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राहुल गांधी की नफरत, बंटवारे और झूठ फैलाने की राजनीति

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी देश की राजनीति को नफरत और झूठ के हथकंडों से साधने में लगे हुए हैं। वे नफरत और बंटवारे की राजनीति के सहारे अपने लिए सियासी स्पेस बनाना चाहते हैं। अपनी छवि बदलने के लिए विदेश में घूम-घूमकर देश की छवि को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। आने वाले विधानसभा चुनावों को देखकर अब वे गुजरात में घृणा का वातावरण तैयार करने की कोशिश रहे हैं ताकि सत्ता की सीढ़ियां चढ़ सकें।

पाटीदार समुदाय को भड़काना
पाटीदार समुदाय को भड़काने के लिए राहुल हर यत्न कर रहे हैं। आरोप लगाने में वे यहां तक चले जाते हैं कि बीजेपी ने पाटीदारों को गोलियों के सिवा कुछ नहीं दिया। लेकिन गुजरात की जनता को बरगलाना राहुल के लिए आसान नहीं जो ये देख चुकी है कि 22 साल पहले तक राज्य में रहे कांग्रेस शासन में गुजरात किस बदहाली में पहुंच चुका था और बीजेपी शासन में वही राज्य आज विकास की किस ऊंचाई को छू रहा है। एक वो गुजरात था जहां रथ यात्रा पर हमले आम हो गये थे, अराजकता का राज चल रहा था। एक आज का गुजरात का है जो सद्भावना की मिसाल बना है। एक वो गुजरात था जहां 12 से 17 घंटे तक की बिजली कटौती आम बात थी, एक आज का गुजरात है जो बिजली से रौशन है। दरअसल राहुल कांग्रेस शासन में रही राज्य की दयनीय तस्वीर को देखना नहीं चाहते और बीजेपी शासन में विकास की मौजूदा तस्वीर को देखकर भी स्वीकारना नहीं चाहते क्योंकि दोनों ही स्थिति में उनकी राजनीति की दुकान बंद हो जाएगी। 


Statue of Unity को लेकर झूठ फैलाया
राहुल गांधी ने गुजरात में पाटीदारों को कहा कि मोदी सरकार के लिए शर्मनाक है कि नर्मदा नदी पर बनने वाला Statue of Unity सरदार पटेल की प्रतिमा made in China होगी। राहुल गांधी एक बार फिर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चक्कर में सरदार पटेल के नाम पर झूठ बाेल रहे हैं। तमाम तथ्य इसकी गवाही देते हैं कि वे सिर्फ और सिर्फ झूठ की राजनीति कर रहे हैं। 

 

देश को वंशवादी बताया
अमेरिका में बर्कले की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में युवा छात्रों के साथ संवाद के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि हमारा पूरा देश वंशवाद से चलता है। उन्होंने दावा किया कि भारत वंशवाद से ही चलता है और देश ऐसे ही चलता रहा है। खुद को सही ठहराने के लिए उन्होंने देश में वंशवाद के उदाहरण भी गिनाए। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव, स्टालिन और धूमल के बेटे यहां तक कि अभिषेक बच्चन भी वंशवाद का उदाहरण हैं। इस दौरान राहुल गांधी ने देशहित को नुकसान पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। विदेशी जमीन से अपने ही देश के बारे में दुष्प्रचार किया, जिसके कारण उनको सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया। 

कश्मीर पर झूठ फैलाते राहुल गांधी
अमेरिका में राहुल गांधी ने ये निराधार आरोप भी लगाया कि जम्मू कश्मीर में आतंक से निपटने में मोदी सरकार नाकाम रही है। अगर कश्मीर पर वो सच बोल रहे होते तो यह कहते कि वहां आतंक के सफाये का दौर जारी है और सरकार आतंक से सहानुभूति रखने वालों का हिसाब करने में भी लगी है। फिर राहुल गांधी यह कैसे बताते कि कश्मीर समस्या कांग्रेस की ही देन है! वे यह भी कैसे बताते कि उनके ही पूर्वज देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की नीतियों की वजह से आज भी कश्मीर समस्या बनी हुई है। धारा 370 और 35 A जैसे प्रावधान भी कांग्रेस की ही उपज हैं।

