प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने देश में डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया है। इससे अनौपचारिक क्षेत्र यानि असंगठित क्षेत्र के औपचारीकरण की प्रक्रिया तेज हुई है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था में अनौपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 2020-21 में घटकर 15 से 20 प्रतिशत रह गई है, जो 2017-18 में 52.4 प्रतिशत थी। एसबीआई रिसर्च के अध्ययन के मुताबिक हालांकि 2011-12 में अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने का प्रयास शुरू हुआ था, लेकिन इस प्रयास ने मोदी सरकार में 2017-18 से 2020-21 में जोर पकड़ा। अध्ययन से पता चला है कि 2016 से डिजिटलीकरण में तेजी और गिग अर्थव्यवस्था के उभार ने औपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी को तेजी से बढ़ाया है।
अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के उस बयान का संदर्भ लिया है जिसमें कहा गया है कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अपनाने, डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और विमुद्रीकरण से अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में तेजी आई है। अध्ययन के अनुमान के अनुसार 11.4 करोड़ करदाता परिवार या कुल आबादी के 8.5 प्रतिशत हिस्से ने निजी अंतिम खपत व्यय में 75 लाख करोड़ रुपये या 65 प्रतिशत का योगदान दिया है और वित्त वर्ष 2021 के दौरान 91.5 प्रतिशत आबादी की सब्सिडी की भरपाई की है।
मोदी सरकार की कई योजनाओं ने औपचारिक क्षेत्र के विस्तार में मदद की है। एसबीआई रिसर्च के मुताबिक असंगठित क्षेत्र की सबसे बड़ी हिस्सेदारी कृषि क्षेत्र में है। वित्त वर्ष 2018 से किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा बढ़ाकर कृषि को करीब 22 से 27 प्रतिशत औपचारिक बनाया गया है। कृषि में अभी भी अनौपचारिक हिस्सेदारी 70 से 75 प्रतिशत है जो वित्त वर्ष 2018 में 97.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2012 में 96.8 प्रतिशत थी। अध्ययन के अनुसार किसान क्रेडिट कार्ड ने 4.6 लाख करोड़ रुपये के औपचारिक क्षेत्र में आने का अनुमान लगाया गया है।
अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में अनौपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी घटी है। अनौपचारिक क्षेत्र में ऐसे उद्यम शामिल होते हैं, जिनका अपना उद्यम होता है और उसका संचालन श्रमिकों द्वारा किया जाता है। वहीं गिग अर्थव्यवस्था के तहत कर्मचारी कुछ समय के लिए नियुक्त किए जाते हैं। इसका आशय रोजगार की ऐसी व्यवस्था से है, जहां स्थायी तौर पर कर्मचारियों को रखे जाने के बजाए अल्प अवधि के लिए अनुबंध पर रखा जाता है। रिपोर्ट के अनुसार गिग अर्थव्यवस्था कोई नई धारणा नहीं है, बल्कि प्रौद्योगिकी के विकास के साथ इसे तेजी से अपनाया जा रहा है।