राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा का पेपर लीक मामले में परत-दर-परत खुलासे हो रहे हैं। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने नया खुलासा किया है कि आरोपी ग्रेड सेकंड टीचर है और सवा दो करोड़ में पेपर खरीद कर अपने दोस्त भजनलाल को दिया था। शिक्षा संकुल के स्ट्रांग रूम से इनती बड़ी धनराशि खर्च कर पेपर लीक होने के बावजूद गहलोत सरकार इस सारे मामने की सीबीआई जांच कराने के पक्ष में नहीं है। क्या सरकार को अपने करीबियों के फंसने का डर है ? क्या जांच में कांग्रेस के बड़े नेता या मंत्री भी एक्सपोज हो सकते हैं ? या सीएमओ की मिलीभगत उजागर हो सकती है ? सवाल तो कई हैं और सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि सरकार पाक-साफ है तो रीट प्रकरण की सीबीआई जांच से परहेज क्यों ?
बिना राजनीतिक संरक्षण के पेपर लीक नहीं हो सकता : बोर्ड अध्यक्ष
रीट पेपर लीक मामले में सरकार ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के डीपी जारौली को हटाने का फैसला कर लिया है। बर्खास्तगी के फैसले के बाद जारौली ने भी कहा कि पेपर लीक कांड बिना राजनीतिक संरक्षण के पेपर लीक नहीं हो सकता। जारौली ने कहा कि पेपर लीक मामला पूरी तरह से राजनैतिक षड़यंत्र है। जिला परीक्षा संचालन समिति की जिम्मेदारी में पेपर होते हैं। मेरी जिम्मेदारी तो केवल पेपर पहुंचाने की थी। शिक्षा संकुल के स्ट्रॉन्ग रूम की जिम्मेदारी वहां के बड़े अधिकारियों की थी। बिना उनकी मर्जी और राजनीतिक संरक्षण के पेपर वहां से लीक हो ही नहीं सकता। इसकी बड़े स्तर पर जांच होनी चाहिए।
ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं हुई कि सीबीआई जांच करानी पड़े : शिक्षा मंत्री
REET में इतने ज्यादा सनसनीखेज खुलासे और 35 गिरफ्तारियां होने के बाद अब परीक्षा रद्द करने और सीबीआई जांच कराने की मांग उठने लगी है। ताकि पेपर लीक के पीछे छिपे असली और बड़े चेहरों के नाम सामने आ सकें। लेकिन इतना सब होने के बावजूद सरकार यह मानने तो तैयार ही नहीं है कि कोई गड़बड़ है। शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने साफ तौर पर कह दिया है कि परीक्षा में ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, इसलिए इसकी सीबीआई जांच नहीं करवाई जाएगी। परीक्षा के पेपर लीक की जांच सीबीआई से करवाने के सवाल पर कल्ला ने कहा कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं कि सीबीआई से जांच करवानी पड़े। उन्होंने कहा कि इस सारे मामले में एसओजी बेहतर काम कर रही है और दोषियों की गिरफ्तारियां हो रही हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा कि हमने एसओजी को फ्री हैंड दे रखा है।बोर्ड अध्यक्ष को हटाना पेपर लीक और बड़ी धांधली पर मुहर
रीट में सरकार ने अब तक पेपर लीक नहीं माना है। शिक्षा मंत्री तक पेपर लीक मानने से इनकार कर चुके हैं, लेकिन बोर्ड अध्यक्ष की बर्खास्तगी ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि रीट में पेपर लीक और धांधली हुई है। सरकार ने सिर्फ इतना ही कहा है कि पेपर लीक मामले में जो भी कर्मचारी लिप्त होगा, उसे तत्काल सस्पेंड किया जाएगा। कई कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। एसओजी की जांच में कई कर्मचारियों पर भी शक गहरा रहा है। अब विपक्ष के पास इस मुद्दे को उठाने का एक और प्रमुख आधार मिल गया है। विपक्ष रीट पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग उठा रहा है। यह मांग और तेज होगी।
पेपर लीक से कमाई मोटी रकम का यूपी-पंजाब चुनाव में उपयोग : बीजेपी सांसद
इधर बीजेपी राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा है कि REET पेपर लीक मामले में इतने खुलासे होने के बावजूद मुख्यमंत्री सीबीआई जांच की अनुशंसा क्यों नहीं कर रहे हैं ? इस मामले में सरकार का रुख कई प्रकार के संदेह उत्पन्न कर रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि REET पेपर लीक से जो कमाई हुई उस मोटी रकम को उत्तर प्रदेश व पंजाब सहित उन राज्यों में भेज दिया गया, जहां विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं? यदि ऐसा है तो बेरोजगार युवाओं के साथ इससे अधिक बर्बरता कुछ नहीं हो सकती।
एसओजी पर सरकार का दबाव, जांच सीबीआई से होनी चाहिए : पूनियां
दूसरी तरफ इस मामले में विपक्ष अभी भी भर्ती को रद्द करने और मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर रहा है। बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनियां और पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि इस मामले में पेपर लीक स्पष्ट हो चुका है। बावजूद इसके सरकार इसे स्वीकार नहीं कर रही है। इस परीक्षा में जो भी सरकारी अधिकारी कर्मचारी लिप्त हैं उन्हें बचाने के बजाय उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। परीक्षाओं में पेपर लीक जैसे कृत्य सरकार को बर्दाश्त नहीं करने चाहिए। देवनानी का कहना है कि एसओजी पर राज्य सरकार का दबाव होता है, ऐसे में केन्द्रीय एजेंसी सीबीआई से जांच होनी चाहिए ताकि निष्पक्ष जांच कराई जा सके।