अमेरिका का न्यूयॉर्क टाइम्स प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हिन्दुओं से काफी नफरत करता है, क्योंकि भारत में अखबार द्वारा चलाए जाने वाले विदेशी एजेंडे में सबसे बड़ी बाधा यही है। इस अखबर की नजरों में प्रधानमंत्री मोदी खटकते रहते हैं, क्योंकि विदेशी ताकतों के प्रभाव में आए बिना स्वतंत्र रूप से भारत के हित में फैसले लेते हैं और वैश्विक स्तर पर भारत का कद बढ़ा रहे हैं। इसलिए न्यूयॉर्क टाइम्स प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की छवि खराब करने के लिए लगातार लेख प्रकाशित करता रहता है। अब अखबार एक कदम आगे बढ़ते हुए अपनी नफरत को अमलीजामा पहनाने के लिए भारत में ही ऐसा पत्रकार ढूंढ रहा है, जो भारत, प्रधानमंत्री मोदी और हिन्दुओं के खिलाफ दुष्प्रचार का एजेंडा चलाने में पूरी मदद कर सके।
दरअसल न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारतीय पत्रकारों के लिए आवेदन निकाला है। अखबार ने 1 जुलाई, 2021 को लिंक्डइन पर जॉब रिक्रूटमेंट पोस्ट की। ये जॉब दिल्ली में साउथ एशिया बिजनेस संवाददाता के लिए है। इसमें हायरिंग की शर्तें देख कर ऐसा लगता है जैसे बिना एंटी मोदी और हिंदू विरोधी हुए वहां जॉब पाना बेहद मुश्किल है। अखबार को ऐसे पत्रकार की जरूरत है, जो भारत सरकार के विरुद्ध लिख सके और सत्ता बदली की उनकी कोशिशों में अपना योगदान दे सके। उसे पत्रकार के रूप में ऐसा एजेंट मिले, जो टुकड़े-टुकड़े गैंग की मदद करे और मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाए।
विवादित जॉब पोस्ट में ये भी कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी देश के हिंदू बहुमत पर केंद्रित होकर आत्मनिर्भर भारत और मस्कुलर राष्ट्रवाद की वकालत करते हैं। अब देखिए ये वाक्य भी कितना अटपटा है क्या न्यूयॉर्क टाइम्स को ये दिक्कत है कि भारत आत्मनिर्भर हो रहा है या ये समस्या है कि प्रधानमंत्री मोदी भारत को आत्मनिर्भर बनाने में प्रयासरत है। इस जॉब पोस्टिंग में अखबार ने ये तक लिखा है कि वैसे तो भारत जनसंख्या के मामले में चीन को टक्कर दे रहा है लेकिन फिर भी विश्व मंच पर बड़ी आवाज बनने की महत्वाकांक्षा रखे हुए है।
जॉब पोस्ट और उसमें भारत व भारत सरकार के लिए इस्तेमाल किए गए शब्दों को देखकर लगता है जैसे अखबार भारत की छवि धुमिल करने के लिए काम कर रहा है। अखबर ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चीन के ख़िलाफ़ कार्रवाई भारत का एक ड्रामा है, जो उनके मुताबिक सीमा और राष्ट्रीय राजधानियों के भीतर चल रहा है। इससे पता चलता है कि अखबार का एकमात्र मकसद भारत और मोदी सरकार को बदनाम करना है।
जॉब पोस्ट में भारत की चीन के साथ तुलना और उसमें भी भारत को नीचा दिखाना पूरे प्रोपगेंडे की पोल खोलता है। चीन जिन्हें आर्थिक मदद देता है, उनसे बदले में काफी कुछ चाहता है। शायद इसीलिए न्यूयॉर्क टाइम्स भी चीन के दबाव में ऐसे एजेंट ढूंढ़ रहा है, जो पत्रकार बनकर मोदी सरकार और भारत को आंतरिक तौर पर कमजोर करने में चीन की मदद करें। साथ ही चीन के पक्ष में माहौल बना सके।
