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ममता की मनमानी: सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, 20 लाख का जुर्माना भी लगाया

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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने बांग्ला फिल्म ‘भविष्योतेर भूत’ पर प्रतिबंध लगाने पर ममता सरकार पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार बांग्ला फिल्म निर्देशक अनिक दत्त और सिनेमा हॉल के मालिकों को 20 लाख रुपये देने को कहा है। पिछले महीने फिल्म हॉल में लगाए जाने के एक दिन बाद ही राज्य के सिनेमाघरों से हटा दिया गया था। बिना वजह प्रतिबंध लगाए जाने के खिलाफ इंडीबिली क्रिएटिव प्राइवेट लिमिटेड के निर्माता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। फिल्म में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों पर कटाक्ष किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह अभिव्‍यक्ति की आजादी का उल्‍लंघन है। कोर्ट के आदेश के बाद अब यह फिल्‍म सिनेमा हॉल में प्रदर्शित हो सकेगी।

पश्चिम बंगाल में ममता का ‘जंगल’ राज
पश्चिम बंगाल में एक ही व्यक्ति की मनमर्जी चलती है वह कोई और नहीं स्वयं ममता बनर्जी हैं। राज्य की चुनी हुई मुख्यमंत्री, कोलकत्ता पुलिस के कमिश्नर राजीव कुमार को सीबीआई जांच से बचाने के लिए धरने पर बैठ जाती हैं। वह राजीव कुमार को बचाने के लिए सीबीआई से लड़ पड़ती हैं। पश्चिम बंगाल में मां, माटी और मानुष के जज्बे  के साथ ममता बनर्जी सत्ता में आईं, लेकिन यह छलावा था। 2008 के दौरान राज्य में शारदा और रोज वैली नाम की चिट फंड कंपनियों के घोटाले उजागर हुए। इन घोटालों में राज्य के गरीबों का पैसा दोगुना करने का लालच दाकर ये कंपनियां  2,500 करोड़ और 17,000 करोड़ रुपये इकट्टा कर भाग गईं। गरीबों को लालच दिखाकर लूटने का काम करने के लिए इन कंपनियों को छूट ममता बनर्जी और उनके सिपहसालारों ने दे रखी थी। इस छूट के बदले में इन कंपनियों से करोड़ों रुपयों का नजाराना लिया गया था।

ममता बनर्जी ने इस घोटाले को दबाने के लिए 2013 में आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया। यह एसआईटी भी गरीबों को छलने का एक तरीका था। गरीबों को न्याय दिलाने के नाम पर एसआईटी से अपने लोगों को बचाने के लिए सबूतों को नष्ट करने का काम करवाया। लेकिन 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने इन दोनों घोटालों की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दे दिए। सीबीआई ने अपने जांच करने के दौरान पाया कि ऐसे सबूत, जिससे ममता बनर्जी और उनके पार्टी के नेता फंस सकते हैं, उनको गायब कर दिया गया है। इन सबूतों में लैपटाप, डायरी और पेनड्राइव है, जिसे राजीव कुमार ने गायब कर दिया है। इन सबूतों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जब सीबीआई, कोलकाता पुलिस कमीश्नर राजीव कुमार के घर पहुंची तो ममता बनर्जी ने सीबीआई को पूछताछ से रोकने के लिए धरने पर बैठ गई।

प्रधानमंत्री मोदी की रैली को सुरक्षा नहीं दी
ममता ने संविधान और सिस्टम को तब भी ठेंगा दिखाया जब 17 जुलाई 2018 को मेदनीपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रैली की थी। राज्य सरकार ने ‘ब्लू बुक’ फॉलो नहीं किया। पीएम की सुरक्षा के लिए SPG को संसाधन नहीं दिए गए और रैली स्थल तक स्थानीय पुलिस की तैनाती नहीं की गई।

भाजपा नेताओं को रैली करने से रोका
एक तरफ ममता बनर्जी अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए धरने पर बैठती हैं तो दूसरी तरफ भाजपा के नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बंगाल में रैली करने के लिए उनके हेलिकाफ्टर को उतरने की इजाजत नहीं देती हैं। इससे पहले भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को भी रैली स्थल पर जाने के लिए हेलिकाप्टर उतरने की इजाजत नहीं दी। इससे साफ होता है कि ममता संविधान की रक्षा के नाम पर अपनी राजनीतिक जमीन को बचाने के अंतिम लड़ाई लड़ रही हैं।

ममता बनर्जी ने CAG को ठेंगा दिखाया
2018 में  ममता बनर्जी  ने राज्य की कानून-व्यवस्था संबंधित खर्च और अन्य चीजों का ऑडिट करने से कैग (CAG) को मना कर दिया था। हालांकि कैग ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए राज्य सचिवालय कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार संविधान के दायरे से बाहर नहीं हैं। कैग ने साफ किया कि पश्चिम बंगाल की ढाई हजार किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा है। ऐसे में यहां कानून-व्यवस्था का पालन किस हिसाब से किया जा रहा है, इसकी जांच बेहद जरूरी है। जनसत्ता और दैनिक जागरण में छपी खबर के अनुसार पश्चिम बंगाल गृह विभाग की ओर से कहा गया कि राज्य की कानून-व्यवस्था में कैग को किसी हाल में नहीं घुसने दिया जाएगा। हालांकि कैग ने कहा कि देश के परमाणु कार्यक्रमों एवं सेना के जहाजों की खरीद-बिक्री संबंधी बड़े मामलों का भी ऑडिट करता है तो क्या पश्चिम बंगाल सरकार की कानून- व्यवस्था उससे भी ऊंची चीज है? 

