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देश ने अब क्रूड स्टील की उत्पादन क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा हैः पीएम मोदी

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वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्यों की ओर बढ़ने में इस्पात उद्योग की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब देश में इस्पात क्षेत्र मजबूत होता है तो बुनियादी ढांचा क्षेत्र मजबूत होता है। इसी तरह इस्पात क्षेत्र का सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, निर्माण, मोटर वाहन, पूंजीगत सामान और इंजीनियरिंग उत्पादों में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए देश ने अब क्रूड स्टील की उत्पादन क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। भारत से दुनिया की अपेक्षाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत तेजी से दुनिया का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है और सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक नीतिगत माहौल बनाने में सक्रिय रूप से लगी हुई है। उन्होंने कहा, “पिछले 8 वर्षों में सभी के प्रयासों के कारण भारतीय इस्पात उद्योग दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक उद्योग बन गया है। इस उद्योग में विकास की अपार संभावनाएं हैं।”

60 हजार करोड़ से अधिक के निवेश से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 अक्टूबर 2022 को वीडियो संदेश के माध्यम से आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया के हजीरा संयंत्र के विस्तार के अवसर पर सभा को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस इस्पात संयंत्र के माध्यम से न केवल निवेश हो रहा है बल्कि कई नई संभावनाओं के दरवाजे भी खुल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बताया, “60 हजार करोड़ से अधिक के इस निवेश से गुजरात और देश के युवाओं के लिए रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे। इस विस्तार के बाद हजीरा स्टील प्लांट में कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता 90 लाख टन से बढ़कर 1.5 करोड़ टन हो जाएगी।”

इस्पात के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस विस्तार के साथ-साथ भारत में एक पूरी तरह से नई तकनीक आ रही है जो इलेक्ट्रिक वाहन, ऑटोमोबाइल और अन्य विनिर्माण क्षेत्रों में बहुत बड़ी मदद होगी। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया की यह परियोजना मेक इन इंडिया के विजन में मील का पत्थर साबित होगी। यह विकसित भारत और इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारे प्रयासों को नई ताकत देगी।”

विमानवाहक पोत में इस्तेमाल होने वाले विशेष स्टील को विकसित

भारतीय इस्पात उद्योग को और बढ़ावा देने के उपायों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएलआई योजना ने इस उद्योग के विकास के नए रास्ते निर्मित किए हैं। आईएनएस विक्रांत का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि देश ने उच्च श्रेणी के स्टील में विशेषज्ञता हासिल की है जिसका इस्तेमाल महत्वपूर्ण रणनीतिक अनुप्रयोगों में बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने विमानवाहक पोत में इस्तेमाल होने वाले विशेष स्टील को विकसित किया है। भारतीय कंपनियों ने हजारों मीट्रिक टन स्टील का उत्पादन किया और आईएनएस विक्रांत स्वदेशी क्षमता व तकनीक के साथ पूरी तरह तैयार हुआ था। ऐसी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए देश ने अब कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में हम 154 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का उत्पादन करते हैं। हमारा लक्ष्य अगले 9-10 वर्षों में 300 मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता हासिल करना है।

भारत का हरित प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर

विकास के विजन के रास्ते में आने वाली चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने इस्पात उद्योग के लिए कार्बन उत्सर्जन का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि एक तरफ भारत कच्चे इस्पात की उत्पादन की क्षमता का विस्तार कर रहा है और दूसरी तरफ पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के उपयोग को भी बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज भारत ऐसी उत्पादन तकनीकों को विकसित करने पर जोर दे रहा है जो न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं बल्कि कार्बन को कैप्चर करके उनका पुन: उपयोग भी करती है।” उन्होंने आगे बताया कि देश में सर्कुलर अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और इस दिशा में सरकार व निजी क्षेत्र मिलकर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे खुशी है कि एएमएनएस इंडिया समूह की हजीरा परियोजना भी हरित प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बहुत जोर दे रही है।”

सरकार इस्पात उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध

प्रधानमंत्री ने कहा, “जब हर कोई किसी लक्ष्य की दिशा में पूरी ताकत से प्रयास करना शुरू कर दे तो उसे हासिल करना मुश्किल नहीं है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार इस्पात उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। अंत में उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि यह परियोजना इस पूरे इलाके और इस्पात क्षेत्र के विकास को गति प्रदान करेगी।”

मोदी सरकार ने स्पेशियलिटी स्टील सेक्टर में प्रोत्साहन योजना को दी मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में मोदी सरकार ने 22 जुलाई, 2021 को देश में विशेष इस्पात के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 6,322 करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजना को मंजूरी दी। इस योजना की अवधि 5 वर्ष है, जो वर्ष 2023-24 से वर्ष 2027-28 तक मान्य होगी। इससे देश में स्पेशलाइज्ड स्टील के उत्पादन की क्षमता में 2.5 करोड़ टन का इजाफा होने की उम्मीद है। इस योजना के तहत लगभग 40,000 करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है जिससे लगभग 5.25 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इनमें से 68,000 प्रत्यक्ष रोजगार होंगे।

स्पेशलाइज्ड स्टील का उत्पादन बढ़ाने और आयात कम करने पर जोर

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत क्रूड स्टील के उत्पादन के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। लेकिन, स्पेशियलिटी स्टील के उत्पादन में काफी पीछे है। इसके चलते हर साल बड़ी मात्रा में स्पेशियलिटी स्टील का आयात करना पड़ता है। वित्त वर्ष 2020-21 में विभिन्न प्रकार के 67 लाख टन स्टील का आयात किया गया। इनमें से लगभग 40 लाख टन आयात विशेष इस्पात का था। इस आयात में लगभग 30,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा का व्यय हुआ। वर्ष 2026-27 के अंत तक विशेष इस्पात का उत्पादन 4.2 करोड़ टन होने का अनुमान है। इनमें से 2.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के विशेष इस्पात की खपत घरेलू बाजार में होगी।

33 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की आय का अनुमान

मंत्रालय के मुताबिक योजना के तहत विशेष स्टील का चुनाव इस लिए किया गया है कि कुल इस्पात उत्पादन में इसका हिस्सा काफी कम है। साथ ही निर्यात भी कम है। सरकार का मानना है कि स्टील सेक्टर की पीएलआई स्कीम से देश में स्पेशलाइज्ड स्टील का उत्पादन बढ़ने से निर्यात भी बढ़ेगा। अभी ये 17 लाख टन सलाना है, जिसे बढ़कर 55 लाख टन होने का अनुमान है और इससे 33 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की आय भी होगी।

कोरिया और जापान की बराबरी करेगा भारत

सरकार की इस प्रोत्साहन योजना का फायदा बड़े मैन्युफैक्चर्स के साथ-साथ छोटे मैन्युफैक्चर्स को भी मिलेगा। यह योजना कोटेड/प्लेटेड स्टील, एलॉय स्टील सामान, स्टील वायर और इलेक्ट्रिकल स्टील आदि पर लागू होगी। इससे भारत को स्टील सप्लाई चेन में कोरिया और जापान की बराबरी करने की उम्मीद है। इतना ही नहीं इन कटैगरी के स्टील से भारत में एपीआई ग्रेड पाइप, हेड हार्डेंड रेल, इलैक्ट्रिकल स्टील (ट्रांसफार्मर और विद्युत उपकरणों में आवश्यक) जैसे प्रोडक्ट्स का बनना शुरू हो सकता है। अभी देश में इनका फिलहाल बहुत ही सीमित मात्रा में या बिल्कुल भी विनिर्माण नहीं होता है।

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