Home समाचार राजीव गांधी और उनके इटैलियन रिश्तेदारों की अय्याशी की कहानी पहली बार…

राजीव गांधी और उनके इटैलियन रिश्तेदारों की अय्याशी की कहानी पहली बार…

SHARE

पिछले कई महीने से प्रधानमंत्री मोदी को चोर कहने वाली कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री के एक ही पलटवार से बुरी तरह फंस गए हैं। राजीव गांधी को लेकर पीएम मोदी के एक खुलासे के बाद कांग्रेस को कोई जवाब नहीं सूझ रहा। पीएम ने इस बात का खुलासा कर दिया कि प्रधानमंत्री रहते राजीव गांधी ने किस प्रकार अपनी छुट्टियां मनाने के लिए नौसेना का दुरुपयोग किया। साथ ही इस दौरान करीब 10 दिन तक नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विराट को टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया गया।

राजीव गांधी ने किस प्रकार की थी अय्याशी

  • 30 दिसंबर, 1987 को राजीव गांधी ने अपने रिश्तेदारों के साथ पिकनिक का प्लान बनाया और इसके लिए लक्षद्वीप के खूबसूरत और निर्जन द्वीप बंगाराम को चुना।
  • मेहमानों में सोनिया गांधी ने इटली से अपनी बहन, बहनोई, भतीजी, मां, भाई और मामा को शामिल किया था। इसके अलावा राहुल, प्रियंका के दोस्तों और अमिताभ को भी सपरिवार शामिल किया गया।
  • गांधी परिवार को ले जाने के लिए आईएनएस विराट का इस्तेमाल हुआ था। राजीव के परिवार के लिए उसे देश की सुरक्षा से हटा दिया गया।
  • मेहमानों को लाने-ले जाने और जरूरी सामान जुटाने के लिए भी सेना के विमान का भी दुरुपयोग किया गया था। इसमें लक्षद्वीप प्रशासन को भी लगाया गया।
  • पिकनिक के लिए शराब दिल्ली से ले जाई गई थी। चिकन, फल, सब्जियां, कोल्ड ड्रिंक, चॉकलेट और पानी की बोतलें लक्षद्वीप, कावारत्ती और कोचीन से मंगाई गई थीं।
  • आईएनएस विराट को पूरे 10 दिन के लिए अरब सागर में तैनात किया गया था और अगत्ती में स्पेशल सैटेलाइट का सेटअप भी लगाया गया था।

बंगाराम द्वीप गए थे छुट्टियां बिताने
दक्षिण भारत में कोचीन से 465 किलोमीटर पश्चिम की ओर लक्षद्वीप के पास स्थित एक बेहद खूबसूरत आईलैंड है, जिसका नाम बंगाराम है। यह पूरा द्वीप निर्जन है। 0.5 स्क्वायर किलोमीटर एरिया में फैले इस द्वीप का चयन भी सोच-समझकर किया गया था। यहां विदेशी नागरिकों के आने पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। बंगाराम द्वीप बेहद सुरक्षित और दुनिया से एक तरह से कटा हुआ इलाका है। इस इलाके की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह बेहद सुरक्षित है.

गोपनीय था पूरा प्लान
गांधी परिवार ने अपने इस दौरे को बेहत गोपनीय रखा था। मीडिया से इस गोपनीय दौरे को छुपाने के लिए पूरे प्रयास किए गए फिर भी मीडिया को इसकी जानकारी हो गई। मीडिया को इसकी जानकारी तब हुई जब राहुल गांधी ने अपने चार दोस्तों के साथ लक्षद्वीप प्रशासन के नारंगी और सफेद रंग के एक हेलिकॉप्टर से उड़ान भरी थी।

राहुल गांधी का ग्रुप पहला था
गांधी परिवार के साथ इस जश्न में शामिल होने के लिए अलग-अलग कई समूहों में लोग इस द्वीप पर पहुंचे थे, जिनमें राहुल गांधी का ग्रुप पहला था। सरकार ने राजीव गांधी की छुट्टी की प्राइवेसी को पूरी तरह बनाए रखने के लिए समुद्री और हवाई दोनों ही मार्गों से निगरानी की थी।

सोनिया गांधी की मां भी थीं शामिल
राजीव गांधी की इस छुट्टी में देश-विदेश की कई हस्तियां शामिल थीं। इस कारण उनका ये बेहद प्राइवेट दौरा सार्वजनिक हो गया। राहुल और प्रियंका के चार दोस्त, सोनिया गांधी की बहन, बहनोई और उनकी बेटी, सोनिया की मां आर माइनो, उनके भाई और मामा शामिल थे।

