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गेम चेंजर आधार से बची 90 हजार करोड़ की सब्सिडी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले साढ़े चार वर्षों में भ्रष्टाचार के माध्यम से सरकारी धन लूटने वालों के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। प्रधानमंत्री की एग्रेसिव पहल से आधार नंबर एक के बाद एक कई योजनाओं, सुविधाओं और सेवाओं के साथ जोड़ा जा रहा है। इससे देश में फर्जीवाड़े, भ्रष्टाचार और कालेधन में काफी कमी आई है। कालाधन और भ्रष्टाचार की लड़ाई में आधार कारगर हथियार बन गया है। अब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि आधार कई योजनाओं के लिए गेमचेंजर साबित हुआ है और आधार के कारण सरकार को 9000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। अरुण जेटली ने फेसबुक पोस्ट में आधार के क्रियान्वयन की सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व को देते हुए कहा कि आधार के जरिए सब्सिडी की आपूर्ति से 90,000 करोड़ रपए की बचत हुई है। उन्होने कहा कि इससे कई डुप्लीकेट और फर्जी लाभार्थियों को हटाने में मदद मिली है।

मोदी सरकार ने बीते चार वर्षों में भ्रष्टाचार और सरकारी धन की लूट-खसोट रोकने के लिए जो कदम उठाए हैं, उसपर एक नजर डाल लेते हैं-

डीबीटी से बचाए 90 हजार करोड़
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई 2014 में जब देश की बागडोर संभाली थी, तभी उन्होंने ऐलान कर दिया था कि उनकी सरकार की नीति भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की है। इस सरकार ने एक-एक कर भ्रष्टाचार के सभी रास्तों को बंद कर दिया है। सरकारी पैसे की लूट अब नहीं हो पाती है। पहले जहां सरकारी मदद और सब्सिडी, पेंशन आदि का पैसा अपात्रों के हाथों में चला जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। डायरेक्ट बैलेंस ट्रांसफर यानि डीबीटी योजना के बाद से केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया पैसा सीधे जरूरतमंद के हाथों में पहुंचने लगा है। आधार से जुड़ी इस योजना के जरिए मार्च, 2018 तक केंद्र सरकार को 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है।

यह वो रकम है, जो पहले जरूरतमंदों के हाथों में न पहुंच कर अपात्रों के हाथों में जाता था और भ्रष्टाचार की भेंच चढ़ जाता था। डीबीटी प्रकोष्ठ ने आरटीआई के तहत पिछले चार वर्षों की मांगी गई सूचना में यह जानकारी दी है। केंद्र सरकार एलपीजी, खाद्यान्न, खाद, कई समाजिक पेंशन समेत 400 से अधिक योजनाओं का पैसा डीबीटी के जरिए सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर करता है।

मार्च, 2018 तक केंद्र सरकार को डीबीटी से बचत (करोड़ रुपये में)
एलपीजी सब्सिडी 42,275
खाद्यान्न सब्सिडी 29,708
मनरेगा 16,073
एनएसएपी 438.60
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति 238.27
अन्य मंत्रालयों की योजानाएं 1120.69
कुल बचत 90,012.71

इन योजनाओं को डीबीटी से जोड़ने से करीब पौने चार करोड़ फर्जी और निष्क्रिय एलपीजी कनेक्शन हटा दिए गए। 2.75 करोड़ फर्जी राशन कार्ड रद्द किए गए, छात्रवृत्ति और सामाजिक पेंशन पाने वाले लाखों फर्जी लोगों को भी हटाने में सफलता मिली। वित्त वर्ष 2017-18 में केंद्र सरकार को डीबीटी से 32,984 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।

मनरेगा के एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड रद्द 
मनरेगा में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए आधार नंबर को इस योजना के लिए अनिवार्य कर दिया। आधार नंबर लिंक होने पर मनरेगा में देश भर में एक करोड़ से ज्यादा जॉब कार्ड फर्जी मिले। सरकार ने तत्काल प्रभाव से फर्जी जॉब कार्ड को रद्द कर दिया।