ममता केन्द्र सरकार की योजनाओं से अपने को दूर रखती हैं
ममता बनर्जी, केन्द्र में प्रधानमंत्री मोदी सरकार के कामों से इतना डरी रहती हैं कि वह किसी योजना को अपने राज्य में लागू नहीं करना चाहती हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार की किसी भी स्वच्छता सर्वेक्षण में भाग नहीं लिया है। ममता बनर्जी केन्द्र सरकार की योजनाओं का नाम बदल देती हैं। उनको हमेशा डर रहता है कि इसका राजनीतिक लाभ केन्द्र की भाजपा सरकार को कहीं न मिल जाए। ममता सरकार ने ‘दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना’ का नाम  ‘आनंदाधारा’, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का ‘मिशन निर्मल बांग्ला’, ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ का ‘सबर घरे आलो’,‘राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन’ को ‘राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन’, ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ को ‘बांग्लार ग्राम सड़क योजना’ और ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना’ का नाम बदलकर ‘बांग्लार गृह प्रकल्प योजना’ कर दिया ।

शाही इमाम को मनमानी करने की छूट देती हैं
कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम को कानून को ताक पर रखकर लाल बत्ती वाली गाड़ी में घूमने की इजाजत ममता बनर्जी देती है। जब पत्रकारों ने इमाम से पूछा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं, ये तो अब गैर-कानूनी है, तो उन्होंने जवाब दिया, ”ममता बनर्जी बोली आप जला के रखें, खूब जलाएं, आप घूमते रहें, हम हैं।” गौरतलब है कि मोदी सरकार ने एक मई, 2017 से लाल बत्ती की गाड़ियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। सिर्फ इमरजेंसी वाहनों को आवश्यकतानुसार लाल-नीली बत्ती के इस्तेमाल का अधिकार दिया गया है।

ममता बनर्जी घोटालों में फंसी हैं
खुद ममता बनर्जी पर कई घोटालों में फंसी है। नारदा, शारदा और रोजवैली स्कैम में उनपर आम लोगों के सैकड़ों करोड़ रूपये इधर से उधर करने के आरोप हैं। इन सभी मामलों की जांच चल रही है। ये जांच अदालतों की अगुवाई में केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं। ममता सरकार के कई पूर्व मंत्री और टीएमसी नेता इन्हीं मामलों में सलाखों के पीछे डाले जा चुके हैं। बस यही मामले ममता की कमजोर कड़ी हैं। वो जानती हैं की पीएम मोदी के रहते भ्रष्टाचार के किसी भी मामले को दबाना नाममुकिन है। उन्हें लगता है कि निष्पक्ष जांच होने पर तो उन्हें भी जेल जाना पड़ सकता है।

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ममता का भतीजा अभिषेक बनर्जी भ्रष्टाचार में घिरा है
ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक भी घोटालों में फंसे हैं। उनकी कंपनी ‘लीप्स ऐंड बाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड’ को राज किशोर मोदी नाम के एक शख्स ने भुगतान किया। बताया जा रहा है कि राज किशोर मोदी जमीन की सौदेबाजी का काम करता है। उसपर जमीन हथियाने और हत्या की कोशिश में शामिल होने जैसे आपराधिक आरोप हैं और उसके खिलाफ जांच भी चल रही है। कागजातों से पता चलता है कि राज किशोर ने लीप्स ऐंड बाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड में डेढ़ करोड़ रुपयों से ज्यादा का निवेश किया। आरोप है कि अभिषेक जब इस कंपनी के डायरेक्टर थे, तब उन्हें कमीशन भी दिया गया था।

अभिषेक बनर्जी के मामले में ममता बनर्जी के लिए कई चीजें परेशानी का कारण बन सकती हैं। अभिषेक की कंपनी के निदेशक, जिनमें अभिषेक की पत्नी भी शामिल हैं, मुख्यमंत्री बनर्जी के आधिकारिक निवास ’30 बी, हरीश चटर्जी रोड, कोलकाता’ में रहते हुए दिखाए गए हैं। बताया गया है कि ये सभी CM आवास में ही रहते हैं। यह कागजात अभिषेक पर लग रहे आरोपों को ममता के करीब ले आया है। अभिषेक 2014 में सांसद बने। इससे पहले तक वह ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री आवास में ही रह रहे थे। सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने अपनी कंपनी ‘लीप्स ऐंड बाउंड्स’ के निदेशक पद से इस्तीफा दिया था।

ममता बनर्जी देश के संविधान और सिस्टम में विश्वास नहीं रखतीं और खुद को ‘सर्वशक्तिमान’ समझती हैं। हाल मे ही उन्होंने एनआरसी के मुद्दे पर कहा था, ”बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से निकालने की कोई कोशिश होगी तो ‘गृह युद्ध’ हो जाएगा।”

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