नेहरू भी कर चुके हैं ऐसा
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी सपरिवार युद्धपोत में आराम करते नजर आए थे। ये बात जून, 1950 की है। इसी साल देश का संविधान लागू किया गया था। एक जानकारी के मुताबिक तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू की इंडोनेशिया यात्रा के दौरान उनके पोते राजीव गांधी और संजय गांधी ने आईएनएस दिल्ली में नौसेना अभ्यास में भाग लिया था। इस तस्वीर में पंडित जवाहरलाल नेहरू, प्रधानमंत्री, अपनी बेटी इंदिरा के साथ युद्धपोत में आराम करते हुए नजर आते हैं।

एक और तस्वीर में पीएम नेहरू के साथ उनके दो पोते संजय गांधी और राजीव गांधी दिखते हैं। ये जून 1950 की तस्वीर है। पीएम नेहरू के इंडोनेशिया यात्रा के दौरान आईएनएस दिल्ली के डेक पर राजीव और संजय गांधी दिख रहे हैं। नेवी के अधिकारी उनके आस-पास मौजूद हैं।

परिवार के नाम घोटालों की लंबी लिस्ट

देश की सत्ता पर सबसे ज्यादा समय तक काबिज रहा नेहरू परिवार अक्सर विवादों में रहा है। परिवार के नाम पर घोटालों की लंबी लिस्ट है और देश के पिछड़ेपन में इस परिवार की सबसे अहम भूमिका है। आजादी के बाद से देश में जितने बड़े घोटाले हुए हैं, उन सब से यह परिवार किसी न किसी रूप में जुड़ा रहा है।

अगस्ता वेस्टलैंड मामला
वीवीआइपी हेलिकॉप्टर अगस्ता वेस्टलैंड मामले में 12 चॉपर ख्ररीदे जाने थे। इसके लिए क्रिश्चियन मिशेल समेत तीन बिचौलियों के जरिए कथित रूप से दो भारतीयों को रिश्वत दी गई थी। मिशेल ने दुबई की अपनी कंपनी ग्लोबल सर्विसेज के जरिए यह रकम हासिल की थी। यूपीए सरकार के कार्यकाल में इन बिचौलियों ने भारतीय वायुसेना के अफसरों को प्रभावित करने की कोशिश की। कहा जाता है कि इसके बाद ही हेलिकॉप्टर खरीदने की एक अनिवार्य शर्त में छूट दी गई। वर्ष 2005 में हेलिकॉप्टर की उड़ान की ऊंचाई की सीमा 6,000 मीटर से कम करके 4,500 मीटर कर दी गई थी। 

अगस्ता वेस्टलैंड सौदे का सोनिया गांधी कनेक्शन
अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 37 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर खरीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपये की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इटली की कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।

चूंकि इस मामले का भंडाफोड़ इटली में ही हुआ था, लिहाजा वहां भी इस पर मुकदमा चला। मिलान शहर की अदालत के फैसले के पेज नंबर-193 और 204 पर कुल मिलाकर 4 बार सोनिया गांधी का नाम आया। इसमें उनके नाम की स्पेलिंग Signora Gandhi लिखा गया था। कोर्ट ने कहा कि सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने बिचौलिए जरिए 125 करोड़ रुपये कमीशन लिया। कुल 225 करोड़ रुपए रिश्वत की लेन-देन हुई, जिसमें से 52 प्रतिशत हिस्सा कांग्रेस के नेताओं को दिया गया। 28 प्रतिशत सरकारी अफसरों को और 20 प्रतिशत एयरफोर्स के अफसरों को मिला। इस केस में तब के एयरफोर्स चीफ एसपी त्यागी को भी आरोपी बनाया गया।

सोनिया-राहुल-वाड्रा के पास 5 बिलियन डालर से अधिक की संपत्ति कहां से आई?
आजादी के बाद देश को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति समझने वाले गांधी परिवार ने किसानों की जमीन खरीदने-बेचने से लेकर रक्षा सौदे में दलाली से अकूत संपदा अर्जित की है। गांधी खानदान के मौजूदा दोनों नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट से जमानत पर हैं। इन दोनों ने अपनी सरकारों के जरिए देश के विभिन्न शहरों में नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के नाम पर कई एकड़ जमीन आवंटित करा ली। इसकी प्रॉपर्टी की कीमत करीब 5 हजार करोड़ है। दोनों मां-बेटे ने एक कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड की सारी जमीन को अपने नाम करवा ली। जब कोर्ट में मामला खुला तो दोनों को जमानत लेना पड़ा। Celebrity Net Worth के अनुसार कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के पास लगभग 2 बिलियन डालर की संपदा है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पास भी 100 मीलियन डालर की संपदा है।

