना संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री मोदी संकटमोचक बन कर सामने आए हैं। भारत ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को अनुदान सहायता के तहत 20 जनवरी, 2021 से कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति शुरू क थी। कोविशील्ड वैक्सीन की 1.5 लाख डोज वाली पहली खेप भूटान के लिए रवाना हुई। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भूटान की राजधानी थिम्पू के लिए वैक्सीन की पहली खेप रवाना हुई। इसके बाद 100 से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन की 6 करोड़ से अधिक की डोज भेजी गई।
पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की
अफ्रीकी देशों में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के सामने आने के बाद कई देशों में यहां आने-जाने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी। ऐसे में भारत ने आगे आकर अफ्रीकी देशों की मदद की। इसी को लेकर अफ्रीकी मूल के पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। इससे पहले केविन पीटरसन ने फरवरी, 2021 में अफ्रीका को वैक्सीन भेजने पर भारत की तारीफ करते हुए लिखा था कि भारत की उदारता और दयालुता लगातार बढ़ती जा रही है। प्यारा देश। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत अफ्रीकी देशों में मेड इन इंडिया वैक्सीन, जरूरी दवाइयां, टेस्ट किट, पीपीई किट्स और वेंटिलेटर सहित दूसरे मेडिकल सामान सप्लाई करने को तैयार है। भारत ने अभी तक अफ्रीका में 41 देशों को 2.5 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की सप्लाई की है। जिसमें करीब 16 देशों को 1 करोड़ डोज मदद के रूप में और 33 देशों को कोवैक्स के जरिए 1.6 करोड़ डोज शामिल है।
वैक्सीन भेजने पर बारबाडोस की पीएम ने की पीएम मोदी की तारीफ
बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटली ने कोरोना वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। मिया मोटली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन मैत्री के तहत कोविशिल्ड का पहला डोज भेजकर उदारता का वास्तविक प्रदर्शन किया है। आपके कारण बारबाडोस में 40 हजार और अन्य जगहों पर हजारों लोगों का टीकाकरण संभव हो पाया है। धन्यवाद के साथ हम आपके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा- आपकी वजह से 60 देशों में टीकाकरण
कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में भारत की भूमिका को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की। गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री मोदी को वैक्सीन इक्विटी को सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि COVAX के प्रति आपकी प्रतिबद्धता और कोरोना वैक्सीन की खुराक को साझा करने से 60 से अधिक देशों को अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों और अन्य प्राथमिकता समूह का टीकाकरण शुरू करने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि बाकी देश भी आपके इस उदाहरण को फॉलो करेंगे।
यूएन ने भारत को बताया ग्लोबल लीडर
कोरोना संकट काल में दुनिया भर को वैक्सीन उपलब्ध कराने में अग्रणी भूमिका निभाने पर संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत की जमकर तारीफ की। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि कोरोना संकटकाल में भारत एक ग्लोबल लीडर के तौर पर सामने आया है। भारतीय नेतृत्व के मानवीय दृष्टिकोण और वैक्सीन की सहायता पर आभार जताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने कहा कि कोरोना की जंग में भारत ने ग्लोबल लीडर की भूमिका निभाई है।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने की प्रभु हनुमान से की पीएम मोदी की तुलना
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर एम बोल्सोनारो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना भगवान हनुमान से की करते हुए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को संजीवनी बूटी बताया। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से दी गई इस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से लोगों के प्राण बचेंगे और इस संकट की घड़ी में भारत और ब्राजील मिलकर कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने लिखा कि जिस तरह हनुमान जी ने हिमालय से पवित्र दवा (संजीवनी बूटी) लाकर भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी, उसी तरह भारत और ब्राजील एक साथ मिलकर इस वैश्विक संकट का सामना कर लोगों के प्राण को बचा सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी की पीएम मोदी की तारीफ
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से बैन हटाने पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ने प्रधानमंत्री मोदी को महान बताया और कहा कि वो भारत का शुक्रिया अदा करते हैं। फॉक्स न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो भारतीय पीएम मोदी की तारीफ करते हैं। निर्यात पर ढील देने के बाद अमेरिका को अब यह दवा मिल सकेगी।
नेपाल ने दवाएं भेजने के लिए कहा शुक्रिया
भारत ने कोरोना से मुकाबले के लिए अप्रैल में नेपाल को मदद के तौर पर 23 टन आवश्यक दवाएं दी। दवा की यह खेप भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्र ने नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री भानुभक्त धाकल को सौंपी। इसमें कोरोना के खिलाफ अहम मानी जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के अलावा पैरासिटामॉल व अन्य दवाएं शामिल हैं। संकट के समय भारत सरकार की इस मदद पर नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। कोरोना संक्रमण से निपटने को लेकर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच इस महीने टेलीफोन पर बात हुई थी। इससे पहले कोरोना के खिलाफ मिलकर प्रयास करने की पीएम मोदी की अपील पर 15 मार्च को सार्क देशों की बैठक में भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी।
मॉरीशस के पीएम ने जताया प्रधानमंत्री मोदी का आभार
कोरोना संकट के बीच भारत से मिली मदद के लिए मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया। प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि मैं एयर इंडिया की एक विशेष उड़ान से कल बुधवार15 अप्रैल को मॉरिशस पहुंची भारत सरकार की चिकित्सा मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बहुत आभारी हूं। यह भारत और मॉरिशस के बीच के धनिष्ठ संबंध को दर्शाता है।