कालाधन रखने वालों की जानकारी एकत्रित
कांग्रेस सरकार में 2004-14 के दौरान, देश में भ्रष्टाचार चरम पर था। 2009 में सर्वोच्च न्यायालय में कालेधन पर एक लोकहित याचिका दायर की गई। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई गई कि देश में पैदा हो रहे कालेधन को जिसे विदेशी बैंकों में जमा किया जा रहा है, उसकी छानबीन की जाए और उस पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। इस याचिका पर, 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने तब की केन्द्र की कांग्रेस सरकार को कालेधन के बारे में पता लगाने के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुछ विशेष लोगों के दबाव में एसआईटी का गठन नहीं किया। 26 मई, 2014 को नई सरकार बनने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने पहली कैबिनेट बैठक मे ही न्यायाधीश एम बी शाह की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन कर दिया। एसआईटी अबतक सरकार और सर्वोच्च न्यायालय को कई रिपोर्ट्स के साथ कालेधन के मालिकों की लिस्ट दे चुकी है। इन जानकारियों के ही आधार पर सरकार ने कालेधन पर नकेल कसने के लिए कई सारे कदम उठाये हैं ।

कालेधन में लेनदेन खत्म करने के लिए जन धन योजना
बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से लेनदेन होने से, पूरी अर्थव्यवस्था में रुपये का प्रवाह पारदर्शी होता है, लेकिन 2014 तक देश में बहुत ही कम लोगों का बैंकों में खाता होता था, जिसकी वजह से व्यवस्था में पूरा लेनदेन पूरी नगद राशि में ही होता। नगद में लेन देन होने से कालाधन आसानी से पैदा हो रहा था और आर्थिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार चरम पर था, लेकिन कांग्रेस की मनमोहन सरकार के पास इसे नियंत्रित करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री जनधन योजना का शुभारंभ करके, नगद में लेनदेन की स्थिति को बदल दिया। 

कालाधन पैदा करने वाले स्रोतों को बंद करने के लिए कानून बनायाप्रधानमंत्री मोदी ने एसआईटी के गठन के साथ -साथ देश में उन स्रोतों को जहां से कालाधन पैदा हो रहा था और नगद में लेनदेन पर लगाम लगाने के लिए नये कानूनों को संसद से पारित करवाया। इनमें से कुछ प्रमुख कानून इस तरह से हैं-

• स्विस बैंकों में रखे गए काले धन के बारे में सूचना साझा करने के मकसद से भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संशोधित दोहरा कर बचाव संधि (डीटीएए) किया। डीटीएए के तहत कई देशों के साथ समझौते किए गए। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के देश, साल 2017 से कालाधन जमा करने वालों के नाम की लिस्ट देने के लिए सहमत हो गए हैं।

• विदेशो में भारतीयों के काले धन पर लगाम लगाने के लिए कालाधन और इम्‍पोजिशन ऑफ टैक्‍स एक्ट, 2015 को संसद में पारित करवाया। इस कालाधन कानून के तहत विदेश से होने वाली आय और संपत्ति के मूल्कयांकन के नियमों को लागू कर दिया। इसमें विदेशी संपत्तियों और आय का खुलासा नहीं करने पर सख्‍त सजा का प्रावधान किया गया। इसके जरिए विदेशी संपत्तियों से होने वाली आय को छुपाने और कर चोरी पर 10 साल की सजा निश्चित कर दी गई। इसके अलावा 300 प्रतिशत जुर्माने का प्रावधान भी किया।

 काले धन पर लगाम लगाने के लिए आईडीएस इनकम डिक्लेरेशन स्कीम 1 जून, 2016 से लागू किया। यह स्कीम 30 सितंबर 2016 तक जारी रही। इस योजना के माध्यम से ही देश में लोगों ने हजारों करोड़ रुपये का कालाधन घोषित किया।

• रियल एस्टेट में कालेधन पर लगाम लगाने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में  बदलाव किया गया। इस बदलाव ने रियल एस्टेट में 20 हजार से ज्यादा के नगद लेनदेन पर रोक लगा दी। 20 हजार से अधिक नगद लेनदेन  करने पर 20 फीसदी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया। 1 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति की खरीददारी या बिक्री पर पैन देना अनिवार्य हो चुका है।

• काले धन पर अंकुश लगाने के लिए बेनामी लेनदेन (प्रतिबंध) संशोधन विधेयक को संसद में पास किया गया। 1 नवंबर 2016 को इस कानून को लागू कर दिया गया। इससे रियल एस्टेट और सोने की  बेनामी खरीदारी पर लगाम लगी। कानून ने  विदेशों में काला धन छिपाने वालों को दस साल  की सजा और नब्बे फीसदी का जुर्माना कर दिया। अब इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में संपत्ति की जानकारी छिपाने पर सात साल की सजा दी जाती है।