गौरतलब है कि न्यूयॉर्क टाइम्स चीन के चंदे पर पलता है। चीन सरकार का मुखपत्र अमेरिकी अखबारों को कथित तौर पर 19 मिलियन डॉलर (लगभग 142 करोड़ रुपये) का भुगतान सिर्फ एड आदि के लिए किया है वो भी 4 वर्षों में। एक चाइना अखबार द्वारा न्याय विभाग में दायर दस्तावेजों के अनुसार, कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को 6 मिलियन डॉलर, वाशिंगटन पोस्ट को 4.6 मिलियन डॉलर, फॉरेन पॉलिसी को 2,40,000 डॉलर, न्यूयॉर्क टाइम्स को 50,000 डॉलर से अधिक का भुगतान किया। इनके अलावा ट्विटर पर 2,65,822 डॉलर के विज्ञापन दिए गए।
न्यूयॉर्क टाइम्स की भारत, प्रधानमंत्री मोदी और हिन्दुओं के प्रति घृणा कोई नई बात नहीं है। इससे पहले कई बार ऐसा प्रयास कर चुका है। आइए देखते हैं इस विदेशी अखबार ने किस तरह एजेंडे के तहत नफरत फैलायी है…
न्यूयॉर्क टाइम्स ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत के श्मशान घाटों की फोटो पहले पन्ने पर छापकर और जलती चिताओं की तपिश को विदेशों तक फैलाकर मोदी सरकार की छवि झुलसाने की कोशिश की। हालात को ऐसे पेश किया, मानो कोरोना से संक्रमित होने वाला हर मरीज मर रहा हो।
न्ययॉर्क टाइम्स ने 17 अप्रैल 2019 के अपने संस्करण में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ स्टोरी प्रकाशित की थी। उस स्टोरी में जहां प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी कैंपेन को डरावना बताया था वहीं बहुसंख्यक हिदुओं को मुसलमान और पाकिस्तान के लिए खतरनाक बताया।
14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले को न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में अटैक नहीं, एक्सप्लोज़न लिखा था। अटैक मतलब तो होता है हमला। जो कि ये अटैक था भी। एक्सप्लोज़न मतलब हुआ धमाका। अटैक को धमाका कहना मतलब घटना की गंभीरता को कम करना है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने पुलवामा हमले को एक्सप्लोज़न बताकर इसकी गंभीरता को कम करने की कोशिश की थी।
अनुच्छेद 370 की समाप्ति को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स में रिपोर्ट छपती है, कि कश्मीर में हजारों मुस्लिम हिरासत में हैं। इंटरनेट शटडाउन किया गया और सरकार सख्त नीति पर चल रही है। आर्टिकल में लिखा गया कि लोकतंत्र में असहमति को नहीं दबाया जाता ये अधिकारवादी शासन में होता है। भारत सरकार इंटरनेट शटडाउन कर रही है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने कार्टून बनाकर भारत के मिशन मंगलयान का मजाक उड़ाया। बाद में बढ़ते विरोध कारण माफी मांगनी पड़ी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने सफाई देते हुए लिखा कि कार्टूनिस्ट हेंग अपने कार्टून से किसी भी तरह से भारत, देश की सरकार या यहां के नागरिकों को खारिज नहीं करना चाहते थे।
न्यूयॉर्क टाइम्स अपने लेख में कह चुका है कि पीएम नरेन्द्र मोदी से भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि के लिए खतरा है। जुलाई 2017 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता संभालने के बाद से ही भारत में भीड़ की हिंसा की घटनाओं में खतरनाक रूप से बढ़ोतरी हुई है और उनके शासनकाल में ‘द्वेषपूर्ण असहिष्णुता’ भी उजागर हुई है।
न्यूयॉर्क टाइम्स NRC का विरोध करता है, न्यूयॉर्क टाइम्स लेख लिखकर कहता है, कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने के करीब पहुंच रहा है?