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आतंकवाद क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा, इसपर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद को क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बताया है। 4 जून को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने सदस्य देशों से इस खतरे से एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। एससीओ बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी। कुछ देश, सीमापार आतंकवाद को अपनी नीतियों के तंत्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एससीओ के अध्यक्ष के रूप में भारत ने बहुआयामी सहयोग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला, वसुधैव कुटुम्बकम, यानि पूरा विश्व एक परिवार है। यह सिद्धांत, प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है। और आधुनिक समय में भी हमारे लिए एक नयी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। और दूसरा, SECURE यानि सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण। यह हमारी अध्यक्षता का थीम और हमारे एससीओ के विजन का प्रतिबिंब है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट विवाद, तनाव और महामारी से घिरी दुनिया में सभी देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में एससीओ समूचे यूरेशिया क्षेत्र में शांति, समृद्धि और विकास के एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि भारत ने एससीओ में सहयोग के पांच नए स्तंभ बनाए हैं। ये स्तंभ स्टार्टअप्स और नवाचार, परंपरागत औषधि, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत है।

एससीओ बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अफगानिस्तान की स्थिति का हम सभी की सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ा है। हमें अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि, पड़ोसी देशों में अस्थिरता फ़ैलाने, या उपद्रवी विचारधाराओं को प्रोत्साहन देने के लिए उपयोग न की जाए।’ इसका साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा, ‘एससीओ विश्व के चालीस प्रतिशत लोगों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लगभग एक तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है। और इस कारण यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम एक-दूसरे की जरूरतों और संवेदनशीलताओं को समझें। बेहतर सहयोग तथा समन्वय के माध्यम से सभी चुनौतियों का समाधान करें।’

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