नोटबंदी से तीन लाख फर्जी कंपनियों का धंधा बंद
08 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 500 और 1000 रुपये के नोट को बंद करने का निर्णय लिया। कालेधन पर, प्रधानमंत्री मोदी का यह सबसे घातक स्ट्राइक था। इसने देश में जाली नोटों के कारोबार को पूरी तरह से बंद कर दिया। कालेधन और जाली नोटों से चलने वाले उग्रवादी और आतंकवादी संगठनों की कमर टूट गई। नोटबंदी ने देश की तीन लाख फर्जी कंपनियों को बेनकाब कर दिया। इन कंपनियों का पता चलते ही सरकार ने इन्हें खत्म कर दिया और कंपनियों के निदेशकों को आजीवन ब्लैकलिस्ट कर दिया। नोटबंदी ने देश में  टैक्स देने वालों की संख्या को दोगुना कर दिया। आज देश में  सात करोड़ लोग टैक्स देते हैं, जबकि अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार के दौरान मात्र तीन करोड़ लोग टैक्स देते थे।

डिजिटल पेमेंट से कालेधन का स्रोत खत्म
प्रधानमंत्री मोदी ने देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए भीम एप लॉन्च किया। इस एप से 89 बैंकों में लेनदेन करने के लिए डिजिटल सुविधा जनता के हाथों में पहुंच गई, बैंकिंग के काम सरल और देश में हर जगह सुलभ हो गए। एप के जरिए लेनदेन देश में तेजी से बढ़ रहा है। 18 मार्च, 2018 तक 4972.69 करोड़ रुपये का लेन देन लोग कर चुके थे। इसी तरह से क्रेडिट, डेबिट कार्ड और चेक के जरिए होने वाले लेनदेन ने आर्थिक व्यवस्था को पारदर्शी बना दिया है, जो 2014 के पहले एकदम से ही नहीं थी।

सरकारी खरीद और नीलामी में ऑनलाइन व्यवस्था ने भ्रष्टाचार खत्म किया
कांग्रेस सरकार ने कोयला, स्पेक्ट्रम, जमीन और अयस्कों की नीलामी में जिस तरह से लाखों करोड़ रुपये का घोटाला किया था, उसकी पुनरावृत्ति को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी को ऑनलाइन कर दिया। व्यवस्था पारदर्शी बन चुकी है। अब सरकार के विभिन्न विभागों में सामानों की खरीदारी के लिए ऑनलाइन मार्केट GeM बना चुका है, जिस पर लाखों करोड़ की खरीददारी होती है और सरकारी कामों में बिचौलियों के राज का अंत हो चुका है।

सरकारी विभागों में कार्य करने का तरीका बदला
2014 तक देश के केन्द्रीय मंत्रालयों के कार्यालय और अधिकारियों में जनता के प्रति संवेदनहीनता चरम पर थी। सरकारी कार्यालयों में अस्वच्छता और अनुशासनहीनता का आलम था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस स्थिति में जबरदस्त परिवर्तन ला दिया है। बायोमेट्रिक प्रणाली ने समय पर कार्यालय पहुंचने का अनुशासन पैदा किया है। काम में अनुशासन को बनाने के लिए  प्रधानमंत्री स्वयं हर महीने PRAGATI – Pro-Active Governance and Timely Implementation की बैठकों के जरिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने एक तरफ जहां सरकारी कार्यालयों में कामकाज करने का ढंग बदला है वहीं जनता को सरकार से जुड़ने और हर समस्या के समाधान पर सुझाव देने के लिए MyGov का प्लेटफॉर्म भी दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले चार सालों में आर्थिक व्यवस्था और सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार,देश में फैलाए गए कालेधन के जाल को खत्म करके सुशासन की व्यवस्था दी है, जिसे करने में कांग्रेस हमेशा ही असफल रही थी।

बिछड़े परिजनों को मिलाया 
आधार सिर्फ भ्रष्टाचार रोकने में ही नहीं, लापता परिजनों को खोजने में भी कारगर साबित हुआ है। आधार कार्ड पहचान का आधार होने के साथ-साथ अपनों को मिलाने का जरिया भी बन रहा है। आधार कार्ड बने होने की वजह से अपनों से बिछड़ गए सैकड़ों लोगों को वापस अपना परिवार मिल गया है। आधार नंबर की बदौलत हजारों गुमशुदा बच्चों का पता लगाया गया। इसका सबसे बड़ा मानवीय पक्ष यह है कि अगर आधार न होता तो सैकड़ों व्यक्ति गुमनामी के अंधेरे खो गए होते।

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