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महाराष्ट्र की राजनीति में घूम गया चक्र, शरद पवार ने 1978 में दिया था वसंतदादा पाटील को धोखा, बगाबत कर बने थे सीएम

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कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है। 2 जुलाई 2023 को महाराष्ट्र की राजनीति ने नई करवट ली। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार को मात देते हुए भतीजे अजित पवार ने एनसीपी पार्टी में बगावत की और बीजेपी का दामन थाम लिया। उन्होंने सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उनके कुछ साथी विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। उन्हें एनसीपी के 53 में से 40 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इस घटना के बाद महाविकास अघाड़ी के साथ ही विपक्षी एकता पर सवाल खड़े हुए। इससे तिलमिलाए शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि अजित पवार ने महाराष्ट्र की पीठ में खंजर भोंका है। अगर ऐसा है तो फिर तो यह भी कहना पड़ेगा कि शरद पवार ने भी 1978 में यही काम किया था। कुछ इसी तरह की घटना महाराष्ट्र की राजनीति में 1978 में घटी थी। उस वक्त पवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटील को धोखा देकर 40 विधायकों के साथ अलग हो गए थे और मुख्यमंत्री बन गए थे।

1978 में 40 विधायकों के साथ बगावत कर सीएम बने थे पवार
शरद पवार लगभग 45 साल पहले कांग्रेस से बगावत करते हुए 40 विधायकों को लेकर अलग हो गए थे। इसके चलते वसंतदादा पाटील की सरकार गिर गई थी। पवार ने 18 जुलाई, 1978 को प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जिसमें कई विपक्षी दल शामिल थे।

वसंतदादा ने मुख्यमंत्री पद से दिया था इस्तीफा
1978 में विधानमंडल सत्र चल रहा था। तत्कालीन गृह मंत्री नासिक राव तिरपुडे ने मुख्यमंत्री पाटील को उद्योग मंत्री पवार से उनकी सरकार को खतरे के बारे में चेतावनी दी थी। वसंतदादा ने उनसे कहा था कि शरद अभी मुझसे मिले थे। उसी दिन बाद में वसंतदादा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

महाराष्ट्र की राजनीति में घूम गया चक्र
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़े नाटकीय घटनाक्रम के तहत 2 जुलाई 2023 को राकांपा नेता अजित पवार ने पार्टी में विभाजन की स्थिति पैदा कर दी। वह राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए। इस कदम ने उनके चाचा शरद पवार को चौंका दिया। उन्‍होंने 24 साल पहले पार्टी की स्थापना की थी। दक्षिण मुंबई के राजभवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के आठ नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

शरद पवार के करीबी भी अजित पवार के साथ आए
दोनों घटनाओं की समानता यहीं पर खत्म नहीं होती। शरद पवार जिस तरह कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं गोविंदराव आदिक और सुशील कुमार शिंदे को अपने साथ लेकर गए थे, उसी तरह अजित पवार भी दिलीप वलसे पाटिल और छगन भुजबल को साथ लेकर गए हैं। दिलीप वलसे पाटिल और भुजबल को पवार का वफादार माना जाता रहा है।

अगले चुनाव में वो एनसीपी के नाम से उतरेंगेः अजित पवार
उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद एक प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर अजित पवार ने कहा कि उन्होंने एनसीपी के नेता के रूप में ही महाराष्ट्र की सरकार को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि अगले चुनाव में वो एनसीपी के नाम और एनसीपी के चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में उतरेंगे। प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अजित पवार और छगन भुजबल के साथ प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद थे। प्रफुल्ल पटेल को कुछ दिनों पहले ही शरद पवार ने पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था।

हम सभी लोग मोदी के साथ जाना चाहते हैंः छगन भुजबल
शरद पवार के करीबी छगन भुजबल ने कहा कि हमें कुछ दिन पहले शरद पवार साहब ने कहा था कि मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर वापस आने वाले हैं। अगर ऐसा है तो एक सकारात्मक कदम लेते हुए हमने विकास के उद्देश्य से उनकी सरकार में शामिल होने का फ़ैसला लिया है। उन्होंने कहा कि कई लोगों का कहना है कि हमारे नेताओं में से कई लोगों के ख़िलाफ़ ईडी के केस चल रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है। शपथ लेने वाले नेताओं के नाम आप देख सकते हैं। हम सभी लोग मोदी के साथ जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि 1984 के बाद ऐसा कोई नेता नहीं आया जिसके नेतृत्व में देश आगे बढ़ सका, लेकिन बीते 9 सालों से हम मोदी को देख रहे हैं कि देश तेज़ी से विकास कर रहा है।

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