आग में घी डालते राहुल गांधी
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पहले सहारनपुर में जातीय विद्वेष फैलाया और मंदसौर में किसानों को भड़काकर विदेश चले गए। राहुल गांधी जून के पहले पखवाड़े में पुलिस फायरिंग में मारे गए किसानों के परिजनों से मिलने के लिए मंदसौर गए थे। दिल्ली वापस लौटते हुए उन्होंने उदयपुर में किसानों से मुलाकात की थी और कहा था कि वे उनके हक की लड़ाई लड़ेंगे। लेकिन किसानों में राहुल की दिलचस्पी किस कृत्रिम तरीके की है यह इसी साबित हो जाता है कि किसानों के हित में लड़ने की बात कर वो अपनी नानी के घर छुट्टियां मनाने इटली चले गए। राहुल की बातों में आने वाले किसानों के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष की ये हरकत आग में घी डालने वाली थी। किसानों से कांग्रेस का ऐसा खिलवाड़ पुराना है और यही वजह है जो किसानों ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया।  

भारत को धमकी देने वाले चीन से गले मिलते हैं राहुल
देश के जवान जब सिक्किम की सीमा पर चीनी दबंगई का मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे, सीमा पर चीन की दादागीरी का पीएम मोदी हर स्तर पर प्रतिकार कर रहे थे, उसका जवाब दे रहे थे, उस समय कांग्रेस उपाध्यक्ष ‘दुश्मनों’ को गले लगा रहे थे। भारत और चीन में युद्ध जैसे हालात में भी सरकार को सूचना दिए बिना कांग्रेस के ‘युवराज’ ने चीनी दूतावास जाकर वहां के राजदूत लियो झाओहुई से मुलाकात की। गौर करने वाली बात यह भी है कि चीनी दूतावास के WeChat अकाउंट ने 8 जुलाई को राहुल की बैठक की पुष्टि की थी जबकि कांग्रेस ने राहुल गांधी की चीनी राजदूत से मुलाकात करने की खबरों को ‘फर्जी’ करार देते हुए इसे सिरे से खारिज किया था। 

मोदी के गुजरात मॉडल से द्वेष
कांग्रेस उपाध्यक्ष को गुजरात को विकास का सिरमाैर बनाने वाले गुजरात मॉडल से द्वेष है। इसलिए वे अपनी हर सभा-रैली में  गुजरात मॉडल की आलोचना करते नहीं थकते। दुनिया गुजरात मॉडल की सराहना करती नहीं थकती और राहुल गांधी आलोचना करते नहीं थकते। राहुल गांधी अपनी सभा में कहते हैं कि मोदी के गुजरात मॉडल को बदलना होगा। लेकिन राहुल शायद यह भूल गए कि इसी गुजरात मॉडल के कायल पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। इतना ही नहीं गुजरात के विकास मॉडल की चर्चा विदेश में भी होती है। 

बैकफायर करते रहें हैं कांग्रेस उपाध्यक्ष
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष की लॉन्चिंग पहली बार फेल हुई हैं। इससे पहले भी उनको कई बार फूल प्रूफ प्लानिंग के साथ लॉन्च करने की कोशिश की जा चुकी है, लेकिन उनकी लॉन्चिंग हमेशा बैकफायर ही करती रही है। देश में लॉन्चिंग फेल होने के बाद इस बार उन्होंने स्वयं को विदेशी जमीन से लॉन्च करने का प्रयास किया। राहुल गांधी ने अमेरिका में अपनी प्रतिभा का जो प्रदर्शन किया उसकी सोशल मीडिया पर जोरशोर से चर्चा होती रही है।

कांग्रेस के लिए सिरदर्द
अमेरिका में राहुल गांंधी ने एक और बात कही कि वर्ष 2012 में कांग्रेस में अहंकार आ गया था। हमने लोगों से बात करना बंद कर दिया था। हालांकि यह अहंकार उनमें कितना आया, यह उन्होंने नहीं बताया। बहरहाल, अहंकार की बात कहकर राहुल गांधी ने एक बार फिर से अपनी ही पार्टी को बैकफुट पर धकेल दिया। वे हमेशा से ही कांग्रेस के लिए सिरदर्द रहे हैं। गाहे-बगाहे उल्टे-सीधे बयान देते रहते हैं। यूपीए-2 के दौरान तब के पीएम मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली कैबिनेट का पास किया हुआ बिल मीडिया के सामने फाड़ दिया था। अपनी इस हरकत से उन्होंने देश के प्रधानमंत्री तक को नीचा दिखा दिया था। राहुल गांधी के इस कदम से तब कांग्रेस  के बड़े-बड़े नेता भी हैरान रह गये थे।