स्विस मैगजीन Schweizer Illustriertein  ने  नवंबर 1991 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा कि राजीव गांधी का स्विस बैंक में खाता है जिसमें 13,200 करोड़ रुपये जमा है। इस रिपोर्ट को गांधी परिवार ने आज तक कभी न तो नकारा है न ही इस पत्रिका के खिलाफ झूठी रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए कोई केस ही किया है-अब बात करते हैं गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की। प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा महज 10वीं पास है, लेकिन उनकी संपत्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। 2004-14 के यूपीए शासनकाल में उनकी संपत्ति सबसे ज्यादा बढ़ी। उनकी या उनकी कंपनी की देशभर में घोषित या बेनामी प्रॉपर्टी है। ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के मुताबिक उन्होंने एक लाख रुपये के निवेश से 5 साल में 325 करोड़ रुपये बना लिए। यूपीए सरकार के दौरान हुए रक्षा सौदे समेत हर घोटाले में वाड्रा की भूमिका संदिग्ध रही हैं। वो 12 कंपनियों में डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर या मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। Celebrity Net Worth के अनुसार रॉबर्ट वाड्रा ने सारी संपत्ति प्रियंका गांधी से शादी करने के बाद अर्जित की है। रॉबर्ट वाड्रा के पास 2.1 बिलियन डालर की संपदा होने का अनुमान है।

डालते हैं नेहरू-गांधी परिवार के घोटालों पर एक नजर-

नेशनल हेराल्ड स्कैंडल 
गांधी परिवार पर अवैध रूप से नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति हड़पने का आरोप है। वर्ष 1938 में कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज नाम से तीन अखबार प्रकाशित करती थी। एक अप्रैल, 2008 को ये अखबार बंद हो गए। मार्च 2011 में सोनिया और राहुल गांधी ने ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ नाम की कंपनी खोली और एजेएल को 90 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन दिया। एजेएल यंग इंडिया कंपनी को लोन नहीं चुका पाई। इस सौदे की वजह से सोनिया और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को एजेएल की संपत्ति का मालिकाना हक मिल गया। इस कंपनी में मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के 12-12 प्रतिशत शेयर हैं, जबकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 76 प्रतिशत शेयर हैं। गांधी परिवार पर अवैध रूप से इस संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए पार्टी फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगा।  

बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।

वाड्रा-डीएलएफ घोटाला
वर्ष 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर  भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं। इस मामले में हाल ही में हरियाणा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।

मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।

मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। तब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।

एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)
भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।

सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।

कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।

कोयला घोटाला (2012)
कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।

टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)
वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।

आदर्श घोटाला (2012)
इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।

प्रमुख घोटालों की सूची और उसकी रकम-

कोयला घोटाला  1.86 लाख करोड़ रुपये
2जी घोटाला  1.76 लाख करोड़ रुपये
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला  70,000करोड़ रुपये
कामनवेल्थ घोटाला  35,000 करोड़ रुपये
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला  1,100 करोड़ रुपये
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला  3,600 करोड़ रुपये
टाट्रा ट्रक घोटाला  14 करोड़ रुपये

 

आइए आपको बताते हैं कि किस तरह देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर आजादी के बाद से ही नेहरू-गांधी परिवार का कब्जा रहा है।

आजादी के 70 साल, 53 साल तक शीर्ष पद पर कब्जा 
ये हेडर चौंकाने वाला है। लेकिन कांग्रेस और नेहरू परिवार की यही सच्चाई है। अगर कांग्रेस और प्रधानमंत्री पद के लिए नेहरू परिवार की समय सीमा निकालें तो आजादी के 70 साल में 53 साल तक इस परिवार का किसी न किसी या फिर दोनों पदों पर एक साथ कब्जा रहा है।

नेहरू परिवार ने कांग्रेस को जागीर बनाई
हमने आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, उनकी बेटी इंदिरा गांधी, फिर उनके बेटे राजीव गांधी, राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी के कार्यकाल का आकलन किया है। आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि किस प्रकार तिलक से लेकर गांधी की पार्टी को एक परिवार ने अपनी जागीर बना ली। कई बार तो ऐसा वक्त भी आया जब नेहरू तक ने प्रधानमंत्री के साथ साथ पार्टी अध्यक्ष के पद पर भी अपना कब्जा जमा लिया।

गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर चल रही हैं 600 से ज्यादा सरकारी योजनाएं
एक आरटीआई के जवाब में मिली सूचना के मुताबिक देशभर मं जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर 600 से ज्यादा योजना, संस्थान, स्थल, म्यूजियम, ट्रॉफी या स्कॉलरशिप हैं। इनके नाम से मोदी सरकार के साढ़े 4 साल और विभिन्न राज्यों की बीजेपी सरकारों के दौर में भी कोई छेड़छाड़ नहीं की गई हैं।

 

Leave a Reply