पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार मिली है। एक तरह से पार्टी का सफाया हो गया है। पश्चिम बंगाल में पहली बार कांग्रेस खाता नहीं खोल सकी है। लेकिन बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी की जीत पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी खुशी मना रहे हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ममता बनर्जी को जीत के लिए बधाई दी है। राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए मैं ममता बनर्जी जी और पश्चिम बंगाल के लोगों को बधाई देता हूं।
I’m happy to congratulate Mamata ji and the people of West Bengal for soundly defeating the BJP.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 2, 2021
राहुल गांधी पश्चिम बंगाल में बीजेपी की हार पर खुशी मना रहे हैं। जबकि राज्य में बीजेपी को फायदा ही हुआ है। पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 3 सीटें मिली थी जबकि इसबार पार्टी को 77 सीटें मिली है, जो पहले से 74 ज्यादा है। पुडुचेरी में भी बीजेपी 0 से 6 पर पहुंचकर गठबंधन सरकार बनी रही है। इसी तरह पार्टी असम में 60 सीटें जीतकर एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है, जबकि तमिलनाडु से 0 से 4 पर पहुंच गई है। बीजेपी के लिए तो फायदे की बात है। लेकिन राहुल इसे बीजेपी की हार बता रहे हैं। अब आप कांग्रेस की हकीकत देखिए…
पश्चिम बंगाल सहित असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में कई रैलियां की लेकिन वे पार्टी की हार का सिलसिला नहीं रोक सकें।
असम में कांग्रेस को सिर्फ 29 सीटें, केरल में 21 सीटें, तमिलनाडु में 18 सीटें और पुडुचेरी में सिर्फ 2 सीटें मिली हैं। पश्चिम बंगाल में तो पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी। कांग्रेस यहां पहली बार विधानसभा नहीं पहुंची है। इसे आप कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन मान सकते हैं। पश्चिम बंगाल में तो पार्टी को लेफ्ट के साथ गठबंधन से भी कोई फायदा नहीं मिला।
राज्य | कुल सीटें | कांग्रेस |
पश्चिम बंगाल | 292 | 0 |
पुडुचेरी | 30 | 2 |
तमिलनाडु | 234 | 18 |
असम | 126 | 29 |
केरल | 140 | 21 |
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा प्रचार केरल में किया। अमेठी से हार का स्वाद चखने वाले राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं और उन्होंने अपना पूरा जोर केरल पर लगा रखा था। राहुल ने राज्य में कई रोडशो भी किए लेकिन वे एक बार फिर फेल साबित हुए। राहुल यूडीएफ के साथ मिलकर भी पी विजयन को मात नहीं दे सके। कांग्रेस यहां किसी तरह 21 सीटें जीत पाई।
असम में राहुल के साथ प्रियंका वाड्रा ने भी हर तरीके आजमाएं। दोनों ने जमकर प्रचार किए। चाय बागान और मंदिर भी गए, लेकिन सत्ता के नजदीक पहुंच नहीं पाए। पार्टी राज्य में 126 में से सिर्फ 29 सीटें जीत पाई। यहां बदरुद्दीन अजमल की पार्टी के साथ तालमेल का फॉर्मूला भी काम ना कर सका। गांधी परिवार के साथ पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी यहां पूरा जोर लगाया, लेकिन कोई फायदा ना मिला। यहां के मतदाताओं पर राहुल के साथ प्रियंका का भी जादू नहीं चला।
कांग्रेस केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका है। यहां पार्टी को भारी नुकसान हुआ है। कांग्रेस यहां 2 सीट पर सिमटकर रह गई है। इस हार से राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं। क्षेत्रीय पार्टियों के आगे कांग्रेस कहीं टिक नहीं रही है। ऐसे में ममता की जीत पर राहुल गांधी के खुश होने को तो बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना ही कह सकते हैं।