राहुल गांधी के बेतुके बयान
देश किसी गंभीर समस्या का सामना कर रहा हो, संसद में किसी गंभीर विषय पर चर्चा हो रही हो, लेकिन राहुल गांधी बेतुके बयान देते रहते हैं। नोटबंदी के बाद शायरी करना और मंच से अपनी फटी जेब दिखाना उनको भारी पड़ गया था। नोटबंदी के बाद एक सभा में अपनी फटी जेब जनता को दिखाकर वो खुद ही हंसी के पात्र बन गये। वहीं नेपाल दूतावास में जब सांत्वना संदेश लिखने की बारी आयी, तो अपनी जेब से मोबाइल निकालकर उसमें देख-देख कर सांत्वना संदेश लिखा। तमाम टीवी चैनलों ने उनके इस कृत्य को उजागर करने का काम किया।

राहुल गांधी के कुछ अन्य बेतुके बयान
“राजनीति आपकी कमीज और पैंट में होती है।”
“अगर भारत एक कंप्यूटर है, तो कांग्रेस उसका डिफॉल्ट प्रोग्राम है।”
“गुजरात यूके से भी बड़ा है।”
“भारत यूरोप और अमेरिका को मिलाने पर भी उससे बड़ा है।”
“गरीबी महज एक मनोदशा का नाम है।”
“मैं यूपी के किसानों के लिए आलू की फैक्टरी नहीं खोल सकता।”

खबरों में रहने के लिए झूठ बोलते हैं राहुल गांधी
राहुल गांधी रोजाना खबरों में बने रहने के लिए झूठ बोलते हैं। इसके लिए वे आम लोगों, गरीबों, मजदूरों की संवेदनाओं से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकते हैं। गरीबों से उनकी खिल्ली उड़ाने वाले सवाल करते हैं। गरीबी उनके लिए कोई गंभीर समस्या नहीं है। गरीबी उनके लिए एक मनोदशा और एक अवसर है। राजनीति में ‘गरीबी’ जैसे संसाधन का सर्वोतम उपयोग शायद राहुल से ही सीखा जा सकता है। 

सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार
अपने बेतुके बयानों के कारण राहुल गांधी को अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ता है। मजे की बात ये है कि अपनी  अजीबोगरीब हरकत पर हुई इस ट्रोलिंग से राहुल गांधी को कोई फर्क नहीं  पड़ता है। जब किसी व्यक्ति के जीवन में कोई घटना आए दिन की कहानी बन जाती है तो वह उसके लिए सामान्य सी घटना बनकर रह जाती है। फिर उससे उस व्यक्ति को कोई विशेष फर्क पड़ेगा भी कैसे। 

अति उत्साह का खामियाजा
राहुल गांधी देश के साथ ही अपनी पार्टी को भी शर्मिंदा करते रहते हैं, लेकिन कभी भी स्वयं शर्मिंदगी महसूस नहीं करते हैं। कई बार वे अति उत्साह में अनावश्यक रूप से ऐसा कुछ कर जाते हैं या कह डालते हैं जिसका बाद में उनको खामियाजा भुगतना पड़ता है। जेएनयू प्रकरण में उन्होंने मामले को समझे बिना ही देशद्रोह के आरोपियों का साथ  निभाया, तो जवानों के खून की दलाली वाला बयान देकर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों के राजनीतिकरण की कोशिश की। इन सबके लिए राहुल को काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी।

क्या पीएम मैटेरियल हैं कांग्रेस उपाध्यक्ष?
चलते-चलते आखिरी सवाल, क्या राहुल गांधी पीएम मैटेरियल हैं या क्या राहुल गांधी को पीएम मैटेरियल बनाया जा सकता है? तो इसका पहला सीधा जवाब तो यही है कि जब कांग्रेस के लिए सत्ता में ही वैकेंसी नहीं है तो राहुल गांंधी के लिए पीएम बनने का सवाल कहां से उभरेगा। देश को उनमें कोई काबिलियत नहीं दिखती जिसे शायद राहुल गांधी भी समझ चुके हैं। वैसे वंशवाद का समर्थन कर वो यह बता गये हैं कि वंशवाद के सहारे ही वो नये सपने देख रहे हैं। लेकिन उनका ये सपना इसलिए धरा रह जाएगा क्योंकि देशवासियों के सामने उनकी पोल हर तरह से खुल चुकी है। 

 

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